Benefits of Suryanamaskar

The Suryanmaskar has many benefits and if
done regularly can not only help you lose flab
but can also help you combat diseases.

*Here are a few benefits of this asana*

- Suryanamaskar, or Sun Salutations, ideally
done facing the early morning sun, helps our
body to soak in its benefits —
sun rays are a
rich source of vitamin D and helps to
strengthen our bones and also helps to clear
our vision.

- This asana, apart from improving one's
posture, also gives a proper workout to the
body and so helps in losing unwanted flab.

- Regular practice of this asana can also help
you loose the excess belly fat.

- The postures in Suryanamaskar stretches our
muscles and makes our body very flexible.

- The moves and postures of the asana help all
our internal organs function better — the
various poses regulates our blood flow,
benefits the digestive system and makes it
more efficient.

- It helps combat insomnia as it relaxes the
body and calms the mind.

- It helps regulate menstrual cycles and makes
childbirth easier.

- This asana is known to facilitate blood
circulation and thereby help hair growth and
prevent hair problems.

- It reduces anxiety and restlessness and
enhances our strength and vitality.

- Suryanamaskar benefits not just adults, but
kids as well.

keep sharing
 —
Photo: [[yoga]] surya  namaskar [[yoga]]


*Benefits of Suryanamaskar*

The Suryanmaskar has many benefits and if
done regularly can not only help you lose flab
but can also help you combat diseases. 

*Here are a few benefits of this asana*

- Suryanamaskar, or Sun Salutations, ideally
done facing the early morning sun, helps our
body to soak in its benefits — 
sun rays are a
rich source of vitamin D and helps to
strengthen our bones and also helps to clear
our vision.

- This asana, apart from improving one's
posture, also gives a proper workout to the
body and so helps in losing unwanted flab.

- Regular practice of this asana can also help
you loose the excess belly fat.

- The postures in Suryanamaskar stretches our
muscles and makes our body very flexible.

- The moves and postures of the asana help all
our internal organs function better — the
various poses regulates our blood flow,
benefits the digestive system and makes it
more efficient.

- It helps combat insomnia as it relaxes the
body and calms the mind.

- It helps regulate menstrual cycles and makes
childbirth easier.

- This asana is known to facilitate blood
circulation and thereby help hair growth and
prevent hair problems.

- It reduces anxiety and restlessness and
enhances our strength and vitality.

- Suryanamaskar benefits not just adults, but
kids as well.

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पायरिया

पायरिया दाँतों की एक गंभीर बीमारी होती है जो दाँतों के
आसपास की मांसपेशियों को संक्रमित करके उन्हें
हानि पहुँचाती है। यह बीमारी स्वास्थ्य से जुड़े अनेक
कारणों से होती है, और सिर्फ दांतों से जुड़ी समस्याओं तक
सीमित नहीं होतीं। यह बीमारी दाँतों और मसूड़ों पर निर्मित
हो रहे जीवाणुओं के कारणहोती है।

पायरिया के लक्षण और कारण:
नियमित आहार और दाँतों की रक्षा में रुक्षांस
की कमी या पूर्ण रूप से अभाव, दाँतों में खान पान के कण
अटकना और दाँतों का सड़ना, दाँतों पर अत्यधिक मैल
जमना, मुँह से दुर्गन्ध का निकलना और मुँह में अरुचिकर
स्वाद का निर्माण होना, जीवाणुओं का पसरण, मसूड़ों में
जलन का एहसास होना और छालों का निर्माण होना,
जरा सा छूने पर भी मसूड़ों से रक्तस्राव
होना इत्यादि पायरिया के लक्षण होते हैं।

पायरिया के आयुर्वेदिक उपचार:
1. नीम के पत्तों की राख में कोयले का चूरा और कपूर
मिलाकर रोज़ रात को लगाकर सोने से पायरिया में लाभ
होता है।
2. सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर दांतों पर लगाने से
दांतों से निकलती हुई दुर्गन्ध और रक्त बंद होकर दांत मज़बूत
होते हैं और पायरिया जड़मूल से निकल जाता है। साथ में
त्रिफला गुग्गल की 1 से 3 दिन में तीन बार लें और रात में
1 से 3 ग्राम त्रिफला का सेवन करें।
3. अपने दाँत नीम के दातुन से ब्रश करें।
4. कच्चे अमरुद पर थोडा सा नमक लगाकर खाने से
भी पायरिया के उपचार में सहायता मिलती है, क्योंकि यह
विटामिन सी का उम्दा स्रोत होता है जो दाँतों के लिए
लाभकारी सिद्ध होता है।
5. घी में कपूर मिलाकर दाँतों पर मलने से भी पायरिया मिटाने
में सहायता मिलती है।
6. काली मिर्च के चूरे में थोडा सा नमक मिलाकरदाँतों पर
मलने से भी पायरिया के रोग से छुटकारा पाने के लिए
काफी मदद मिलती है।
7. 200 मिलीलीटर अरंडी का तेल, 5 ग्राम कपूर, और 100
मिलीलीटर शहद को अच्छी तरह मिला दें, और इस मिश्रण
को एक कटोरी में रखकर उसमे नीम के दातुन को डुबोकर
दाँतों पर मलें और ऐसा कई दिनों तक करें। यह
भी पायरिया को दूर करने के लिए एक उत्तम उपचार
माना जाता है।

क्या करें क्या न करें:
1. कब्ज़ियत से बचें। गर्म पानी में एप्सम सॉल्ट मिलाकर
नहाने की भी सलाह दी जाती है।
2. दिन में दो बार दाँतों को सही और नियमित रूप से ब्रश
करना बहुत ज़रूरी होता है। शरीर में मौजूद विषैले तत्वों के
निष्काशनके लिए पानी का सेवन भरपूर मात्रा में करें।
विटामिन सी युक्त फल, जैसे कि आंवला, अमरुद, अनार,
और संतरे का भी सेवन भरपूर मात्रा में करें।
3. पायरिया के इलाज के दौरान रोगी को मसाले रहित
उबली सब्ज़ियों का ही सेवन करें।

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गुलाब

गुलाब के नाम पर न जाने कितनी कविताएं पढ़ी होंगी आपने।
गुलाब के रंग-बिरंगे फूल सिर्फ ड्रॉइंगरूम में फूलदान पर
ही अच्छे नहीं लगते, बल्कि इसकी पंखुड़ियां भी बड़े काम
की हैं। गुलाब जल का इस्तेमाल फेस मास्क में भी होता है
और यह खाने को भी लज्जतदार बनाता है। गुलाब विटामिन
ए, बी 3, सी, डी और ई से भरपूर है। इसके अलावा इसमें
कैल्शियम, जिंक और आयरन की भी मात्र काफी होती है।

* गुलाब को यों ही फूलों का फूल नहीं कहा जाता। दिखने में
यह फूल बेहद खूबसूरत है और इसकी हर पंखुड़ी में समाए हैं
अनगिनत गुण। त्वचा को सुंदर बनाने से लेकर शरीर
को चुस्त-दुरुस्त रखने में गुलाब कितने काम आता है ।

* सुबह-सबेरे अगर खाली पेट गुलाबी गुलाब
की दो कच्ची पंखुड़ियां खा ली जाएं, तो दिन भर
ताजगी बनी रहती है। वह इसलिए क्योंकि गुलाब बेहद
अच्छा ब्लड प्यूरिफायर है।

* अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, ब्रोंकाइटिस, डायरिया, कफ,
फीवर, हाजमे की गड़बड़ी में गुलाब का सेवन बेहद
उपयोगी होता है।

* गुलाब की पंखुड़ियों का इस्तेमाल चाय बनाने में भी होता है।
इससे शरीर में जमा अतिरिक्त टॉक्सिन निकल जाता है।
पंखुड़ियों को उबाल कर इसका पानी ठंडा कर पीने पर तनाव
से राहत मिलती है और मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है।

* एक शीशी में ग्लिसरीन, नीबू का रस और गुलाब जल
को बराबर मात्रा में मिलाकर घोल बना लें। दो बूंद चेहरे पर
मलें। त्वचा में नमी और चमक बनी रहेगी और
त्वचा मखमली-मुलायम बन जाएगी।


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स्वप्नदोष (Night Fail) से राहत के लिए कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे

सेक्स लाइफ
सक्सेसफुल तभी
हो सकती है जब
स्त्री और पुरूष दोनों
का स्वस्थ हों।
पुरुषों के शरीर में
वीर्य लगातार बनता
रहता है।
वीर्य को रखने के
लिए वह स्थान की
कमी पड़ जाती है।
इसलिए अंडकोष
वीर्य को बाहर कर
नए वीर्य बनाने के
लिए पुराने वीर्य को
बाहर कर देते हैं।
इस तरह की क्रिया
होना सामान्य है।
लेकिन बार-बार
स्वप्नदोष (Night Fail) होने से पुरुषों
को कई प्रकार की
शारीरिक या
मानसिक कमजोरी
हो सकती है।
बहुत अधिक स्वप्न
दोष होने पर उसे
निम्न उपायों से
रोका जा सकता है।

- आंवलें का मुरब्बारोज खाने
से स्वप्न दोष में
लाभ होता है।

- कांच के गिलास में
बीस ग्राम पिसा हुआ
सुखा आंवला डाले।
इसमें साठ ग्राम पानी
भरें और फिर बारह
घंटे भीगने दें।
फिर छानकर इस
पानी में एक ग्राम
पीसी हुई हल्दी
मिलाएं और पीएं।

- पिसे हुए अनार क (शीघर्पतन के लिए भी उपयोगी) े
छिलके पांच ग्राम
सुबह और शाम
लेने से स्वप्न दोष
नहीं होता। (अति उत्तम सरल उपाय)

- केला स्वप्न दोष
और प्रमेह में
लाभदायक है।
दो केले खाकर ऊपर
से एक पाव गरम
दूध तीन महीनें
तक रोज पीएं।

- लहसुन की दो कुली (शीघर्पतन के लिए भी उपयोगी)
टुकड़े करके पानी से
निगल जाएं।
इससे स्वप्न दोष
नहीं होगा।
यह प्रयोग रात
को सोते समय
हाथ-पैर धोकर
रोज करें। (अति उत्तम सरल उपाय)

- प्याज दस ग्राम
सफेद प्याज का रस,
अदरक का रस
आठ ग्राम,
शहद पांच ग्राम,
घी तीन ग्राम मिलाकर
रात्रि को सोते समय
पीने से स्वप्न दोष
नहीं होता।

- धनिये को पीसकर
मिश्री मिलाकर ठण्डे
जल से लेने से स्वप्न
दोष नहीं होता।

- तुलसी की जड़ के
छोटे-छोटे टुकड़े
पीसकर पानी में
मिलाकर पीने से
लाभ होता है।

- सुखा धनिया कूट,
पीसकर छान लें।
इसमें समान मात्रा
में पीसी हुई चीनी
मिलाएं।
सुबह भूखे पेट रात
के पानी से एक चाय
की चम्मच फक्की लें
और एक घंटे तक
कुछ न खाएं पीएं।

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महिलाओं की इन बड़ी प्रॉब्लम्स के लिए ये हैं छोटा सा आयुर्वेदिक नुस्खा


महिलाएं अपने
फिगर को परफेक्ट
बनाने के लिए वर्क
आऊट या योगासन
करती हैं। लेकिन
श्वेत रक्त प्रदर,
रक्त प्रदर ,
मासिक धर्म
की अनियमितता,
कमजोरी दुबलापन,
सिरदर्द, कमरदर्द
आदि। ये
सभी बीमारियां ऐसी हैं
जिनके कारण
महिलाएं शरीर
को स्वस्थ और
सुडौल नहीं रहने
देती हैं। इसलिए
हम आपको बताने
जा रहे हैं एक
ऐसा आयुर्वेदिक
नुस्खा जो महिलाओं
की हर तरह
की कमजोरी को दूर
करता है।

नुस्खा- स्वर्ण भस्म
या वर्क 10 ग्राम,
मोती पिष्टी 20
ग्राम, शुद्ध हिंगुल
30 ग्राम, सफेद
मिर्च 40 ग्राम,
शुद्ध खर्पर 80
ग्राम। गाय के दूध
का मक्खन 25 ग्राम
थोड़ा सा नींबू
का रस पहले स्वर्ण
भस्म या वर्क और
हिंगुल
को मिला कर एक
जान कर लें। फिर
शेष द्रव्य मिलाकर
मक्खन के साथ
घुटाई करें। फिर
नींबु का रस कपड़े
की चार तह करके
छान लें और इसमें
मिश्रण मिलाकर
चिकनापन दूर होने
तक घुटाई
करनी चाहिए।आठ-
दस दिन तक घुटाई
करनी होगी। फिर
उसकी एक-एक
रत्ती की गोलियां बना लें।

सेवन की विधि- 1
या 2 गोली सुबह
शाम एक चम्मच
च्यवनप्राश के साथ
सेवन करें। इस दवाई
का सेवन करने से
महिलाओं को प्रदर
रोग, शारीरिक
क्षीणता, और
कमजोरी आदिसे
मुक्ति मिलती है
और शरीर स्वस्थ
और सुडौल बनता है।
यह दवाई ''स्वर्ण
मालिनी'' वसंत के
नाम से बाजार में
भी मिलती है। इसके
सेवन से शरीर
बलशाली होता है।
शरीर के
सभी अंगों को ताकत
मिलती है।

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Cure for Ashthama

(1) Tulsi Ark capsules - By H - Cure for Ashthama...
or Tulsi Ark capsules - By Himalaya
(2) Turmeric power
(3) Cinnamon powder 
(4) Sitopaladi powder
(5) Dry Ginger powder
(6) Black Pepper powder..
Break all Tulsi ark capsules and collect the powder from it. Mix it with all the other above written powders.
Keep it in a bottle.
Take daily morning half table spoon of this mix powder with honey. Continue this for 3 months. Ashthama will be almost cured....
yoga

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उल्टियाँ होने के कई कारण होते हैं

जब पेट के पदार्थों का पूरे जोश के साथ मुंह और नाक के ज़रिये निष्काशन होता है, तो उस प्रक्रिया को उल्टियों क नाम से जाना जाता है। उल्टियाँ होने के कई कारण होते हैं जैसे कि अधिक या दूषित खाना खाना, बीमारी, गर्भावस्था, मदिरापान, विषाणुजनित संक्रमण, उदर का संक्रमण, ब्रेन ट्यूमर, मष्तिष्क में चोट, इत्यादि। उल्टियाँ होने के एहसास को मतली के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह उल्टियाँ आने से पहले का एहसास होता है, कारण नहीं।
उल्टियों के घरेलू / आयुर्वेदिक उपचार
*.उल्टियों को बंद करने के लिए एक बहुत ही उम्दा उपाय है और वह है किसी कार्बोनेट रहित सिरप का एक या दो चम्मच सेवन करना। इससे पाचन क्रिया में राहत मिलती है और उल्टियाँ बंद हो जाती हैं। ऐसे सिरप में करबोहाइड्रेट मौजूद होते हैं जो पेट को ठंडा रखते हैं।
*.एक और उम्दा उपचार है अदरक और उसकी जड़। आप अदरक के 2 केप्स्युल का प्रयोग कर सकते हैं या अदरक वाली चाय का सेवन कर सकते हैं। अदरक में पाचनक्रिया अग्नि को बढ़ाने की क्षमता होती है, और यह उदर में से हो रहे भोजन-नली को परेशान करनेवाले उस अनावश्यक स्राव में बाधा पैदा करता है, जिस स्राव से उल्टियाँ होती हैं।
*.1 ग्राम हरड का चूर्ण शहद के साथ चटाने से भी उल्टियाँ रोकने में मदद मिलती है।
*.एक और असरदार उपचार है कि आप अपनी उंगलियाँ धोकर एक ही बार अपने गले में घुसाकर पेट में जमा हुए पदार्थों को उल्टी के ज़रिये बाहर निकाल दें, ताकि उल्टी अंदर जमा न रहने पाए।
*.आप एक दो लौंग अपने मुंह में रख सकते हैं, या लौंग के बदले दालचीनी या इलायची भी रख सकते हैं। यह मसाले उल्टियाँ विरोधक औषधियों का काम करते हैं और उल्टियाँ रोकने का यह बहुत ही असरदार उपचार होता है।
*.सत अजवाइन , पेपरमिंट और कर्पूर का द्राव 15-20 बूँद तक की मात्रा में मिलाकर पिलाने से उल्टियाँ तुरंत रुक जाती हैं।
*.नींबू का टुकड़ा काले नमक के साथ अपने मुंह में रखने से आपको उल्टी का एहसास नहीं होगा।
*.अगर आपने मदिरापान किया है और आप नहीं चाहते कि आपको उल्टी आये, तो सादी पाव-रोटी खाएं। पाव-रोटी आपकी पाचन क्रिया को संभालती है और आपके द्वारा सेवन की हुई मदिरा को आसानी से सोख लेती है।
*.उल्टियाँ होने से 12 घंटो बाद तक ठोस आहार का सेवन न करें, पर अपने आपको जालित रखने के लिए (यानि निर्जलीकरण से बचाने के लिए) भरपूर मात्रा में पानी और फलों के रस का सेवन करते रहें।
*.जब भी पानी पियें तो सादा पानी ही पियें। बाज़ार में उपलब्ध कार्बन युक्त शीत पेयों का सेवन बिलकुल भी न करें क्योंकि यह आपकी आँतों और उदर की जलन को बढ़ाते हैं।.
*.तैलीय, मसालेदार, भारी और मुश्किल से पचनेवाले खान पान का सेवन न करें क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थ मरीज में उल्टियों का निर्माण करते हैं एवं उसे बढ़ावा देते हैं ।
*.खान। खाने के फ़ौरन बाद न सोयें।
*.जब भी सोयें तो अपनी दाहिनी बाज़ू पर सोयें। इससे आपके पेट के पदार्थ मुंह तक नहीं आ सकेंगे।
*.उल्टियाँ रोकने के लिए जीरा भी एक नैसर्गिक उपचार माना गया है। आधा चम्मच पिसे हुए जीरे का सेवन करने से आपको पूर्ण रूप से उल्टियों से छुटकारा मिल जायेगा।
*.चावल के पानी से उल्टियों का उपचार एक बहुत ही प्रचलित और प्रमाणित उपचार कहलाया जाता है। 1/2 कप चावल 1 या 1-1/2 कप पानी में उबाल लें। जब चावल पक जाएँ तो चावल निकालकर उस पानी का सेवन करें। इस उल्टियाँ रुक जायेंगी।यह एक बहुत ही उत्तम उपचार है उल्टियों को रोकने के लिए।
*.एक चम्मच प्याज़ का रस नियमित अंतराल में सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
*.एक ग्लास पानी में शहद मिलाकर पीने से भी उल्टियाँ रुकने में मदद मिलती है।
*.सामान्य उबकाई में पेपरमिंट का सेवन हितकर होता है। इसे पान में रखकर सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
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पत्ता गोभी Cabbage

आपको पत्ता गोभी कैसे पसंद है ? सलाद में , सूप में या सब्जी में ? आइये जानते है इसके बारे में ......
- पत्तागोभी को कही बंद गोभी कहा जाता है, कहीं करमल्ला कहा जाता है। इसकी प्रकृति ठंडी होती है.
- पत्‍ता गोभी में दूध के बराबर कैल्शियम पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत करता है। गोभी का बीच उत्‍तेजक, पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला और पेट के कीड़ों को नष्‍ट करने वाला है।
- पेट दर्द के लिए गोभी बहुत फायदेमंद है। पेट दर्द होने पर गोभी की जड़, पत्‍ती, तना फल और फूल को चावल के पानी में पकाकर सुबह-शाम लेने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
- गोभी खाने से खून साफ होता है।
- गोभी का रस पीने से खून की खराबी दूर होती है और खून साफ होता है।
- हड्डियों का दर्द दूर करने के लिए गोभी के रस को गाजर के रस में बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से हड्डियों का दर्द दूर होता है।
- पीलिया के लिए भी गोभी का रस बहुत फायदेमंद है। गाजर और गोभी का रस मिलाकर पीने से पीलिया ठीक होता है।
- बवासीर होने पर जंगली गोभी का रस निकालकर, उसमें काली मिर्च और मिश्री मिलाकर पीने से बवासीर के मस्‍सों से खून निकलना बंद हो जाता है।
- खून की उल्‍टी होने पर गोभी का सेवन करने से फायदा होता है। गोभी की सब्‍जी या कच्‍ची गोभी खाने से खून की उल्टियां होना बंद हो जाती हैं।
- पेशाब में जलन होने पर गोभी का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाइए। इससे तुरंत आराम मिलता है।
- गले में सूजन होने पर गोभी के पत्‍तों का रस निकालकर दो चम्‍मच पानी मिलाकर खाने से फायदा होता है।
- पायरिया : पत्तागोभी के कच्चे पत्ते 50 ग्राम नित्य खाने से पायरिया व दाँतों के अन्य रोगों में लाभ होता है।
- पत्तागोभी में सेल्युलोस नामक तत्व मौजूद होता है, जो हमें स्वस्थ रखने में सहायक है। यह तत्व शरीर से कोलेस्ट्रोल की मात्रा को दूर करता है। इसे मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है। यह खांसी, पित्त व रक्त विकार में भी लाभकारी है।
बाल गिरना : पत्तागोभी के 50 ग्राम पत्ते प्रतिदिन खाने से गिरे हुए बाल उग आते हैं।
- घाव : इसका रस पीने से घाव ठीक होते हैं। इसके रस का आधा गिलास 5 बार पानी मिलाकर पीना चाहिए। घाव पर इसके रस की पट्टी बाँधें।
- बंदगोभी में ऐसे तत्‍व होते है जो कैंसर की रोकथाम करने और उसे होने से बचाने में मदद करता है। इसमें डिनडॉलीमेथेन ( डीआईएम ), सिनीग्रिन, ल्‍यूपेल, सल्‍फोरेन और इंडोल - 3 - कार्बीनॉल ( 13 सी) जैसे लाभदायक तत्‍व होते है। ये सभी कैंसर से बचाव करने में सहायक होते है।सुबह खाली पेट पत्तागोभी का कम से कम आधा कप रस रोजाना पीने से आरम्भिक अवस्था में कैंसर, बड़ी आंत का प्रवाह (बहना) ठीक हो जाता है।
- पत्‍ता गोभी, शरीर में इम्‍यूनिटी सिस्‍टम को स्‍ट्रांग बनाती है। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जिससे बॉडी का इम्‍यूनिटी सिस्‍टम काफी मजबूत हो जाता है।
- यह अमीनो एसिड में सबसे समृद्ध होता है जो सूजन आदि को कम करता है।
- पत्‍ता गोभी के सेवन से मोतियाबिंद का खतरा कम होता है। इसके लगातार सेवन से बॉडी में बीटा केराटिन बढ़ जाता है जिससे आंखे सही रहती है।
- हाल ही में हुए शोध से पता चला है कि पत्‍ता गोभी के सेवन से अल्‍माइजर जैसी समस्‍याएं दूर हो जाती है। इसमें विटामिन के भरपूर मात्रा में पाया जाता है जिससे अल्‍माइजर की समस्‍या दूर हो जाती है।
- पत्‍ता गोभी, पेप्टिक अल्‍सर के इलाज में सहायक होती है। इस रोग से पीडित व्‍यक्ति अगर वंदगोभी का नियमित सेवन करें तो उसे आराम मिल सकता है क्‍योंकि इसमें ग्‍लूटामाइन होता है जो अल्‍सर विरोधी होता है।
- इसके सेवन से वजन को भी कम किया जा सकता है। एक कप पकाई वंदगोभी में सिर्फ 33 कैलोरी होती है जो वजन नहीं बढ़ने देती। वंदगोभी का सूप शरीर को ऊर्जा देता है लेकिन वसा की मात्रा का घटा देता है।
- पत्‍ता गोभी में काफी ज्‍यादा मात्रा में एंटी - ऑक्‍सीडेंट होते है जो स्‍कीन की सही देखभाल करने के लिए पर्याप्‍त होते है।
- पत्‍ता गोभी में लैक्टिक एसिड काफी मात्रा में होती है जो मांसपेशियों के चोटिल होने और उसे रिकवर करने में काफी सहायक होती है।
- इसमे बहुत ज्‍यादा रेशा होता है जिसकी वजह से पाचन क्रिया अच्‍छे से होती है और पेट दरुस्‍त रहता है। इस वजह से कब्‍ज की समस्‍या कभी नहीं हो पाती।
- नींद की कमी, पथरी और मूत्र की रुकावट में पत्तागोभी लाभदायक है, इसकी सब्जी घी से छौंक लगाकर बनानी चाहिए।
- अनिद्रा में पत्तागोभी की सब्जी तथा रात को सोने से एक घंटा पहले 5 चम्मच रस पीने से खूब नींद आती है।
- सल्फर, क्लोरीन तथा आयोडीन साथ में मिल कर आँतों और आमाशय की म्यूकस परत को साफ करने में मदद करते हैं। इसके लिए कच्चे पत्तागोभी को नमक लगा कर खाना चाहिए।
- छाले, घाव, फोड़े-फुंसी तथा चकत्तों जैसी परेशानियों में पत्तागोभी के पत्तों की पट्टी लगाने से बहुत आराम मिलता है। इस काम के लिए पत्तागोभी की बाहरी मोटी पत्तियाँ बेहतर रहती हैं। पूरी साबुत पत्तियों को ही पट्टी की तरह काम में लेना चाहिए। इसकी पट्टी बनाने के लिए पत्तियों को गरम पानी से बहुत अच्छी तरह धोकर तौलिये से अच्छी तरह सुखा कर बेलन से बेलते हुए नरम कर लेना चाहिए। इसकी मोटी, उभरी हुई नसों को निकाल कर बेलने से यह नरम हो जाएगा। फिर इसे गरम करके घाव पर समान रूप से लगाना चाहिए। इन पत्तियों को सूती कपड़े में या मुलायम ऊनी कपड़े में डाल कर काम में ले सकते हैं। इससे पूरे दिन भर के लिए या रात भर सिकाई कर सकते हैं। जले हुए पत्तागोभी की राख भी त्वचा की बहुत सी बीमारियों में आराम पहुँचाता है।
- पत्तागोभी का रस पेट में गैस कर सकता है जिसके कारण बदहजमी हो सकती है। इसलिए सलाह दी जाती है कि पत्तागोभी के रस में थोड़ी सी गाजर का रस मिला कर पीना चाहिए। इससे पेट में गैस या अन्य समस्याएँ नहीं होंगी। पका हुआ पत्तागोभी या पत्तागोभी की सब्जी खाने से भी यदि तकलीफ हो तो इसमे थोड़ी हींग मिला कर पकाएँ। कच्चा खाने से यह जल्दी हजम होती है।
- जर्मन पद्धति के अनुसार पत्तागोभी को काटकर उसमें नमक लगाकर उसे खट्टा होने के लिए रख दिया जाता है। इस विधि से तैयार पत्तागोभी को 'सोर क्राउट' के नाम से जाना जाता है। 'सोर क्राउट' में प्रचुर मात्रा में विटामिन पाए जाते है। हृदय रोगों को दूर करने के लिए सोर क्राउट का प्रयोग काफी लाभदायक है।

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करेला खाने से जबरदस्त फायदे

करेला एक ऐसी सब्जी है जो बहुत कम लोगों को अच्छी लगती है। इसका स्वाद कड़वा है इसीलिए अधिकतर लोग इसे खाने से परहेज करते हैं लेकिन इसके स्वाद के ठीक विपरीत है इसका स्वभाव है। यह जितना कड़वा स्वाद में होता है उससे कहीं ज्यादा मीठे गुणों से भरपूर होता है। यह एक गुणों से भरी सब्जी है।

करेले में होते हैं ये पोषक तत्व
करेले में गंधयुक्त वाष्पशील तेल, केरोटीन, ग्लूकोसाइड, सेपोनिन, एल्केलाइड पाए जाते हैं। इसमें 6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 15 ग्राम प्रोटीन,20 मिलीग्राम कैल्शियम, 70 मिलीग्राम फास्फोरस,18 मिलीग्राम लोह तत्व, विटामिन ए, विटामिन-सी के अलावा इसमें गंधयुक्त वाष्पशील तेल, केरोटीन, ग्लूकोसाइड, सेपोनिन, एल्केलाइड पाए जाते हैं। इन सभी पौषक तत्वों के कारण करेला केवल सब्जी न होकर औषधि का काम भी करता है। इसके औषधीय गुण इस प्रकार हैं।


मोटापा कम करने के लिए
- विटामिन ए की उपस्थिति के कारण इसकी सब्जी खाने से रतौंधी रोग नहीं होता है।करेले का रस और 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है और मोटापा कम होता है।पथरी रोगी को 2 करेले का रस प्रतिदिन पीना चाहिए और इसकी सब्जी खाना चाहिए। इससे पथरी गलकर पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है।

डायबिटीज का उपाय
- करेला मधुमेह में रामबाण औषधि का कार्य करता है, छाया में सुखाए हुए करेला का एक चम्मच पावडर प्रतिदिन सेवन करने से डायबिटीज में चमत्कारिक लाभ मिलता है क्योंकि करेला पेंक्रियाज को उत्तेजित कर इंसुलिन के स्रावण को बढ़ाता है।इसके फल या पत्ते का रस एक चम्मच शकर मिलाकर पिलाने से खूनी बवासीर में बड़ा लाभ होता है। करेले के टुकड़ों को छाया में सुखाकर, पीसकर महीन चूर्ण बना लें। छः ग्राम चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह के रोगी को लाभ मिलेगा।



एसिडिटी का पक्का इलाज

- करेले के तीन बीज और तीन कालीमिर्च को पत्थर पर पानी के साथ घिसकर बच्चों को पिलाने से उल्टी-दस्त बंद होते हैं।
करेले के पत्तों को सेंककर सेंधा नमक मिलाकर खाने से अम्लपित्त के रोगियों को भोजन से पहले होने वाली उल्टी बंद होती है।

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पथरी को बिना किसी तकलीफ बाहर कर देंगे ये रामबाण देसी तरीके

1-पथरी एक ऐसी बीमारी है जिसमें रोगी को असहनीय पीड़ा सहन करनी पड़ती है। सामान्यत: पथरी हर उम्र के लोगों में पाई जाती है लेकिन फिर भी यह बीमारी महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक तकलीफ देने वाली होती है।

2-पथरी के लक्षण- कब्ज या दस्त का लगातार बने रहना , उल्टी जैसा होना बैचेनी, थकान, , तीव्र पेट दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बने रहना। मूत्र संबंधी संक्रमण साथ ही बुखार, कपकपी, पसीना आना, पेशाब के साथ-साथ दर्द होना ,बार बार और एकदम से पेशाब आना, रुक रुक कर पेशाब आना, रात में अधिक पेशाब आना, मूत्र में रक्त भी आ सकता है, पेशाब का रंग असामान्य होना।

3 -पथरी से बचने के तरीके- ज्यादा पानी पीएं।

- आहार में प्रोटीन, नाइट्रोजन तथा सोडियम की मात्रा कम हो।

- चाकलेट, सोयाबीन, मूंगफली, पालक आदि का सेवन बहुत ज्यादा न करें।

- आवश्यकता से अधिक कोल्डड्रिंक्स भी नुकसान पहुंचा सकती हैं।

- विटामिन-सी की भारी मात्रा न ली जाय।

- नारंगी आदि का रस (जूस) लेने से पथरी का खतरा कम होता है।

- हर महीने में पांच दिन एक छोटी चम्मच अजवाइन लेकर उसे पानी से निगल जाएं।


4 -पथरी के कुछ देसी इलाज-

- यदि मूत्र पिंड में पथरी हो और पेशाब रुक रुक कर आना चालू हो गया है तो एक गाजर को नित्य खाना चालू कर देना चाहिये।
- तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फंसी पथरी निकल जाती है।


5 -तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फंसी पथरी निकल जाती है।

6 - जीरे को मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें या शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।

7 - एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस-बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, उसके बाद मूली को भून लें,उसके बाद मूली से बीज निकाल कर पीस लें। सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे,पथरी और पेशाब वाली बीमारियों में फायदा मिलेगा।

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