ये धरती राम की है, सीता की शान,
जहाँ चरित्र था धन, वही पहचान।
आज वासना के बाज़ार में रिश्ते बिकते,
संस्कारों के दीपक धुएं में सिसकते।
👉 संस्कृति बचाओ, भारत बचाओ,
👉 चरित्र से जीवन को फिर जगाओ।
जहाँ द्रौपदी की लाज पर युद्ध हुआ,
आज बहनों का दुख व्यापार बन गया।
इंद्र जैसा छल हर कोने में पनपे,
गौतम की अर्धांगिनी पत्थर बन तपे।
👉 मर्यादा का दीप फिर जलाना होगा,
👉 पाप के हर चेहरे को दिखाना होगा।
कृष्ण-राधा का नाम लिया, न समझा प्रेम,
वासना में रंगा, आत्मिक सेतु रेम।
भूल गए कुंती का त्याग, राम का व्रत,
अब ढूंढते हैं fancy freedom, सस्ती बात।
👉 ये भारत है, संस्कारों की थाती,
👉 न प्रेम बिकाऊ, न रिश्ते बिन बाती।
बिना चरित्र के आज़ादी, अंधा रास्ता,
जहाँ घर टूटे, समाज त्रस्त है सस्ता।
संयुक्त परिवार की नींव फिर से बनानी,
माँ-बाप, गुरु, बच्चों में प्रेम की ज्योति जलानी।
👉 स्कूलों में धर्म की शिक्षा लाओ,
👉 मोबाइल नहीं, मन में श्रीराम बसाओ।
अगर न संभले हम,
कल न बचेगा भारत-धर्म।
संस्कृति इस देश की जान है,
इसे बचाओ, यही पहचान है।
👉 संस्कृति बचाओ, भारत बचाओ,
👉 चरित्र से जीवन को फिर जगाओ।
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