प्रिय मित्रो श्वेतार्क ( मदार ) से आप सब लॊग लगभग परिचित ही होगे ! इसकी तंत्र शास्त्र में बहुत उपयोगिता है / जहा इसके पुष्प भगवान् शिव को अत्यंत प्रिय है वही जिनका सूर्य अशुभ हो तो इसकी समिधा से यज्ञ करने पर सूर्य कृत कष्टों में कमी आती है ! मदार के पौधे में कही भी एक खरोच लगा दे - तत्काल दूध निकल पडेगा .. कोई भी पत्ता तोड़े तुरंत उस जगह से दूध टपकने लगेगा ! यह दूध विषाक्त होता है और प्रयोग भेद से दवाओ के निर्माण में प्रमुख घटक बनता है ! आख में पड़ने पर यह आख की पुतली को भारी हानि पंहुचा सकता है अतः इसे तोड़ते समय लोग दूध की छिटो से बहुत सावधान रहते है !
मित्रो बैगनी रंग के फूल वाला मदार बहुतायत से मिलता है ! इसे काला मदार ,कृष्ण मदार आदि नामो से भी जाना जाता है ! एक मदार ऐसा भी है जिसके फूल बिलकुल सफ़ेद होते है बस इसी पौधे की जरुरत है आप को आध्यात्म में ! जिस दिन रविपुष्य हो उस दिन इसका प्रयोग करना सिद्धि प्रद है !
इसके कुछ प्रयोग स्पष्ट कर रहा हु आशा करता हु की आप लोग अवश्य लाभान्वित होगे !
(१) रवि पुष्य के दिन प्रातः स्नान आदि करने के बाद यह सफ़ेद मदार का पौधा विधिवत ले आये इसकी मूल को जल से साफ़ कर अपने पूजा कक्ष में चौकी के ऊपर रखकर विधिवत पूजन कर ले उसके बाद (ॐ गं गणपतये नमः) मंत्र का ५ माला जप कर इसकी मूल ( जड़ ) का कुछ भाग ताबीज में करके धारण कर ले या किसी को करवा दे तो यह प्रयोग समस्त वायव्य बाधाओ - नजर , टोना तंत्र प्रयोग आदि से पूरी सुरक्षा रखता है !
(२) रवि पुष्य के दिन प्रातः स्नान आदि करने के बाद यह सफ़ेद मदार का पौधा विधिवत ले आये अब सर्वप्रथम अपनी दैनिक पूजा आदि कर ले फिर सफ़ेद मदार की मूल को देशी घी ( गाय का ) के साथ पत्थर पर चन्दन की भाति घिसते जाए और ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का मानसिक जप करते रहे जितना भी आप को पेस्ट बनाना है उतना घिस लेने के बाद उसमें शुद्ध गोरोचन मिलाकर पूरा मिक्स कर ले और तैयार पेस्ट को किसी पात्र में निकालकर धुपित कर ले और इसके सामने अपने इष्ट मंत्र की १ माला और १ माला गणेश मंत्र ॐ गं गणपतये नमः की जप कर यह लेप तिलक की भाति लगाले! यह तिलक प्रबल सम्मोहनकारी होता है ! इस लेप को रवि पुष्य के दिन बना कर तैयार कर ले जब आवश्यकता हो तिलक कर के समारोह - मीटिंग -अधिकारी के समक्ष जाए पूरा लाभ मिलता ही है बिजनेस करने वालो को तो नित्य इसका तिलक करना ही चाहिए जिससे उनको अपनी बात ग्राहकों के समक्ष रखने में अनुकूलता प्राप्त होती ही है !
(३) विधिवत रविपुष्य में प्राप्त और पूजित श्वेतार्क मूल का टुकड़ा किसी धागे के सहारे कमर में बाँधकर सम्भोग रत होने से ! यह काम शक्ति को बढ़ाते हुए , वीर्य स्तम्भन तक कर देता है ऐसा सिद्धो का मत है !
नोट - श्वेतार्क मूल को शुभ मुहूर्त में लाने की पूरी एक विधवत विधि होती है और उस तरह से लाने और प्रयोग करने पर पूर्ण लाभ प्राप्त होता ही है !
भाईयो - बहनों समय कम है साधना -प्रयोग अनंत है अपनी सुविधा अनुसार प्रयोग करे ! एक दिन में एक से अधुक प्रयोग आप अपनी सुविधा अनुसार कर सकते है ! पुनः आप सब को बता दू की दिनांक २७ अक्तूबर -२०१३ को पड़ने वाला रवि पुष्य इस वर्ष का अन्तिम रविपुष्य है !
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