3 October 2013

चमत्कारिक 'पानी प्रयोग

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चमत्कारिक 'पानी प्रयोग'::
ज्यादा से ज्यादा शेयर करे और लाभ ले
"बिना खर्च किये ही रोगों से बचकर तन्दुरुस्त बनो"
नई एवं पुरानी प्राणघातक बीमारियाँ दूर करने के लिए
यह एक अत्यंत सरल एवं बहुत बढ़िया प्रयोग है।
इसको हम यहाँ पानी प्रयोग कहेंगे।
मधुप्रमेह (डायबिटीज), सिरदर्द, ब्लडप्रेशर,
एनिमिया (रक्त की कमी), जोड़ों का दर्द,
लकवा (पेरेलिसिस), मोटापन, हृदय की धड़कनें एवं
बेहोशी, कफ, खाँसी, दमा (ब्रोन्काईटीस), टी.बी.,
मेनिनजाईटीस), लीवर के रोग, पेशाब की बीमारियाँ,
एसीडीटी (अम्लपित्त), गेस्ट्राईटीस (गैस विषयक
तकलीफें), पेचिश, कब्ज, हरस, आँखों की हर किस्म
की तकलीफें, स्त्रियों का अनियमित मासिकस्राव,
प्रदर (ल्यकोरिया), गर्भाशय का कैंसर, नाक, कान एवं
गले से सम्बन्धित रोग आदि आदि।
पानी पीने की रीतिः प्रभात काल में जल्दी उठकर,
बिना मुँह धोये हुए बिना ब्रश किये हुए करीब
सवा लीटर (चार बड़े गिलास) पानी एक साथ पी लें।
ताजा पानी आराम से बैठ कर धीरे धीरे पीए और
पानी ठण्डा न हो। तदनन्तर 45 मिनट तक कुछ
भी खायें-पियें नहीं। पानी पीने के बाद मुँह धो सकते हैं,
ब्रश कर सकते हैं। यह प्रयोग चालू करने के बाद सुबह में
अल्पाहार के बाद, दोपहर को एवं रात्रि को भोजन के
बाद दो घण्टे बीत जाने पर पानी पियें। रात्रि के समय
सोने से पहले कुछ भी खाये नहीं।
बीमार एवं बहुत ही नाजुक प्रकृति के लोग एक साथ चार
गिलास पानी नहीं पी सकें तो वे पहले एक
या दो गिलास से प्रारंभ करें और बाद में धीरे-धीरे एक-
एक गिलास बढ़ाकर चार गिलास पर आ जायें। फिर
नियमित रूप से चार गिलास पीते रहें।
बीमार हो या तन्दुरुस्त, यह प्रयोग सबके लिए
इस्तेमाल करने योग्य है। बीमार के लिए यह प्रयोग
इसलिए उपयोगी है कि इससे उसे आरोग्यता मिलेगी और
तन्दुरुस्त आदमी यह प्रयोग करेगा तो वह कभी बीमार
नहीं पड़ेगा।
जो लोग वायु रोग एवं जोड़ों के दर्द से पीड़ित हों उन्हें
यह प्रयोग एक सप्ताह तक दिन में तीन बार
करना चाहिए। एक सप्ताह के बाद दिन में एक बार
करना पर्याप्त है। यह पानी प्रयोग बिल्कुल सरल एवं
सादा है। इसमें एक भी पैसे का खर्च नहीं है। हमारे देश
के गरीब लोगों के लिए बिना खर्च एवं बिना दवाई के
आरोग्यता प्राप्त करने की यह एक चमत्कारिक
रीति है।
तमाम भाइयों एवं बहनों को विनती है कि इस
पानी प्रयोग का हो सके उतना अधिक प्रचार करें।
रोगियों के रोग दूर करने के प्रयासों में सहयोगी बनें।
चार गिलास पानी पीने से स्वास्थ्य पर कोई
भी कुप्रभाव नहीं पड़ता। हाँ, प्रारंभ के तीन-चार दिन
तक पानी पीने के बाद दो-तीन बार पेशाब
होगा लेकिन तीन-चार दिन के बाद पेशाब नियमित
हो जायेगा।
..... तो भाइयों एवं बहनों ! तन्दुरुस्त होने के लिए एवं
अपनी तन्दुरुस्ती बनाये रखने के लिए आज से ही यह
पानी प्रयोग शुरु करके बीमारियों को भगायें। आज से
हम सब तन्दुरुस्त बनकर जीवन में दया, मानवता एवं
ईमानदारी लाकर पृथ्वी पर स्वर्ग को उतारेंगे....
प्रातःकाल में दातुन करने से पहले पानी पीने से कई
रोग मिट जाते हैं ऐसा हम लोगों ने अपने बुजुर्गों से
कहानी के रूप में सुना है किन्तु अब हमारे देश के
बुजुर्गों की बातों का प्रचार-प्रसार विदेशी लोगों के
द्वारा किया जाता है तब हमें पता चलता है
कि कैसा महान् है भारत का शरीरविज्ञान और अध्यात्म
ज्ञान !
चमत्कारिक 'पानी प्रयोग'::
ज्यादा से ज्यादा शेयर करे और लाभ ले
"बिना खर्च किये ही रोगों से बचकर तन्दुरुस्त बनो"
नई एवं पुरानी प्राणघातक बीमारियाँ दूर करने के लिए
यह एक अत्यंत सरल एवं बहुत बढ़िया प्रयोग है।
इसको हम यहाँ पानी प्रयोग कहेंगे।
मधुप्रमेह (डायबिटीज), सिरदर्द, ब्लडप्रेशर,
एनिमिया (रक्त की कमी), जोड़ों का दर्द,
लकवा (पेरेलिसिस), मोटापन, हृदय की धड़कनें एवं
बेहोशी, कफ, खाँसी, दमा (ब्रोन्काईटीस), टी.बी.,
मेनिनजाईटीस), लीवर के रोग, पेशाब की बीमारियाँ,
एसीडीटी (अम्लपित्त), गेस्ट्राईटीस (गैस विषयक
तकलीफें), पेचिश, कब्ज, हरस, आँखों की हर किस्म
की तकलीफें, स्त्रियों का अनियमित मासिकस्राव,
प्रदर (ल्यकोरिया), गर्भाशय का कैंसर, नाक, कान एवं
गले से सम्बन्धित रोग आदि आदि।
पानी पीने की रीतिः प्रभात काल में जल्दी उठकर,
बिना मुँह धोये हुए बिना ब्रश किये हुए करीब
सवा लीटर (चार बड़े गिलास) पानी एक साथ पी लें।
ताजा पानी आराम से बैठ कर धीरे धीरे पीए और
पानी ठण्डा न हो। तदनन्तर 45 मिनट तक कुछ
भी खायें-पियें नहीं। पानी पीने के बाद मुँह धो सकते हैं,
ब्रश कर सकते हैं। यह प्रयोग चालू करने के बाद सुबह में
अल्पाहार के बाद, दोपहर को एवं रात्रि को भोजन के
बाद दो घण्टे बीत जाने पर पानी पियें। रात्रि के समय
सोने से पहले कुछ भी खाये नहीं।
बीमार एवं बहुत ही नाजुक प्रकृति के लोग एक साथ चार
गिलास पानी नहीं पी सकें तो वे पहले एक
या दो गिलास से प्रारंभ करें और बाद में धीरे-धीरे एक-
एक गिलास बढ़ाकर चार गिलास पर आ जायें। फिर
नियमित रूप से चार गिलास पीते रहें।
बीमार हो या तन्दुरुस्त, यह प्रयोग सबके लिए
इस्तेमाल करने योग्य है। बीमार के लिए यह प्रयोग
इसलिए उपयोगी है कि इससे उसे आरोग्यता मिलेगी और
तन्दुरुस्त आदमी यह प्रयोग करेगा तो वह कभी बीमार
नहीं पड़ेगा।
जो लोग वायु रोग एवं जोड़ों के दर्द से पीड़ित हों उन्हें
यह प्रयोग एक सप्ताह तक दिन में तीन बार
करना चाहिए। एक सप्ताह के बाद दिन में एक बार
करना पर्याप्त है। यह पानी प्रयोग बिल्कुल सरल एवं
सादा है। इसमें एक भी पैसे का खर्च नहीं है। हमारे देश
के गरीब लोगों के लिए बिना खर्च एवं बिना दवाई के
आरोग्यता प्राप्त करने की यह एक चमत्कारिक
रीति है।
तमाम भाइयों एवं बहनों को विनती है कि इस
पानी प्रयोग का हो सके उतना अधिक प्रचार करें।
रोगियों के रोग दूर करने के प्रयासों में सहयोगी बनें।
चार गिलास पानी पीने से स्वास्थ्य पर कोई
भी कुप्रभाव नहीं पड़ता। हाँ, प्रारंभ के तीन-चार दिन
तक पानी पीने के बाद दो-तीन बार पेशाब
होगा लेकिन तीन-चार दिन के बाद पेशाब नियमित
हो जायेगा।
..... तो भाइयों एवं बहनों ! तन्दुरुस्त होने के लिए एवं
अपनी तन्दुरुस्ती बनाये रखने के लिए आज से ही यह
पानी प्रयोग शुरु करके बीमारियों को भगायें। आज से
हम सब तन्दुरुस्त बनकर जीवन में दया, मानवता एवं
ईमानदारी लाकर पृथ्वी पर स्वर्ग को उतारेंगे....
प्रातःकाल में दातुन करने से पहले पानी पीने से कई
रोग मिट जाते हैं ऐसा हम लोगों ने अपने बुजुर्गों से
कहानी के रूप में सुना है किन्तु अब हमारे देश के
बुजुर्गों की बातों का प्रचार-प्रसार विदेशी लोगों के
द्वारा किया जाता है तब हमें पता चलता है
कि कैसा महान् है भारत का शरीरविज्ञान और अध्यात्म
ज्ञान !
#विश्वगुरु।

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