रिश्तों मे नफा नुकशान नही देखा जाता There is no profit or loss in relationships.

 विनोद हाईवे पर गाड़ी चला रहा था।

सड़क के किनारे उसे एक 12-13 साल की लड़की तरबूज बेचती दिखाई दी। विनोद ने गाड़ी रोक कर पूछा "तरबूज की क्या रेट है बेटा? " लड़की बोली " 50 रुपये का एक तरबूज है साहब।"
पीछे की सीट पर बैठी विनोद की पत्नी बोली " इतना महंगा तरबूज नही लेना जी। चलो यहाँ से। "विनोद बोला "महंगा कहाँ है इसके पास जितने तरबूज है कोई भी पांच किलो के कम का नही होगा। 50 रुपये का एक दे रही है तो 10 रुपये किलो पड़ेगा हमें। बाजार से तो तू बीस रुपये किलो भी ले आती है। "
विनोद की पत्नी ने कहा तुम रुको मुझे मोल भाव करने दो।” फिर वह लड़की से बोली "30 रुपये का एक देना है तो दो वरना रहने दो। " लड़की बोली " 40 रुपये का एक तरबूज तो मै खरीद कर लाती हूँ आंटी। आप 45 रुपये का एक ले लो। इससे सस्ता मै नही दे पाऊँगी।"
विनोद की पत्नी बोली" झूठ मत बोलो बेटा। सही रेट लगाओ देखो ये तुम्हारा छोटा भाई है न? इसी के लिए थोड़ा सस्ता कर दो।" उसने खिड़की से झाँक रहे अपने चार वर्षीय बेटे की तरफ इशारा करते हुए कहा।
सुंदर से बच्चे को देख कर लड़की एक तरबूज हाथों मे उठाते हुए गाड़ी के करीब आ गई। फिर लड़के के गालों पर हाथ फेर कर बोली " सचमुच मेरा भाई तो बहुत सुंदर है आँटी।" विनोद की पत्नी बच्चे से बोली "दीदी को नमस्ते बोलो बेटा। " बच्चा प्यार से बोला "नमस्ते दीदी। लड़की ने गाड़ी की खिड़की खोल कर बच्चे को बाहर निकाल लिया फिर बोली " "तुम्हारा नाम क्या भैया? "
लड़का बोला " मेरा नाम गोलू है दीदी। " बेटे को बाहर निकालने के कारण विनोद की पत्नी कुछ असहज हो गई। तुरंत बोली "अरे बेटा इसे वापस अंदर भेजो। इसे डस्ट से एलर्जी है।"लड़की उसकी आवाज पर ध्यान न देते हुए लड़के से बोली "तु तो सचमुच गोल मटोल है रे भाई। तरबूज खाएगा? "लड़के ने हाँ मे गर्दन हिलाई तो लड़की ने तरबूज उसके हाथों मे थमा दिया।
पाँच किलो का तरबूज गोलू नही संभाल पाया। तरबूज फिसल कर उसके हाथ से नीचे गिर गया और फूट कर तीन चार टुकड़ों मे बंट गया। तरबूज के गिर कर फुट जाने से लड़का रोने लगा।
लड़की उसे पुचकारते हुए बोली अरे भाई रो मत। मै दूसरा लाती हूँ। फिर वह दौड़कर गई और एक और बड़ा सा तरबूज उठा लाई।
जब तक वह तरबूज उठा कर लाई इतनी देर मे विनोद की पत्नी ने बच्चे को अंदर गाड़ी मे खींच कर खिड़की बन्द कर ली। लड़की खुले हुए शीशे से तरबूज अंदर देते हुए बोली "ले भाई ये बहुत मिठा निकलेगा।” विनोद चुपचाप बैठा लड़की की हरकतें देख रहा था।
विनोद की पत्नी बोली "जो तरबूज फूटा है मै उसके पैसे नही दूँगी। वह तुम्हारी गलती से फूटा है। "लड़की मुस्कराते हुए बोली "उसको छोड़ो आंटी। आप इस तरबूज के पैसे भी मत देना। ये मैने अपने भाई के लिए दिया है। "
इतना सुनते ही विनोद और उसकी पत्नी दोनों एक साथ चौंक पड़े। विनोद बोला " नही बिटिया तुम अपने दोनों तरबूज के पैसे लो।" फिर सौ का नोट उस लड़की की तरफ बढ़ा दिया। लड़की हाथ के इशारे से मना करते हुए वहाँ से हट गई। औ अपने बाकी बचे तरबुजों के पास जाकर खड़ी हो गई।
विनोद भी गाड़ी से निकल कर वहाँ आ गया था। आते ही बोला "पैसे ले लो बेटा वरना तुम्हारा बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा।" लड़की बोली "माँ कहती है जब बात रिश्तों की हो तो नफा नुकसान नही देखा जाता। आपने गोलू को मेरा भाई बताया मुझे बहुत अच्छा लगा। मेरा भी एक छोटा सा भाई था मगर.."
विनोद बोला "क्या हुआ तुम्हारे भाई को? "
वह बोली "जब वह दो साल का था तब उसे रात मे बुखार हुआ था। सुबह माँ हॉस्पिटल मे ले जा पाती उससे पहले ही उसने दम तौड़ दिया था। मुझे मेरे भाई की बहुत याद आती है। उससे एक साल पहले पापा भी ऐसे ही हमे छोड़ कर गुजर गए थे।
विनोद की पत्नी बोली "ले बिटिया अपने पैसे ले ले। " लड़की बोली "पैसे नही लुंगी आंटी।"
विनोद की पत्नी गाड़ी मे गई फिर अपने बैग से एक पाजेब की जोड़ी निकाली। जो उसने अपनी आठ वर्षीय बेटी के लिए आज ही तीन हजार मे खरीदी थी। लड़की को देते हुए बोली। तुमने गोलू को भाई माना तो मै तुम्हारी माँ जैसी हुई ना। अब तू ये लेने से मना नही कर सकती।
लड़की ने हाथ नही बढ़ाया तो उसने जबरदस्ती लड़की की गोद मे पाजेब रखते हुए कहा "रख ले। जब भी पहनेगी तुझे हम सब की याद आयेगी। "इतना कहकर वह वापस गाड़ी मे जाकर बैठ गई।
फिर विनोद ने गाड़ी स्टार्ट की और लड़की को बाय बोलते हुए वे चले पड़े। विनोद गाड़ी चलाते हुए सोच रहा था कि भावुकता भी क्या चीज है। कुछ देर पहले उसकी पत्नी दस बीस रुपये बचाने के लिए हथकण्डे अपना रही थी।कुछ देर मे ही इतनी बदल गई जो तीन हजार की
पाजेब दे आई।
फिर अचानक विनोद को लड़की की एक बात याद आई "रिश्तों मे नफा नुकसान नही देखा जाता।"
विनोद का प्रॉपर्टी के विवाद को लेकर अपने ही बड़े भाई से कोर्ट मे मुकदमा चल रहा था।।
उसने तुरंत अपने बड़े भाई को फोन मिलाया। फोन उठाते ही बोला " भैया मै विनोद बोल रहा हूँ। "
भाई बोला "फोन क्यों किया? " विनोद बोला "भैया आप वो मैन मार्केट वाली दुकान ले लो। मेरे लिए मंडी वाली छोड़ दो। और वो बड़े वाला प्लॉट भी आप ले लो। मै छोटे वाला ले लूंगा। मै कल ही मुकदमा वापस ले रहा हूँ। " सामने से काफी देर तक आवाज नही आई।
फिर उसके बड़े भाई ने कहा "इससे तो तुम्हे बहुत नुकसान हो जाएगा छोटे? "विनोद बोला " भैया आज मुझे समझ मे आ गया है रिश्तों मे नफ़ा-नुकसान नही देखा जाता। एक दूसरे की खुशी देखी जाती है। उधर से फिर खानोशी छा गई। फिर विनोद को बड़े भाई की रोने की आवाज सुनाई दी।
विनोद बोला "रो रहे हो क्या भैया?" बड़ा भाई बोला " इतने प्यार से पहले बात करता तो सब कुछ मै तुझे दे देता रे। अब घर आ जा। दोनों प्रेम से बैठ कर बंटवारा करेंगे। इतनी बड़ी कड़वाहट कुछ मीठे बोल बोलते ही न जाने कहाँ चली गई थी। कल जो एक एक इंच जमीन के लिए लड़ रहे थे वे आज भाई को सब कुछ देने के लिए तैयार हो गए थे।
कहानी का मोरल:-
त्याग की भावना रखिये। अगर हमेशा देने को तत्पर रहोगे तो लेने वाले का भी हृदय परिवर्तन हो जाएगा।
याद रखे रिश्तों मे नफा-नुकसान नही देखा जाता।
अपनो को करीब रखने के लिए अपना हक भी छोड़ना पड़ता है
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असली गहना real jewel

 एक राजा थे।उनका नाम था चक्ववेण।वह बड़े ही धर्मात्मा थे। राजा जनता से जो भी कर लेते थे सब जनहित में ही खर्च करते थे उस धन से अपना कोई कार्य नहीं करते थे।अपने जीविकोपार्जन हेतु राजा और रानी दोनोँ खेती किया करते थे। उसी से जो पैदावार हो जाता उसी से अपनी गृहस्थी चलाते,अपना जीवन निर्वाह करते थे। राजा-रानी होकर भी साधारण से वस्त्र और साधारण सात्विक भोजन करते थे।

एक दिन नगर में कोई उत्सव था तो राज्य की तमाम महिलाएं बहुत अच्छे-अच्छे वस्त्र और बेशकीमती गहने धारण किये हुए आई और जब रानी को साधारण वस्त्रों में देखा तो कहने लगी कि आप तो हमारी मालकिन हो और इतने साधरण वस्त्रों में बिना गहनों के जबकि आपको तो हम लोगों से अच्छे वस्त्रों और गहनों में होना चाहिए। यह बात रानी के कोमल हृदय को छू गई और रात में जब राजा रनिवास में आये तो रानी ने सारी बात बताते हुए कहा कि आज तो हमारी बहुत फजीहत बेइज्जती हुई। सारी बात सुनने के बाद राजा ने कहा क्या करूँ मैं खेती करता हूँ जितना कमाई होती है घर गृहस्थी में ही खर्च हो जाता है।क्या करूँ? प्रजा से आया धन मैं उन्हीं पर खर्च कर देता हूँ,फिर भी आप परेशान न हों,मैं आपके लिए गहनों की ब्यवस्था कर दूंगा। तुम धैर्य रखो।
दूसरे दिन राजा ने अपने एक आदमी को बुलाया और कहा कि तुम लंकापति रावण के पास जाओ और कहो कि राजा चक्रवेणु ने आपसे कर मांगा है और उससे सोना ले आओ। वह व्यक्ति रावण के दरबार मे गया और अपना मन्तब्य बताया इस पर रावण अट्टहास करते हुए बोला - अब भी कितने मूर्ख लोग भरे पड़े है।मेरे घर देवता पानी भरते हैं और मैं कर दूंगा। उस व्यक्ति ने कहा कि कर तो आप को अब देना ही पड़ेगा।अगर स्वयं दे दो तो ठीक है।इस पर रावण क्रोधित होकर बोला कि ऐसा कहने की तेरी हिम्मत कैसे हुई। जा चला जा यहां से,
रात में रावण मन्दोदरी से मिला तो यह कहानी बताई मन्दोदरी पूर्णरूपेण एक पतिव्रता स्त्री थीँ।यह सुनकर उनको चिन्ता हुई और पूँछी कि फिर आपने कर दिया या नहीं ? तो रावण ने कहा तुम पागल हो मैं रावण हूँ,क्या तुम मेरी महिमा को जानती नहीं। क्या रावण कर देगा। इस पर मन्दोदरी ने कहा कि महाराज आप कर दे दो वरना इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। मन्दोदरी राजा चक्रवेणु के प्रभाव को जानती थी क्योंकि वह एक पतिव्रता स्त्री थी। रावण नहीं माना।जब सुबह उठकर रावण जाने लगा तो मन्दोदरी ने कहा कि महाराज आप थोड़ी देर ठहरो मैं आपको एक तमाशा दिखाती हूँ। रावण ठहर गया। मन्दोदरी प्रतिदिन छत पर कबूतरों को दाना डाला क़रतीं थी।उस दिन भी डाली और जब कबूतर दाना चुगने लगे तो बोलीं कि अगर तुम सब एक भी दाना चुगे तो तुम्हें महाराजाधिराज रावण की दुहाई है,कसम है। रानी की इस बात का कबूतरों पर कोई असर नहीं हुआ और वह दाना चुगते रहे। मन्दोदरी ने रावण से कहा कि देख लिया न आपका प्रभाव। रावण ने कहा तू कैसी पागल है पक्षी क्या समझें कि क्या है रावण का प्रभाव तो मन्दोदरी ने कहा कि ठीक है अब दिखाती हूँ आपको फिर उसने कबूतरों से कहा कि अब एक भी दाना चुना तो राजा चक्रवेणु की दुहाई है। सारे कबूतर तुरन्त दाना चुगना बन्द कर दिया। केवल एक कबूतरी ने दाना चुना तो उसका सिर फट गया,क्योंकि वह बहरी थी सुन नही पाई थी। रावण ने कहा कि ये तो तेरा कोई जादू है ,मैं नही मानता इसे। और ये कहता हुआ वहां से चला गया।
रावण दरबार मे जाकर गद्दी पर बैठ गया तभी राजा चक्रवेणु का वही व्यक्ति पुनः दरबार मे आकर पूंछा की आपने मेरी बात पर रात में विचार किया या नहीं। आपको कर रूप में सोना देना पड़ेगा। रावण हंसकर बोला कि कैसे आदमी हो तुम देवता हमारे यहां पानी भरते है और हम कर देंगे। तब उस ब्यक्ति ने कहा कि यठीक है आप हमारे साथ थोड़ी देर के लिए समुद्र के किनारे चलिये।रावण किसी से डरता ही नही था सो कहा चलो और उसके साथ चला गया। उसने समुद्र के किनारे पहुंचकर लंका की आकृति बना दी और जैसे चार दरवाजे लंका में थे वैसे दरवाजे बना दिये और रावण से पूंछा की लंका ऐसी ही है न ? तो रावण ने कहा हाँ ऐसी ही है तो ? तुम तो बड़े कारीगर हो। वह आदमी बोला कि अब आप ध्यान से देखें - महाराज चक्रवेणु की दुहाई है " ऐसा कहकर उसने अपना हाथ मारा और एक दरवाजे को गिरा दिया। इधर बालू से बनी लंका का एक एक हिस्सा बिखरा उधर असली लंका का भी वही हिस्सा बिखर गया। अब वह आदमी बोला कि कर देते हो या नहीं? नहीं तो मैं अभी हाथ मारकर सारी लंका बिखेरता हूँ। रावण डर गया और बोला हल्ला मत कर ! तेरे को जितना चाहिए चुपचाप लेकर चला जा। रावण उस ब्यक्ति को ले जाकर कर के रूप में बहुत सारा सोना दे दिया।
रावण से कर लेकर वह आदमी राजा चक्रवेणु के पास पहुंचा और उनके सामने सारा सोना रख दिया चक्ववेण ने वह सोना रानी के सामने रख दिया कि जितना चाहिए उतने गहने बनवा लो। रानी ने पूंछा कि इतना सोना कहाँ से लाये ? राजा चक्ववेण ने कहा कि यह रावण के यहां से कर रूप में मिला है। रानी को बड़ा भारी आश्चर्य हुआ कि रावण ने कर कैसे दे दिया? रानी ने कर लाने वाले आदमी को बुलाया और पूंछा कि कर कैसे लाये तो उस ब्यक्ति ने सारी कथा सुना दी। कथा सुनकर रानी चकरा गई और बोली कि
मेरे असली गहना तो मेरे पतिदेव जी हैं !! दूसरा गहना मुझे नहीं चाहिए। गहनों की शोभा पति के कारण ही है। पति के बिना गहनों की क्या शोभा ? जिनका इतना प्रभाव है कि रावण भी भयभीत होता है।उनसे बढ़कर गहना मेरे लिए और हो ही नहीं सकता।रानी ने उस आदमी से कहा कि जाओ यह सब सोना रावण को लौटा दो और कहो कि महाराज चक्ववेण तुम्हारा कर स्वीकार नहीं करते।
*कथासार*
मनुष्य को देखादेखी न पाप,न पुण्य करना चाहिए और सात्विक रूप से सत्यता की शास्त्रोक्त विधि से कमाई हुई दौलत में ही सन्तोष करना चाहिए। दूसरे को देखकर मन को बढ़ावा या पश्चाताप नहीं करना चाहिए। धर्म मे बहुत बड़ी शक्ति आज भी है। करके देखिए !! निश्चित शांति मिलेगी।आवश्यकताओं को कम कर दीजिए जो आवश्यक-आवश्यकता है उतना ही खर्च करिये शेष परोपकार में लगाइए।भगवान तो हमारे इन्हीं कार्यो की प्रतीक्षा में बैठे हैं, मुक्ति का द्वार खोले यदि हम स्वयं
नरकागामी बननाचाहे तो भगवान का क्या दोष है ...
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कान कटा गधा ear cut donkey

 एक बार की बात है शेर को भूख लगी तो उसने लोमड़ी से कहा - मेरे लिए कोई शिकार ढूंढकर लाओ अन्यथा मैं तुम्हें ही खा जाऊँगा...

लोमड़ी एक गधे के पास गई और बोली - मेरे साथ शेर के समीप चलो क्योंकि वो तुम्हें जंगल का राजा बनाना चाहता है...
गधा लोमड़ी के साथ चला गया शेर ने गधे को देखते ही उस पर हमला कर दिया और उसके कान काट लिए लेकिन गधा किसी प्रकार बच कर भागने में सफल रहा।
तब गधे ने लोमड़ी से कहा - तुमने मुझे धोखा दिया शेर ने तो मुझे मारने का प्रयास किया और तुम कह रही थी कि वह मुझे जंगल का राजा बनायेगा...
लोमड़ी ने कहा - मूर्खता भरी बातें मत करो...
शेर ने तुम्हारे कान इसीलिए काट लिए ताकि तुम्हारे सिर पर ताज सुगमता पूर्वक पहनाया जा सके, समझे...
आओ चलो लौट चलें शेर के पास...
गधे को यह बात ठीक लगी, इसलिए वह पुनः लोमड़ी के साथ चला गया...
शेर ने फिर गधे पर हमला किया तथा इस बार उसकी पूँछ काट ली...
गधा फिर लोमड़ी से यह कहकर भाग चला - तुमने मुझसे फिर झूठ कहा, इस बार शेर ने तो मेरी पूँछ भी काट ली...
लोमड़ी ने कहा - शेर ने तो तुम्हारी पूँछ इसलिए काट ली ताकि तुम सिंहासन पर सहजता पूर्वक बैठ सको चलो पुनः उसके पास चलते हैं...
इस प्रकार लोमड़ी ने गधे को फिर से लौटने के लिए मना लिया...
इस बार सिंह गधे को पकड़ने में सफल रहा और उसे मार डाला...
शेर ने लोमड़ी से कहा - जाओ, इसकी चमड़ी उतार कर इसका दिमाग फेफड़ा और हृदय मेरे पास ले आओ और बचा हुआ अंश तुम खा लो...
लोमड़ी ने गधे की चमड़ी निकाली और गधे का दिमाग खा लिया और केवल फेफड़ा तथा हृदय सिंह के पास ले गई सिंह ने गुस्से में आकर पूछा - इसका दिमाग कहाँ गया
लोमड़ी ने जवाब दिया - महाराज इसके पास तो दिमाग था ही नहीं...
यदि इसके पास दिमाग होता तो क्या कान और पूँछ कटने के उपरान्त भी आपके पास यह पुनः वापस आता...
शेर बोला - हाँ, तुम पूर्णतया सत्य बोल रही हो...
यह कहानी हर उस हिंदू गधे की कहानी है जो 1000 वर्षों से अधिक समय से सभी हिंदुओं को खत्म करने के बारम्बार षड्यंत्र होने के बाद भी धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करता है...
यह कहानी हर उस हिंदू गधे की कहानी है जो सन् 1990 में कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम चुका है और फिर भी धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करता है...
यह कहानी हर उस हिंदू गधे की कहानी है जो भारत के इन 7 राज्यों (लक्षद्वीप, जम्मू & कश्मीर, असम, पश्चिम बंगाल, केरल, उत्तर प्रदेश और बिहार) की तेजी से बदलती हुई डेमोग्राफी को अपनी खुली आंखों से देख रहा है किंतु फिर भी धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करता है...
पता नहीं ये लोग उन नेताओं को बार बार वोट क्यों देते हैं जो भारत में रहकर भी भारत के दुश्मन देशों का गुणगान करते हैं, जिन्हें भारत में रहकर भी भारत_माता की जय बोलने में शर्म आती है, जो हिन्दू होकर भी सनातन और भारत का अपमान सरेआम करते है...
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मैं चली जाऊंगी तो कौन ख्याल रखेगा ? If I go away, who will take care?

 जल्दी-जल्दी नींद में बिस्तर पर पेशाब कर देने के बाद दामोदर  जी उसे साफ करने में लगे थे, ताकि कहीं बहू और बेटा न देख लें। कल ही तो बहू काजल ने नई चादर बिछाई थी और काफी सुनाया था अपने पति रवि को कि अगर इस बार पापा जी ने फिर से चादर गंदी की तो वो इसे साफ नहीं करेगी, भले ही घर छोड़ना पड़े। इसीलिए बेटे-बहू ने कल से ही उन्हें ज्यादा पानी भी नहीं पीने दिया था कि कहीं फिर से दामोदर  जी ऐसा न कर दें। 😔

85 वर्षीय दामोदर  जी को जबसे किडनी की समस्या हुई है, तबसे ऐसा कभी-कभी हो जाता है। बेचारे दामोदर  जी को बहुत अफसोस होता था। जल्दी से चादर हटाकर दामोदर  जी उसे बाथरूम में ले जाकर धोने लगे, यह सोचकर कि बहू आज बेटे के साथ अपने भाई की शादी के कपड़े लेने गई है, तो देर से ही लौटेगी। उन्हें भूख भी लग रही थी, पर मन का डर उनके हाथ जल्दी-जल्दी चलाने को मजबूर कर रहा था। चादर भीगने के बाद उठाई नहीं जा रही थी। दामोदर  जी की साँसें फूलने लगीं, तभी उन्होंने सामने अचानक बेटे-बहू को खड़ा पाया। 😓

दामोदर  जी बस इतना बोले, "बहू, अब नहीं होगा... मैंने साफ कर दी है।" बेटे रवि ने अपने पिता को सहारा देकर कुर्सी पर बैठाया। बहू कुछ कहने लगी, "देख लो, फिर से बिस्तर खराब कर दिया है। कितनी बदबू आ रही है। इन्हें अस्पताल में भर्ती करवाओ।" 

लेकिन रवि ने उसे रोकते हुए कहा, "तुम अपने मायके जा सकती हो। उस बाप को कैसे छोड़ सकता हूँ, जिसने मेरी पैंट तक साफ की थी जब मैं कच्छे में पोटी कर देता था। उस बाप का पेशाब नहीं साफ होगा, जिसकी यूनिफार्म पर मैंने उस दिन टॉयलेट कर दी थी, जब पिता जी अपने सम्मान समारोह में जा रहे थे। उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा और खुशी-खुशी पानी से थोड़ा सा साफ कर चले गए।" 💔

"चलिए पापा, कितने गीले हो गए हैं आप, ठंड लग जाएगी। आपके लिए चाय बनाता हूँ।" बेटे ने दीवान से नई चादर निकालकर दामोदर  जी के बिस्तर पर बिछाई। उन्हें बैठाया, उनके कपड़े बदले और अपने हाथों से चाय पिलाने लगा। 🍵

दामोदर  जी के कांपते हाथ बेटे के सर पर आशीर्वाद देने के लिए उठ गए। आँखों से भी आँसू बह निकले, जिन्हें धोती के कोरों से पोंछते जा रहे थे। सामने लगी पत्नी की तस्वीर को देख मन ही मन बोले, "देख ले विमला, तू कहती थी मैं चली जाऊंगी तो कौन ख्याल रखेगा मेरा। हमारा रवि देख कैसे तेरे बुढ़ऊ की सेवा कर रहा है।" 😢❤️

दरवाजे पर खड़ी बहू भी पश्चाताप के आँसू बहा रही थी। 

मैं चली जाऊंगी तो कौन ख्याल रखेगा  ? If I go away, who will take care?


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ऐसे लोगों का कोई नहीं करता आदर No one respects such people



 आचार्य चाणक्य की शिक्षाएं आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने जीवन के लगभग हर पहलू को छुआ है और अपने ज्ञान के माध्यम से हमें कई तरह की शिक्षाएं प्रदान की हैं। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि किन गुणों को आचार्य चाणक्य अच्छा नहीं मानते। ये गुण आपकी मानहानि का कारण भी बन सकते हैं और आपको करीबियों से दूर भी कर सकते हैं। 

बिना सहायता के कुछ न कर पाने वाले लोग

आप कभी न कभी ऐसे लोगों से मिले होंगे जो अपने बलबूते कुछ नहीं कर पाते। ऐसे लोग अक्सर झुंड के साथ मिलकर योजनाएं बनाते हैं और इनकी योजनाएं सफल नहीं हो पाती हैं, या अटक जाती हैं। चाणक्य ऐसे गुण वाले लोगों को अच्छा नहीं मानते। ऐसे लोगों पर से सबका विश्वास उठ जाता है और इसी कारण से समाज में इनकी कोई इज्जत नहीं रह जाती। 

दूसरों का अनादर करने वाले लोग

चाणक्य कहते हैं कि, जो लोग दूसरों का आदर नहीं करते उनको भी कभी आदर-सत्कार नहीं मिलता। ऐसे लोग अक्सर खुद को महत्वपूर्ण दर्शाने की कोशिश करते हैं और दूसरों की बात पर कोई ध्यान नहीं देते। अगर आप भी दूसरों की अनादर करते हैं तो आपको इस गुण को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए, नहीं दो आपको भी जीवन में मान-सम्मान नहीं मिलेगा। 

सबके दोस्त बनने वाले लोग

जो व्यक्ति हर किसी का दोस्त बनने की कोशिश करता है, वो असल में किसी का दोस्त नहीं होता। ऐसे लोग आपके सामने रहकर दूसरों को भला-बुरा बोलते हैं और दूसरों के पास जाकर आपकी बुराई करते हैं। इस तरह के लोगों से भी अक्सर अन्य लोग दूरी बनाना शुरू कर देते हैं, और इनका आदर भी कोई नहीं करता। 

मीठी और बनावटी बातें करने वाले लोग 

अगर आपको कोई व्यक्ति बहुत मीठी-मीठी बातें बनाता दिखे तो समझ जाइए वो अपने अंदर की कमियों को छुपाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे लोग भले ही ये सोचें की अपनी बातों से उन्होंने सामने वाले का दिल जीत लिया है, लेकिन सच्चाई ये होती है कि ज्यादा मिठास और बनावटी पर लोगों को आपसे दूर कर देता है। 

जानवरों पर अत्याचार करने वाले लोग 

जो लोग बेजुबान जानवारों के प्रति क्रूर होते हैं ऐसे लोगों की भी समाज में कोई इज्जत नहीं होती। इस तरह के लोगों से भी सब दूर भागते हैं, ऐसे लोगों भले ही दूसरों से आदर सत्कार की उम्मीद करें लेकिन इनके बुरे कर्मों के कारण लोग इनसे दूर रहना ही पसंद करते हैं। 

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भुने चने और हरी धनिया की चटनी नसों में जमे गंदे से गंदे कोलेस्ट्रॉल और शुगर का है काल, शरीर से निचोड़कर फेकती है बाहर

 भुने चने और हरी धनिया की चटनी नसों में जमे गंदे से गंदे कोलेस्ट्रॉल और शुगर का है काल, शरीर से निचोड़कर फेकती है बाहर


खानपान में आए बदलाव के कारण लोग डायबिटीज और बैड कोलेस्ट्रॉल का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में इन गंभीर बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए आप सबसे पहले अपनी डाइट बदलें। इसकी शुरुआत आप इस हरी चटनी से भी कर सकते हैं।

खानपान में आए बदलाव के कारण आजकल लोग डायबिटीज और बैड कोलेस्ट्रॉल का शिकार हो रहे हैं। दरअसल, बाहर का ऑयली खाना खाने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। तो वहीं, मीठा खाने से शुगर बढ़ने लगती है। ऐसे में इस वजह से मोटापा, हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और कई दूसरी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में इन गंभीर बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए आप सबसे पहले अपनी डाइट बदलें। इसकी शुरुआत आप इस हरी चटनी से भी कर सकते हैं। भुने हुए चने और हरी धनिया से बनी यह चटनी डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल को तेजी से कंट्रोल करती है। चलिए जानते हैं कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए कौन सी चटनी खानी चाहिए?

Hindi Newsहेल्थभुने चने और हरी धनिया की चटनी नसों में जमे गंदे से गंदे कोलेस्ट्रॉल और शुगर का है काल, शरीर से निचोड़कर फेकती है बाहर

भुने चने और हरी धनिया की चटनी नसों में जमे गंदे से गंदे कोलेस्ट्रॉल और शुगर का है काल, शरीर से निचोड़कर फेकती है बाहर

खानपान में आए बदलाव के कारण लोग डायबिटीज और बैड कोलेस्ट्रॉल का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में इन गंभीर बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए आप सबसे पहले अपनी डाइट बदलें। इसकी शुरुआत आप इस हरी चटनी से भी कर सकते हैं।

भुने चने और हरी धनिया की चटनी

खानपान में आए बदलाव के कारण आजकल लोग डायबिटीज और बैड कोलेस्ट्रॉल का शिकार हो रहे हैं। दरअसल, बाहर का ऑयली खाना खाने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। तो वहीं, मीठा खाने से शुगर बढ़ने लगती है। ऐसे में इस वजह से मोटापा, हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और कई दूसरी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में इन गंभीर बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए आप सबसे पहले अपनी डाइट बदलें। इसकी शुरुआत आप इस हरी चटनी से भी कर सकते हैं। भुने हुए चने और हरी धनिया से बनी यह चटनी डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल को तेजी से कंट्रोल करती है। चलिए जानते हैं कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए कौन सी चटनी खानी चाहिए?

भुने चने और हरी धनिया की चटनी के लिए सामग्री:

2 मुट्ठी भुने चने, आधा कप धनिया, 12-15 पुदीने के पत्ते, 1 आंवला, 2 हरी मिर्च, अदरक का छोटा टुकड़ा, 2 लहसुन की कलियाँ, काला नमक, आधा चम्मच जीरा पाउडर 

भुने हुए चने में मौजूद फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके और दिल संबंधी बीमारियों के जोखिम को कम करके हृदय स्वास्थ्य को बेहतर करते हैं। साथ ही भुने चने का ग्लाइसेमिक इंडेक्स लो है। इसमें फाइबर और प्रोटीन ज्यादा होता है जिसकी वजह से चना खाने से शुगर लेवल नहीं बढ़ता है। धनिया पत्ती ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। 

भुने चने और हरी धनिया की चटनी कैसे बनाएं?

एक मिक्सर जार में एक मुट्ठी चना, एक कप हरी धनिया की पत्तियां, 12-15 पुदीने के पत्तियां, 1 आंवला, अदरक का छोटा टुकड़ा, 2 लहसुन की कलियाँ, आधा चम्मच जीरा पाउडर और काला नमक स्वाद अनुसार लें।अब इसमें आधा कप पानी डालें और एकदम बारीक पीस लें। स्वाद और सेहत से भरपूर चटनी तैयार है।

इन समस्याओं में भी है कारगर:

आप इस चटनी को चावल, चपाती के साथ मिला सकर खा सकते हैं या फिर खाने के बाद में 1 बड़ा चम्मच खा सकते हैं। आप इसे आसानी से एक हफ़्ते तक फ्रिज में रख सकते हैं। यह हरी चटनी सिर्फ शुर या कोलेस्ट्रॉल ही कंटोल नहीं करती बल्कि आपके मूड और नींद में सुधार करने में मदद करती है साथ ही थायराइड, पीसीओएस, थकान और बाल-झड़ने की समस्या को भी कम करती है।

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देशी खाना देशी रहना eat local and stay local

देशी खाना देशी रहना  eat local and stay local
    
बाजरा राजस्थान, मारवाड़ बारह मासी खाया जाने वाला अन्न, ज्यादातर सर्दी के मौसम में खाया जाने वाला अनाज है "बाजरा" पर इसकी उपयोगिता हम भूल चुके है। यदि आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ ले तो निश्चित ही 10 किलो बाजरा पीसवा ही लेंगे।

सर्दी की मौसम में इसकी रोटी सुबह व शाम को या खिचड़ी जरूर खानी चाहिये, बाजरा गर्मी के साथ साथ हमारी हड्डियों को भी मजबूती प्रदान करता है।।
ग्रामीण इलाकों में आज भी बाजरा से बनी रोटी और "चूरमा लड्डू" को ठंड में बहुत पसंद किया जाता है।।
बाजरा में मैग्नीशियम, कैल्शियम,मैग्नीज, ट्रिप्टोफेन,फास्फोरस, फाइबर (रेशा) विटामिन बी, एण्टी आक्सीडेण्ट आदि भरपूर मात्रा मे पाये जाते है।
बाजरा खाने से एनर्जी मिलती है,ये ऊर्जा का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है इसके अलावा अगर आप वजन घटाना चाह रहे हैं,तो भी बाजरा खाना आपके लिए फायदेमंद होगा।
बाजरा "कोलस्ट्रॉल" लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है,जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है, इसके अलावा ये मैग्नीशियम और पोटैशियम का भी अच्छा स्त्रोत है जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मददगार है।
बाजरे में भरपूर मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में सहायक हैं. बाजरा खाने से कब्ज की समस्या नहीं होती है।
कई अध्ययनों में कहा गया है कि, बाजरा "कैंसर" से बचाव में सहायक है,पर ये न केवल कैंसर से बचाव में सहायक है अपितु इसके नियमित सेवन से डायबिटीज का खतरा भी कम हो जाता है,तथा डायबिटीज के मरीजों को इसके नियमित सेवन की सलाह दी जाती है।
बाजरे की रोटी खाने वालों को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाले रोग "आस्टियोपोरोसिस" और खून की कमी यानी एनीमिया नहीं होता है,बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता है जो कि "हड्डियों" के लिए रामबाण औषधि है।
आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाले रोग नहीं हो सकते।
गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम और आयरन की जगह बाजरे की रोटी और खिचड़ी दी जाये तो इससे उनके बच्चों को जन्म से लेकर पांच साल की उम्र तक कैल्शियम और आयरन की कमी से होने वाले रोग नहीं होते।
इतना ही नहीं बाजरे का सेवन करने वाली महिलाओं में "प्रसव" में असामान्य पीड़ा के मामले भी न के बराबर पाए गए।
"गर्भवती" महिलाओं को कैल्शियम की गोलियां खाने की जगह रोज बाजरे की दो रोटी खानी चाहिए।
बाजरे की रोटी का स्वाद जितना अच्छा होता है,उससे अधिक उसमें गुण भी होते हैं,बाजरा खा कर अपने शरीर को स्वास्थ्य लाभ पहुचाये।
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टेक्नॉलॉजी ने जो दिया उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से दे रखा था Nature had already given us something better than what technology had given us.

टेक्नॉलॉजी ने जो दिया उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से दे रखा था  Nature had already given us something better than what technology had given us.

 

हमारे बुजर्ग हम से वैज्ञानिक रूप से बहुत आगे थे। थक हार कर वापिस उनकी ही राह पर आना पड़ रहा है।


1. मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक और फिर कैंसर के खौफ से दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ जाना।
2. अंगूठाछाप से दस्तखतों (Signatures) पर और फिर अंगूठाछाप (Thumb Scanning) पर आ जाना।
3. फटे हुए सादा कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों पर और फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना।
4. सूती से टैरीलीन, टैरीकॉट और फिर वापस सूती पर आ जाना।
5. जयादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना और फिर IIM MBA करके आर्गेनिक खेती पर पसीने बहाना।
6. क़ुदरती से प्रोसेसफ़ूड (Canned Food & packed juices) पर और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा क़ुदरती खानों पर आ जाना।
7. पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) पर और फिर आखिरकार जी भर जाने पर पुरानी (Antiques) पर उतरना।
8. बच्चों को इंफेक्शन से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर मिट्टी से खिलाना....
9. गाँव, जंगल, से डिस्को पब और चकाचौंध की और भागती हुई दुनियाँ की और से फिर मन की शाँति एवं स्वास्थ के लिये शहर से जँगल गाँव की ओर आना।
इससे ये निष्कर्ष निकलता है कि टेक्नॉलॉजी ने जो दिया उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से दे रखा था।
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अभ्यास का महत्त्व importance of practice

प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर ही पढ़ा करते थे।. बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल में भेजा जाता था। बच्चे गुरुकुल में गुरु के सानिध्य में आश्रम की देखभाल किया करते थे. और अध्ययन भी किया करते थे।वरदराज को भी सभी की तरह गुरुकुल भेज दिया गया। वहां आश्रम में अपने साथियों के साथ घुलने मिलने लगा।लेकिन वह पढ़ने में बहुत ही कमजोर था। गुरुजी की कोई भी बात उसके बहुत कम समझ में आती थी। इस कारण सभी के बीच वह उपहास का कारण बनता है।उसके सारे साथी अगली कक्षा में चले गए लेकिन वो आगे नहीं बढ़ पाया। 

अभ्यास का महत्त्व importance of practice

गुरुजी जी ने भी आखिर हार मानकर उसे बोला, “बेटा वरदराज! मैने सारे प्रयास करके देख लिये है। अब यही उचित होगा कि तुम यहां अपना समय बर्बाद मत करो। अपने घर चले जाओ और घरवालों की काम में मदद करो।”वरदराज ने भी सोचा कि शायद विद्या मेरी किस्मत में नहीं हैं। और भारी मन से गुरुकुल से घर के लिए निकल गया गया। दोपहर का समय था। रास्ते में उसे प्यास लगने लगी। इधर उधर देखने पर उसने पाया कि थोड़ी दूर पर ही कुछ महिलाएं कुएं से पानी भर रही थी। वह कुवे के पास गया।वहां पत्थरों पर रस्सी के आने जाने से निशान बने हुए थे,तो उसने महिलाओ से पूछा, “यह निशान आपने कैसे बनाएं। तो एक महिला ने जवाब दिया, “बेटे यह निशान हमने नहीं बनाएं। यह तो पानी खींचते समय इस कोमल रस्सी के बार बार आने जाने से ठोस पत्थर पर भी ऐसे निशान बन गए हैं।”वरदराज सोच में पड़ गया। उसने विचार किया कि जब एक कोमल से रस्सी के बार-बार आने जाने से एक ठोस पत्थर पर गहरे निशान बन सकते हैं तो निरंतर अभ्यास से में विद्या ग्रहण क्यों नहीं कर सकता। वरदराज ढेर सारे उत्साह के साथ वापस गुरुकुल आया और अथक कड़ी मेहनत की। गुरुजी ने भी खुश होकर भरपूर सहयोग किया। कुछ ही सालों बाद यही मंदबुद्धि बालक वरदराज आगे चलकर संस्कृत व्याकरण का महान विद्वान बना। जिसने लघुसिद्धान्‍तकौमुदी, मध्‍यसिद्धान्‍तकौमुदी, सारसिद्धान्‍तकौमुदी, गीर्वाणपदमंजरी की रचना की।

शिक्षा(Moral):

दोस्तो अभ्यास की शक्ति का तो कहना ही क्या हैं।. यह आपके हर सपने को पूरा करेगी। अभ्यास बहुत जरूरी है चाहे वो खेल मे हो या पढ़ाई में या किसी ओर चीज़ में। बिना अभ्यास के आप सफल नहीं हो सकते हो। अगर आप बिना अभ्यास के केवल किस्मत के भरोसे बैठे रहोगे, तो आखिर मैं आपको पछतावे के सिवा और कुछ हाथ नहीं लगेगा। इसलिए अभ्यास के साथ धैर्य, परिश्रम और लगन रखकर आप अपनी मंजिल को पाने के लिए जुट जाए।

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सफलता का रहस्य - सुकरात Secret of Success - Socrates

 एक बार एक व्यक्ति ने महान Philosopher सुकरात से पूछा कि “सफलता का रहस्य क्या है?” – What is the #secret_of _success ? 

सफलता का रहस्य - सुकरात Secret of Success - Socrates
सुकरात ने उस इंसान को कहा कि वह कल सुबह नदी के पास मिले, वही पर उसे अपने प्रश्न का जवाब मिलेगा। 

जब दूसरे दिन सुबह वह व्यक्ति नदी के पास मिला तो सुकरात ने उसको नदी में उतरकर, नदी गहराई की गहराई मापने के लिए कहा। 

वह व्यक्ति नदी में उतरकर आगे की तरफ जाने लगा| जैसे ही पानी उस व्यक्ति के नाक तक पहुंचा, पीछे से सुकरात ने आकर अचानक से उसका मुंह पानी में डुबो दिया। वह व्यक्ति बाहर निकलने के लिए झटपटाने लगा, कोशिश करने लगा लेकिन सुकरात थोड़े ज्यादा Strong थे। सुकरात ने उसे काफी देर तक पानी में डुबोए रखा। 

कुछ समय बाद सुकरात ने उसे छोड़ दिया और उस व्यक्ति ने जल्दी से अपना मुंह पानी से बाहर निकालकर जल्दी जल्दी साँस ली। 

सुकरात ने उस व्यक्ति से पूछा – “जब तुम पानी में थे तो तुम क्या चाहते थे?” व्यक्ति ने कहा – “जल्दी से बाहर निकलकर सांस लेना चाहता था।”

सुकरात ने कहा – “यही तुम्हारे प्रश्न का उतर है। जब तुम सफलता को उतनी ही तीव्र इच्छा से चाहोगे जितनी तीव्र इच्छा से तुम सांस लेना चाहते है, तो तुम्हे सफलता निश्चित रूप से मिल जाएगी।”

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नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...