दही को सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।


इसमें कुछ ऐसे रासायनिक पदार्थ होते हैं, जिसके कारण यह दूध की अपेक्षा जल्दी पच जाता है। जिन लोगों को पेट की परेशानियां जैसे- अपच, कब्ज, गैस बीमारियां घेरे रहती हैं, उनके लिए दही या उससे बनी लस्सी, मट्ठा, छाछ का उपयोग करने से आंतों की गरमी दूर हो जाती है। डाइजेशन अच्छी तरह से होने लगता है और भूख खुलकर लगती है।

दही में एक ऐसा पदार्थ पाया जाता है जो रक्त में उपलब्ध कोलेस्ट्रोल को कम करता है, अतः यह हृदय रोग में लाभ पहुंचाता है।

पेट की गड़बड़ी (कब्जियत) ही सभी रोगों की जड़ है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधी क्षमता में ह्रास होता है परन्तु दही का समुचित मात्रा में सेवन प्रतिरोधी क्षमता का विकास करता है।

1- त्वचा को नर्म और साफ रखने के लिए दही में नींबू का रस मिलाकर चेहरे, गले व बाहों पर लगाने से त्वचा में चमक आती है।
2- दही में बेसन मिलाकर लगाने से त्वचा की सफाई हो जाती है। इस प्रयोग स मुंहासों में भी लाभ होता है।
3- दही में आटे का चोकर मिलाकर दस मिनट रखें। फिर इसे उबटन की तरह प्रयोग करें। इस उबटन से त्वचा को विटामिन ‘सी’ व ‘ई’ मिलता है जिससे उसमें चमक बनी रहती है।
4- दही में काली मिट्टी मिलाकर केश धोने से केश मुलायम, चमकीले व घने हो जाते हैं।
5- दही का रोजाना सेवन सर्दी और साँस की नली में होने वाले इंफेक्शन से बचाता है।
6- मुंह के छालों में दही कम करने के लिए दिन में कई बार दही की मलाई लगाएं। इसके अलावा शहद व दही की समान मात्रा मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
7- अलग-अलग शैंपू और रंगों का उपयोग करने से बालों की चमक कम हो गई हैं तो दही में बेसन घोलकर बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे बाद सिर धो लें। इससे बालों की चमक लौट आएगी और बालों की रूसी की समस्या से भी आपको निजात मिलेगी।

सावधानियां

1. सायंकालीन भोजन व रात्रि में दही का सेवन नहीं करें।

2. विद्यार्थियों को परीक्षा के दिनों में दही का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। जिन छात्रों को दोपहर व सायंकाल परीक्षा का समय हो तो विशेष सावधानी रखना चाहिए। दही आलस्य लाता है।

3. खट्टा दही सेवन न करें। ताजे दही का प्रयोग करें।

4. सर्दी, खांसी, अस्थमा के रोगियों को भी दही से परहेज करना चाहिए।

5. त्वचा रोगों में दही का सेवन सावधानी पूर्वक चिकित्सक के निर्देशन में करना चाहिए।

6. मात्रा से अधिक दही के सेवन से बचना चाहिए।

7. अर्श (पाईल्स ) के रोगियों को भी दही का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।तो ऐसी है दही ,बड़ी गुणकारी,रोगों में दवा पर सावधानी से करें प्रयोग।

8. दही सदैव ताजी एवं शुद्ध घर में मिटटी के बर्तन की बनी हो तो अत्यंत गुणकारी होती है।
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श्वेतार्क ........


प्रिय मित्रो श्वेतार्क ( मदार ) से आप सब लॊग लगभग परिचित ही होगे ! इसकी तंत्र शास्त्र में बहुत उपयोगिता है / जहा इसके पुष्प भगवान् शिव को अत्यंत प्रिय है वही जिनका सूर्य अशुभ हो तो इसकी समिधा से यज्ञ करने पर सूर्य कृत कष्टों में कमी आती है ! मदार के पौधे में कही भी एक खरोच लगा दे - तत्काल दूध निकल पडेगा .. कोई भी पत्ता तोड़े तुरंत उस जगह से दूध टपकने लगेगा ! यह दूध विषाक्त होता है और प्रयोग भेद से दवाओ के निर्माण में प्रमुख घटक बनता है ! आख में पड़ने पर यह आख की पुतली को भारी हानि पंहुचा सकता है अतः इसे तोड़ते समय लोग दूध की छिटो से बहुत सावधान रहते है !
मित्रो बैगनी रंग के फूल वाला मदार बहुतायत से मिलता है ! इसे काला मदार ,कृष्ण मदार आदि नामो से भी जाना जाता है ! एक मदार ऐसा भी है जिसके फूल बिलकुल सफ़ेद होते है बस इसी पौधे की जरुरत है आप को आध्यात्म में ! जिस दिन रविपुष्य हो उस दिन इसका प्रयोग करना सिद्धि प्रद है !
इसके कुछ प्रयोग स्पष्ट कर रहा हु आशा करता हु की आप लोग अवश्य लाभान्वित होगे !

(१) रवि पुष्य के दिन प्रातः स्नान आदि करने के बाद यह सफ़ेद मदार का पौधा विधिवत ले आये इसकी मूल को जल से साफ़ कर अपने पूजा कक्ष में चौकी के ऊपर रखकर विधिवत पूजन कर ले उसके बाद (ॐ गं गणपतये नमः) मंत्र का ५ माला जप कर इसकी मूल ( जड़ ) का कुछ भाग ताबीज में करके धारण कर ले या किसी को करवा दे तो यह प्रयोग समस्त वायव्य बाधाओ - नजर , टोना तंत्र प्रयोग आदि से पूरी सुरक्षा रखता है !

(२) रवि पुष्य के दिन प्रातः स्नान आदि करने के बाद यह सफ़ेद मदार का पौधा विधिवत ले आये अब सर्वप्रथम अपनी दैनिक पूजा आदि कर ले फिर सफ़ेद मदार की मूल को देशी घी ( गाय का ) के साथ पत्थर पर चन्दन की भाति घिसते जाए और ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का मानसिक जप करते रहे जितना भी आप को पेस्ट बनाना है उतना घिस लेने के बाद उसमें शुद्ध गोरोचन मिलाकर पूरा मिक्स कर ले और तैयार पेस्ट को किसी पात्र में निकालकर धुपित कर ले और इसके सामने अपने इष्ट मंत्र की १ माला और १ माला गणेश मंत्र ॐ गं गणपतये नमः की जप कर यह लेप तिलक की भाति लगाले! यह तिलक प्रबल सम्मोहनकारी होता है ! इस लेप को रवि पुष्य के दिन बना कर तैयार कर ले जब आवश्यकता हो तिलक कर के समारोह - मीटिंग -अधिकारी के समक्ष जाए पूरा लाभ मिलता ही है बिजनेस करने वालो को तो नित्य इसका तिलक करना ही चाहिए जिससे उनको अपनी बात ग्राहकों के समक्ष रखने में अनुकूलता प्राप्त होती ही है !

(३) विधिवत रविपुष्य में प्राप्त और पूजित श्वेतार्क मूल का टुकड़ा किसी धागे के सहारे कमर में बाँधकर सम्भोग रत होने से ! यह काम शक्ति को बढ़ाते हुए , वीर्य स्तम्भन तक कर देता है ऐसा सिद्धो का मत है !
नोट - श्वेतार्क मूल को शुभ मुहूर्त में लाने की पूरी एक विधवत विधि होती है और उस तरह से लाने और प्रयोग करने पर पूर्ण लाभ प्राप्त होता ही है !

भाईयो - बहनों समय कम है साधना -प्रयोग अनंत है अपनी सुविधा अनुसार प्रयोग करे ! एक दिन में एक से अधुक प्रयोग आप अपनी सुविधा अनुसार कर सकते है ! पुनः आप सब को बता दू की दिनांक २७ अक्तूबर -२०१३ को पड़ने वाला रवि पुष्य इस वर्ष का अन्तिम रविपुष्य है !

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त्वचा की देखभाल कैसे की जाए


अकसर युवा अपनी त्वचा को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं क्योंकि ऐसे मौसम में ही त्वचा पर इंफेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है। वैसे आप उबटन से पा सकते हैं दमकती त्‍वचा लेकिन हम कुछ खास टिप्स युवाओं के लिए बता रहे हैं। आइए जानें टिप्स फॉर यूथ। 

आपकी जीवनशैली और खानपान आपकी त्वचा को बहुत प्रभावित करती है। जंकफूड आपकी त्वचा को डल बनाता है इसीलिए खाने-पीने का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
चेहरे की चमक-दमक बरकरार रखने के लिए रोज चेहरे की ठीक तरह से साफ-सफाई करना जरूरी है।
हर रोज चेहरे को क्लीजिंग, टोनिंग, एक्सफोलिएशन, मॉश्चराइजिंग से सुबह-शाम धोना और साफ करना चाहिए।
धूप में जब भी बाहर निकले सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल कीजिए।
आप अपने चेहरे को ग्लो देने के लिए फेशियल भी करवा सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आपको ये पता होना जरूरी है कि फेशियल क्लीजिंग या ट्रीटमेंट में से कौन सा आपको करवाना है।
हरी सब्जियों के पानी से चेहरा धोने से भी त्वचा में चमक आती है।
युवा लड़कियों को फेशियल करवाने से बचना चाहिए लेकिन वे पील-ऑफ करवा सकती है। इससे त्वचा को अंदरूनी तौर पर किसी तरह का नुकसान नहीं होता बल्कि चेहरे पर जमा डेड स्किन हट जाती है।
चेहरे को चमकाने के लिए फेस मास्क का प्रयोग किया जा सकता है। इसे आप घर में भी कर सकती है। फेस मास्क मौसम के हिसाब से अलग-अलग होते है। गर्मियों में कूलिंग मास्क का प्रयोग किया जाता है। खीरे और मुल्तानी मिट्टी वाले फेस मास्क चेहरे का तरोताजा बनाते हैं साथ ही ठंडक भी देते हैं।
एक चम्मच शहद में एक चम्मच पानी मिलाकर चेहरे और गर्दन पर लगाएँ। सूख जाने पर पानी से चेहरा धो लें। इससे त्वचा चिकनी और कोमल होगी।
पौष्टिक भोजन के साथ ही व्यायाम, एक्सरसाइज करने से भी त्वचा में प्राकृतिक निखार आएगा।
आने लाइफ स्टाइल को बदले और जल्दी सोकर जल्दी उठने से भी आप हेल्दी रहेंगे और फ्रेश महसूस करेंगी।
हेल्दी और ग्लोइंग स्किन पाने के लिए तनावमुक्त रहना भी बेहद जरूरी है। साथ ही अपनी नींद पूरी करें।
तीन-चार बादाम दूध में भिगो दें। जब फूल जाएँ तब उन्हें दूध में पीसकर लेप बना लें और रात को सोने से पहले कुछ देर तक चेहरे पर मालिश करें और सुबह पानी से चेहरा धो लें।
बेसन में थोड़ा दही मिलाकर लेप बना लें और उसे चेहरे पर लगाएं। कुछ देर लगा रहने दें। फिर चेहरे को पानी से धो लें। इससे त्वचा का रंग सुधरेगा तथा चेहरे पर पड़े दाग-धब्बे, झुर्रियाँ आदि दूर होंगी।
दूध, शहद, संतरे का रस तथा गाजर का रस लेकर अच्छी तरह मिलाकर लेप तैयार कर लें। इससे चेहरे पर धीरे-धीरे मालिश करें। कुछ देर बाद चेहरा धो लें।

इन टिप्स को अपनाकर न सिर्फ आप ग्लोइंग स्किन पा सकती हैं बल्कि तरोताजा महसूस करते हुए हेल्दी भी रहेंगी।
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धूम्रपान का नकारात्‍मक असर पड़ता है इनसान की कार्यक्षमता पर


धूम्रपान का असर मानव कार्यक्षमता पर

धूम्रपान की लत हमारी सेहत के लिए कितनी खतरनाक है यह तो हम जानते ही हैं। हमें मालूम है कि धूम्रपान करने से कई बीमारियां इनसान को अपना शिकार बना लेती हैं। हृदय रोग, फेफड़े का रोग और कैंसर जैसे खतरनाक रोगों का बड़ा कारण धूम्रपान ही होता है। लेकिन, क्‍या धूम्रपान का असर केवल इनसान के स्‍वास्‍थ्‍य पर ही पड़ता है। 

एक ताजा सर्वे में यह बात सामने आयी है कि धूम्रपान करने की लत न केवल सेहत, बल्कि व्‍यक्ति की कार्यक्षमता पर भी असर डालती है। यानी सिगरेट की लत इनसान पर दोहरी मार करती है। व्‍यक्ति की सेहत और काम दोनों के लिए यह आदत बुरी मानी जाती है।

इस सर्वे में पाया गया कि सिगरेट पीने के लिए लोग अपने काम से ब्रेक लेते हैं। जिससे वे रोजाना करीब 45 मिनट अपनी सीट पर मौजूद नहीं रहते। इन सबको मिलाकर वे साल में एक हफ्ते की छुट्टी के बराबर काम से नदारद रहते हैं। यानी हर बार सिगरेट पीने के लिए अपनी सीट से उठने पर अपने काम का नुकसान करते हैं।

ब्रिटेन की एक कंपनी ने अपने सर्वे में यह दावा किया है। इसमें शामिल पांच में से एक व्‍यक्ति ने माना कि सिगरेट पीने के कारण वे उन सहकर्मियों के मुकाबले कम काम कर पाते हैं जो धूम्रपान नहीं करते। धूम्रपान करने वाले लोगों ने स्‍वीकारा कि वे रोजाना काम से छह बार ब्रेक लेते हैं। और हर बार सिगरेट पीने पर वह करीब साढ़े सात मिनट खर्च करते हैं।
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तुलसी के पौधे के मुरझाने का कारण


आपके घर में तुलसी के पौधे का न बढ़ पाने तथा कुछ समय बाद ही मुरझा जाने के तथ्य से पहले आपको यह जानना होगा कि आप के आसपास का वातावरण कैसा है? क्योंकि आज के इंसानी शरीर के अन्दर वातावरण को जानने की शक्ति नहीं बची है | आधुनिक जीवनशैली का मनुष्य काम। क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार के दोष से जकड़ा हुआ है |

वातावरण को जानने की शक्ति सिर्फ जानवरों तथा पक्षियों के पास ही बची हुई है | आप ध्यान से देखना जिस जगह का वातावरण नकारात्मक होता है, उस जगह पर जानवर तथा पक्षी भी नहीं जाते हैं क्योंकि इनके अन्दर नकारात्मक ऊर्जा को पहचानने की शक्ति होती है | जानवरों व पक्षियों से अधिक पेड़-पौधों में नकारात्मक ऊर्जा को जानने की शक्ति होती है |

आपके घर का वातावरण नकारात्मक ऊर्जा से भरा है तो आपके घर में तुलसी के पौधे का न बढ़ पाने व कुछ ही समय में मुरझा जाने का भी मुख्य कारण यही है |

आईये अब मैं आपको तुलसी के पौधे के विषय में समझाता हूँ | तुलसी का पौधा हमेशा पाजिटिव ऊर्जा में ही चल सकता है | तुलसी का पौधा खुद अपने आप में एक पाजिटिव ऊर्जा लिये होता है क्योंकि पांच तत्वों के अनुसार तुलसी के पौधे में अग्नि तत्व की मात्रा बहुत अधिक होती है तथा पांच तत्वों में अग्नि तत्व को प्रधान तत्व माना गया है | इसीलिये तुलसी का पौधा बहुत ही ज्यादा गर्मी लिये हुये होता है |

उदाहरण के तौर पर जब आपको सर्दी, खांसी व जुकाम हो जाता है तो तुलसी के चार पत्तों की चाय आपको तुरन्त गर्मी देकर आपके सर्दी, खांसी व जुकाम को ठीक कर देती है |
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गुड के औषधीय गुण



गुड़ गन्ने से तैयार एक शुद्ध, अपरिष्कृत पूरी चीनी है। यह खनिज और विटामिन है जो मूल रूप से गन्ने के रस में ही मौजूद हैं। यह प्राकृतिक होता है। पर लिए ज़रूरी है की देशी गुड लिया जाए , जिसके रंग साफ़ करने में सोडा या अन्य केमिकल ना हो। यह थोड़े गहरे रंग का होगा।इसे चीनी का शुद्धतम रूप माना जाता है। गुड़ का उपयोग मूलतः दक्षिण एशिया मे किया जाता है। भारत के ग्रामीण इलाकों मे गुड़ का उपयोग चीनी के स्थान पर किया जाता है। गुड़ लोहतत्व का एक प्रमुख स्रोत है और रक्ताल्पता (एनीमिया) के शिकार व्यक्ति को चीनी के स्थान पर इसके सेवन की सलाह दी जाती है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार गुड़ का उपभोग गले और फेफड़ों के संक्रमण के उपचार में लाभदायक होता है।
- देशी गुड़ प्राकृतिक रुप से तैयार किया जाता है तथा कोई रसायन इसके प्रसंस्करण के लिए उपयोग नहीं किया जाता है, जिससे इसे अपने मूल गुण को नहीं खोना पड़ता है, इसलिए यह लवण जैसे महत्वपूर्ण खनिज से युक्त होता है।
- गुड़ सुक्रोज और ग्लूकोज जो शरीर के स्वस्थ संचालन के लिए आवश्यक खनिज और विटामिन का एक अच्छा स्रोत है।
- गुड़ मैग्नीशियम का भी एक अच्छा स्रोत है जिससे मांसपेशियों, नसों और रक्त वाहिकाओं को थकान से राहत मिलती है।
- गुड़ सोडियम की कम मात्रा के साथ-साथ पोटेशियम का भी एक अच्छा स्रोत है, इससे रक्तचाप को नियंत्रित बनाए रखने में मदद मिलती है।
- भोजन के बाद थोडा सा गुड खा ले ; सारा भोजन अच्छे से और जल्दी पच जाएगा।
- गुड़ रक्तहीनता से पीड़ित लोगों के लिए बहुत अच्छा है, क्योंकि यह लोहे का एक अच्छा स्रोत है यह शरीर में हीमोग्लोबिन स्तर को बढाने में मदद करता है।
- यह सेलेनियम के साथ एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है।
- गुड़ में मध्यम मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस और जस्ता होता है जो बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
- यह रक्त की शुद्धि में भी मदद करता है, पित्त की आमवाती वेदनाओं और विकारों को रोकने के साथ साथ गुड़ पीलिया के इलाज में भी मदद करता है।
- गुड़ शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करता है। सर्दियों में, यह शरीर के तापमान को विनियमित करने में मदद करता है।
- यह खांसी, दमा, अपच, माइग्रेन, थकान व इसी तरह की अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से निपटने में मदद करता है। - यह संकट के दौरान तुरन्त ऊर्जा देता है।
- लड़कियों के मासिक धर्म को नियमित करने यह मददगार होता है।
- गुड़ गले और फेफड़ों के संक्रमण के इलाज में फायदेमंद होता है।
- यह व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में सहायक होता है।
- गुड़ शरीर में जल के अवधारण को कम करके शरीर के वजन को नियंत्रित करता है।
- उपरोक्त गुणों के अतिरिक्त गुड़ उच्च स्तरीय वायु प्रदूषण में रहने वाले लोगों को इससे लड़ने में मदद करता है, संक्षेप में कहें, तो गुड़ एक खाद्य पदार्थ कम, औषधि ज्यादा है।

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सिर्फ तीन आसान एक्सरसाइज और तोंद गायब


सिर्फ तीन आसान एक्सरसाइज और तोंद गायब

बढ़ती तोंद अगर इन दिनों आपके जीवन का सबसे बड़ा तनाव है और इसे कम करने की मशक्कत में पसीना बहाकर आप तंग आ चुके हैं तो हमारे पास आपके लिए तीन आसान एक्सरसाइज हैं। हेल्दी डाइट और रोज सुबह 20 मिनट की सैर यकीनन आपके पेट की चर्बी घटाने में कारगर होगी।

1. साइकिल क्रंच
जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं और दोनों हाथों को सिर के नीचे लगाएं। अब पैरों से हवा में साइकिल चलाने का अभ्यास करें, साथ ही शरीर के ऊपरी हिस्से को उसी अवस्था में ऊपर उठाएं कि कोहनी से घुटने छूने चाहिए। तीन मिनट तक इसका अभ्यास दिन में कम से कम दो बार करें।

2. बोट स्टाइल
'बोट' यानी नाव के आकार में शरीर को स्ट्रेच करने की यह एक्सरसाइज पेट का फैट कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है। इसके लिए जमीन पर बैठ जाएं, दोनों पैर सीधे होने चाहिए। अब दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए सांस खींचें और झुकते हुए दोनों पंजों को हाथों से छुएं। कोशिश करें कि आपके कंधों से घुटने छूने चाहिए। रोज दिन में तीन बार यह एक्सरसाइज करें।

3. प्लैंक
पेट के बल सीधे लेट जाएं जिससे पंजे और माथा जमीन पर टिका हो। अब पंजों और हाथों के बल शरीर को ऊपर उठाएं जिससे शरीर का भार इन पर ही पड़े। 10 सेकंड तक इसी अवस्था में रहने के बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं। दिन में तीन बार इसे करें।

रोज इन्हें अपने रुटीन में शामिल करेंगे तो वाकई फर्क महसूस करेंगे।
 

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आंवले के प्रयोग Uses of Amla


बालों के रोग : -आंवले का चूर्ण पानी में भिगोकर रात्रि में रख दें। सुबह इस पानी से रोजाना बाल धोने से उनकी जड़े मजबूत होंगी, उनकी सुंदरता बढ़ेगी और मेंहदी मिलाकर बालों में लगाने से वे काले हो जाते हैं।

"पेशाब की जलन : -* आधा कप आंवले के रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर पिएं।
* हरे आंवले का रस 50 ग्राम, शक्कर या शहद 25 ग्राम थोड़ा पानी मिलाकर सुबह-शाम पीएं। यह एक खुराक का तोल है। इससे पेशाब खुलकर आयेगा जलन और कब्ज ठीक होगी। इससे शीघ्रपतन भी दूर होता है।"

"हकलाहट, तुतलापन : -* बच्चे को 1 ताजा आंवला रोजाना कुछ दिनों तक चबाने के लिये दें। इससे जीभ पतली, आवाज साफ, हकलाना और तुतलापन दूर होता है।
* हकलाने और तुतलाने पर कच्चे, पके हरे आंवले को कई बार चूस सकते हैं।"

खून के बहाव (रक्तस्राव) : -स्राव वाले स्थान पर आंवले का ताजा रस लगाएं, स्राव बंद हो जाएगा।

धातुवर्द्धक (वीर्यवृद्धि) : -एक चम्मच घी में दो चम्मच आंवले का रस मिलाकर दिन में 3 बार कम-से-कम 7 दिनों तक ले सकते हैं।

पेशाब रुकने पर : -कच्चे आंवलों को पीसकर बनी लुग्दी पेडू पर लगाएं।

आंखों (नेत्र) के रोग में : -* लगभग 20-50 ग्राम आंवले के फलों को अच्छी तरह से पीसकर 2 घंटे तक आधा किलो ग्राम पानी में उबालकर उस जल को छानकर दिन में 3 बार आंखों में डालने से आंखों के रोगों में बहुत लाभ होता है।
* वृक्ष पर लगे हुये आंवले में छेद करने से जो द्रव पदार्थ निकलता है। उसका आंख के बाहर चारों ओर लेप करने से आंख के शुक्ल भाग की सूजन मिटती है।
* आंवले के रस को आंखों में डालने अथवा सहजन के पत्तों का रस 4 ग्राम तथा सेंधानमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग इन्हें एक साथ मिलाकर आंखों में लगाने से शुरुआती मोतियाबिंद (नूतन अभिष्यन्द) नष्ट होता है।
* लगभग 6 ग्राम आंवले को पीसकर ठंडे पानी में भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उन आंवलों को निचोड़कर फेंक दें और उस जल में फिर दूसरे आंवले भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उनको भी निचोड़ कर फेंक दें। इस प्रकार 3-4 बार करके उस पानी को आंखों में डालना चाहिए। इससे आंखो की फूली मिटती है।
* आंवले का रस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। आंवले के साथ हरा धनिया पीसकर खाने से भी आंखों के रोग में लाभ होता है"

सुन्दर बालों के लिए : -* सूखे आंवले 30 ग्राम, बहेड़ा 10 ग्राम, आम की गुठली की गिरी 50 ग्राम और लौह चूर्ण 10 ग्राम, रात भर कढाई में भिगोकर रखें। बालों पर इसका रोजाना लेप करने से छोटी आयु में सफेद हुए बाल कुछ ही दिनों में काले पड़ जाते हैं।
* आंवले, रीठा, शिकाकाई तीनों का काढ़ा बनाकर सिर धोने से बाल मुलायम, घने और लम्बे होते हैं।
* आंवले और आम की गुठली की मज्जा को साथ पीसकर सिर में लगाने से मजबूत लंबे केश पैदा होते हैं।

आवाज का बैठना : -* अजमोद, हल्दी, आंवला, यवक्षार, चित्रक इनको समान मात्रा में मिलाकर, 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच मधु और 1 चम्मच घी के साथ चाटने से आवाज का बैठना ठीक हो जाता है।
* एक चम्मच पिसे हुए आंवले को गर्म पानी से फंकी लेने से बैठा हुआ गला खुल जाता है और आवाज साफ आने लगती है।
* कच्चे आंवले बार-बार चूस-चूसकर खाएं।

हिक्का (हिचकी) : -* पिपली, आंवला, सोंठ इनके 2-2 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम खांड तथा एक चम्मच शहद मिलाकर बार-बार प्रयोग करने से हिचकी तथा श्वास रोग शांत होते हैं।
* आंवले के 10-20 ग्राम रस और 2-3 ग्राम पीपल का चूर्ण, 2 चम्मच शहद के साथ दिन में सुबह और शाम सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
* 10 ग्राम आंवले के रस में 3 ग्राम पिप्पली चूर्ण और 5 ग्राम शहद मिलाकर चाटने से हिचकियों से राहत मिलती है।
* आंवला, सोंठ, छोटी पीपल और शर्करा के चूर्ण का सेवन करने से हिचकी नहीं आती है।
* आंवले के मुरब्बे की चाशनी के सेवन से हिचकी में बहुत लाभ होता है।


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एक रहस्य जो आपका जीवन बदल सकता है.



एक हीरा व्यापारी था जो हीरे का बहुत बड़ा विशेषज्ञ माना जाता था । किन्तु किसी गंभीर बीमारी के चलते अल्प आयु में ही उसकी मृत्युहो गयी । अपने पीछे वह अपनी पत्नी और बेटा छोड़ गया ।

जब बेटा बड़ा हुआ तो उसकी माँ ने कहा, “बेटा , मरने से पहले तुम्हारे पिताजी ये पत्थर छोड़ गए थे, तुम इसे लेकर बाज़ार जाओ और इसकी कीमतका पता लगाओ | लेकिन ध्यान रहे कि तुम्हे केवल कीमत पता करनी है, इसे बेचना नहीं है |”

युवक पत्थर लेकर निकला, सबसे पहले उसे एक सब्जी बेचने वाली महिला मिली |

”अम्मा, तुम इस पत्थर के बदले मुझे क्या दे सकती हो ?”, युवक ने पूछा |

”देना ही है तो दो गाजरों के बदले मुझे ये दे दो | तौलने के काम आएगा |”- सब्जी वाली बोली ।

युवक आगे बढ़ गया । इस बार वो एक दुकानदार के पास गया और उससे पत्थर की कीमत जानना चाही ।

दुकानदार बोला, ” इसके बदले मैं अधिक से अधिक 500 रूपये दे सकता हूँ, देना हो तो दो नहीं तो आगे बढ़ जाओ” |

युवक इस बार एक सुनार के पास गया, सुनार ने पत्थर के बदले 20 हज़ार देने की बात की |

फिर वह हीरे की एक प्रतिष्ठित दुकान पर गया वहां उसे पत्थर के बदले 1 लाख रूपये का प्रस्ताव मिला |

और अंत में युवक शहर के सबसेबड़े हीरा विशेषज्ञ के पास पहुंचा और बोला,” श्रीमान , कृपया इस पत्थर की कीमत बताने का कष्ट करें” |

विशेषज्ञ ने ध्यान से पत्थर का निरीक्षण किया और आश्चर्य से युवक की तरफ देखते हुए बोला, ”यह तो एक अमूल्य हीरा है | करोड़ों रूपये देकर भी ऐसा हीरा मिलना मुश्किल है” |

यदि हम गहराई से सोचें तो ऐसा ही मूल्यवान हमारा मानव जीवन भी है | यह अलग बात है कि हम में से बहुत से लोग इसकी कीमत नहीं जानते और सब्जी बेचने वाली महिला की तरह इसे मामूली समझ तुच्छ कामो में लगा देते हैं ।

आइये हम प्रार्थना करें कि परमेश्वर सभी को इस मूल्यवान जीवन को समझने की सद्बुद्धि दे और हम हीरे के विशेषज्ञ की तरह इस जीवन का मूल्य आंक सकें .
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कटहल खाने के 7 तरीके: ऐसे खाएंगे तो ये रोग बिल्कुल खत्म हो जाएंगे

ग्रामीण अंचलों में सब्जी के तौर पर खाया जाने वाला कटहल कई तरह के औषधीय गुणों से भरपूर है। कटहल का वानस्पतिक नाम आर्टोकार्पस हेटेरोफ़िल्लस है। कटहल के फलों में कई महत्वपूर्ण प्रोटीन्स, कार्बोहाईड्रेड्स के अलावा विटामिन्स पाए जाते है। सब्जी के तौर पर खाने के अलावा कटहल के फलों का अचार और पापड़ भी बनाया जाता है। आदिवासी अंचलों में कटहल का उपयोग अनेक रोगों के इलाज के लिए किया जाता है।

चलिए आज जानते हैं कुछ ऐसे ही चुनिन्दा हर्बल नुस्खों के बारे में..

कटहल के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डांग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।

अल्सर में है बेहतरीन दवा
कटहल की पत्तियों की राख अल्सर के इलाज के लिए बहुत उपयोगी होती है। हरी ताजा पत्तियों को साफ धोकर सुखा लिया जाए। सूखने के बाद पत्तियों का चूर्ण तैयार किया जाए और पेट के अल्सर से ग्रस्त व्यक्ति को इस चूर्ण को खिलाया जाए तो आराम मिलता है।

मुंह के छालों में असरदार
जिन्हें मुंह में बार-बार छाले होने की शिकायत हो उन्हें कटहल की कच्ची पत्तियों को चबाकर थूकना चाहिए, आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार यह छालों को ठीक कर देता है।

खाना जल्दी पचा देता है
पके हुए कटहल के गूदे को अच्छी तरह से मैश करके पानी में उबाला जाए। इस मिश्रण को ठंडा कर एक गिलास पीने से जबरदस्त स्फ़ूर्ती आती है। यही मिश्रण यदि अपचन से ग्रसित रोगी को दिया जाए तो उसे फ़ायदा मिलता है।

जोड़ों के दर्द में रामबाण
फल के छिलकों से निकलने वाला दूध यदि गांठनुमा सूजन, घाव और कटे-फ़टे अंगों पर लगाया जाए तो आराम मिलता है। इसी दूध से जोड़ दर्द होने पर जोड़ों पर मालिश की जाए तो आराम मिलता है।

डायबिटीज में लाभदायक
डांग- गुजरात के आदिवासी कटहल की पत्तियों के रस का सेवन करने की सलाह डायबिटीज के रोगियों को देते है। यही रस हाईब्लडप्रेशर के रोगियों के लिए भी उत्तम है।

गले के रोगों को मिटा देता है
कटहल पेड़ की ताजी कोमल पत्तियों को कूट कर छोटी-छोटी गोली बनाकर लेने से गले के रोग में फायदा होता है।

कब्ज को खत्म करता है
पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार पके फलों का ज्यादा सेवन करने से पेट साफ होता है और अपचन की समस्या का निवारण हो जाता है।
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