उल्टियाँ होने के कई कारण होते हैं

जब पेट के पदार्थों का पूरे जोश के साथ मुंह और नाक के ज़रिये निष्काशन होता है, तो उस प्रक्रिया को उल्टियों क नाम से जाना जाता है। उल्टियाँ होने के कई कारण होते हैं जैसे कि अधिक या दूषित खाना खाना, बीमारी, गर्भावस्था, मदिरापान, विषाणुजनित संक्रमण, उदर का संक्रमण, ब्रेन ट्यूमर, मष्तिष्क में चोट, इत्यादि। उल्टियाँ होने के एहसास को मतली के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह उल्टियाँ आने से पहले का एहसास होता है, कारण नहीं।
उल्टियों के घरेलू / आयुर्वेदिक उपचार
*.उल्टियों को बंद करने के लिए एक बहुत ही उम्दा उपाय है और वह है किसी कार्बोनेट रहित सिरप का एक या दो चम्मच सेवन करना। इससे पाचन क्रिया में राहत मिलती है और उल्टियाँ बंद हो जाती हैं। ऐसे सिरप में करबोहाइड्रेट मौजूद होते हैं जो पेट को ठंडा रखते हैं।
*.एक और उम्दा उपचार है अदरक और उसकी जड़। आप अदरक के 2 केप्स्युल का प्रयोग कर सकते हैं या अदरक वाली चाय का सेवन कर सकते हैं। अदरक में पाचनक्रिया अग्नि को बढ़ाने की क्षमता होती है, और यह उदर में से हो रहे भोजन-नली को परेशान करनेवाले उस अनावश्यक स्राव में बाधा पैदा करता है, जिस स्राव से उल्टियाँ होती हैं।
*.1 ग्राम हरड का चूर्ण शहद के साथ चटाने से भी उल्टियाँ रोकने में मदद मिलती है।
*.एक और असरदार उपचार है कि आप अपनी उंगलियाँ धोकर एक ही बार अपने गले में घुसाकर पेट में जमा हुए पदार्थों को उल्टी के ज़रिये बाहर निकाल दें, ताकि उल्टी अंदर जमा न रहने पाए।
*.आप एक दो लौंग अपने मुंह में रख सकते हैं, या लौंग के बदले दालचीनी या इलायची भी रख सकते हैं। यह मसाले उल्टियाँ विरोधक औषधियों का काम करते हैं और उल्टियाँ रोकने का यह बहुत ही असरदार उपचार होता है।
*.सत अजवाइन , पेपरमिंट और कर्पूर का द्राव 15-20 बूँद तक की मात्रा में मिलाकर पिलाने से उल्टियाँ तुरंत रुक जाती हैं।
*.नींबू का टुकड़ा काले नमक के साथ अपने मुंह में रखने से आपको उल्टी का एहसास नहीं होगा।
*.अगर आपने मदिरापान किया है और आप नहीं चाहते कि आपको उल्टी आये, तो सादी पाव-रोटी खाएं। पाव-रोटी आपकी पाचन क्रिया को संभालती है और आपके द्वारा सेवन की हुई मदिरा को आसानी से सोख लेती है।
*.उल्टियाँ होने से 12 घंटो बाद तक ठोस आहार का सेवन न करें, पर अपने आपको जालित रखने के लिए (यानि निर्जलीकरण से बचाने के लिए) भरपूर मात्रा में पानी और फलों के रस का सेवन करते रहें।
*.जब भी पानी पियें तो सादा पानी ही पियें। बाज़ार में उपलब्ध कार्बन युक्त शीत पेयों का सेवन बिलकुल भी न करें क्योंकि यह आपकी आँतों और उदर की जलन को बढ़ाते हैं।.
*.तैलीय, मसालेदार, भारी और मुश्किल से पचनेवाले खान पान का सेवन न करें क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थ मरीज में उल्टियों का निर्माण करते हैं एवं उसे बढ़ावा देते हैं ।
*.खान। खाने के फ़ौरन बाद न सोयें।
*.जब भी सोयें तो अपनी दाहिनी बाज़ू पर सोयें। इससे आपके पेट के पदार्थ मुंह तक नहीं आ सकेंगे।
*.उल्टियाँ रोकने के लिए जीरा भी एक नैसर्गिक उपचार माना गया है। आधा चम्मच पिसे हुए जीरे का सेवन करने से आपको पूर्ण रूप से उल्टियों से छुटकारा मिल जायेगा।
*.चावल के पानी से उल्टियों का उपचार एक बहुत ही प्रचलित और प्रमाणित उपचार कहलाया जाता है। 1/2 कप चावल 1 या 1-1/2 कप पानी में उबाल लें। जब चावल पक जाएँ तो चावल निकालकर उस पानी का सेवन करें। इस उल्टियाँ रुक जायेंगी।यह एक बहुत ही उत्तम उपचार है उल्टियों को रोकने के लिए।
*.एक चम्मच प्याज़ का रस नियमित अंतराल में सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
*.एक ग्लास पानी में शहद मिलाकर पीने से भी उल्टियाँ रुकने में मदद मिलती है।
*.सामान्य उबकाई में पेपरमिंट का सेवन हितकर होता है। इसे पान में रखकर सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
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पत्ता गोभी Cabbage

आपको पत्ता गोभी कैसे पसंद है ? सलाद में , सूप में या सब्जी में ? आइये जानते है इसके बारे में ......
- पत्तागोभी को कही बंद गोभी कहा जाता है, कहीं करमल्ला कहा जाता है। इसकी प्रकृति ठंडी होती है.
- पत्‍ता गोभी में दूध के बराबर कैल्शियम पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत करता है। गोभी का बीच उत्‍तेजक, पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला और पेट के कीड़ों को नष्‍ट करने वाला है।
- पेट दर्द के लिए गोभी बहुत फायदेमंद है। पेट दर्द होने पर गोभी की जड़, पत्‍ती, तना फल और फूल को चावल के पानी में पकाकर सुबह-शाम लेने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
- गोभी खाने से खून साफ होता है।
- गोभी का रस पीने से खून की खराबी दूर होती है और खून साफ होता है।
- हड्डियों का दर्द दूर करने के लिए गोभी के रस को गाजर के रस में बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से हड्डियों का दर्द दूर होता है।
- पीलिया के लिए भी गोभी का रस बहुत फायदेमंद है। गाजर और गोभी का रस मिलाकर पीने से पीलिया ठीक होता है।
- बवासीर होने पर जंगली गोभी का रस निकालकर, उसमें काली मिर्च और मिश्री मिलाकर पीने से बवासीर के मस्‍सों से खून निकलना बंद हो जाता है।
- खून की उल्‍टी होने पर गोभी का सेवन करने से फायदा होता है। गोभी की सब्‍जी या कच्‍ची गोभी खाने से खून की उल्टियां होना बंद हो जाती हैं।
- पेशाब में जलन होने पर गोभी का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाइए। इससे तुरंत आराम मिलता है।
- गले में सूजन होने पर गोभी के पत्‍तों का रस निकालकर दो चम्‍मच पानी मिलाकर खाने से फायदा होता है।
- पायरिया : पत्तागोभी के कच्चे पत्ते 50 ग्राम नित्य खाने से पायरिया व दाँतों के अन्य रोगों में लाभ होता है।
- पत्तागोभी में सेल्युलोस नामक तत्व मौजूद होता है, जो हमें स्वस्थ रखने में सहायक है। यह तत्व शरीर से कोलेस्ट्रोल की मात्रा को दूर करता है। इसे मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है। यह खांसी, पित्त व रक्त विकार में भी लाभकारी है।
बाल गिरना : पत्तागोभी के 50 ग्राम पत्ते प्रतिदिन खाने से गिरे हुए बाल उग आते हैं।
- घाव : इसका रस पीने से घाव ठीक होते हैं। इसके रस का आधा गिलास 5 बार पानी मिलाकर पीना चाहिए। घाव पर इसके रस की पट्टी बाँधें।
- बंदगोभी में ऐसे तत्‍व होते है जो कैंसर की रोकथाम करने और उसे होने से बचाने में मदद करता है। इसमें डिनडॉलीमेथेन ( डीआईएम ), सिनीग्रिन, ल्‍यूपेल, सल्‍फोरेन और इंडोल - 3 - कार्बीनॉल ( 13 सी) जैसे लाभदायक तत्‍व होते है। ये सभी कैंसर से बचाव करने में सहायक होते है।सुबह खाली पेट पत्तागोभी का कम से कम आधा कप रस रोजाना पीने से आरम्भिक अवस्था में कैंसर, बड़ी आंत का प्रवाह (बहना) ठीक हो जाता है।
- पत्‍ता गोभी, शरीर में इम्‍यूनिटी सिस्‍टम को स्‍ट्रांग बनाती है। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जिससे बॉडी का इम्‍यूनिटी सिस्‍टम काफी मजबूत हो जाता है।
- यह अमीनो एसिड में सबसे समृद्ध होता है जो सूजन आदि को कम करता है।
- पत्‍ता गोभी के सेवन से मोतियाबिंद का खतरा कम होता है। इसके लगातार सेवन से बॉडी में बीटा केराटिन बढ़ जाता है जिससे आंखे सही रहती है।
- हाल ही में हुए शोध से पता चला है कि पत्‍ता गोभी के सेवन से अल्‍माइजर जैसी समस्‍याएं दूर हो जाती है। इसमें विटामिन के भरपूर मात्रा में पाया जाता है जिससे अल्‍माइजर की समस्‍या दूर हो जाती है।
- पत्‍ता गोभी, पेप्टिक अल्‍सर के इलाज में सहायक होती है। इस रोग से पीडित व्‍यक्ति अगर वंदगोभी का नियमित सेवन करें तो उसे आराम मिल सकता है क्‍योंकि इसमें ग्‍लूटामाइन होता है जो अल्‍सर विरोधी होता है।
- इसके सेवन से वजन को भी कम किया जा सकता है। एक कप पकाई वंदगोभी में सिर्फ 33 कैलोरी होती है जो वजन नहीं बढ़ने देती। वंदगोभी का सूप शरीर को ऊर्जा देता है लेकिन वसा की मात्रा का घटा देता है।
- पत्‍ता गोभी में काफी ज्‍यादा मात्रा में एंटी - ऑक्‍सीडेंट होते है जो स्‍कीन की सही देखभाल करने के लिए पर्याप्‍त होते है।
- पत्‍ता गोभी में लैक्टिक एसिड काफी मात्रा में होती है जो मांसपेशियों के चोटिल होने और उसे रिकवर करने में काफी सहायक होती है।
- इसमे बहुत ज्‍यादा रेशा होता है जिसकी वजह से पाचन क्रिया अच्‍छे से होती है और पेट दरुस्‍त रहता है। इस वजह से कब्‍ज की समस्‍या कभी नहीं हो पाती।
- नींद की कमी, पथरी और मूत्र की रुकावट में पत्तागोभी लाभदायक है, इसकी सब्जी घी से छौंक लगाकर बनानी चाहिए।
- अनिद्रा में पत्तागोभी की सब्जी तथा रात को सोने से एक घंटा पहले 5 चम्मच रस पीने से खूब नींद आती है।
- सल्फर, क्लोरीन तथा आयोडीन साथ में मिल कर आँतों और आमाशय की म्यूकस परत को साफ करने में मदद करते हैं। इसके लिए कच्चे पत्तागोभी को नमक लगा कर खाना चाहिए।
- छाले, घाव, फोड़े-फुंसी तथा चकत्तों जैसी परेशानियों में पत्तागोभी के पत्तों की पट्टी लगाने से बहुत आराम मिलता है। इस काम के लिए पत्तागोभी की बाहरी मोटी पत्तियाँ बेहतर रहती हैं। पूरी साबुत पत्तियों को ही पट्टी की तरह काम में लेना चाहिए। इसकी पट्टी बनाने के लिए पत्तियों को गरम पानी से बहुत अच्छी तरह धोकर तौलिये से अच्छी तरह सुखा कर बेलन से बेलते हुए नरम कर लेना चाहिए। इसकी मोटी, उभरी हुई नसों को निकाल कर बेलने से यह नरम हो जाएगा। फिर इसे गरम करके घाव पर समान रूप से लगाना चाहिए। इन पत्तियों को सूती कपड़े में या मुलायम ऊनी कपड़े में डाल कर काम में ले सकते हैं। इससे पूरे दिन भर के लिए या रात भर सिकाई कर सकते हैं। जले हुए पत्तागोभी की राख भी त्वचा की बहुत सी बीमारियों में आराम पहुँचाता है।
- पत्तागोभी का रस पेट में गैस कर सकता है जिसके कारण बदहजमी हो सकती है। इसलिए सलाह दी जाती है कि पत्तागोभी के रस में थोड़ी सी गाजर का रस मिला कर पीना चाहिए। इससे पेट में गैस या अन्य समस्याएँ नहीं होंगी। पका हुआ पत्तागोभी या पत्तागोभी की सब्जी खाने से भी यदि तकलीफ हो तो इसमे थोड़ी हींग मिला कर पकाएँ। कच्चा खाने से यह जल्दी हजम होती है।
- जर्मन पद्धति के अनुसार पत्तागोभी को काटकर उसमें नमक लगाकर उसे खट्टा होने के लिए रख दिया जाता है। इस विधि से तैयार पत्तागोभी को 'सोर क्राउट' के नाम से जाना जाता है। 'सोर क्राउट' में प्रचुर मात्रा में विटामिन पाए जाते है। हृदय रोगों को दूर करने के लिए सोर क्राउट का प्रयोग काफी लाभदायक है।

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करेला खाने से जबरदस्त फायदे

करेला एक ऐसी सब्जी है जो बहुत कम लोगों को अच्छी लगती है। इसका स्वाद कड़वा है इसीलिए अधिकतर लोग इसे खाने से परहेज करते हैं लेकिन इसके स्वाद के ठीक विपरीत है इसका स्वभाव है। यह जितना कड़वा स्वाद में होता है उससे कहीं ज्यादा मीठे गुणों से भरपूर होता है। यह एक गुणों से भरी सब्जी है।

करेले में होते हैं ये पोषक तत्व
करेले में गंधयुक्त वाष्पशील तेल, केरोटीन, ग्लूकोसाइड, सेपोनिन, एल्केलाइड पाए जाते हैं। इसमें 6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 15 ग्राम प्रोटीन,20 मिलीग्राम कैल्शियम, 70 मिलीग्राम फास्फोरस,18 मिलीग्राम लोह तत्व, विटामिन ए, विटामिन-सी के अलावा इसमें गंधयुक्त वाष्पशील तेल, केरोटीन, ग्लूकोसाइड, सेपोनिन, एल्केलाइड पाए जाते हैं। इन सभी पौषक तत्वों के कारण करेला केवल सब्जी न होकर औषधि का काम भी करता है। इसके औषधीय गुण इस प्रकार हैं।


मोटापा कम करने के लिए
- विटामिन ए की उपस्थिति के कारण इसकी सब्जी खाने से रतौंधी रोग नहीं होता है।करेले का रस और 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है और मोटापा कम होता है।पथरी रोगी को 2 करेले का रस प्रतिदिन पीना चाहिए और इसकी सब्जी खाना चाहिए। इससे पथरी गलकर पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है।

डायबिटीज का उपाय
- करेला मधुमेह में रामबाण औषधि का कार्य करता है, छाया में सुखाए हुए करेला का एक चम्मच पावडर प्रतिदिन सेवन करने से डायबिटीज में चमत्कारिक लाभ मिलता है क्योंकि करेला पेंक्रियाज को उत्तेजित कर इंसुलिन के स्रावण को बढ़ाता है।इसके फल या पत्ते का रस एक चम्मच शकर मिलाकर पिलाने से खूनी बवासीर में बड़ा लाभ होता है। करेले के टुकड़ों को छाया में सुखाकर, पीसकर महीन चूर्ण बना लें। छः ग्राम चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह के रोगी को लाभ मिलेगा।



एसिडिटी का पक्का इलाज

- करेले के तीन बीज और तीन कालीमिर्च को पत्थर पर पानी के साथ घिसकर बच्चों को पिलाने से उल्टी-दस्त बंद होते हैं।
करेले के पत्तों को सेंककर सेंधा नमक मिलाकर खाने से अम्लपित्त के रोगियों को भोजन से पहले होने वाली उल्टी बंद होती है।

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पथरी को बिना किसी तकलीफ बाहर कर देंगे ये रामबाण देसी तरीके

1-पथरी एक ऐसी बीमारी है जिसमें रोगी को असहनीय पीड़ा सहन करनी पड़ती है। सामान्यत: पथरी हर उम्र के लोगों में पाई जाती है लेकिन फिर भी यह बीमारी महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक तकलीफ देने वाली होती है।

2-पथरी के लक्षण- कब्ज या दस्त का लगातार बने रहना , उल्टी जैसा होना बैचेनी, थकान, , तीव्र पेट दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बने रहना। मूत्र संबंधी संक्रमण साथ ही बुखार, कपकपी, पसीना आना, पेशाब के साथ-साथ दर्द होना ,बार बार और एकदम से पेशाब आना, रुक रुक कर पेशाब आना, रात में अधिक पेशाब आना, मूत्र में रक्त भी आ सकता है, पेशाब का रंग असामान्य होना।

3 -पथरी से बचने के तरीके- ज्यादा पानी पीएं।

- आहार में प्रोटीन, नाइट्रोजन तथा सोडियम की मात्रा कम हो।

- चाकलेट, सोयाबीन, मूंगफली, पालक आदि का सेवन बहुत ज्यादा न करें।

- आवश्यकता से अधिक कोल्डड्रिंक्स भी नुकसान पहुंचा सकती हैं।

- विटामिन-सी की भारी मात्रा न ली जाय।

- नारंगी आदि का रस (जूस) लेने से पथरी का खतरा कम होता है।

- हर महीने में पांच दिन एक छोटी चम्मच अजवाइन लेकर उसे पानी से निगल जाएं।


4 -पथरी के कुछ देसी इलाज-

- यदि मूत्र पिंड में पथरी हो और पेशाब रुक रुक कर आना चालू हो गया है तो एक गाजर को नित्य खाना चालू कर देना चाहिये।
- तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फंसी पथरी निकल जाती है।


5 -तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फंसी पथरी निकल जाती है।

6 - जीरे को मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें या शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।

7 - एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस-बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, उसके बाद मूली को भून लें,उसके बाद मूली से बीज निकाल कर पीस लें। सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे,पथरी और पेशाब वाली बीमारियों में फायदा मिलेगा।

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बिना दवा ही डायबिटीज कंट्रोल हो जाती है Diabetes can be controlled without medicine


डायबिटीज आजकल एक आम समस्या बनती जा रही है। यह बीमारी शरीर में संतुलित हार्मोंस की कमी के कारण होती है। शरीर में ऊर्जा का स्रोत शुगर स्टार्च होता है। जब शुगर स्टार्च को ऊर्जा में परिवर्तित करने वाले इंसुलिन की शरीर में कमी होती है तो डायबिटीज के लक्षण शुरू हो जाते हैं। शरीर में शर्करा का स्तर बढऩे से आंखें और किडनी भी प्रभावित होती हैं।

डायबिटीज के लक्षण:--

- मुंह में मीठा स्वाद रहना , भोजन में रुचि न होना।

- हाथ पैर में झनझनाहट रहना , जलन होना।

- मुख, तालु और गला सूखना।

अकड़ापन रहना , पसीना न आना।

- पसीने व शरीर से दुर्गंध आना।

- नींद ज्यादा आना , बिना काम के थकान रहना।

पश्चिमोत्तानासन:--

इस आसन से शरीर का पाचनतंत्र मजबूत होता है, पेट ठीक रहता है और शरीर में रक्त का संचार तेजी से होता है जिससे व्यक्ति को डायबिटीज से लडऩे में आसानी होती है। इसे करने के लिए पैर सीधे फैलाकर बैठ जाएं। फिर दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और सांस भरते हुए पैरों के तलवे को पकडऩे की कोशश करें। घुटने से माथा सटना चाहिए। फिर सांस छोड़ते हुए हाथ ऊपर करके सामान्य हो जाएं। इस आसन को दो से तीन बार दोहराएं।

नेचुरल उपाय:--

डायबिटीज के स्थाई उपचार के लिए योग ही एकमात्र उपाय है। यदि नियमित पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन, भ्रामरी और भ्रस्रिका प्राणायामअनुलोम-विलोम, प्रणायाम तथा ध्यान का अभ्यास किया जाए तो तनाव का स्तर तथा मधुमेह जैसी बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है, लेकिन इसका अभ्यास किसी योग टीचर के देखरेख में ही करना चाहिए।

घरेलू उपाय:--

दालचीनी:--
यह मसाला डायबिटीज को कंट्रोल करने में सबसे अधिक कारगर है क्योंकि यह शरीर में रक्त शर्करा को भी नियंत्रण में रखता है। रिसर्च बताती है कि दालचीनी, शरीर की सूजन को कम करता है तथा इंसुलिन लेवल को नियंत्रित करता है। इसको आप खाने, चाय या फिर गरम पानी में एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिक्स कर पिएं।

लौंग:--
इस मसाले में दालचीनी के मुकाबले कई गुना अधिक पॉलीफिनॉल होता है। लेकिन यह उतनी अधिक मात्रा में नहीं खाया जा सकता जितना आप दालचीनी को खा सकते हैं। इसलिए यह मसाला दूसरे स्थान पर आता है।

हरी मिर्च:--
प्रतिदिन भोजन के साथ दो-तीन ताजी हरी मिर्च कधी सेवन करने से मधुमेह रोग में अच्छा लाभ होता है। हरी मिर्च विटामिन सी का अच्छा स्रोत होने के साथ-साथ पाचक ग्रंथियों के लिए भी उत्तेजक है एवं कब्ज को दूर करती है। उल्लेखनीय है कि मधुमेह रोगी को कब्ज और अपच की शिकायत आम होती है।

लहसुन:--
इसे खाने से दिल की बीमारी दूर रहेगी और ब्लड प्रेशर हमेशा कंट्रोल में रहेगा। इसलिए लहसुन का सेवन मधुमेह रोगी के लिए आवश्यक बनाता है। यह हार्ट पंप को मजबूत बनाएगा और ब्लड सर्कुलेशन भी नार्मल करेगा।

अजवायन की पत्ती:--
जिस तरह से हल्दी बैक्टीरिया और वाइरल इंफेक्शन से बचाती है उसी तरह से अजवायन भी मधुमेह रोगी को फंगल इंफेक्शन से बचाती है।

अदरक:--
लंबे समय से डायबिटीज के मरीजों को अक्सर इस समस्या से जूझना पड़ता है। सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि अदरक खाने से हमारे शरीर के मसल सेल्स बिना इंसुलिन के भी ग्लूकोज को पचा लेते हैं। अदरक में मौजूद इस तत्व को जिंजरोल्स नाम दिया गया है।

हल्दी:--
मधुमेह रोगी यदि प्रतिदिन आधा चम्मच हल्दी का सेवन करे, तो फायदा होगा. हल्दी एक उत्तम जैव-प्रतिरोधी मसाले के रूप में विख्यात है। इसके नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

हरी पत्तेदार सब्जियां:--
रोज बड़ी मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से डायबिटीज के खतरे से बचा जा सकता है। अगर आप पर्याप्त मात्रा में हरी सब्जियां खाते हैं मसलन पालक, पत्तागोभी और सलाद वाली पत्तियां तो आप डायबिटीज होने के खतरे से बच सकते हैं। इस सब्जियों का असर हृदय रोग पर पड़ेगा क्योंकि अक्सर डायबिटीज और हृदय रोग साथ-साथ ही होते हैं।
 
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Photo: पश्चिमोत्तानासन:--

इस आसन से शरीर का पाचनतंत्र मजबूत होता है, पेट ठीक रहता है और शरीर में रक्त का संचार तेजी से होता है जिससे व्यक्ति को डायबिटीज से लडऩे में आसानी होती है। इसे करने के लिए पैर सीधे फैलाकर बैठ जाएं। फिर दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और सांस भरते हुए पैरों के तलवे को पकडऩे की कोशश करें। घुटने से माथा सटना चाहिए। फिर सांस छोड़ते हुए हाथ ऊपर करके सामान्य हो जाएं। इस आसन को दो से तीन बार दोहराएं।
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चावल खाने के कुछ ऐसे फायदे

चावल भारत के कई हिस्सों में मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है। चावल बहुत ही पौष्टिक व गुणों से भरपूर भोजन है। लेकिन कई लोग मोटापा बढऩे के डर से इसका सेवन नहीं करते हैं अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक हैं तो जानिए इसे खाने के फायदों के बारे में....

पेट में जलन हों तो- चावल के औषधीय उपयोग भी हैं, कई रोगों में यह लाभ करता है। सीने में या पेट में जलन, मूत्रविकार में नीबू के रस व नमक रहित चावल का मांड सेवन करने से लाभ होता है।

अतिसार की समस्या हो तो- चावल पेट के रोग के लिए बेहतरीन औषधि माना गया है जब भी किसी का हाजमा बिगड़ जाता है तो उन्हें चावल खाने की सलाह दी जाती है। साथ ही ,उन्हें चावल में दही मिलाकर खाने की सलाह भी दी जाती है। अतिसार में यह एक बेहतरीन औषधि की तरह काम करता है।

दिमाग के लिए फायदेमंद - चावल खाने से दिमागी विकास होता है और शरीर शक्तिशाली होता है।

हेल्थ के लिए फायदेमंद - यह हल्का भोजन होने के कारण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।


कैंसर से लडऩे में - वैज्ञानिकों का मानना है कि चावल में ट्यूमर को दबाने वाले तत्व देखे गए हैं और शायद यही आँतों के कैंसर से बचाव का एक कारण हो अब वैज्ञानिक इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए अपने शोध को आगे बढ़ा रहे हैं।

पौष्टिक भोजन- जब भी चावल खाएं इस बात का ख्याल रखें कि इसमें मांड की कुछ मात्रा भी होना चाहिए क्योंकि मांड अलग कर देने से चावल के प्रोटीन, खनिज, विटामिन्स निकल जाते हैं और यह बेकार भोजन कहलाता है। मांड यानी चावल पकाते समय बचा हुआ गाढ़ा सफेद पानी होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन्स व खनिज होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।


पाचन क्रिया ठीक करने में- चावल, और मूंगदाल की खिचड़ी जिसमें नमक, मिर्च, हींग, अदरक, मसाले मिलाकर बनाई गई हो उसके सेवन से शरीर को बल मिलता है, बुद्धि विकास होता है व पाचन ठीक रहता है।

कब्ज होने पर- पेट साफ न हो तो चावल में दूध व शकर मिलाकर सेवन करने से दस्त के साथ पेट साफ हो जाता है।

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ऐसे खाएं लहसुन eat garlic like this

मान्यता है कि देव-दानव के बीच हुए अमृत युद्ध में अमृत की कुछ बूंदे धरती पर बिखर गई उन्हीं बूंदों से धरती पर जिस पौधे की उत्पति हुई। वह लहसुन का पौधा था। इसलिए कहा जाता है कि लहसुन एक अमृत रासायन है। लेकिन चूंकी माना जाता है कि इसका प्रयोग करने वाले मनुष्य के दांत, मांस व नाखून बाल, व रंग क्षीण नहीं होते हैं।


- यह पेट के कीड़े मारता है व खांसी दूर करता है। लहसुन कब्ज को मिटाने वाला व आंखों के रोग दूर करने वाला माना गया है। अगर आप थुलथुले मोटापे से परेशान हैं तो अपनाएं नीचे लिखे लहसुन के अचूक प्रयोग-

- लहसुन की दो कलियां भून लें उसमें सफेद जीरा व सौंफ सैंधा नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। इसका सेवन सुबह खाली पेट गर्म पानी से करें।


- लहसुन की चटनी खाना चाहिए और लहसुन को कुचलकर पानी का घोल बनाकर पीना चाहिए।


- लहसुन की पांच-छ: कलियां पीसकर में भिगो दें। सुबह पीस लें। उसमें भुनी हिंग और अजवाइन व सौंफ के साथ ही सोंठ व सेंधा नमक, पुदीना मिलाकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण रोज फांकना चाहिए।

कुछ नुस्खे: छोटे लहसुन के बड़े फायदे...इन बीमारियों में है रामबाण
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लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है आज हम बताने जा रहे हैं आपको औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है।

1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।

2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।

3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।

4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।

5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।

6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।

7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।

8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।

9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।

10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।
Photo: मोटापा जल्दी से घटाना है तो ऐसे खाएं लहसुन
=========================   (संयोगिता सिंह)

मान्यता है कि देव-दानव के बीच हुए अमृत युद्ध में अमृत की कुछ बूंदे धरती पर बिखर गई उन्हीं बूंदों से धरती पर जिस पौधे की उत्पति हुई। वह लहसुन का पौधा था। इसलिए कहा जाता है कि लहसुन एक अमृत रासायन है। लेकिन चूंकी माना जाता है कि इसका प्रयोग करने वाले मनुष्य के दांत, मांस व नाखून बाल, व रंग क्षीण नहीं होते हैं।
 

- यह पेट के कीड़े मारता है व खांसी दूर करता है। लहसुन कब्ज को मिटाने वाला व आंखों के रोग दूर करने वाला माना गया है। अगर आप थुलथुले मोटापे से परेशान हैं तो अपनाएं नीचे लिखे लहसुन के अचूक प्रयोग-

- लहसुन की दो कलियां भून लें उसमें सफेद जीरा व सौंफ  सैंधा नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। इसका सेवन सुबह खाली पेट गर्म पानी से करें।


- लहसुन की चटनी खाना चाहिए और  लहसुन को कुचलकर पानी का घोल बनाकर पीना चाहिए। 
 

- लहसुन की पांच-छ: कलियां पीसकर में भिगो दें। सुबह पीस लें। उसमें भुनी हिंग और अजवाइन व सौंफ के साथ ही सोंठ व सेंधा नमक, पुदीना मिलाकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण रोज फांकना चाहिए। 

कुछ नुस्खे: छोटे लहसुन के बड़े फायदे...इन बीमारियों में है रामबाण
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लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है आज हम बताने जा रहे हैं आपको औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है।

1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।

2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।

3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।

4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।

5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।

6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।

7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।

8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।

9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।

10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।
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चमत्कारिक 'पानी प्रयोग

चमत्कारिक 'पानी प्रयोग'::
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"बिना खर्च किये ही रोगों से बचकर तन्दुरुस्त बनो"
नई एवं पुरानी प्राणघातक बीमारियाँ दूर करने के लिए
यह एक अत्यंत सरल एवं बहुत बढ़िया प्रयोग है।
इसको हम यहाँ पानी प्रयोग कहेंगे।
मधुप्रमेह (डायबिटीज), सिरदर्द, ब्लडप्रेशर,
एनिमिया (रक्त की कमी), जोड़ों का दर्द,
लकवा (पेरेलिसिस), मोटापन, हृदय की धड़कनें एवं
बेहोशी, कफ, खाँसी, दमा (ब्रोन्काईटीस), टी.बी.,
मेनिनजाईटीस), लीवर के रोग, पेशाब की बीमारियाँ,
एसीडीटी (अम्लपित्त), गेस्ट्राईटीस (गैस विषयक
तकलीफें), पेचिश, कब्ज, हरस, आँखों की हर किस्म
की तकलीफें, स्त्रियों का अनियमित मासिकस्राव,
प्रदर (ल्यकोरिया), गर्भाशय का कैंसर, नाक, कान एवं
गले से सम्बन्धित रोग आदि आदि।
पानी पीने की रीतिः प्रभात काल में जल्दी उठकर,
बिना मुँह धोये हुए बिना ब्रश किये हुए करीब
सवा लीटर (चार बड़े गिलास) पानी एक साथ पी लें।
ताजा पानी आराम से बैठ कर धीरे धीरे पीए और
पानी ठण्डा न हो। तदनन्तर 45 मिनट तक कुछ
भी खायें-पियें नहीं। पानी पीने के बाद मुँह धो सकते हैं,
ब्रश कर सकते हैं। यह प्रयोग चालू करने के बाद सुबह में
अल्पाहार के बाद, दोपहर को एवं रात्रि को भोजन के
बाद दो घण्टे बीत जाने पर पानी पियें। रात्रि के समय
सोने से पहले कुछ भी खाये नहीं।
बीमार एवं बहुत ही नाजुक प्रकृति के लोग एक साथ चार
गिलास पानी नहीं पी सकें तो वे पहले एक
या दो गिलास से प्रारंभ करें और बाद में धीरे-धीरे एक-
एक गिलास बढ़ाकर चार गिलास पर आ जायें। फिर
नियमित रूप से चार गिलास पीते रहें।
बीमार हो या तन्दुरुस्त, यह प्रयोग सबके लिए
इस्तेमाल करने योग्य है। बीमार के लिए यह प्रयोग
इसलिए उपयोगी है कि इससे उसे आरोग्यता मिलेगी और
तन्दुरुस्त आदमी यह प्रयोग करेगा तो वह कभी बीमार
नहीं पड़ेगा।
जो लोग वायु रोग एवं जोड़ों के दर्द से पीड़ित हों उन्हें
यह प्रयोग एक सप्ताह तक दिन में तीन बार
करना चाहिए। एक सप्ताह के बाद दिन में एक बार
करना पर्याप्त है। यह पानी प्रयोग बिल्कुल सरल एवं
सादा है। इसमें एक भी पैसे का खर्च नहीं है। हमारे देश
के गरीब लोगों के लिए बिना खर्च एवं बिना दवाई के
आरोग्यता प्राप्त करने की यह एक चमत्कारिक
रीति है।
तमाम भाइयों एवं बहनों को विनती है कि इस
पानी प्रयोग का हो सके उतना अधिक प्रचार करें।
रोगियों के रोग दूर करने के प्रयासों में सहयोगी बनें।
चार गिलास पानी पीने से स्वास्थ्य पर कोई
भी कुप्रभाव नहीं पड़ता। हाँ, प्रारंभ के तीन-चार दिन
तक पानी पीने के बाद दो-तीन बार पेशाब
होगा लेकिन तीन-चार दिन के बाद पेशाब नियमित
हो जायेगा।
..... तो भाइयों एवं बहनों ! तन्दुरुस्त होने के लिए एवं
अपनी तन्दुरुस्ती बनाये रखने के लिए आज से ही यह
पानी प्रयोग शुरु करके बीमारियों को भगायें। आज से
हम सब तन्दुरुस्त बनकर जीवन में दया, मानवता एवं
ईमानदारी लाकर पृथ्वी पर स्वर्ग को उतारेंगे....
प्रातःकाल में दातुन करने से पहले पानी पीने से कई
रोग मिट जाते हैं ऐसा हम लोगों ने अपने बुजुर्गों से
कहानी के रूप में सुना है किन्तु अब हमारे देश के
बुजुर्गों की बातों का प्रचार-प्रसार विदेशी लोगों के
द्वारा किया जाता है तब हमें पता चलता है
कि कैसा महान् है भारत का शरीरविज्ञान और अध्यात्म
ज्ञान !

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कर्म के आगे खुद भगवान भी झुके..

एक बार की बात है, भगवान और देवराज इंद्र में इस बात पर बहस छिड़ गई कि दोनों में से श्रेष्ठ कौन हैं? उनका विवाद बढ़ गया तब इंद्र ने यह सोचकर वर्षा करनी बंद कर दी कि यदि वे बारह वर्षों तक पृथ्वी पर वर्षा नहीं करेंगे तो भगवान पृथ्वीवासियों को कैसे जीवित रख पाएंगे।

इंद्र की आज्ञा से मेघों ने जल बरसाना बंद कर दिया। किंतु किसानों ने सोचा कि यदि यह लड़ाई बारह वर्षों तक चलती रही तो वे अपना कर्म ही भूल बैठेंगे। उनके पुत्र भी सब कुछ भूल जाएंगे। अतः उन्हें अपना कर्म करते रहना चाहिए। यह सोचकर उन्होंने कृषि कार्य शुरू कर दिया। वे अपने-अपने खेत जोतने लगे।

तभी मिट्टी के नीचे छिपा कर मेढ़क बाहर आया और किसानों को खेती करते देख आश्चर्यचकित होकर बोला- “इंद्र देव और भगवान में श्रेष्ठता की लड़ाई छिड़ी हुई है। इसी कारण इंद्र देव ने बारह वर्षों तक पृथ्वी पर वर्षा न करने का निश्चय किया है। फिर भी आप लोग खेत जोत रहे हैं! यदि वर्षा ही न हुई तो खेत जोतने का क्या लाभ?”

किसान बोले-“मेढ़क भाई! यदि उनकी लड़ाई वर्षों तक चलती रही तो हम अपना कर्म ही भूल जाएंगे। इसलिए हमें अपना कर्म तो करते ही रहना चाहिए।”

मेढ़क ने सोचा- ‘तो मैं भी टर्राता हूं, नहीं तो मैं भी टर्राना भूल जाऊंगा। तब वह भी टर्राने लगा।’ उसने टर्राना शुरू किया तो मोर ने भी इंद्र एवं भगवान के मध्य लड़ाई की बात कही। मेढ़क बोला-“मोर भाई! हमें तो अपना कर्म करते ही रहना चाहिए, चाहे दूसरे अपने कार्य भूल जाएं।

क्योंकि यदि हम अपने कर्म भूल जाएंगे तो आने वाली पीढ़ी को कैसे मालूम होगा कि उन्हें क्या कर्म करने हैं। अतः सबको अपना कर्म करने चाहिएं। फल क्या और कब मिलता है, यह ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए।” मेढ़क की बात सुनकर मोर भी पिहू-पिहू बोलने लगा।

देवराज इंद्र ने जब देखा कि सभी प्राणी अपने-अपने कार्य में लगे हैं तो उन्होंने सोचा कि ‘शायद इन्हें ज्ञात नहीं है कि मैं बारह वर्षों तक नहीं बरसूंगा। इसलिए ये अपने कर्म कर रहे हैं। मुझे जाकर इन्हें सत्य बताना चाहिए।’

यह सोचकर वे पृथ्वी पर आए और किसानों से बोले-“ये क्या कर रहे हो?”

किसान बोले- “भगवन! हमारा कर्म ही ईश्वर है। आप अपना कार्य करें अथवा न करें, हमें तो अपना कर्म करते ही रहना है।”

किसानों की बात सुन देवराज इंद्र ने अपनी जिद्द छोड़ते हुए बादलों को आदेश दिया कि वे पृथ्वी पर घनघोर बरसें
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हनुमान जी की उपासना worship of hanuman ji

‘ देवो भूत्वा देवं यजेत ’

यह उपासना का मुख्य सिद्दांत है और इसका ‘उप ’ अर्थात समीप , ‘आसन ’ अर्थात स्थित होना अर्थ है I जिस उपासना द्वारा अपने इष्टदेव में उनकी गुण -धर्म -रूप शक्तियों में सामीप्य -संबध स्थापित होकर तदाकर्ता हो जाये , अभेद -संबध हो जाये , यही उसका तात्पर्य एवं उद्देश्य है I

आज की इस विषम परिस्थिति में मनुष्य मात्र के लिए , विशेषतया युवकों एवं बालकों के लिए भगवन हनुमान की उपासना अत्यंत अवश्यक है I हनुमान जी बुधि -बल -शौर्य प्रदान करते हैं और उनके स्मरण मात्र से अनेक रोगों का प्रशमन होता है I मानसिक दुर्बलताओं के संघर्ष में उनसे सहायता प्राप्त होती है गोस्वामी तुलसीदास जी को श्री राम के दर्शन में उन्हीं से सहायता प्राप्त हुई थी!

वे आज जहाँ भी श्री राम कथा होती है , वहां पहुंचते हैं और मस्तक झुकाकर , रोमांच - कंटकित होकर , नेत्रों में अश्रू भरकर श्री राम कथा का सiदर श्रवण करते हैं !
हनुमान जी भगवत्त तत्व विज्ञानं , पराभक्ति और सेवा के ज्वलंत उधारण हैं!
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रिश्तों की अहमियत

 मैं घर की नई बहू थी और एक प्राइवेट बैंक में एक अच्छे ओहदे पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर और पति...