🎤 "अगर चुप हो, तो दोषी हो"
देश के दुश्मन सिर्फ वो नहीं,
जो समानता का विरोध करते हैं...
कई बार चुप रहने वाले भी,
गलत का साथ निभाते हैं।
जो इंसानियत को तोड़ते हैं,
जो बराबरी से डरते हैं,
जो झूठ को सच बताते हैं —
वो देश के लिए खतरा हैं।
लेकिन दोषी वो भी हैं,
जो ऐसे नेताओं को चुनते हैं,
बिना सोचे वोट देते हैं,
फिर सिस्टम को कोसते हैं।
✊ अगर चुप हो, तो दोषी हो,
गलत के आगे झुकना भी गुनाह है।
देश को बचाना है तो खुद बदलो,
बिना सोचे वोट मत दो।
🇮🇳 अगर सुधार चाहिए — तो,
सबसे पहले खुद को बदलो।
जो ग़लत को सही माने,
उसे भी वोट मत दो।
बिना सोचे समझे वोट देते हैं,
बस जातिऔर स्वार्थ देखकर,
फिर पाँच साल गुस्सा करते हैं —
"देश क्यों नहीं बदलता?"
नेता जैसा होगा,
देश भी वैसा ही बनेगा,
लेकिन नेता चुनेगा कौन?
ये फैसला तो हम करेंगे ना!
कभी खुद से सवाल करो —
क्या हमने सच का साथ दिया?
क्या हमने सही वोट किया ?
या बस आँखें बंद रखीं?
🔥 अगर चुप हो, तो दोषी हो,
खामोशी भी एक तरह की हामी है।
अब वक्त है सच के साथ चलने का,
वरना हम भी उतने ही जिम्मेदार हैं।
गलत वोट देने से देश नहीं बचेगा,
ये हमारी ज़िम्मेदारी है।
और अगर हम सुधरेंगे,
तभी देश भी बचेगा।
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