जिसने दिल को धोखा दिया,
उसने जान से खेला!"
शादी से पहले, शादी शुदा से इश्क़,
कभी नहीं कभी नहीं,
धोखेबाज़ से इश्क़ है घातक
दिल ने किया था यक़ीन,
वो निकली बस एक सीन।
हँसी थी झूठी हर बात,
आँखों में थी अंधी रात।
धोखेबाज़ से इश्क़ है घातक।
[अंतरा 1 – छल की चोट]
सपनों में जाल बिछाया,
हर वादे में छल छुपाया।
पलकों पर आँसू भारी,
झूठी निकली उसकी यारी।
धोखेबाज़ से इश्क़ है घातक।
[अंतरा 2 – चेतावनी और दर्द की सीख]
ना दो दिल किसी धोखे को,
वो चुभेगा जैसे नश्तर को।
चेहरे से मत आंक दिल,
अंदर होता है केवल छल।
धोखेबाज़ से इश्क़ है घातक।
[अंतिम पंक्तियाँ – स्वाभिमान और सबक]
अब दिल खुद से जुड़ा है,
ज़ख्मों ने सब कुछ सिखाया है।
ना होगी अब मोहब्बत अंधी,
अब राहें होंगी अपनी सच्ची।
धोखेबाज़ से इश्क़ है घातक।
",
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