www.goswamirishta.com
यदि आप अपने जीवन में कुछ परिवर्तन करना चाहते है तो ऐसा नियमित रूप से करेगे तो इससे आप का भाग्
य और समय धीरे धीरे परिवर्तन होने लगेगा ....कार्तिक महिना का पावन पर्व चल रहा है इस महीने में ब्रह्म बेला में उठ कर इश्वर का नाम , ध्यान , योग और पूजा करने से अकस्मात् लाभ होता है
1. सूर्योदय से पूर्व ब्रह्मा बेला में उठे , और अपने दोनों हांथो की हंथेली को रगरे और हंथेली को देख कर अपने मुंह पर फेरे, क्योंकि :- शास्त्रों में कहा गया है की कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती । करमूले स्थिता गौरी, मंगलं करदर्शनम् ॥
हमारे हाथ के अग्र भाग में लक्ष्मी, तथा हाथ के मूल मे सरस्वती का वास है अर्थात भगवान ने हमारे हाथों में इतनी ताकत दे रखी है,ज़िसके बल पर हम धन अर्थात लक्ष्मी अर्जित करतें हैं। जिसके बल पर हम विद्या सरस्वती प्राप्त करतें हैं।इतना ही नहीं सरस्वती तथा लक्ष्मी जो हम अर्जित करते हैं, उनका समन्वय स्थापित करने के लिए प्रभू स्वयं हाथ के मध्य में बैठे हैं। ऐसे में क्यों न सुबह अपनें हाथ के दर्शन कर प्रभू की दी हुई ताकत का अहसास करते हुए तथा प्रभू के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए दिन की अच्छी शुरूवात करें।
2.मल , मूत्र , दातुन (मंजन) , भोजन करते समय मौन ( शांत ) रहे
3- . योग और प्राणायाम को नियमित जीवनचर्या में शामिल करे ,ऐसा करने से शरीर हमेशा निरोग रहता है,
4. . प्रातः अपने माता पिता गुरुजनों और अपने से बड़ों का आशीर्वाद ले , ऋषियों ने कहा है की जो भी माता बहन या भाई बंधू अपने घरों में रोज अपने से बड़ो या पति , सास -ससुर का रोज आशीर्वाद लेते है उनके घर में कभी अशांति नहीं आती है या कभी भी तलाक या महामरी नहीं हो टी है इशलिये अपने से बड़ो की इज्जत करें और उनका आशीर्वाद लें .
5 तिलक किये बिना और अपने सर को बिना ढके पूजा पाठ और पित्रकर्म या कोई भी शुभ कार्य न करें, जहाँ तक हो सके तिलक जरुर करें,
6. रोज नहा धोकर अपने शारीर को स्वक्ष करें , साफ वस्त्र पहने , गुरु और इश्वर का चिंतन करते हुए अपने काम को इश्वर की सेवा करते हुए करें, कुछ भी खाने पिने से पहले गाय, कुत्ता और कौवा का भोजन जरुर निकले, इश्को करने से आप के घर में अन्ना का भंडार हमेशा भरा रहेगा.
7.सोते समय अपना सिरहाना (सर ) दक्षिण दिशा की ओर रखने से धन व आयु की बढ़ोत्तरी होती है।उत्तर की ओर सिरहाना रखने से आयु की हानि होतीहै
8. कभी भी बीम या शहतीर के नीचे न बैठें और न ही सोयें । इससे देह पीड़ा या सिर दर्द होता है ।
9. अपने घर में तुलशी का पौधा लगायें ,
10-घर में पोछा लगाते समय पानी में नमक या सेंधा नमक डाल लें । घर में झाडू व पोंछा खुले स्थान पर न रखें ।
11-घर में टूटे-फूटे बतरन, टूटा दर्पण ( शीशा ), टूटी चारपाई या बैड न रखें । इनमें दरिद्रता का वास होता है।
12-यदि घर में कोइ घडी ठीक से नहीं चल रही हैं तो उन्हें ठीक करा लें ।बंद घड़ी गृहस्वामी के भाग्य को कम करती है ।
13-पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करने से आयु, दक्षिण की ओर मुंह करके भोजन करने से प्रेत, पश्चिम की ओर मुंह करके भोजन करने से रोग व उत्तर की ओर मुंह करके भोजन करने से धन व आयु की प्राप्ति होती है ।
14- परोपकार का पालन करें, असहाय , गरीब और पशुओं और पर्यावरण की रक्षा करें
15- अपने धर्मं की रक्षा करें, मानव समाज की रक्षा करें, अपने देश और जन्मभूमि की रक्षा करें ,
16-मन वाणी और कर्म से सदाचार का पालन करें .
17- प्यार ही जीवन है खुद भी जियो और दूसरों को भी जीने दो
यदि आप अपने जीवन में कुछ परिवर्तन करना चाहते है तो ऐसा नियमित रूप से करेगे तो इससे आप का भाग्
य और समय धीरे धीरे परिवर्तन होने लगेगा ....कार्तिक महिना का पावन पर्व चल रहा है इस महीने में ब्रह्म बेला में उठ कर इश्वर का नाम , ध्यान , योग और पूजा करने से अकस्मात् लाभ होता है
1. सूर्योदय से पूर्व ब्रह्मा बेला में उठे , और अपने दोनों हांथो की हंथेली को रगरे और हंथेली को देख कर अपने मुंह पर फेरे, क्योंकि :- शास्त्रों में कहा गया है की कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती । करमूले स्थिता गौरी, मंगलं करदर्शनम् ॥
हमारे हाथ के अग्र भाग में लक्ष्मी, तथा हाथ के मूल मे सरस्वती का वास है अर्थात भगवान ने हमारे हाथों में इतनी ताकत दे रखी है,ज़िसके बल पर हम धन अर्थात लक्ष्मी अर्जित करतें हैं। जिसके बल पर हम विद्या सरस्वती प्राप्त करतें हैं।इतना ही नहीं सरस्वती तथा लक्ष्मी जो हम अर्जित करते हैं, उनका समन्वय स्थापित करने के लिए प्रभू स्वयं हाथ के मध्य में बैठे हैं। ऐसे में क्यों न सुबह अपनें हाथ के दर्शन कर प्रभू की दी हुई ताकत का अहसास करते हुए तथा प्रभू के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए दिन की अच्छी शुरूवात करें।
2.मल , मूत्र , दातुन (मंजन) , भोजन करते समय मौन ( शांत ) रहे
3- . योग और प्राणायाम को नियमित जीवनचर्या में शामिल करे ,ऐसा करने से शरीर हमेशा निरोग रहता है,
4. . प्रातः अपने माता पिता गुरुजनों और अपने से बड़ों का आशीर्वाद ले , ऋषियों ने कहा है की जो भी माता बहन या भाई बंधू अपने घरों में रोज अपने से बड़ो या पति , सास -ससुर का रोज आशीर्वाद लेते है उनके घर में कभी अशांति नहीं आती है या कभी भी तलाक या महामरी नहीं हो टी है इशलिये अपने से बड़ो की इज्जत करें और उनका आशीर्वाद लें .
5 तिलक किये बिना और अपने सर को बिना ढके पूजा पाठ और पित्रकर्म या कोई भी शुभ कार्य न करें, जहाँ तक हो सके तिलक जरुर करें,
6. रोज नहा धोकर अपने शारीर को स्वक्ष करें , साफ वस्त्र पहने , गुरु और इश्वर का चिंतन करते हुए अपने काम को इश्वर की सेवा करते हुए करें, कुछ भी खाने पिने से पहले गाय, कुत्ता और कौवा का भोजन जरुर निकले, इश्को करने से आप के घर में अन्ना का भंडार हमेशा भरा रहेगा.
7.सोते समय अपना सिरहाना (सर ) दक्षिण दिशा की ओर रखने से धन व आयु की बढ़ोत्तरी होती है।उत्तर की ओर सिरहाना रखने से आयु की हानि होतीहै
8. कभी भी बीम या शहतीर के नीचे न बैठें और न ही सोयें । इससे देह पीड़ा या सिर दर्द होता है ।
9. अपने घर में तुलशी का पौधा लगायें ,
10-घर में पोछा लगाते समय पानी में नमक या सेंधा नमक डाल लें । घर में झाडू व पोंछा खुले स्थान पर न रखें ।
11-घर में टूटे-फूटे बतरन, टूटा दर्पण ( शीशा ), टूटी चारपाई या बैड न रखें । इनमें दरिद्रता का वास होता है।
12-यदि घर में कोइ घडी ठीक से नहीं चल रही हैं तो उन्हें ठीक करा लें ।बंद घड़ी गृहस्वामी के भाग्य को कम करती है ।
13-पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करने से आयु, दक्षिण की ओर मुंह करके भोजन करने से प्रेत, पश्चिम की ओर मुंह करके भोजन करने से रोग व उत्तर की ओर मुंह करके भोजन करने से धन व आयु की प्राप्ति होती है ।
14- परोपकार का पालन करें, असहाय , गरीब और पशुओं और पर्यावरण की रक्षा करें
15- अपने धर्मं की रक्षा करें, मानव समाज की रक्षा करें, अपने देश और जन्मभूमि की रक्षा करें ,
16-मन वाणी और कर्म से सदाचार का पालन करें .
17- प्यार ही जीवन है खुद भी जियो और दूसरों को भी जीने दो