विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
बालों का झड़ना रोकने के लिए तांबे के बर्तन में गाय के दूध के दही को रखे। 5-6 दिन बाद उस दही को बालों की जड़ों में लगाए। दो घंटे बाद आंवला-शिकाकाई के पानी से उसको धो लें। बालों का झड़ना हमेशा के लिए रोकने के लिए पानी में गोमूत्र मिला कर बाल धोए। बाल मजबूत, घने, मुलायम एवं चमकदार हो जाऐंगे।
महान आयुर्वैदाचार्य वागभट्ट जी कहते है कि पिसा गेंहू का हुआ आटा 15 दिन से पुराना नही खाना चाहिए, जवार बाजरा चने का आटा 7 दिन पुराना न खाए क्यो कि इसके बाद इसमें पोष्ण कम होने लगता है, इसलिए भारत में चक्की है जो आपको ताजा आटा और स्वास्थय देती है, आप जो बाजार से आटा पिसवाते है या बाजार का लाते है वो बिजली की चक्की पर पिसता है जो बहुत तेजी से पिसता है जिस्से गर्मी की वजह से काफ़ी पोषक तत्व नष्ट हो जाते है, राजीव भाई ने एक रिसर्च किया चक्की पर अपने एक आयुर्वैदिक वैध मित्र के साथ मिलकर, उन्होने देखा जो माताए बहने चक्की चलाती है उन्हे कभी भी आप्रेशन से डिलवरी की जरूरत नही पडी और उन्हे कभी घुटनो का दर्द नही हुआ, पैरो का दर्द नही, मोटापा नही है
इसका कारण ये है कि जब हम चक्की चलाते है तो सारा दबाव आपके पेट पर पडता है जिससे महिलाओ के गर्भाश्य का व्यायाम होता रहता है जिस्से इसकी मुलायमियत (flexibility) बढ जाती है जिस्से डिलवरी आसानी से होती है बिना आप्रेशन बिना दर्द के, आपने सुना ही होगा कि कई साल पहले आपकी दादी नानी के जमाने में 8-10 बच्चे होते थे और गांव की दाई के द्वारा बिना आप्रेशन के *मासिक धर्म बंद होने के समय जो मुश्किले महिलाओ को आती है उसका उपचार चक्की चलाने से अपने आप हो जाता है *आयुर्वैद के अनुसार गर्भवती महिला 7वें महिने तक चक्की चला सकती है पर उसके बाद नही
आपको शायद ये भी पता होगा जो बच्चे आप्रेशन से हो रहे है वो ज्यादा बीमार रह रहे है सामान्य बच्चो से, इसलिए आप अगर ताजा आटा खाकर स्वस्थ रहना चाहते है तो अपने घर चक्की ले आए जिस्से आपको स्वस्थय लाभ होगा, घर में माताओ बहनो को लाभ होगा, बीमारिया दूर होगी
हाथ की चक्की का महत्त्व एव लाभ ::
- आज मशीनीकरण ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाला है। - सुबह सुबह योग करते हुए हम आटा चक्की चलाने की सिर्फ एक्टिंग करते है और पेट , कमर की चर्बी कम होती है. दिल स्वस्थ रहता है. - क्या ही अच्छा हो अगर ये एक्टिंग ना हो कर असली चक्की हो तो उस कसरत से हमें ताज़ा आटा भी मिल जाएगा ! - पहले गांवों में विवाह-शादी के दौरान भी आस-पास के घरों में एक-एक मण गेहूं पीसने के लिए दे दिया जाता था. - कभी पूरे परिवार का आटा पीसने वाली चक्की अब कुछेक घर में महज शो पीस व सिर्फ मसाला आदि पीसने के काम आ रही है. - इससे महिलाओ के गर्भाश्य का व्यायाम होता रहता है डिलवरी आसानी से होती है बिना आप्रेशन बिना दर्द के - कई घरों में तो हाथ की चक्की है ही नहीं.तो आज ही ले आइये.खादी ग्रामोद्योग में यह मिल सकती है . इससे चक्की बनाने वालों को रोज़गार मिलेगा. - चक्की लेते वक़्त ज़्यादा मोल भाव ना करे. गरीब व्यक्ति को दान योग्य दान है जिसका लाभ मिलेगा. - महिलाओं द्वारा आटा पीसने से शारीरिक कसरत भी जबरदस्त होती थी, जिससे पुराने जमाने की महिलाओं का स्वास्थ्य बनिस्बत आधुनिक महिलाओं की तुलना में बेहरत है. आज विशेष तौर से नई पीढ़ी की अधिकांश महिलाएं कुंठा, तनाव सहित पेट की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित है.इसका मुख्य कारण उनकी दिनचर्या अव्यवस्थित होना व शारीरिक श्रम नहीं होना है. - पुरुष भी अगर बढे हुए पेट को कम करना चाहते है तो हाथ की चक्की पर रोज़ थोड़ा आटा पिसे. आप अगर रोजाना 15-20 मिण्ट चक्की चला लेते है तो 3 महीने में आपका वजन कम हो जाएगा, पेट अन्दर चला जाएगा - ताजे पिसे हुए आटे में स्वास्थ्य से जुड़े फायदे तो मिलते ही हैं, इसका स्वाद व सुंगध भी बरकरार रहते हैं. - शुद्धता के मामले में घरेलू आटा चक्की का आटा शत प्रतिशत खरा होता है। - इसके बने आटे में शरीर के लिए पोषण संबंधी सभी आवश्यक तत्व मौजूद रहते हैं। वैसे शरीर को अपना काम करने के लिए 49 पोषक तत्वों की रोजाना आवश्यकता होती है। सबसे बड़ी बात यह कि जब जरूरत हो तब आटा पीस लें। - सबसे बड़ा फायदा यह कि फसल के मौसम में पूरे साल के लिए अनाज खरीद लें, जो सस्ता भी पड़ेगा और पूरे साल शुद्ध ताजे आटे की रोटियां का मजा लेंगे। - हाथ कि चक्की से हाथ से पिसे गए अनाज में चोकर ज्यादा रहता था लेकिन आजकल बिजली की चक्की से पिसे अनाज का आटा उपयोग में लिया जाता है, जो बहुत बारीक़ पिसा जाता है. - ताजा आटा विटामिन बी और विटामिन ई से भरपूर होता है। - घर पर पिसे आटे की रोटियों का आनंद ही कुछ और होता है। इससे परिवार की सेहत के साथ-साथ आत्मसंतुष्टि भी प्राप्त हो रही है. - मशीन चक्की से अनाज का हीर हट जाता है अर्थात उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है।, जिससे आज की तमाम युवा पीढ़ी कमजोर होती जा रही है. -वैसे भी चक्की को घर में रखना शुभ माना जाता है, इससे घर के वास्तुदोष भी कम होते है...
धर्म के नजरिए से माता-पिता की भावनाएं संतान के लिए गहरी और
नि:स्वार्थ होती है। हालांकि आज के दौर में कई अवसरों पर माता-पिता और संतान के बीच अपेक्षा या महत्वाकांक्षा के चलते रिश्तों में तनाव व मनमुटाव भी देखा जाता है। लेकिन सच यही है कि माता-पिता और संतान के बीच रिश्तों का अटूट बंधन होता है।
यही वजह है कि हर माता-पिता भी पुत्र हो या पुत्री दोनों के सुख, सुविधा और तरक्की की चाहत रखते हैं। इसके लिए वह जीवन भर हरसंभव कोशिश करते हैं, लेकिन अगर इस संबंध में धार्मिक उपायों की बात करें तो शास्त्रों में कुछ ऐसे सरल मंत्र बताए गए हैं, जिनका नियमित रूप से कुछ देर के लिए ध्यान संतान को तन, मन और धन सभी परेशानियों से बचाता है। खासतौर पर वर्तमान में चल रहे विष्णु भक्ति के काल वैशाख माह (25 मई तक) में।
यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान है, जिनका चरित्र माता-पिता और संतान के रिश्तों के लिए भी आदर्श है। साथ ही वह हर संकट से रक्षा करने वाले देवता के रूप में पूजनीय है। जानिए यह सरल मंत्र -
- बालकृष्ण की गंध, अक्षत, फूल अर्पित कर पूजा करें और खासतौर पर मक्खन का भोग लगाएं। पूजा के बाद इस मंत्र का जप करें -
धर्म के नजरिए से माता-पिता की भावनाएं संतान के लिए गहरी और नि:स्वार्थ होती है। हालांकि आज के दौर में कई अवसरों पर माता-पिता और संतान के बीच अपेक्षा या महत्वाकांक्षा के चलते रिश्तों में तनाव व मनमुटाव भी देखा जाता है। लेकिन सच यही है कि माता-पिता और संतान के बीच रिश्तों का अटूट बंधन होता है।
यही वजह है कि हर माता-पिता भी पुत्र हो या पुत्री दोनों के सुख, सुविधा और तरक्की की चाहत रखते हैं। इसके लिए वह जीवन भर हरसंभव कोशिश करते हैं, लेकिन अगर इस संबंध में धार्मिक उपायों की बात करें तो शास्त्रों में कुछ ऐसे सरल मंत्र बताए गए हैं, जिनका नियमित रूप से कुछ देर के लिए ध्यान संतान को तन, मन और धन सभी परेशानियों से बचाता है। खासतौर पर वर्तमान में चल रहे विष्णु भक्ति के काल वैशाख माह (25 मई तक) में।
यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान है, जिनका चरित्र माता-पिता और संतान के रिश्तों के लिए भी आदर्श है। साथ ही वह हर संकट से रक्षा करने वाले देवता के रूप में पूजनीय है। जानिए यह सरल मंत्र -
- बालकृष्ण की गंध, अक्षत, फूल अर्पित कर पूजा करें और खासतौर पर मक्खन का भोग लगाएं। पूजा के बाद इस मंत्र का जप करें -
श्रीहनुमान रुद्र के ग्यारहवें अवतार माने गए हैं। रुद्र यानी दु:खों का नाश करने वाले देवता। शिव का यह रूप कल्याणकारी माना गया है। शास्त्र भी कहते हैं कि शिव ही परब्रह्म है, जो अलग-अलग रूपों में जगत की रचना, पालन और संहार शक्तियों का नियंत्रण करते हैं । शिव के प्रति इस भाव व आस्था से ही श्रीहनुमान की पूजा भी दोष, कष्ट, बाधाओं व घर-परिवार पर अचानक आए संकट को टालने वाली मानी गई है। ऐसी ही मंगल की कामना से चैत्र शुक्ल पूर्णिमा यानी हनुमान जयंती के अलावा परिवार, काम या कारोबार पर अचानक आए संकट को टालने के लिए हनुमान पूजा के लिए यहां बताया जा रहा अचूक उपाय अपनाए एक ऐसा, जो न केवल आसान है, बल्कि संकटमोचक भी है। यह उपाय है - तेल का दीप लगाकर मंत्र विशेष का ध्यान।
श्रीहनुमानजी की पूजा सिंदूर, अक्षत, फूल अर्पित करें और धूप व दीप से पूजा करें। - पूजा में सरसों या तिल के तेल का दीप लगाएं। दीपक लगाते वक्त यह दीप मंत्र बोलें - साज्यं च वर्तिसं युक्त वह्निना योजितं मया। दीपं गृहन्तु देवेशास्त्रैलौक्यतिमिरापहम्।। - दीप लगाने के बाद इस हनुमान मंत्र का यथाशक्ति जप करने के बाद इस दीप से आरती करें - ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् - आरती के बाद मंत्र जप, पूजा या आरती में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे और अनिष्ट शांति की कामना करें।
www.goswamirishta.com "The spiritual path is rugged, thorny, and precipitous. The thorns must be weeded out with patience and perseverance. Some of the thorns are internal; some are external. Lust, greed, wrath, delusion, vanity, etc., are the internal thorns. Company with the evil-minded persons is the worst of all the external thorns. Therefore, shun ruthlessly evil company." swami sivananda
This is the one truth about God: He is infinite love, immeasurable love, boundless love, that does not know barriers of time and space swami chidananda.
Chant the Maha Mantra Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare BE HAPPY
भगवान श्रीकृष्ण ‘लीलाधर’ पुकारे जाते हैं। श्रीकृष्ण ने हर लीला के जरिए अधर्म को सहन करने की आदत से सभी के दबे व सोए आत्मविश्वास और पराक्रम को जगाया। भगवान होकर भी श्रीकृष्ण का सांसारिक जीव के रूप में लीलाएं करने के पीछे मकसद उन आदर्शों को स्थापित करना ही था, जिनको साधारण इंसान देख, समझ व अपनाकर खुद की शक्तियों को पहचाने और ज़िंदगी को सही दिशा व सोच के साथ सफल बनाए। इसी कड़ी में श्रीकृष्ण का सांसारिक धर्म का पालन कर, गुरुकुल जाना, वहां अद्भुत 64 कलाओं व विद्याओं को सीखने के पीछे भी असल में, गुरुसेवा व ज्ञान की अहमियत दुनिया के सामने उजागर करने की ही एक लीला थी। यह इस बात से भी जाहिर होता है कि साक्षात जगतपालक के अवतार होने से श्रीकृष्ण स्वयं ही सारे गुण, ज्ञान व शक्तियों के स्त्रोत थे। इस बात को भागवतपुराण में कुछ इस तरह उजागर भी किया गया है – प्रभवौ सर्वविद्यानां सर्वज्ञौ जगदीश्वरौ। नान्यसिद्धामलज्ञानं गूहमानौ नरेहितैः।। यानी श्रीकृष्ण और बलराम ही जगत के स्वामी हैं। सारी विद्याएं व ज्ञान उनसे ही निकला है और स्वयंसिद्ध है। फिर भी उन दोनों ने मनुष्य की तरह बने रहकर उन्हें छुपाए रखा।
दरअसल, किताबी ज्ञान से कोई भी व्यक्ति भरपूर पैसा और मान-सम्मान तो बटोर सकता है, किंतु मन की शांति भी मिल जाए, यह जरूरी नहीं। शांति के लिए अहम है – सेवा। क्योंकि खुद की कोशिशों से बटोरा ज्ञान अहंकार पैदा कर सकता है व अधूरापन भी। किंतु सेवा से, वह भी गुरु सेवा से पाया ज्ञान इन दोषों से बचाने के साथ संपूर्ण, विनम्र व यशस्वी बना देता है। श्रीकृष्ण व बलराम ने भी अंवतीपुर (आज के दौर का उज्जैन) नगरी में गुरु सांदीपनी से केवल 64 दिनों में ही गुरु सेवा व कृपा से ऐसी 64 कलाओं में दक्षता हासिल की, जो न केवल कुरुक्षेत्र के महायुद्ध में बड़े-बड़े सूरमाओं को पस्त करने का जरिया बनी, बल्कि गुरु से मिले इन कलाओं और ज्ञान के अक्षय व नवीन रहने का आशार्वाद श्रीमद्भगवद्गगीता के रूप में आज भी जगतगुरु श्रीकृष्ण के साक्षात ज्ञानस्वरूप के दर्शन कराता है और हर युग में जीने की कला भी उजागर करने वाला विलक्षण धर्मग्रंथ है। गुरु सांदीपनि ने श्रीकृष्ण व बलराम को सारे वेद, उनका गूढ़ रहस्य बताने वाले शास्त्र, उपनिषद, मंत्र व देवाताओं से जुड़ा ज्ञान, धनुर्वेद, मनुस्मृति सहित सारे धर्मशास्त्रों, तर्क विद्या या न्यायशास्त्र का ज्ञान दिया। संधि, विग्रह, यान, आसन, द्वैध व आश्रय जैसे 6 रहस्यों वाली राजनीति भी सिखाई। यही नहीं, दोनों भाइयों ने केवल गुरु के 1 बार बोलनेभर से ही 64 दिन-रात में 64 अद्भुत कलाओं को भी सीख लिया।
1- नृत्य – नाचना 2- वाद्य- तरह-तरह के बाजे बजाना 3- गानविद्या – गायकी। 4- नाट्य – तरह-तरह के हाव-भाव व अभिनय 5- इंद्रजाल-जादूगरी 6- नाटक आख्यायिका आदि की रचना करना 7- सुगंधित चीजें- इत्र, तैल आदि बनाना 8- फूलों के आभूषणों से श्रृंगार करना 9- बेताल आदि को वश में रखने की विद्या 10- बच्चों के खेल 11- विजय प्राप्त कराने वाली विद्या 12- मन्त्रविद्या 13- शकुन-अपशकुन जानना, प्रश्नों उत्तर में शुभाशुभ बतलाना 14- रत्नों को नाना प्रकार के आकारों में काटना 15- नाना प्रकार के मातृकायन्त्र बनाना 16- सांकेतिक भाषा बनाना 17- जल को बांध देना। 18- बेल-बूटे बनाना 19- चावल और फूलों से पूजा के उपहार की रचना करना। ( देव पूजन या अन्य शुभ मौकों पर कई रंगों से रंगे चावल, जौ आदि चीजों और फूलों को तरह-तरह से सजाना ) 20- फूलों की सेज बनाना 21- तोता-मैना आदि की बोलियां बोलना – इस कला के जरिए तोता-मैना की तरह बोलना या उनको बोल सिखाए जाते हैं। 22- वृक्षों की चिकित्सा 23- भेड़, मुर्गा, बटेर आदि को लड़ाने की रीति 24- उच्चाटन की विधि 25- घर आदि बनाने की कारीगरी 26- गलीचे, दरी आदि बनाना 27- बढ़ई की कारीगरी 28- पट्टी, बेंत, बाण आदि बनाना यानी आसन, कुर्सी, पलंग आदि को बेंत आदि चीजों से बनाना। 29- तरह-तरह खाने की चीजें बनाना यानी कई तरह सब्जी, रस, मीठे पकवान, कड़ी आदि बनाने की कला। 30- हाथ की फुर्ती कें काम 31- चाहे जैसा वेष धारण कर लेना 32- तरह-तरह पीने के पदार्थ बनाना 33- द्यू्त क्रीड़ा 34- समस्त छन्दों का ज्ञान 35- वस्त्रों को छिपाने या बदलने की विद्या 36- दूर के मनुष्य या वस्तुओं का आकर्षण 37- कपड़े और गहने बनाना 38- हार-माला आदि बनाना 39- विचित्र सिद्धियां दिखलाना यानी ऐसे मंत्रों का प्रयोग या फिर जड़ी-बुटियों को मिलाकर ऐसी चीजें या औषधि बनाना जिससे शत्रु कमजोर हो या नुकसान उठाए। 40-कान और चोटी के फूलों के गहने बनाना – स्त्रियों की चोटी पर सजाने के लिए गहनों का रूप देकर फूलों को गूंथना। 41- कठपुतली बनाना, नाचना 42- प्रतिमा आदि बनाना 43- पहली 44- सूई का काम यानी कपड़ों की सिलाई, रफू, कसीदाकारी व मोजे, बनियान या कच्छे बुनना। 45 - बालों की सफाई का कौशल 46- मुट्ठी की चीज या मनकी बात बता देना 47- कई देशों की भाषा का ज्ञान 48 - म्लेच्छ-काव्यों का समझ लेना – ऐसे संकेतों को लिखने व समझने की कला जो उसे जाननेवाला ही समझ सके। 49 - सोने, चांदी आदि धातु तथा हीरे-पन्ने आदि रत्नों की परीक्षा 50 - सोना-चांदी आदि बना लेना 51 - मणियों के रंग को पहचानना 52- खानों की पहचान 53- चित्रकारी 54- दांत, वस्त्र और अंगों को रंगना 55- शय्या-रचना 56- मणियों की फर्श बनाना यानी घर के फर्श के कुछ हिस्से में मोती, रत्नों से जड़ना। 57- कूटनीति 58- ग्रंथों के पढ़ाने की चातुरी 59- नयी-नयी बातें निकालना 60- समस्यापूर्ति करना 61- समस्त कोशों का ज्ञान 62- मन में कटक रचना करना यानी किसी श्लोक आदि में छूटे पद या चरण को मन से पूरा करना। 63-छल से काम निकालना 64- कानों के पत्तों की रचना करना यानी शंख, हाथीदांत सहित कई तरह के कान के गहने तैयार करना।
www.goswamirishta.com रेलवे ने बदला नियम, अब 2 महीना पहले तक का ही रिजर्वेशन
अब आप 4 महीना पहले ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं करा पाएंगे। रेलवे ने अडवांस रिजर्वेशन के लिए नया नियम बना दिया है। नए नियम के मुताबिक अब 2 महीना पहले ही रिजर्वेशन हो सकेगा। नया नियम 1 मई से लागू होगा। रेलवे ने रेल टिकट के रिजर्वेशन में बढ़ती कालाबाजारी को रोकने के लिए कड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को इस मामले में एक अहम फैसला लिया गया। अब इस फैसले के तहत यात्रा की तारीख से अधिकतम 60 दिन (2 महीने) पहले रेल टिकट का रिजर्वेशन करवाया जा सकेगा। अभी 4 महीने पहले रिजर्वेशन करवाने की सुविधा है।
वह गुफा, जहां हनुमान का जन्म हुआ था। इतिहास के मिथकीय साक्ष्य भी इतिहास के तथ्यों को समझने में सहायक रहे हैं। इन्हीं में से एक हनमानजी के जन्मस्थल से भी जुड़ी कहानी है। नवसारी (गुजरात) स्थित डांग जिला रामायण काल में दंडकारण्य प्रदेश के रूप में पहचाना जाता था। डांग जिले के आदिवासियों की हमेशा से यह मान्यता रही है कि भगवान राम वनवास के दौरान पंचवटी की ओर जाते समय डांग प्रदेश से गुजरे थे। डांग जिले के सुबिर के पास भगवान राम और लक्ष्मण को शबरी माता ने बेर खिलाए थे। आज यह स्थल शबरी धाम नाम से जाना जाता है। शबरी धाम से लगभग 7 किमी की दूरी पर पूर्णा नदी पर स्थित पंपा सरोवर है। यहीं मातंग ऋषि का आश्रम था। डांग जिले के आदिवासियों की सबसे प्रबल मान्यता यह भी है कि डांग जिले के अंजनी पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में ही हनुमानजी का भी जन्म हुआ था। कहा जाता है कि अंजनी माता ने अंजनी पर्वत पर ही कठोर तपस्या की थी और इसी तपस्या के फलस्वरूप उन्हें पुत्र रत्न यानी हनुमान जी की प्राप्ति हुई थी। माता अंजनी ने अंजनी गुफा में ही हनुमानजी को जन्म दिया था ।यही है वह स्थान, परंपरागत मान्यता के अनुसार हनुमान जी ने जन्म लिया था। डांग जिले का हरेक व्यक्ति हनुमानजी का भक्त है। अंजनी पर्वत की तलहटी में ही अंजनकुंड गांव बसा हुआ है। इसके अलावा अंजनी पर्वत के बारे में यह भी कहा जाता है कि वनवास के दौरान राम भगवान पंचवटी की ओर जाने के लिए यहां से दानवों का संहार कर ऋषि-मुनियों का उद्धार करने के लिए ही गुजरे थे। अंजनी पर्वत आज भी अनेक प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियों और जड़ी-बूटियों से भरा पड़ा है। यहां रहने वाले अनेक लोग अपने आपको शबरी माता का वंशज भी मानते हैं। (फोटो व विवरण- साभार दैनिक भाष्कर )
अदालत ने भी सरकार से पूछा- 18 साल से कम उम्र वालों को सोशल नेटवर्किंग साइट्स व जीमेल अकाउंट खोलने की अनुमति कैसे दी ?
मैं निजी काम से घर के पास एक साइबर कैफे में बैठा अपना काम कर रहा था तभी देखा कि तीन-चार लड़के -लड़कियों का समूह कैफे में घुसा। मैंने सोचा शायद कुछ डाक्यूमेंट जीराक्स कराने आए हैं क्यों कि उस कैफे में जीराक्स के अलावा रेल टिकट आरक्षण , फोटो स्कैन, लैमिनेशन वगैरह सभी कुछ होता है। मगर मेरा अनुमान गलत निकला। बच्चे संभवतः आठवीं - नवीं कक्षा के थे। आते ही बड़ी बेफिक्री से दो कंप्यूटर परबैठ गए। फेसबुक अकाउंट में लागिन किया। और अपनी ई-मित्र मंडली से कनेक्ट हो गए। किसी के फोटो पर कमेंट तो किसी के कमेंट पर कमेंट करते रहे। साथ के बच्चों के सुझाव से भी कुछ कमेंट करते रहे। इन सभी की स्कूल की छुट्टी हुई थी और वे घर जाने से पहले कैफे चले आए थे। यह उन बच्चों की सोशल नेटवर्किंग से जुड़ने की कथा हैजिन्हें कंप्यूटर के लिए कैफे में जाना पड़ता है। इनसे ईतर वे बच्चे भी हैं जो अपने घरों में ही कंप्यूटर पर या मोबाइल पर अधिकतर समय फेसबुक पर गुजारते हैं। सोशलनेटवर्किंग की यह सुविधा एक मायने में ठीक भी है कि बच्चे देश-दुनिया के अपने हमउम्र से जुड़कर अपने विचारों का आदान-प्रदान कर लेते हैं मगर इसका दूसरा पहलू यह है कि वे अपना अधिकतर समय सोशलनेटवर्किंग पर बिताने के आदी हो जाते हैं। जो इनके विकास में निश्चित रूप से बाधा पहुंचाती है। हालांकि अपेक्षाकृत बड़ी उम्र के यानी किशोर बच्चे से लेकर ऊंची कक्षा की पढ़ाई कर रहे बच्चों से भी मां-बाप को यही शिकायत हो सकती है। मगर स्नातक स्तर के बच्चे अपना बला-बुरा समझने की क्षमता रखते हैं। निहायत कम उम्र के बच्चों की शायद इतनी समझ नहीं होती कि वे खुद को अनुशासित रख सकें। शायद इसी कारण से एक जनहित याचिका दायर करके कम उम्र के बच्चों के सोशलनेटवर्किंग अकाउंट खोलने पर सवाल खड़ा कर दिया गया है। और अदालत ने भी सरकार से पूछा है कि 18 साल से कम उम्र वालों को फेसबुक सहित सोशल नेटवर्किंग साइट्स व जीमेल वगैरह पर पर अकाउंट खोलने की अनुमति कैसे दी गई? जबकि भारतीय कानून इसकी इजाजत नहीं देते। एक साइबर कानून विशेषज्ञ के अनुसार- अगर कोई नबालिग इन सोशलनेटवर्किंग साइट में अकाउंट खोलता है तो न सिर्फ इस साइट को चलाने वाले बल्कि संबंधित बच्चों के माता-पिता भी कानून तोड़ने के लिए आपराधिक करार दिए जाएंगे । भारतीय वयस्कता कानून, भारतीय संविदा अधिनियम और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा ४६५ में ऐसे लोग अपराधी करार दिए जाएंगे और इसके लिए उन्हें दो साल तक की सजा हो सकती है। दरअसल सोशल मीडिया साइट फेसबुक की लोकप्रियता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। यही कारण है की बच्चे भी फेसबुक के जाल में बुक होते जा रहे है। दुनिया के किसी भी कोने में अपने दोस्त बनाना और उनसे बाते करने का ऑपशन बच्चों को इसकी ओर खींचता है। कोर्ट ने भाजपा के पूर्व नेता गोविंदाचार्य की याचिका पर फेसबुक और गूगल को नोटिस भेजकर जवाब मांगे हैं। आइए देखते हैं कि जनहित याचिका में क्या मेंग की गई है.-------
भाजपा नेता गोविंदाचार्य की जनहित याचिका------
भारत में 18 साल से कम आयु के बच्चों को नाबालिग माना जारहा हैऔर फेसबुक पर अकाउंट खोलते वक्त एक एग्रीमेंट साइन करना होता है, ऐसे में अगर बच्चा नाबालिग है तो भारतीय कानून के मुताबिक किसी भी तरह के एग्रीमेंट का अधिकार प्राप्त नहीं है। ये भारतीय वयस्कता कानून, भारतीय संविदा अधिनियम और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम के खिलाफ है। कोर्ट ने अमेरिका की दो कंपनियों फेसबुक और गूगल से भी बीजेपी के पूर्व नेता के एन गोविंदाचार्य की याचिका पर जवाब देने को कहा जिसमें उन्होंने भारत में अपनी वेबसाइटों के संचालन से इन कंपनियों को हो रही आय पर कर वसूले जाने का आदेश दिए जाने की मांग की है।
जस्टिस बीडी अहमद व विभू बाखरू की बेंच ने सरकार के वकील सुमित पुष्करणा से 10 दिन में हलफनामा पेश करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी। पीठ ने कहा, कैसे 18 साल से कम उम्र के बच्चों का फेसबुक समेत सोशल नेटवर्किंग साइटों के साथ अनुबंध हो सकता है! याचिका में कहा गया है कि पहचान का कोई तरीका न होने के कारण दुनियाभर में फेसबुक के आठ करोड़ यूजर्स फर्जी हैं। खुद फेसबुक इस बात को अमेरिकी अधिकारियों के सामने मान चुकी है। भारत सरकार इस मामले में कोई कदम नहीं उठा रही है।
राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संरक्षक गोविंदाचार्य ने जनहित याचिका में केंद्र और दो वेबसाइटों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि वे आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन करे। उनके मुताबिक फेसबुक का पिछले साल तकरीबन 37 अरब डॉलर का व्यापार किया था, लेकिन कंपनी ने भारत सरकार को एक रुपए तक का कर नहीं दिया। इस याचिका में 5 करोड़ भारतीय उपयोगकर्ताओं के आंकड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट ने मांग की है कि-
-पांच करोड़ भारतीय यूजर्स की जानकारी की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित की जाए। -इस जानकारी का अमेरिका में व्यावसायिक उपयोग रुकवाया जाए। -भविष्य में सभी यूजर्स की पहचान सुनिश्चित करवाई जाए।