1-पथरी एक ऐसी बीमारी है जिसमें रोगी को असहनीय पीड़ा सहन करनी पड़ती है। सामान्यत: पथरी हर उम्र के लोगों में पाई जाती है लेकिन फिर भी यह बीमारी महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक तकलीफ देने वाली होती है।
2-पथरी के लक्षण- कब्ज या दस्त का लगातार बने रहना , उल्टी जैसा होना बैचेनी, थकान, , तीव्र पेट दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बने रहना। मूत्र संबंधी संक्रमण साथ ही बुखार, कपकपी, पसीना आना, पेशाब के साथ-साथ दर्द होना ,बार बार और एकदम से पेशाब आना, रुक रुक कर पेशाब आना, रात में अधिक पेशाब आना, मूत्र में रक्त भी आ सकता है, पेशाब का रंग असामान्य होना।
3 -पथरी से बचने के तरीके- ज्यादा पानी पीएं।
- आहार में प्रोटीन, नाइट्रोजन तथा सोडियम की मात्रा कम हो।
- चाकलेट, सोयाबीन, मूंगफली, पालक आदि का सेवन बहुत ज्यादा न करें।
- आवश्यकता से अधिक कोल्डड्रिंक्स भी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- विटामिन-सी की भारी मात्रा न ली जाय।
- नारंगी आदि का रस (जूस) लेने से पथरी का खतरा कम होता है।
- हर महीने में पांच दिन एक छोटी चम्मच अजवाइन लेकर उसे पानी से निगल जाएं।
4 -पथरी के कुछ देसी इलाज-
- यदि मूत्र पिंड में पथरी हो और पेशाब रुक रुक कर आना चालू हो गया है तो एक गाजर को नित्य खाना चालू कर देना चाहिये।
- तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फंसी पथरी निकल जाती है।
5 -तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फंसी पथरी निकल जाती है।
6 - जीरे को मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें या शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
7 - एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस-बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, उसके बाद मूली को भून लें,उसके बाद मूली से बीज निकाल कर पीस लें। सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे,पथरी और पेशाब वाली बीमारियों में फायदा मिलेगा।
2-पथरी के लक्षण- कब्ज या दस्त का लगातार बने रहना , उल्टी जैसा होना बैचेनी, थकान, , तीव्र पेट दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बने रहना। मूत्र संबंधी संक्रमण साथ ही बुखार, कपकपी, पसीना आना, पेशाब के साथ-साथ दर्द होना ,बार बार और एकदम से पेशाब आना, रुक रुक कर पेशाब आना, रात में अधिक पेशाब आना, मूत्र में रक्त भी आ सकता है, पेशाब का रंग असामान्य होना।
3 -पथरी से बचने के तरीके- ज्यादा पानी पीएं।
- आहार में प्रोटीन, नाइट्रोजन तथा सोडियम की मात्रा कम हो।
- चाकलेट, सोयाबीन, मूंगफली, पालक आदि का सेवन बहुत ज्यादा न करें।
- आवश्यकता से अधिक कोल्डड्रिंक्स भी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- विटामिन-सी की भारी मात्रा न ली जाय।
- नारंगी आदि का रस (जूस) लेने से पथरी का खतरा कम होता है।
- हर महीने में पांच दिन एक छोटी चम्मच अजवाइन लेकर उसे पानी से निगल जाएं।
4 -पथरी के कुछ देसी इलाज-
- यदि मूत्र पिंड में पथरी हो और पेशाब रुक रुक कर आना चालू हो गया है तो एक गाजर को नित्य खाना चालू कर देना चाहिये।
- तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फंसी पथरी निकल जाती है।
5 -तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फंसी पथरी निकल जाती है।
6 - जीरे को मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें या शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
7 - एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस-बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, उसके बाद मूली को भून लें,उसके बाद मूली से बीज निकाल कर पीस लें। सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे,पथरी और पेशाब वाली बीमारियों में फायदा मिलेगा।
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