चाकलेट के दुष्परिणाम


चाकलेट ह्रदय, मस्तिष्क, मन व बुद्धि पर विपरीत प्रभाव डालता है | इसका सेवन कई घातक बीमारियों का कारण है | इसमें पाये जानेवाले हानिकारक तत्त्व है :

(१) कैफीन : व्यक्ति को चाकलेट खाने के अधीन करता है | इससे चित्त अधिक विचलित होता है | नींद बिगड़ती है | सिरदर्द व आँतों के विकार उत्पन्न होते है | ह्रदय, रक्त-संचरण, ग्रंथियों से संबंधित तकलीफें, तंत्रिका-विकार, अस्थि-भंगुरता (osteoporosis), महिलाओं में प्रसव-संबंधी तकलीफें तथा अन्य रोग होते हैं|

(२) सीसा ( Lead ) : यह एक अत्यंत हानिकारक खनिज है, जो बोद्धिक विकास रोकता है | इससे बुद्धि -गुणांक ( IQ ) कम होता है | ह्रदय की गति में अतिरिक्त वृद्धी होती है |

(३) थियोब्रोमाइन : असामान्य ग्रंथि-वृद्धि, अवसाद, बेचैनी, अनिंद्रा, पाचनतंत्र के रोग और खुजली जैसे कई रोग होते हैं |

(४) वेसोएक्टिव एमाइन्स : मस्तिष्क की रक्तवाहिनियों को प्रसारित कर सिरदर्द कराते हैं |

(५) सेच्युरेटेड फेट्स व अतिरिक्त शर्करा : कोलेस्ट्राल व ब्लडप्रेशर बढ़ाते हैं | ह्रदय की रक्तवाहिनियों को अवरुद्ध कर ह्रदयरोग उत्पन्न करते हैं | इनसे मोटापा, दाँतों के रोग व कील-मुंहासे होते हैं |

(६) थियोफालीन : पेट की तकलीफें व तंत्रिका-विकार होते हैं |

( ७) टिरपटोंफेन : शुरू में ख़ुशी व स्फूर्ति का एहसास दिलाकर बाद में थकाता है | अत: हानिकारक द्रव्यों से युक्त ऐसे चाकलेट का सेवन करने की अपेक्षा स्वास्थ्य, बुद्धि व बलवर्धक तुलसी-गोलियों का सेवन करें |



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नजला/ जुकाम/खांसी/ दमा/खरार्टे के लिए चिकित्सा


जौ (Barley) एक किस्म का अनाज होता है जो कुछ कुछ गेहूं जैसा दिखता है। बाजार से लगभग 250 ग्राम जौ ले आएँ। ध्यान रहे कि इसमे घुन न लगा हुआ हो। इसे साफ कर ले। मंद मंद आग पर कड़ाही मे डाल कर भून ले। ध्यान रहे कि जले नहीं। इसके बाद इसे मोटा मोटा कूट/ पीस ले।
जरूरत के समय 1 बड़ा चम्मच जौ का चूर्ण लेकर उसमे 1 छोटा चम्मच देशी घी मिला कर तेज गरम तवे पर या तेज गरम लोहे की कड़छी मे डाल कर इसका धुआँ नाक से या मुँह से खींचें। यदि लकड़ी के जलते हुए कोयले पर डाल कर धुआँ खींचे तो और भी अधिक लाभदायक है। धुआँ लेने के 15 मिनट पहले और 2 घंटे बाद तक ठंडा पानी न पिए। प्यास लगे तो गरम दूध पिए।

यदि बार बार मुँह सूखता हो और प्यास लगती हो तो ये प्रयोग न करें।

नए जुकाम मे जब सिर भारी हो और नाक बंद तब यह प्रयोग करें और चमत्कार देखें। 5 मिनट मे फायदा होगा।
खांसी, दमे मे इन्हेलर कि तरह तत्काल फायदा दिखता है।
खर्राटे मे प्रतिदिन ये धुआँ लें। सुबह शाम किसी भी समय ले सकते हैं।
कोई साइड इफेक्ट नहीं। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित।
अन्य दवाओं के साथ भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
बदलते मौसम मे स्वस्थ भी प्रयोग करें ताकि नजले जुकाम से बच सकें।
दिन मे 4 बार तक प्रयोग कर सकते हैं। एक समय मे 4 बड़े चम्मच जौ घी
मिला कर प्रयोग कर सकते हैं

यदि बार बार मुँह सूखता हो और प्यास लगती हो तो ये प्रयोग न करें।
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विभिन्न रोगों के लिए औषधियों के नुस्खे



(1) 50 से 200 मि.ली. छाछ में जीरा और सेंधा नमक डालकर उसके साथ निर्गुण्डी के पत्तों का 20 से 50 मि.ली. रस पीने से वात रोगों से मुक्ति मिलती है।

(2) रसवंती के साथ शहद मिलाकर लगाने से डिप्थिरिया, टॉन्सिल, गले के रोग, मुँह का पकना, भगंदर, गंडमाल आदि मिटते हैं।

(3) मेथी की सब्जी का नियमित सेवन करने से अथवा उसका दो-दो चम्मच रस दिन में दो बार पीने से शरीर में कोई रोग नहीं होता।

(4) असगंध का चूर्ण, गुडुच का चूर्ण एवं गुडुच का सत्व 1-1 तोला लेकर उसमें घी-शहद (विषम-मात्रा) में मिलाकर दो महीने तक (शिशिर ऋतु में) में खाने से कमजोरी दूर होकर सब रोग नष्ट हो जाते हैं।

(5) स्वच्छ पानी को उबालकर आधा कर दें। ऐसा पानी बुखार, कफ, श्वास, पित्तदोष, वायु, आमदोष तथा मेद का नाशक है।

(6) प्रतिदिन प्रातःकाल 1 से 3 ग्राम हरड़ के सेवन से हर प्रकार के रोग से बचाव होता है।


महात्मा प्रयोगः हरड़ का पाँच तोला चूर्ण एवं सोंठ का ढाई तोला चूर्ण लेकर उसमें आवश्यकतानुसार गुड़ मिलाकर चने जितनी गोली बनायें। रात्रि को सोते समय 3 से 6 गोली पानी के साथ लें। जब जरूरत पड़े तब तमाम रोगों से उपयोग किया जा सकता है। यह कब्जियत को मिटाकर साफ दस्त लाती है।


कल्याण अमृत बिन्दुः कपूर, इजमेन्ट के फूल(क्रिस्टल मेन्थल), अजवाइन के फूल तीनों समान मात्रा में लेकर शीशी में डाल दें। तीनों मिलकर पानी बन जायेंगे। शीशी के ऊपर कार्क लगाकर फिर बंद कर दें ताकि दवा उड़ न जाये। इस दवा की 2 से 5 बूँद दिन में 3 से 4 बार पानी के साथ देने से कॉलरा, दस्त, मंदाग्नि, अरूचि, पेट का दर्द, वमन आदि मिटता है। दाँत अथवा दाढ़ के दर्द में इसमें रूई का फाहा भीगोकर लगायें। सिर अथवा बदनदर्द में इस दवा को तेल में मिलाकर मालिश करें। सर्दी-खाँसी होने पर थोड़ी सी दवा ललाट एवं नाक पर लगायें। छाती के दर्द में छाती पर लगायें। यह दवा सफर में साथ रखने से डॉक्टर का काम करती है।
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कुदरती पदार्थों से करें कब्ज का इलाज Treat constipation with natural substances

१—कब्ज का मूल कारण शरीर मे तरल की कमी होना है। पानी की कमी से आंतों में मल सूख जाता है और मल निष्कासन में जोर लगाना पडता है। अत: कब्ज से परेशान रोगी को दिन मे २४ घंटे मे मौसम के मुताबिक ३ से ५ लिटर पानी पीने की आदत डालना चाहिये। इससे कब्ज रोग निवारण मे बहुत मदद मिलती है।
२…भोजन में रेशे की मात्रा ज्यादा रखने से कब्ज निवारण होता है।हरी पत्तेदार सब्जियों और फ़लों में प्रचुर रेशा पाया जाता है। मेरा सुझाव है कि अपने भोजन मे करीब ७०० ग्राम हरी शाक या फ़ल या दोनो चीजे शामिल करें।
३… सूखा भोजन ना लें। अपने भोजन में तेल और घी की मात्रा का उचित स्तर बनाये रखें। चिकनाई वाले पदार्थ से दस्त साफ़ आती है। ४..पका हुआ बिल्व फ़ल कब्ज के लिये श्रेष्ठ औषधि है। इसे पानी में उबालें। फ़िर मसलकर रस निकालकर नित्य ७ दिन तक पियें। कज मिटेगी।
५.. रात को सोते समय एक गिलास गरम दूध पियें। मल आंतों में चिपक रहा हो तो दूध में ३ -४ चम्मच केस्टर आईल (अरंडी तेल) मिलाकर पीना चाहिये। ६..इसबगोल की की भूसी कब्ज में परम हितकारी है। दूध या पानी के साथ २-३ चम्मच इसबगोल की भूसी रात को सोते वक्त लेना फ़ायदे मंद है। दस्त खुलासा होने लगता है।यह एक कुदरती रेशा है और आंतों की सक्रियता बढाता है।
७..नींबू कब्ज में गुण्कारी है। मामुली गरम जल में एक नींबू निचोडकर दिन में २-३बार पियें। जरूर लाभ होगा।
८..एक गिलास दूध में १-२ चाम्मच घी मिलाकर रात को सोते समय पीने से भी कब्ज रोग का समाधान होता है।
९…एक कप गरम जल मे १ चम्म्च शहद मिलाकर पीने से कब्ज मिटती है। यह मिश्रण दिन मे ३ बार पीना हितकर है।
१०.. जल्दी सुबह उठकर एक लिटर गरम पानी पीकर २-३ किलोमीटर घूमने जाएं। बहुत बढिया उपाय है।
११..दो सेवफ़ल प्रतिदिन खाने से कब्ज में लाभ होता है। १२..अमरूद और पपीता ये दोनो फ़ल कब्ज रोगी के लिये अमॄत समान है। ये फ़ल दिन मे किसी भी समय खाये जा सकते हैं। इन फ़लों में पर्याप्त रेशा होता है और आंतों को शक्ति देते हैं। मल आसानी से विसर्जीत होता है।
१२..अंगूर मे कब्ज निवारण के गुण हैं । सूखे अंगूर याने किश्मिश पानी में ३ घन्टे गलाकर खाने से आंतों को ताकत मिलती है और दस्त आसानी से आती है। जब तक बाजार मे अंगूर मिलें नियमित रूप से उपयोग करते रहें।
13..एक और बढिया तरीका है। अलसी के बीज का मिक्सर में पावडर बनालें। एक गिलास पानी मे २० ग्राम के करीब यह पावडर डालें और ३-४ घन्टे तक गलने के बाद छानकर यह पानी पी जाएं। बेहद उपकारी ईलाज है।
१४.. पालक का रस या पालक कच्चा खाने से कब्ज नाश होता है। एक गिलास पालक का रस रोज पीना उत्तम है। पुरानी कब्ज भी इस सरल उपचार से मिट जाती है।
१५.. अंजीर कब्ज हरण फ़ल है। ३-४ अंजीर फ़ल रात भर पानी में गलावें। सुबह खाएं। आंतों को गतिमान कर कब्ज का निवारण होता है।
16.. मुनका में कब्ज नष्ट करने के तत्व हैं। ७ नग मुनक्का रोजाना रात को सोते वक्त लेने से कब्ज रोग का स्थाई समाधान हो जाता है।
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मोटापा कम करने के लिए ध्यान


मोटापा कम करने के लिए ध्यान ----
- कई लोग सोचते है की नियंत्रण में भोजन करेंगे ; पर वे
अधिक और गलत भोजन कर लेते है ; फिर पछताते है
जिसका कोई फायदा नहीं होता .
- इसके लिए आइये एक ध्यान सीखते है . कुछ अंगूर ले लें ...
काले , पीले , हरे , कैसे भी ले . - अब आँख बंद कर सुखासन (आलती पालती ) में बैठ
जाए .अब हाथों में एक अंगूर ले लें . उसे बंद आँखों से महसूस
करे . वह ठंडा है या गरम , गोल है , चिकना है और अन्य
बातें महसूस करे .
- अब उसे मुंह में रखे . अभी चबाये नहीं . उसे जीभ से महसूस
करे . जीभ से उसे मुंह में इधर उधर घुमाए और उसकी गोलाई और उसके स्वाद के बारे में सोचे .मुंह में बनने वाली लार
को महसूस करे .
- अब उसे एक बार चबाये और उससे निकलने वाले रस
को महसूस करे . उसे निगले नहीं ; मुंह में ही इधर उधर
घुमाए .वह कैसे स्वाद है ....मीठा , खट्टा ,महसूस करे .
- अब कुछ धीरे चबा कर निगल ले . सोचे की भगवान ने क्या कमाल के अंगूर बनाए है हमारे लिए ताकि हम स्वस्थ
रहे और हमारे शरीर का विकास हो .भगवान को मन ही मन
धन्यवाद दे .
- अब तक हमने टनों अंगूर खा लिए होंगे पर ऐसा स्वाद
कभी नहीं चखा होगा .
- कई लोग जल्दी जल्दी बहुत सारा खाना खा लेते है . पर मन संतुष्ट नहीं होता . फिर वे और खाते है .ऐसे खाने से वह
पचता भी नहीं . फिर कई टॉक्सिंस भी बनते है जो हमें
बीमार कर देते है . और मोटापा भी बढ़ता है .
- यहीं तरीका हर समय भोजन के पहले अपनाए ; तो थोड़े में
ही भूख भी मिटेगी और मन संतुष्ट होगा . भोजन अच्छे से
पचेगा . - इसीलिए हमें टीवी देखते देखते , बातें करते , पढ़ते पढ़ते
नहीं खाना चाहिए . हमारा ध्यान पूरी तरह खाने पर
ही हो .
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मटर


मटर --
- मटर का मौसम आ गया है. मटर छिलना , उसे साल भर के लिए प्रीजर्व करना आदि काम शुरू हो चुके है.
- इसके लिए एक सुझाव है की बच्चों को शाम को टीवी देखते समय मटर छिलने को दे दें. वे बातें करते करते ये काम निपटा डालेंगे और साथ ही साथ ताज़ी मीठी मटर के दाने खाते भी जायेंगे जो उनके लिए बहुत अच्छे है.
- सभी छिल्कें एक अखबार के पन्ने में लपेट कर गाय को खिला दें.
- मटर त्रिदोष नाशक है; यह मल को बाँधने वाली है.
- कच्ची मटर खाने से कब्ज़ दूर होती है।
- ये स्त्रियों में माहवारी की रुकावट दूर करता है।
- मटर खाने से रक्त और माँस बढ़कर शरीर स्वस्थ होता है।
- मटर प्रोटीन का उत्तम साधन है।
- शरीर में कहीं भी दाह, जलन हो, हरी मटर पीसकर लेप करें।
- एक शोध में पता चला है कि हरी मटर में काउमेस्‍ट्रोल होता है जो कि एक प्रकार का फाइटोन्‍यूट्रीयन्‍ट होता है, अगर शरीर में इसकी संतुलित मात्रा होती है तो कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह भी पता चला है कि अगर आप हर दिन हरी मटर का सेवन करें तो पेट का कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है।
- हरी मटर में विटामिन के भरपूर मात्रा में होता है जिससे हड्डियां मजबूत होती है। यह ऑस्टियोपोरोसिस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है।
- हरी मटर में शरीर से ट्राइग्लिसराइड्स के स्‍तर को कम करने का गुण होता है जिससे कोलेस्‍ट्रॉल नियंत्रित रहता है।
- इसमें एंटी - इनफ्लैमेटरी कम्‍पाउंड और एंटी - ऑक्‍सीडेंट दोनों भरपूर मात्रा में होते है। जिससे दिल की बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है।
- हरी मटर उच्‍च फाइबर से भरपूर होती है जिसके सेवन से फैट नहीं बढ़ता है। इसलिए यह वजन घटाने में सहायक है।
- हरी मटर के एंटी - ऑक्‍सीडेंट शरीर को चुस्‍त - दुरूस्‍त रखने में सहायक होते है। इसके अलावा, हरी मटर में फ्लैवानॉड्स, फाइटोन्‍यूटिंस, कैरोटिन आदि होते है जो हमें हमेशा जवान और शक्ति से भरपूर बनाएं रखता है।
- हरी मटर के नियमित सेवन से भूलने की समस्‍या दूर हो जाती है।
- हरी मटर में उच्‍च फाइबर और प्रोटीन तत्‍व होते है जो शरीर में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करते है।
- भूनी हुई मटर के दाने और नारंगी के छिलकों को दूध में पीसकर उबटन करने से शरीर का रंग निखर जाता है।कुछ दिनों तक चेहरे पर पिसी मटर का उबटन मलते रहने से झांई और धब्बे समाप्त हो जाते है।
- यदि जाड़ो के दिनों में उंगलियों सूज जाये तो मटर के दानों का काढ़ा बनाये और थोड़े गर्म काढ़े में कुछ देर उंगलियों डुबोकर रखनी चाहिए अथवा इसके साथ मीठा तेल मिलाकर उंगलियों को धोना चाहिये।
- मटर को उबाल कर इस पानी से स्नान करने से शरीर की सूजन दूर होती है.
- शाम को यूँ ही कुछ खाने का मन हो तो ताज़ी मटर फलियों को धो कर उन्हें घी जीरे से बघार कर थोड़ा ढक कर पका लें. जब ये फलियाँ पक जाए तो इन्हें छिलके समेत खाए. ये बहुत ही स्वादिष्ट लगती है.
- मटर के दाने उबाल कर चाट की तरह खाए जा सकते है.
- इसकी कचौड़ियाँ , पराठे आदि भी बनते है.
- तो आप किस तरह मटर बनाने वाले है ?
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पथरी stones


शरीर में अम्लता बढने से लवण जमा होने लगते है और जम कर पथरी बन जाते है . शुरुवात में कई दिनों तक मूत्र में जलन आदि होती है , जिस पर ध्यान ना देने से स्थिति बिगड़जाती है .
धूप में व तेज गर्मी में काम करने से व घूमने से उष्ण प्रकृति के पदार्थों के अति सेवन से मूत्राशय परगर्मी का प्रभाव हो जाता है, जिससे पेशाब में जलन होती है।
कभी-कभी जोर लगाने पर पेशाब होती है, पेशाब में भारी जलन होती है, ज्यादा जोर लगाने पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पेशाब होती है। इस व्याधि को आयुर्वेद में मूत्र कृच्छ कहा जाता है। इसका उपचारहै-
उपचार : कलमी शोरा, बड़ी इलायची के दाने, मलाईरहित ठंडा दूध वपानी। कलमी शोरा व बड़ी इलायची के दाने महीन पीसकर दोनों चूर्ण समान मात्रा में लाकर मिलाकर शीशी में भर लें।एक भाग दूध व एक भाग ठंडा पानी मिलाकर फेंट लें, इसकी मात्रा 300 एमएल होनी चाहिए। एक चम्मच चूर्ण फांककर यह फेंटा हुआ दूध पी लें। यह पहली खुराक हुई। दूसरी खुराक दोपहर में व तीसरी खुराक शाम को लें।दोदिन तक यह प्रयोग करने से पेशाब की जलन दूर होती है व मुँह के छाले व पित्त सुधरता है। शीतकाल में दूध में कुनकुना पानी मिलाएँ।
- महर्षि सुश्रुत के अनुसार सात दिन तक गौदुग्ध के साथ गोक्षुर पंचांग का सेवन कराने में पथरीटूट-टूट कर शरीर से बाहर चली जाती है । मूत्र के साथ यदि रक्त स्राव भी हो तो गोक्षुर चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ पिलाते हैं ।
- गोमूत्र के सेवन सेभी पथरी टूट कर निकल जाती है .
- मूत्र रोग संबंधी सभी शिकायतों यथा प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब का अपने आप निकलना (युरीनरी इनकाण्टीनेन्स), नपुंसकता, मूत्राशय की पुरानी सूजन आदि में गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारीविकृतियाँ दूर होती हैं ।
- गिलास अनन्नास का रस, १ चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्वलेने से पिशाब खुलकरआता है और पिशाब सम्बन्धी अन्य समस्याए दूर होती है|
- खूब पानी पिए .
- कपालभाती प्राणायाम करें .
- हरी सब्जियां , टमाटर , काली चाय,चॉकलेट , अंगूर , बीन्स , नमक , एंटासिड , विटामिन डी सप्लीमेंट कम ले .
- रोजाना विटामिन बी-६ (कम से कम १० मि.ग्रा. ) और मैग्नेशियम ले .
- यवक्षार ( जौ की भस्म ) का सेवन करें .
- मूली और उसकी हरी पत्तियों के साथ सब्जी का सुबह सेवन करें .
- ६ ग्राम पपीते को जड़ को पीसकर ५० ग्राम पानी मिलकर २१दिन तक प्रातः और सायं पीने से पथरी गल जाती है।
- पतंजलि का दिव्य वृक्कदोष हर क्वाथ १० ग्राम ले कर डेढ़ ग्लास पानी में उबाले .चौथाई शेष रह जाने पर सुबह खाली पेट और दोपहर के भोजन के ५-६ घंटे बादले .इसके साथ अश्मरिहर रस के सेवनसे लाभ होगा . जिन्हें बार बार पथरी बनाने की प्रवृत्ति है उन्हें यह कुछ समय तक लेना चाहिए .
- मेहंदी की छाल को उबाल कर पीने से पथरी घुल जाती है .
- नारियल का पानी पीने से पथरी में फायदा होता है। पथरीहोने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।
- 15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दोचम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।
- पका हुआ जामुन पथरीसे निजात दिलाने मेंबहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
- बथुआ की सब्जी खाए .
- आंवला भी पथरी में बहुत फायदा करता है।आंवला का चूर्ण मूलीके साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।
- जीरे और चीनी को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच ठंडे पानी से रोज तीन बार लेने से लाभ होता है और पथरी निकल जाती है।
- सहजन की सब्जी खानेसे गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लीजिए, फायदा होगा ।
- मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए। अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए, इस घोल को पी‍जिए। पथरीनिकल जाएगी।
- चाय, कॉफी व अन्य पेय पदार्थ जिसमें कैफीन पाया जाता है, उन पेय पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए।
- तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।
- जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
- बेल पत्थर को पर जरा सा पानी मिलाकर घिस लें, इसमें एक साबुत काली मिर्च डालकर सुबह काली मिर्च खाएं। दूसरे दिन काली मिर्च दो कर दें और तीसरे दिन तीन ऐसे सात काली मिर्च तक पहुंचे।आठवें दिन से काली मिर्च की संख्या घटानी शुरू कर दें और फिर एक तक आ जाएं। दो सप्ताह के इस प्रयोग से पथरी समाप्त हो जातीहै। याद रखें एक बेल पत्थर दो से तीन दिन तक चलेगा
पथरी ----

शरीर में अम्लता बढने से लवण जमा होने लगते है और जम कर पथरी बन जाते है . शुरुवात में कई दिनों तक मूत्र में जलन आदि होती है , जिस पर ध्यान ना देने से स्थिति बिगड़जाती है .
धूप में व तेज गर्मी में काम करने से व घूमने से उष्ण प्रकृति के पदार्थों के अति सेवन से मूत्राशय परगर्मी का प्रभाव हो जाता है, जिससे पेशाब में जलन होती है।
कभी-कभी जोर लगाने पर पेशाब होती है, पेशाब में भारी जलन होती है, ज्यादा जोर लगाने पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पेशाब होती है। इस व्याधि को आयुर्वेद में मूत्र कृच्छ कहा जाता है। इसका उपचारहै-
उपचार : कलमी शोरा, बड़ी इलायची के दाने, मलाईरहित ठंडा दूध वपानी। कलमी शोरा व बड़ी इलायची के दाने महीन पीसकर दोनों चूर्ण समान मात्रा में लाकर मिलाकर शीशी में भर लें।एक भाग दूध व एक भाग ठंडा पानी मिलाकर फेंट लें, इसकी मात्रा 300 एमएल होनी चाहिए। एक चम्मच चूर्ण फांककर यह फेंटा हुआ दूध पी लें। यह पहली खुराक हुई। दूसरी खुराक दोपहर में व तीसरी खुराक शाम को लें।दोदिन तक यह प्रयोग करने से पेशाब की जलन दूर होती है व मुँह के छाले व पित्त सुधरता है। शीतकाल में दूध में कुनकुना पानी मिलाएँ।
- महर्षि सुश्रुत के अनुसार सात दिन तक गौदुग्ध के साथ गोक्षुर पंचांग का सेवन कराने में पथरीटूट-टूट कर शरीर से बाहर चली जाती है । मूत्र के साथ यदि रक्त स्राव भी हो तो गोक्षुर चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ पिलाते हैं ।
- गोमूत्र के सेवन सेभी पथरी टूट कर निकल जाती है .
- मूत्र रोग संबंधी सभी शिकायतों यथा प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब का अपने आप निकलना (युरीनरी इनकाण्टीनेन्स), नपुंसकता, मूत्राशय की पुरानी सूजन आदि में गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारीविकृतियाँ दूर होती हैं ।
- गिलास अनन्नास का रस, १ चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्वलेने से पिशाब खुलकरआता है और पिशाब सम्बन्धी अन्य समस्याए दूर होती है|
- खूब पानी पिए .
- कपालभाती प्राणायाम करें .
- हरी सब्जियां , टमाटर , काली चाय,चॉकलेट , अंगूर , बीन्स , नमक , एंटासिड , विटामिन डी सप्लीमेंट  कम ले .
- रोजाना विटामिन बी-६ (कम से कम १० मि.ग्रा. ) और मैग्नेशियम ले .
- यवक्षार ( जौ की भस्म ) का सेवन करें .
- मूली और उसकी हरी पत्तियों के साथ सब्जी का सुबह सेवन करें .
- ६ ग्राम पपीते को जड़ को पीसकर ५० ग्राम पानी मिलकर २१दिन तक प्रातः और सायं पीने से पथरी गल जाती है।
- पतंजलि का दिव्य वृक्कदोष हर क्वाथ १० ग्राम ले कर डेढ़ ग्लास पानी में उबाले .चौथाई शेष रह जाने पर सुबह खाली पेट और दोपहर के भोजन के ५-६ घंटे बादले .इसके साथ अश्मरिहर रस के सेवनसे लाभ होगा . जिन्हें बार बार पथरी बनाने की प्रवृत्ति है उन्हें यह कुछ समय तक लेना चाहिए .
- मेहंदी की छाल को उबाल कर पीने से पथरी घुल जाती है .
- नारियल का पानी पीने से पथरी में फायदा होता है। पथरीहोने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।
- 15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दोचम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।
- पका हुआ जामुन पथरीसे निजात दिलाने मेंबहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
- बथुआ की सब्जी खाए .
- आंवला भी पथरी में बहुत फायदा करता है।आंवला का चूर्ण मूलीके साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।
- जीरे और चीनी को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच ठंडे पानी से रोज तीन बार लेने से लाभ होता है और पथरी निकल जाती है।
- सहजन की सब्जी खानेसे गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लीजिए, फायदा होगा ।
- मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए। अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए, इस घोल को पी‍जिए। पथरीनिकल जाएगी।
- चाय, कॉफी व अन्य पेय पदार्थ जिसमें कैफीन पाया जाता है, उन पेय पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए।
- तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।
- जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
- बेल पत्थर को पर जरा सा पानी मिलाकर घिस लें, इसमें एक साबुत काली मिर्च डालकर सुबह काली मिर्च खाएं। दूसरे दिन काली मिर्च दो कर दें और तीसरे दिन तीन ऐसे सात काली मिर्च तक पहुंचे।आठवें दिन से काली मिर्च की संख्या घटानी शुरू कर दें और फिर एक तक आ जाएं। दो सप्ताह के इस प्रयोग से पथरी समाप्त हो जातीहै। याद रखें एक बेल पत्थर दो से तीन दिन तक चलेगा
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दालचीनी


जो दालचीनी, पतली, मुलायम चमकदार, सुगंधित और चबाने परतमतमाहट एवं मिठास उत्पन्न करने वाली हो, वह श्रेष्ठ होती है।दालचीनी की तासीर गर्म होती है।अत: गर्मी के मौसम में इसका कम से कम मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए। दालचीनी का सेवन लम्बे समय तक व लगातार मात्रा में नहीं करना चाहिए।वात-पित्त नाशक, मुंह का सूखना और प्यास को कम करने वाली होती है।दालचीनी की क्रिया श्वसन संस्थान पर अधिक होती है। यह कफ, जुकाम, क्षय (टी.बी) को नष्ट करती है। यह उत्तेजक, दर्दनाशक, स्नायु संस्थान में उत्तेजना लाने वाली,भूख बढ़ाने वाली, पाचक, अरुचि, उल्टी रोकने वाली, पेट के कीड़ों को नष्ट करने वाली, मल को गाढ़ा करने वाली, दस्त बंद करने वाली, बदबूनाशकतथा गैस निकालने वाली होती है। यह मूत्रवर्द्धक, हृदयशक्तिवर्द्ध क, यकृत, उत्तेजक तथा शरीर में स्फूर्ति लेने वाली होती है। यह त्वचा को निखारतीहै तथा खुजली के रोग को दूर करती है।इसकेपत्तों को तेजपत्ता कहते है |दालचीनी के इतने लाभ है की रोज़ ही चाय में या ऐसे हीगर्म पानी से इसका चूर्ण ले लेना चाहिए.इसका चूर्ण घर में रखना चाहिए .
- पालक ठण्डा होता है। पालक में दालचीनी डालने से इसकी ठण्डी प्रकृति बदल जाती है। इसी प्रकार दूसरे ठण्डे पदार्थों की प्रकृति बदल जाती है। इसी प्रकार अन्यशीतल पदार्थों की प्रकृति दालचीनी डालकर बदल सकते हैं।
- यह गर्भवती स्त्री के लिए हानिकारक होती है। गर्भवती स्त्रियों को इसे नहीं लेना चाहिए अथवा कम मात्रा में लेना चाहिए।
- दालचीनी का तेल दर्द, घावों और सूजन को नष्ट करता है। सिर दर्द के लिए यह बहुत ही गुणकारी औषधि होती है।दालचीनी का तेल 1से 4 बूंद तक काम में लेते हैं। दालचीनी का तेल तीक्ष्ण और उग्र होता है। इसलिएइसे आंखों के पास न लगाएं।
- दालचीनी त्वचा के लिये कंडीशनर का कामकरता है। चेहरे पर दालचीनी शहद का पैक लगाये झुर्रियां नही पड़ेगी।
- दालचीनी के लिए वसाब्लॉक की क्षमता है. शरीर में पर्याप्त दालचीनी के साथ, वसा कोशिकाओं को आसानी से नहीं विकसित होगी.दालचीनी के लिएएक वजन घटाने inducer माना जा रहा है क्योंकि यह मुख्य रूप से पाचन तंत्र पर एक सफाई प्रभाव है.
- मसाले बैक्टीरिया, कवक हटाने में मदद कर सकते हैं और पेट और आंतों से परजीवी. इसलिए, खाना बेहतर है .दालचीनी उदार रोगों , अतिसार , ग्रहणी , अफारे ,दस्त,कब्ज , भूख ना लगना,वमन ,पेट दर्द आदि में लाभकारी है .
- दालचीनी में शरीर की रक्त शर्करा के स्तर को कम करने की क्षमता है, जबकि इंसुलिन के उत्पादन में वृद्धि. जब एक नियमित आधार पर एक मधुमेह रोगियों द्वारा लिया,जाए दालचीनी में इंसुलिन जैसे गुण है.यह मसाला इतना शक्तिशाली है कि यह वास्तव में इंसुलिन के लिए एक सस्ता विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह सबसे अधिक प्रकार द्वितीय मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिएप्रभावी है. दालचीनीजैव सक्रिय घटक है कि यहाँ तक कि इस रोगकी शुरुआत को रोका जा सकता है.
- दालचीनी ट्राइग्लिसराइड् स को भी कम करती है और शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर.भी कम करती है .
-गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी कापावडर दाल कर पेस्ट बनाएं और बालों में लगाए . एक घंटे बाद सरधो ले . इससे बाल झडनारुक जायेंगे .
- इसका सेवन रोगप्रतिरोधक शक्तिऔर आयु को बढाता है .
- दालचीनी का छोटा टुकडा रोजाना सुबह चबाने से हकलाने मेंलाभ होता है .
- संधिवात में दालचीनी के काढ़े कासेवन करने से लाभ होता है .दालचीनी के चूर्ण को शहद में मिलाकर कर लगाने से दर्द में आराम मिलताहै .
- दालचीनी का तेल या इसका लेप या तेजपत्ते के पत्तों को पीस कर बनाए गए लेप से सर दर्द में आराम मिलता है . —

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आयुर्वेदिक दोहे ayurvedic couplets

आयुर्वेदिक दोहे

1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय। दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।।

2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह में डाल। मुँह में छाले हों अगर,दूर होंय
... तत्काल।।

3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।।

4.छिलका लेंय इलायची,दो या तीन गिराम। सिर दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम।।

5.अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय। बार-बार तिल पर घिसे,तिल बाहर आ जाय।।

6.गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार। सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।।

7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय। दूर करेगा अर्श को,जो भी इसको खाय।।

8.रस अनार की कली का,नाकबूँद दो डाल। खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।

9.भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमक मिलाय। चक्कर आना बंद हों,जो भी इसको खाय।।

10.मूली की शाखों का रस,ले निकाल सौ ग्राम। तीन बार दिन में पियें,पथरी से
आराम।।

11.दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग पी जाय। पथरी केवल बीस दिन,में गल बाहर
जाय।।

12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिलाय। पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय।।

13.सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औ शाम। दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।।

14.एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलाइ। चीनी सँग लें बीस दिन,पथरी दे न दिखाइ।।

15.खीरे का रस लीजिये,कुछ दिन तीस ग्राम। लगातार सेवन करें, पथरी से आराम।।

16.बैगन भुर्ता बीज बिन,पन्द्रह दिन गर खाय। गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर आय।।

17.लेकर कुलथी दाल को,पतली मगर बनाय। इसको नियमित खाय तो,पथरी बाहर आय।।

18.दामिड़(अनार) छिलका सुखाकर,पीसे चूर बनाय। सुबह-शाम जल डालकम, पी मुँह बदबू
जाय।।

19. चूना घी और शहद को, ले सम भाग मिलाय। बिच्छू को विष दूर हो, इसको यदि
लगाय।।

20. गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय। तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट
जाय।।

21. अदरक रस मधु(शहद) भाग सम, करें अगर उपयोग। दूर आपसे होयगा, कफ औ खाँसी
रोग।।

22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम। पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल का
आराम।।

23.बहुत सहज उपचार है, यदि आग जल जाय। मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय।।

24.रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करें भुरकाव। जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव।।

25.नीम-पत्र के चूर्ण मैं, अजवायन इक ग्राम। गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से
आराम।।

26.दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात। रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो
प्रात।।

27.मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम। पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई
हकीम।।

28.हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय, पंचम जीरा डालकर सुमिरन काया होय॥

29.सावन में गुड खावै, सो मौहर बराबर पावै॥
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भोजन बनाना और भोजन ग्रहण करना



भोजन बनाना और भोजन ग्रहण करना दोनोंको वैदिक संस्कृतिमें यज्ञकर्म माना गया है; परंतु आज कल एक पैशाचिक प्रथा देखनेको मिलती है और वह है दूरदर्शन संचपर रज-तम प्रधान कार्यक्रम देखते हुए भोजन ग्रहण करना ! विशेषकर आजकी माएं बचपनसे ही अपने बच्चेमें यह कुसंस्कार डाल देती हैं और उसका दुष्परिणाम बच्चोंमें विभिन्न कुसंस्कार एवं व्याधियोंके रूपमें देखनेको मिल रहा है !
In the absence of Dharmashikshan (abiding education about righteousness) and under the influence of the blind imitation of Macaulay’s satanic education system, today we do not follow the spiritual practice at individual level. As we don’t abide by Dharma and due to widespread Dharmaglaani (denigration of Dharma) and a Nidharmi (conductless) nation system, deterioration at Samashti level (spiritual practice at societal level) too has set in. As such, the fury of the deity and nature is certain and has to be endured.
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Feetured Post

रिश्तों की अहमियत

 मैं घर की नई बहू थी और एक प्राइवेट बैंक में एक अच्छे ओहदे पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर और पति...