स्पर्श से रोगों का उपचार

पुराणों और धार्मिक कथाओँ में प्राणदान, शक्तिपात आदि का वर्णन मिलता है। गुरुजन अपने शिष्यों को उत्तराधिकार में बहुत कुछ देते रहे हैं। विवरणों को अक्सर कपोल कल्पित कथाएं या कोई आध्यात्मिक सत्य सिखाने के लिए गढ़े गए दृष्टांत समझा जाता रहा है। पर अब इस तरह की बातें हकीकत साबित होने लगी हैं। इस ऊर्जा को प्राण शक्ति या मानवी शरीर में मौजूद बिजली कहा जाता है। सामान्य तथ्य यह है कि प्राणियों के जीवन का आधार सूक्ष्म प्राण शक्ति है।

मनुष्य में यह प्राण शक्ति विशेष होती है। उसे बढ़ाया जा सकता है। शरीर और मन दोनों प्राण पर निर्भर हैं। प्राण शक्ति द्वारा रोगों की चिकित्सा के संबंध में योग व तन्त्र ग्रंथों में बहुत वर्णन मिलता है। फिलीपीन्स के कुछ चिकित्सा विज्ञानियों ने इस प्राण शक्ति से सर्जरी के प्रयोग किए हैं। डॉ. हिरोशी मोटोयामा ने अपनी ‘साइकिक सर्जरी इन द फिलीपिन्स’ नामक पुस्तक में ऐसे रोगियों के बारे में लिखा है जिनका उपचार इस विधि से किया गया। इन रोगियों में हृदय रोगी, मिरगी या आंतों के फोड़े वाले रोगी भी थे।

इन रोगों की सत्यता है की जांच वैज्ञानिक ढंग से कर ली गई। डॉक्टर हिरोशी के अनुसार परीक्षण के दौरान यह भी देखा गया कि प्राण शक्ति का प्रभाव दूसरे कमरे में बैठे रोगी व्यक्ति पर भी उसी प्रकार पड़ता है जैसे कोई अवरोध बीच में न हो। किर्लियन फोटो विधि की खोज तो बीसियों साल पुरानी है।

सर जॉन मूरी और डॉ. ग्रेडेन रिक्सेन ने पत्तों और अंगुलियों की छाप पर अनुसन्धान के दौरान पाया कि शरीर का हर हिस्सा इस ऊर्जा से सराबोर है। इस ऊर्जा वलय को पराविद्या की भाषा में ओरा या आभामंडल कहते हैं। और आसान शब्दावली में प्राण शक्ति अथवा शारीरिक विद्युत भी कहा जा सकता है।

वैज्ञानिक विलियम टीलर एवं थेलमा माम ने प्राणशक्ति पर प्रयोगों के दौरान पाया कि दो विभिन्न शरीरों से निकलने वाला प्रवाह अलग अलग प्रकृति का होता है। प्राण शक्ति इस ब्रह्माण्ड के कण-कण में प्रवाहित हो जाती है। यही शक्ति प्राणियों में फैल कर प्रवाहित हो कर उन्हें जीवन देती है। शरीर के अस्वस्थ एवं अविकसित कोशों को प्राण शक्ति ही नव जीवन देती है। विभिन्न यौगिक क्रियाओं आसन, प्राणयाम, मुद्रा, बन्ध और ध्यान आदि के द्वारा प्राण का संचार सुचारू रूप से होने लगता है।

हाथों की उंगुलियों से प्राण शक्ति अन्य अंगों की अपेक्षा अधिक मात्रा में बहती है। न्यूयार्क विश्व विद्यालय की नर्सों की प्रशिक्षण के दौरान डॉ. डोलारेस क्रीगर ने कुछ रोगियों को दो समूहों में विभक्त करके प्रयोग किया। एक समूह के रोगियों पर स्पर्श चिकित्सा प्रारंभ की तथा दूसरे समूह के रोगियों की नित्य की भांति परिचर्या की गयी तथा औषधियां दी जाती रही।

पहले समूह के रोगियों पर दिन में दो बार नर्सें अपने हाथों के स्पर्श से और विचारों से मानसिक शक्ति संचरित करतीं। एक ही दिन में डॉ. क्रीगर ने देखा कि पहले समूह के रोगियों के रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ गई, जब कि औषधि प्रयोग करने वाले दूसरे समूह के रोगियों के खून में कोई परिवर्तन नहीं आया।

डॉ. विलियम मेगोरी ने डॉ. क्रीगर की खोज को प्रमाणित करते हुए कहा है कि स्पर्श से प्राण शक्ति के संचार करने पर रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती है और यह कोई मनौवैज्ञानिक परिवर्तन नहीं है। अपने और दूसरों के काम में जिस तरह श्रम और समय का उपयोग होता रहता है उसी प्रकार प्राण विद्युत को भी एक संपदा मानकर उसका सदुपयोग किया जा सकता है।


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आज मंगलवार है


आज मंगलवार है महावीर का वार है यह सच्चा दरबार है I
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे उसका बेडा पार है II
चैत्र सुदी पूरण मंगल को जन्म वीर ने पाया है I
लाल लंगोटा गदा हाथ में सर पर मुक्त सजाया है II
शंकर का अवतार है, महावीर का वार है
ब्रह्मा जी से ब्रह्म ज्ञान का बल भी तुमने पाया है I
राम काज शिवशंकर ने वानर का रूप धराया है II
लीलI अपरम्पार है, महावीर का वार है
बालपन में महावीर ने हरदम ध्यान लगाया है I
श्राप दिया ऋषियों ने तुमको बल का ध्यान भुलाया है II
राम नाम आधार है महावीर का वार है
राम जन्म जब हुआ अयोध्या में कैसा नाच नचाया है I
कहा राम ने लक्ष्मण से यह वानर मन को भाया है II
राम लक्ष्मण से प्यार है, महावीर का वार है
पंचवटी से सीता को रावण जब लेकर आया है I
लंका में जाकर तुमने माता का पता लगाया है II
अक्षय को दिया मार है, महावीर का वार है
मेघनाद ने ब्रह्म पाश तुमको आन फंसाया है I
ब्रह्पाश में फँस करके ब्रह्मा का मान बढाया है II
बजरंगी की बाँकी मार है , महावीर का वार है
लंका जलाई आपने रावण भी घबराया है I
श्री राम लखन को आन करके सीता सन्देश सुनाया है II
सीता शोक आपर है, महावीर का वार है
शक्ति बाण लग्यो लक्ष्मण के बूटी लेने धाये हैं I
लाकर बूटी लक्ष्मण जी के प्राण बचाये हैं II
राम लखन का प्यार है, महावीर का वार है
राम चरण में महावीर ने हरदम ध्यान लगाया है I
राम तिलक में महावीर ने सीना फाड़ दिखाया है II
सीने में राम दरबार है, महावीर का वार है —
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चाय के बारे मे about tea


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मित्रो चाय के बारे मे सबसे पहली बात ये कि चाय जो है वो हमारे देश भारत का उत्पादन नहीं है ! अंग्रेज़ जब भारत आए थे तो अपने साथ चाय का पौधा लेकर आए थे ! और भारत के कुछ ऐसे स्थान जो अंग्रेज़ो के लिए अनुकूल (जहां ठंड बहुत होती है) वहाँ पहाड़ियो मे चाय के पोधे लगवाए और उसमे से चाय होने लगी !

तो अंग्रेज़ अपने साथ चाय लेकर आए भारत मे कभी चाय हुई नहीं !1750 से पहले भारत मे कहीं भी चाय का नाम और निशान नहीं था ! ब्रिटिशर आए east india company लेकर तो उन्होने चाय के बागान लगाए ! और उन्होने ये अपने लिए लगाए !

क्यूँ लगाए ???

चाय एक medicine है इस बात को ध्यान से पढ़िये !चाय एक medicine है लेकिन सिर्फ उन लोगो के लिए जिनका blood pressure low रहता है ! और जिनका blood pressure normal और high रहता है चाय उनके लिए जहर है !!

low blood pressure वालों के लिए चाय अमृत है और जिनका high और normal रहता है चाय उनके लिए जहर है !
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अब अंग्रेज़ो की एक समस्या है वो आज भी है और हजारो साल से है !सभी अंग्रेज़ो का BP low रहता है ! सिर्फ अंग्रेज़ो का नहीं अमरीकीयों का भी ,कैनेडियन लोगो का भी ,फ्रेंच लोगो भी और जर्मनस का भी, स्वीडिश का भी !इन सबका BP LOW रहता है !

कारण क्या है ???

कारण ये है कि बहुत ठंडे इलाके मे रहते है बहुत ही अधिक ठंडे इलाके मे ! उनकी ठंड का तो हम अंदाजा नहीं लगा सकते ! अंग्रेज़ और उनके आस पास के लोग जिन इलाको मे रहते है वहाँ साल के 6 से 8 महीने तो सूरज ही नहीं निकलता ! और आप उनके तापमान का अनुमान लगाएंगे तो - 40 तो उनकी lowest range है ! मतलब शून्य से भी 40 डिग्री नीचे 30 डिग्री 20 डिग्री ! ये तापमान उनके वहाँ समानय रूप से रहता है क्यूंकि सूर्य निकलता ही नहीं ! 6 महीने धुंध ही धुंध रहती है आसमान मे ! ये इन अंग्रेज़ो की सबसे बड़ी तकलीफ है !!

ज्यादा ठंडे इलाके मे जो भी रहेगा उनका BP low हो जाएगा ! आप भी करके देख सकते है ! बर्फ की दो सिलियो को खड़ा कर बीच मे लेट जाये 2 से 3 मिनट मे ही BP लो होना शुरू हो जाएगा ! और 5 से 8 मिनट तक तो इतना low हो जाएगा जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी ! फिर आपको शायद समझ आए ये अंग्रेज़ कैसे इतनी ठंड मे रहते है !घरो के ऊपर बर्फ, सड़क पर बर्फ,गड़िया बर्फ मे धस जाती है ! बजट का बड़ा हिस्सा सरकारे बर्फ हटाने मे प्रयोग करती है ! तो वो लोग बहुत बर्फ मे ररहते है ठंड बहुत है blood pressure बहुत low रहता है !

अब तुरंत blood को stimulent चाहिए ! मतलब ठंड से BP बहुत low हो गया ! एक दम BP बढ़ाना है तो चाय उसमे सबसे अच्छी है और दूसरे नमबर पर कॉफी ! तो चाय उन सब लोगो के लिए बहुत अच्छी है जो बहुत ही अधिक ठंडे इलाके मे रहते है ! अगर भारत मे कश्मीर की बात करे तो उन लोगो के लिए चाय,काफी अच्छी क्यूंकि ठंड बहुत ही अधिक है !!
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लेकिन बाकी भारत के इलाके जहां तापमान सामान्य रहता है ! और मुश्किल से साल के 15 से 20 दिन की ठंड है !वो भी तब जब कोहरा बहुत पड़ता है हाथ पैर कांपने लगते है तापमान 0 से 1 डिग्री के आस पास होता है ! तब आपके यहाँ कुछ दिन ऐसे आते है जब आप चाय पिलो या काफी पिलो !

लेकिन पूरे साल चाय पीना और everytime is tea time ये बहुत खतरनाक है ! और कुछ लोग तो कहते बिना चाय पीए तो सुबह toilet भी नहीं जा सकते ये तो बहुत ही अधिक खतरनाक है !
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इसलिए उठते ही अगर चाय पीने की आपकी आदत है तो इसको बदलीये !!
नहीं तो होने वाला क्या है सुनिए !अगर normal BP आपका है और आप ऐसे ही चाय पीने की आदत जारी रखते है तो धीरे धीरे BP high होना शुरू होगा ! और ये high BP फिर आपको गोलियो तक लेकर जाएगा !तो डाक्टर कहेगा BP low करने के लिए गोलिया खाओ ! और ज़िंदगी भर चाय भी पियो जिंदगी भर गोलिया भी खाओ ! डाक्टर ये नहीं कहेगा चाय छोड़ दो वो कहेगा जिंदगी भर गोलिया खाओ क्यूंकि गोलिया बिकेंगी तो उसको भी कमीशन मिलता रहेगा !

तो आप अब निर्णय लेलों जिंदगी भर BP की गोलीया खाकर जिंदा रहना है तो चाय पीते रहो ! और अगर नहीं खानी है तो चाय पहले छोड़ दो !
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एक जानकारी और !
आप जानते है गर्म देश मे रहने वाले लोगो का पेट पहले से ही अम्लीय (acidic) होता ! और ठंडे देश मे रहने वाले लोगो का पेट पहले से ही क्षारीय (alkaline) होता है ! और गर्म देश मे रहने वाले लोगो का पेट normal acidity से ऊपर होता है और ठंड वाले लोगो का normal acidity से भी बहुत अधिक कम ! मतलब उनके blood की acidity हम मापे और अपने देश के लोगो की मापे तो दोनों मे काफी अंतर रहता है !

अगर आप ph स्केल को जानते है तो हमारा blood की acidity 7.4 ,7.3 ,7.2 और कभी कभी 6.8 के आस पास तक चला जाता है !! लेकिन यूरोप और अमेरिका के लोगो का +8 और + 8 से भी आगे तक रहता है !

तो चाय पहले से ही acidic (अम्लीय )है और उनके क्षारीय (alkaline) blood को थोड़ा अम्लीय करने मे चाय कुछ मदद करती है ! लेकिन हम लोगो का blood पहले से ही acidic है और पेट भी acidic है ऊपर हम चाय पी रहे है तो जीवन का सर्वनाश कर रहे हैं !तो चाय हमारे रकत (blood ) मे acidity को और ज्यादा बढ़ायी गई !! और जैसा आपने राजीव भाई की पहली post मे पढ़ा होगा (heart attack का आयुर्वेदिक इलाज मे )!

आयुर्वेद के अनुसार रक्त (blood ) मे जब अमलता (acidity ) बढ़ती है तो 48 रोग शरीर मे उतपन होते है ! उसमे से सबसे पहला रोग है ! कोलोस्ट्रोल का बढ़ना ! कोलोस्ट्रोल को आम आदमी की भाषा मे बोले तो मतलब रक्त मे कचरा बढ़ना !! और जैसे ही रक्त मे ये कोलोस्ट्रोल बढ़ता है तो हमारा रक्त दिल के वाहिका (नालियो ) मे से निकलता हुआ blockage करना शुरू कर देता है ! और फिर हो blockage धीरे धीरे इतनी बढ़ जाती है कि पूरी वाहिका (नली ) भर जाती है और मनुष्य को heart attack होता है !

तो सोचिए ये चाय आपको धीरे धीरे कहाँ तक लेकर जा सकती है !!

इसलिए कृपया इसे छोड़ दे !!!
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अब आपने इतनी अम्लीय चाय पी पीकर जो आजतक पेट बहुत ज्यादा अम्लीय कर लिया है ! इसकी अम्लता को फिर कम करिए !

कम कैसे करेंगे ??

सीधी सी बात पेट अम्लीय (acidic )है तो क्षारीय चीजे अधिक खाओ !
क्यूकि अमल (acidic) और क्षार (alkaline) दोनों लो मिला दो तो neutral हो जाएगा !!

तो क्षारीय चीजों मे आप जीरे का पानी पी सकते है पानी मे जीरा डाले बहुत अधिक गर्म करे थोड़ा ठंडा होने पर पिये ! दाल चीनी को ऐसे ही पानी मे डाल कर गर्म करे ठंडा कर पिये !

और एक बहुत अधिक क्षारीय चीज आती है वो है अर्जुन की छाल का काढ़ा 40 -45 रुपए किलो कहीं भी मिल जाता है इसको आप गर्म दूध मे डाल कर पी सकते है ! बहुत जल्दी heart की blockage और high bp कालोस्ट्रोल आदि को ठीक करता है !!

एक और बात आप ध्यान दे इंसान को छोड़ कर कोई जानवर चाय नहीं पीता कुत्ते को पिला कर देखो कभी नहीं पियेगा ! सूघ कर इधर उधर हो जाएगा ! दूध पिलाओ एक दम पियेगा ! कुत्ता ,बिल्ली ,गाय ,चिड़िया जिस मर्जी जानवर को पिला कर देखो कभी नहीं पियेगा !!

और एक बात आपके शरीर के अनुकूल जो चीजे है वो आपके 20 किलो मीटर के दायरे मे ही होंगी ! आपके गर्म इलाके से सैंकड़ों मील दूर ठंडी पहड़ियों मे होने वाली चाय या काफी आपके लिए अनुकूल नहीं है ! वो उनही लोगो के लिए है! आजकल ट्रांसपोटेशन इतना बढ़ गया है कि हमे हर चीज आसानी से मिल जाती है ! वरना शरीर के अनुकूल चीजे प्र्तेक इलाके के आस पास ही पैदा हो पाएँगी !!
तो आप चाय छोड़े अपने अम्लीय पेट और रक्त को क्षारीय चीजों का अधिक से अधिक सेवन कर शरीर स्व्स्थय रखे
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केवल देशी गाय का धुध

केवल देशी गाय का धुध

बालों का झड़ना रोकने के लिए तांबे के बर्तन में गाय के दूध के दही को रखे। 5-6 दिन बाद उस दही को बालों की जड़ों में लगाए। दो घंटे बाद आंवला-शिकाकाई के पानी से उसको धो लें। बालों का झड़ना हमेशा के लिए रोकने के लिए पानी में गोमूत्र मिला कर बाल धोए। बाल मजबूत, घने, मुलायम एवं चमकदार हो जाऐंगे।
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भारत में चक्की आटा


महान आयुर्वैदाचार्य वागभट्ट जी कहते है कि पिसा गेंहू का हुआ आटा 15 दिन से पुराना नही खाना चाहिए, जवार बाजरा चने का आटा 7 दिन पुराना न खाए क्यो कि इसके बाद इसमें पोष्ण कम होने लगता है, इसलिए भारत में चक्की है जो आपको ताजा आटा और स्वास्थय देती है, आप जो बाजार से आटा पिसवाते है या बाजार का लाते है वो बिजली की चक्की पर पिसता है जो बहुत तेजी से पिसता है जिस्से गर्मी की वजह से काफ़ी पोषक तत्व नष्ट हो जाते है, राजीव भाई ने एक रिसर्च किया चक्की पर अपने एक आयुर्वैदिक वैध मित्र के साथ मिलकर, उन्होने देखा जो माताए बहने चक्की चलाती है उन्हे कभी भी आप्रेशन से डिलवरी की जरूरत नही पडी और उन्हे कभी घुटनो का दर्द नही हुआ, पैरो का दर्द नही, मोटापा नही है

इसका कारण ये है कि जब हम चक्की चलाते है तो सारा दबाव आपके पेट पर पडता है जिससे महिलाओ के गर्भाश्य का व्यायाम होता रहता है जिस्से इसकी मुलायमियत (flexibility) बढ जाती है जिस्से डिलवरी आसानी से होती है बिना आप्रेशन बिना दर्द के, आपने सुना ही होगा कि कई साल पहले आपकी दादी नानी के जमाने में 8-10 बच्चे होते थे और गांव की दाई के द्वारा बिना आप्रेशन के
*मासिक धर्म बंद होने के समय जो मुश्किले महिलाओ को आती है उसका उपचार चक्की चलाने से अपने आप हो जाता है
*आयुर्वैद के अनुसार गर्भवती महिला 7वें महिने तक चक्की चला सकती है पर उसके बाद नही

आपको शायद ये भी पता होगा जो बच्चे आप्रेशन से हो रहे है वो ज्यादा बीमार रह रहे है सामान्य बच्चो से,
इसलिए आप अगर ताजा आटा खाकर स्वस्थ रहना चाहते है तो अपने घर चक्की ले आए जिस्से आपको स्वस्थय लाभ होगा, घर में माताओ बहनो को लाभ होगा, बीमारिया दूर होगी

हाथ की चक्की का महत्त्व एव लाभ ::

- आज मशीनीकरण ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाला है।
- सुबह सुबह योग करते हुए हम आटा चक्की चलाने की सिर्फ एक्टिंग करते है और पेट , कमर की चर्बी कम होती है. दिल स्वस्थ रहता है.
- क्या ही अच्छा हो अगर ये एक्टिंग ना हो कर असली चक्की हो तो उस कसरत से हमें ताज़ा आटा भी मिल जाएगा !
- पहले गांवों में विवाह-शादी के दौरान भी आस-पास के घरों में एक-एक मण गेहूं पीसने के लिए दे दिया जाता था.
- कभी पूरे परिवार का आटा पीसने वाली चक्की अब कुछेक घर में महज शो पीस व सिर्फ मसाला आदि पीसने के काम आ रही है.
- इससे महिलाओ के गर्भाश्य का व्यायाम होता रहता है डिलवरी आसानी से होती है बिना आप्रेशन बिना दर्द के
- कई घरों में तो हाथ की चक्की है ही नहीं.तो आज ही ले आइये.खादी ग्रामोद्योग में यह मिल सकती है . इससे चक्की बनाने वालों को रोज़गार मिलेगा.
- चक्की लेते वक़्त ज़्यादा मोल भाव ना करे. गरीब व्यक्ति को दान योग्य दान है जिसका लाभ मिलेगा.
- महिलाओं द्वारा आटा पीसने से शारीरिक कसरत भी जबरदस्त होती थी, जिससे पुराने जमाने की महिलाओं का स्वास्थ्य बनिस्बत आधुनिक महिलाओं की तुलना में बेहरत है. आज विशेष तौर से नई पीढ़ी की अधिकांश महिलाएं कुंठा, तनाव सहित पेट की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित है.इसका मुख्य कारण उनकी दिनचर्या अव्यवस्थित होना व शारीरिक श्रम नहीं होना है.
- पुरुष भी अगर बढे हुए पेट को कम करना चाहते है तो हाथ की चक्की पर रोज़ थोड़ा आटा पिसे. आप अगर रोजाना 15-20 मिण्ट चक्की चला लेते है तो 3 महीने में आपका वजन कम हो जाएगा, पेट अन्दर चला जाएगा
- ताजे पिसे हुए आटे में स्वास्थ्य से जुड़े फायदे तो मिलते ही हैं, इसका स्वाद व सुंगध भी बरकरार रहते हैं.
- शुद्धता के मामले में घरेलू आटा चक्की का आटा शत प्रतिशत खरा होता है।
- इसके बने आटे में शरीर के लिए पोषण संबंधी सभी आवश्यक तत्व मौजूद रहते हैं। वैसे शरीर को अपना काम करने के लिए 49 पोषक तत्वों की रोजाना आवश्यकता होती है।
सबसे बड़ी बात यह कि जब जरूरत हो तब आटा पीस लें।
- सबसे बड़ा फायदा यह कि फसल के मौसम में पूरे साल के लिए अनाज खरीद लें, जो सस्ता भी पड़ेगा और पूरे साल शुद्ध ताजे आटे की रोटियां का मजा लेंगे।
- हाथ कि चक्की से हाथ से पिसे गए अनाज में चोकर ज्यादा रहता था लेकिन आजकल बिजली की चक्की से पिसे अनाज का आटा उपयोग में लिया जाता है, जो बहुत बारीक़ पिसा जाता है.
- ताजा आटा विटामिन बी और विटामिन ई से भरपूर होता है।
- घर पर पिसे आटे की रोटियों का आनंद ही कुछ और होता है। इससे परिवार की सेहत के साथ-साथ आत्मसंतुष्टि भी प्राप्त हो रही है.
- मशीन चक्की से अनाज का हीर हट जाता है अर्थात उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है।, जिससे आज की तमाम युवा पीढ़ी कमजोर होती जा रही है.
-वैसे भी चक्की को घर में रखना शुभ माना जाता है, इससे घर के वास्तुदोष भी कम होते है...
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धर्म के नजरिए से

धर्म के नजरिए से माता-पिता की भावनाएं संतान के लिए गहरी और
नि:स्वार्थ होती है। हालांकि आज के दौर में कई अवसरों पर माता-पिता और
संतान के बीच अपेक्षा या महत्वाकांक्षा के चलते रिश्तों में तनाव व मनमुटाव
भी देखा जाता है। लेकिन सच यही है कि माता-पिता और संतान के बीच रिश्तों
का अटूट बंधन होता है।
 
यही वजह है कि हर माता-पिता भी पुत्र हो या पुत्री दोनों के सुख,
सुविधा और तरक्की की चाहत रखते हैं। इसके लिए वह जीवन भर हरसंभव कोशिश करते
हैं, लेकिन अगर इस संबंध में धार्मिक उपायों की बात करें तो शास्त्रों में
कुछ ऐसे सरल मंत्र बताए गए हैं, जिनका नियमित रूप से कुछ देर के लिए ध्यान
संतान को तन, मन और धन सभी परेशानियों से बचाता है। खासतौर पर वर्तमान में
चल रहे विष्णु भक्ति के काल वैशाख माह (25 मई तक) में। 
 
यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान है, जिनका चरित्र माता-पिता और
संतान के रिश्तों के लिए भी आदर्श है। साथ ही वह हर संकट से रक्षा करने
वाले देवता के रूप में पूजनीय है। जानिए यह सरल मंत्र - 
 
- बालकृष्ण की गंध, अक्षत, फूल अर्पित कर पूजा करें और खासतौर पर मक्खन का भोग लगाएं। पूजा के बाद इस मंत्र का जप करें - 
 
श्री कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।  
प्रणत: क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नम:।।
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जिनका चरित्र माता-पिता और संतान के रिश्तों के लिए भी आदर्श है।

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धर्म के नजरिए से माता-पिता की भावनाएं संतान के लिए गहरी और
नि:स्वार्थ होती है। हालांकि आज के दौर में कई अवसरों पर माता-पिता और
संतान के बीच अपेक्षा या महत्वाकांक्षा के चलते रिश्तों में तनाव व मनमुटाव
भी देखा जाता है। लेकिन सच यही है कि माता-पिता और संतान के बीच रिश्तों
का अटूट बंधन होता है।
 
यही वजह है कि हर माता-पिता भी पुत्र हो या पुत्री दोनों के सुख,
सुविधा और तरक्की की चाहत रखते हैं। इसके लिए वह जीवन भर हरसंभव कोशिश करते
हैं, लेकिन अगर इस संबंध में धार्मिक उपायों की बात करें तो शास्त्रों में
कुछ ऐसे सरल मंत्र बताए गए हैं, जिनका नियमित रूप से कुछ देर के लिए ध्यान
संतान को तन, मन और धन सभी परेशानियों से बचाता है। खासतौर पर वर्तमान में
चल रहे विष्णु भक्ति के काल वैशाख माह (25 मई तक) में। 
 
यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान है, जिनका चरित्र माता-पिता और
संतान के रिश्तों के लिए भी आदर्श है। साथ ही वह हर संकट से रक्षा करने
वाले देवता के रूप में पूजनीय है। जानिए यह सरल मंत्र - 
 
- बालकृष्ण की गंध, अक्षत, फूल अर्पित कर पूजा करें और खासतौर पर मक्खन का भोग लगाएं। पूजा के बाद इस मंत्र का जप करें - 
 
श्री कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।  
प्रणत: क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नम:।।
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श्रीहनुमान रुद्र के ग्यारहवें अवतार

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श्रीहनुमान रुद्र के ग्यारहवें अवतार माने गए हैं। रुद्र यानी दु:खों का नाश करने वाले देवता। शिव का यह रूप कल्याणकारी माना गया है। शास्त्र भी कहते हैं कि शिव ही परब्रह्म है, जो अलग-अलग रूपों में जगत की रचना, पालन और संहार शक्तियों का नियंत्रण करते हैं । 
 
शिव के प्रति इस भाव व आस्था से ही श्रीहनुमान की पूजा भी दोष, कष्ट, बाधाओं व घर-परिवार पर अचानक आए संकट को टालने वाली मानी गई है। 
 
ऐसी ही मंगल की कामना से चैत्र शुक्ल पूर्णिमा यानी हनुमान जयंती के अलावा परिवार, काम या कारोबार पर अचानक आए संकट को टालने के लिए हनुमान पूजा के लिए यहां बताया जा रहा अचूक उपाय अपनाए एक ऐसा, जो न केवल आसान है, बल्कि संकटमोचक भी है। यह उपाय है - तेल का दीप लगाकर मंत्र विशेष का ध्यान।

श्रीहनुमानजी की पूजा सिंदूर, अक्षत, फूल अर्पित करें और धूप व दीप से पूजा करें। 
 
- पूजा में सरसों या तिल के तेल का दीप लगाएं। दीपक लगाते वक्त यह दीप मंत्र बोलें - 
 
साज्यं च वर्तिसं युक्त वह्निना योजितं मया। 
 
दीपं गृहन्तु देवेशास्त्रैलौक्यतिमिरापहम्।। 
 
- दीप लगाने के बाद इस हनुमान मंत्र का यथाशक्ति जप करने के बाद इस दीप से आरती करें - 
 
ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् 
 
- आरती के बाद मंत्र जप, पूजा या आरती में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे और अनिष्ट शांति की कामना करें।
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Radhe krishna

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"The spiritual path is rugged, thorny, and precipitous. The thorns must be weeded out with patience and perseve­rance. Some of the thorns are internal; some are external. Lust, greed, wrath, delusion, vanity, etc., are the internal thorns. Company with the evil-minded persons is the worst of all the external thorns. Therefore, shun ruthlessly evil company."
swami sivananda

This is the one truth about God: He is infinite love, immeasurable love, boundless love, that does not know barriers of time and space
swami chidananda.



Chant the Maha Mantra
Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare
Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare 
BE HAPPY
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भगवान श्रीकृष्ण ‘लीलाधर’ पुकारे जाते हैं

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भगवान श्रीकृष्ण ‘लीलाधर’ पुकारे जाते हैं। श्रीकृष्ण ने हर लीला के जरिए अधर्म को सहन करने की आदत से सभी के दबे व सोए आत्मविश्वास और पराक्रम को जगाया। भगवान होकर भी श्रीकृष्ण का सांसारिक जीव के रूप में लीलाएं करने के पीछे मकसद उन आदर्शों को स्थापित करना ही था, जिनको साधारण इंसान देख, समझ व अपनाकर खुद की शक्तियों को पहचाने और ज़िंदगी को सही दिशा व सोच के साथ सफल बनाए।
 
इसी कड़ी में श्रीकृष्ण का सांसारिक धर्म का पालन कर, गुरुकुल जाना, वहां अद्भुत 64 कलाओं व विद्याओं को सीखने के पीछे भी असल में, गुरुसेवा व ज्ञान की अहमियत दुनिया के सामने उजागर करने की ही एक लीला थी। यह इस बात से भी जाहिर होता है कि साक्षात जगतपालक के अवतार होने से श्रीकृष्ण स्वयं ही सारे गुण, ज्ञान व शक्तियों के स्त्रोत थे। इस बात को भागवतपुराण में कुछ इस तरह उजागर भी किया गया है –
 
प्रभवौ सर्वविद्यानां सर्वज्ञौ जगदीश्वरौ।
नान्यसिद्धामलज्ञानं गूहमानौ नरेहितैः।।
 
यानी श्रीकृष्ण और बलराम ही जगत के स्वामी हैं। सारी विद्याएं व ज्ञान उनसे ही निकला है और स्वयंसिद्ध है। फिर भी उन दोनों ने मनुष्य की तरह बने रहकर उन्हें छुपाए रखा।

दरअसल, किताबी ज्ञान से कोई भी व्यक्ति भरपूर पैसा और मान-सम्मान तो बटोर सकता है, किंतु मन की शांति भी मिल जाए, यह जरूरी नहीं। शांति के लिए अहम है – सेवा। क्योंकि खुद की कोशिशों से बटोरा ज्ञान अहंकार पैदा कर सकता है व अधूरापन भी। किंतु सेवा से, वह भी गुरु सेवा से पाया ज्ञान इन दोषों से बचाने के साथ संपूर्ण, विनम्र व यशस्वी बना देता है।
 
श्रीकृष्ण व बलराम ने भी अंवतीपुर (आज के दौर का उज्जैन) नगरी में गुरु सांदीपनी से केवल 64 दिनों में ही गुरु सेवा व कृपा से ऐसी 64 कलाओं में दक्षता हासिल की, जो न केवल कुरुक्षेत्र के महायुद्ध में बड़े-बड़े सूरमाओं को पस्त करने का जरिया बनी, बल्कि गुरु से मिले इन कलाओं और ज्ञान के अक्षय व नवीन रहने का आशार्वाद श्रीमद्भगवद्गगीता के रूप में आज भी जगतगुरु श्रीकृष्ण के साक्षात ज्ञानस्वरूप के दर्शन कराता है और हर युग में जीने की कला भी उजागर करने वाला विलक्षण धर्मग्रंथ है।
 
गुरु सांदीपनि ने श्रीकृष्ण व बलराम को सारे वेद, उनका गूढ़ रहस्य बताने वाले शास्त्र, उपनिषद, मंत्र व देवाताओं से जुड़ा ज्ञान, धनुर्वेद, मनुस्मृति सहित सारे धर्मशास्त्रों, तर्क विद्या या न्यायशास्त्र का ज्ञान दिया। संधि, विग्रह, यान, आसन, द्वैध व आश्रय जैसे 6 रहस्यों वाली राजनीति भी सिखाई। यही नहीं, दोनों भाइयों ने केवल गुरु के 1 बार बोलनेभर से ही 64 दिन-रात में 64 अद्भुत कलाओं को भी सीख लिया।


1- नृत्य – नाचना
2- वाद्य- तरह-तरह के बाजे बजाना
3- गानविद्या – गायकी।
4- नाट्य – तरह-तरह के हाव-भाव व अभिनय
5- इंद्रजाल-जादूगरी
6- नाटक आख्यायिका आदि की रचना करना
7- सुगंधित चीजें- इत्र, तैल आदि बनाना
8- फूलों के आभूषणों से श्रृंगार करना
9- बेताल आदि को वश में रखने की विद्या
10- बच्चों के खेल
11- विजय प्राप्त कराने वाली विद्या
12- मन्त्रविद्या
13- शकुन-अपशकुन जानना, प्रश्नों उत्तर में शुभाशुभ बतलाना
14- रत्नों को नाना प्रकार के आकारों में काटना
15- नाना प्रकार के मातृकायन्त्र बनाना
16- सांकेतिक भाषा बनाना
17- जल को बांध देना।
18- बेल-बूटे बनाना
19- चावल और फूलों से पूजा के उपहार की रचना करना। ( देव पूजन या अन्य शुभ मौकों पर कई रंगों से रंगे चावल, जौ आदि चीजों और फूलों को तरह-तरह से सजाना ) 
20- फूलों की सेज बनाना
21- तोता-मैना आदि की बोलियां बोलना – इस कला के जरिए तोता-मैना की तरह बोलना या उनको बोल सिखाए जाते हैं।
22- वृक्षों की चिकित्सा
23- भेड़, मुर्गा, बटेर आदि को लड़ाने की रीति
24- उच्चाटन की विधि
25- घर आदि बनाने की कारीगरी
26- गलीचे, दरी आदि बनाना
27- बढ़ई की कारीगरी
28- पट्टी, बेंत, बाण आदि बनाना यानी आसन, कुर्सी, पलंग आदि को बेंत आदि चीजों से बनाना। 
29- तरह-तरह खाने की चीजें बनाना यानी कई तरह सब्जी, रस, मीठे पकवान, कड़ी आदि बनाने की कला। 
30- हाथ की फुर्ती कें काम
31- चाहे जैसा वेष धारण कर लेना
32- तरह-तरह पीने के पदार्थ बनाना
33- द्यू्त क्रीड़ा
34- समस्त छन्दों का ज्ञान
35- वस्त्रों को छिपाने या बदलने की विद्या
36- दूर के मनुष्य या वस्तुओं का आकर्षण
37- कपड़े और गहने बनाना
38- हार-माला आदि बनाना
39- विचित्र सिद्धियां दिखलाना यानी ऐसे मंत्रों का प्रयोग या फिर जड़ी-बुटियों को मिलाकर ऐसी चीजें या औषधि बनाना जिससे शत्रु कमजोर हो या नुकसान उठाए। 
40-कान और चोटी के फूलों के गहने बनाना – स्त्रियों की चोटी पर सजाने के लिए गहनों का रूप देकर फूलों को गूंथना।  
41- कठपुतली बनाना, नाचना
42- प्रतिमा आदि बनाना
43- पहली
44- सूई का काम यानी कपड़ों की सिलाई, रफू, कसीदाकारी व मोजे, बनियान या कच्छे बुनना।
45 - बालों की सफाई का कौशल
46- मुट्ठी की चीज या मनकी बात बता देना
47- कई देशों की भाषा का ज्ञान
48 - म्लेच्छ-काव्यों का समझ लेना – ऐसे संकेतों को लिखने व समझने की कला जो उसे जाननेवाला ही समझ सके। 
49 - सोने, चांदी आदि धातु तथा हीरे-पन्ने आदि रत्नों की परीक्षा
50 - सोना-चांदी आदि बना लेना
51 - मणियों के रंग को पहचानना
52- खानों की पहचान
53-  चित्रकारी
54- दांत, वस्त्र और अंगों को रंगना
55- शय्या-रचना
56- मणियों की फर्श बनाना यानी घर के फर्श के कुछ हिस्से में मोती, रत्नों से जड़ना। 
57- कूटनीति
58- ग्रंथों के पढ़ाने की चातुरी
59- नयी-नयी बातें निकालना
60- समस्यापूर्ति करना
61- समस्त कोशों का ज्ञान
62- मन में कटक रचना करना यानी किसी श्लोक आदि में छूटे पद या चरण को मन से पूरा करना। 
63-छल से काम निकालना
64- कानों के पत्तों की रचना करना यानी शंख, हाथीदांत सहित कई तरह के कान के गहने तैयार करना। 
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