भीड़ ही भीड़ है, शहर हो या गांव,
संसाधन सिमटे हैं, घट रही है छांव।
ना रोजगार बचा है, ना सांसें सस्ती हैं,
जनसंख्या विस्फोट से, विकास नहीं विनाश होगा
हर अस्पताल लाइन में, टूटी उम्मीदें हैं,
स्कूलों में शिक्षा से ज़्यादा, होते अपराध हैं।
राशन कम है, ज़मीन सिकुड़ती जाती है,
औरतें बिन इलाज, सड़कों पर जनती जाती हैं।
सड़कों पर ट्रैफिक, घरों में तंगी,
हर परिवार में चिंता, हर युवा में बेरोजगारी।
आज की भीड़ कल की बर्बादी है,
जनसंख्या विस्फोट, ये आत्मघाती तैयारी है।
🗣️
जनसंख्या नियंत्रण नहीं तो,
विकास नहीं, विनाश होगा,
विभाजनकारी बढ़ता वोट, देश को खतरा है।
जनसंख्या पर अगर, न लगा लगाम,
तो देश बनेगा, सिर्फ़ एक संघर्ष का नाम।
अगर आज न चेते, तो कल जल भी नहीं मिलेगा,
रोटी होगी सोने जैसी, पर पेट कभी नहीं भरेगा।
ध्यान रहे, — जनसंख्या बढ़ाना, ही गुलामी का जाल है,
जहाँ भी भीड़ बढ़ी है, वहाँ न्याय भी शर्मसार है।
👁️ तीन से अधिक संतान वाले को मिले सख्त दंड:
❌ ना वोट का अधिकार,
❌ ना चुनाव में हिस्सा,
❌ ना शासन में पद,
❌ ना सरकारी लाभ या सिफ़ारिश का किस्सा।
ये नियम हो नीचे से ऊपर तक, नेता भी अपवाद ना हो,
वरना जनता पर कानून और नेता पर छूट, — ये लोकतंत्र का अपमान होगा।
🗣️ जनसंख्या नियंत्रण नहीं तो, विकास नहीं, विनाश होगा,
जिम्मेदार कानून चाहिए, नारे नहीं — अब बदलाव होगा।
संविधान में जुड़ी हो, नीति दो बच्चों की सख्ती ,
न हो कोई डर, न हो कोई समानता विरोधी राजनीति ।
अब भी समय है —
छोटा परिवार, सुरक्षित भविष्य, शिक्षित समाज,
सभी के लिए हो भोजन, जल, जीवन और सम्मान का राज।
देश को चाहिए आबादी नहीं,
देश को चाहिए न्याय, विकास और नीति,
जनसंख्या नियंत्रण ही राष्ट्र का सुरक्षा कवच है,
इससे भी पहले समानता और देश विरोधी को,
राजनीती और देश की सेवाओं से, बाहर करना जरुरी है?
"यदि किसी के दो से अधिक संतान हों, तो उसे आजीवन मतदान, चुनाव, शासन, प्रशासन और राजनीति से वंचित किया जाए — और यह नियम नेता से लेकर आम नागरिक तक सभी पर समान रूप से लागू हो। यही आज के भारत की सबसे जरूरी जरूरत है।"