जाति-मज़हब के नाम पर, हैवान बन गए इंसान

 जाति-मज़हब के नाम पर,

हैवान बन गए इंसान,

मर्यादा भूले रिश्तों की,

करते फिरें अपमान।

तो बताओ ज़रा, कैसा है ये धर्म?

जो बाँट दे दिलों को, वो कैसा कर्म?




कहीं मंदिर जले, कहीं मस्जिद टूटी,

इंसानियत की साँसे छूटी।

ना राम ने कहा, ना रहीम ने सिखाया,

नफ़रत का धर्म किसने बनाया?



कहीं नाम पर जाति की तलवार,

कहीं मज़हब के नाम पर वार।

जो जोड़ न पाए, वो तो जहर है,

धर्म तो वही जो सबमें असर है।



बोलो नफ़रत से क्या मिला है?

टूटा घर, टूटा देश का किला है।

प्रेम से जो जीते दिलों को,

बस वही सच्चा साधु मिला है।



जात-पात, मज़हब की दीवारें गिराओ,

इंसान को पहले इंसान बनाओ।

जिसके कर्म में करुणा हो,

बस वही सच्चा धर्म कहलाए।


0 0

गुरुकुल मिटा, साज़िश रची, संस्कृति की जड़ें हिलाई गईं

गुरुकुल मिटा, साज़िश रची,

संस्कृति की जड़ें हिलाई गईं।

जो भारत सिखाए मर्यादा का पाठ,

उसी में अब चरित्रहीनता छाई गईं।


बॉलीवुड ने चुपके से जाल बुना,

वासना और धोखे का पाठ सुना।

रिश्तों की पवित्रता खो गई,

हर घर में ज़हर सी घुल गई।



सीरियल में दिखे नाजायज़ रिश्ते,

बॉयफ्रेंड संग पत्नी के फितरे।

पति को मारा योजना बनाकर,

प्रेम नहीं, अब हत्या है रिश्तों में उतर।


माँ-बाप की अब इज़्ज़त नहीं,

बेटा-बेटी भी बदल गए यही।

जहाँ संस्कार पूजा जाते थे,

वहाँ अपशब्द गूंज रहे हैं।



गुरुकुल हटा, नेटफ्लिक्स आया,

चरित्र गिरा, मोबाइल छाया।

टीवी में रोमांस, घर में क्लेश,

हर सीन ने मारा सच्चा देश।


अब बेटा माँ से आँख चुराए,

बेटी संस्कार को भुलाए।

शर्म से झुकीं वो दीवारें,

जहाँ गूँजती थीं वेद-वाणियाँ।



मॉडर्न के नाम पर देह दिखाया,

रिश्तों को भी व्यापार बनाया।

माँ की ममता, पिता का सम्मान,

आज बन गया है अपमान।


प्यार के नाम पर झूठी कहानी,

सच में केवल बेईमानी।

बेटी जो थी लक्ष्मी का रूप,

अब बन गई लाइक्स की भूख।



अब भी समय है, चेतो यारो,

संस्कार फिर से लौटाओ।

बेटी को सीता बनाओ फिर,

बेटे को राम की राह दिखाओ।


सिनेमा से पहले संस्कृति रखो,

रिश्तों में फिर सच्चाई रखो।

बॉलीवुड का नक़ाब हटाओ,

भारत को फिर से भारत बनाओ।

0 0

इंटरनेट ने छीनी घर की मर्यादा

 मोबाइल की दुनिया अब डर बन गई है,

हर दीवार में दरार सी लग गई है।

इंटरनेट ने छीनी घर की मर्यादा,

मर्यादा रोती है, बिखरा है परिवार।




चुपके-चुपके मोबाइल से रिश्ता बनता,

फिर वही रिश्ता घर को तोड़ देता।

वो चैट, वो कॉल, वो चोरी की बातें,

सच्चे रिश्तों पर पड़ती हैं घातें।


आँखों में नशा, दिल में है धोखा,

अश्लीलता ने तोड़ दिया माँ का रोका।

संस्कार खो गए, संस्कृति हुई ग़मगीन,

घर की लक्ष्मी अब सवालों में हींन।



मोबाइल की दुनिया अब डर बन गई है,

हर दीवार में दरार सी लग गई है।

इंटरनेट ने छीनी घर की मर्यादा,

मर्यादा रोती है, बिखरा है परिवार।



ना भाई का प्यार, ना बहन की इज़्ज़त,

हर स्क्रीन से फैल रही है अशुद्धता।

रात की बातें, दिन में ज़हर बनती,

अवैध रिश्ते अब जान भी लेतीं।


हत्या, धोखा, ब्लैकमेल का खेल,

इंटरनेट ने बिगाड़ दिया हर मेल।

जहां था कभी प्रेम और संस्कार,

वहीं अब ज़हर है, छल और व्यवहार।



उठो, जागो, समय न बीत जाए,

मोबाइल की दुनिया में घर न जल जाए।

संस्कारों की दीवार फिर से खड़ी करो,

संस्कृति के दीप को फिर से जला दो।



मोबाइल की दुनिया अब डर बन गई है,

हर दीवार में दरार सी लग गई है।

इंटरनेट ने छीनी घर की मर्यादा,

मर्यादा रोती है, बिखरा है परिवार।


0 0

हर नज़र चरित्र वान नहीं होती

हर नज़र चरित्र वान नहीं होती,

बेशर्म नजरे गन्दी होती हैं,

इसलिए ज़रूरी है –

आज़ादी के साथ समझदारी रख।




तेरे पहनावे का उद्देश्य,

कई बार खतरा बन जाता है।

जो सोच पहले ही गन्दी हो,

वो नजरों से बलात्कार कर देता है।


तू कहती है – "ये मेरा हक़ है",

और वो तुझसे कोई छीन नहीं सकता।

मगर जब समाज चरित्रहीन हो,

तो सुरक्षित रहना भी जरुरी है।



तू जो चाहे वो पहन,

तेरी मर्ज़ी पर किसी का हक़ नहीं।

पर जब भूंखे भेड़िये घूमते हों,

तो मर्यादा ही सबसे बड़ी रक्षक बनती ।


तेरी चाल में हो आत्मसम्मान,

तेरे व्यवहार में हो सादगी।

मर्यादा कमज़ोरी नहीं होती,

ये तो तेरे तेज़ की गहराई है।



नज़रें ग़लत हों तो दंड मिले,

पर नीयत बिगड़ने का मौका क्यों देती हो।

जिस समाज की सोच चरत्रहीन हो,

वहाँ सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।


तू कम नहीं, तू प्रकाश है,

तू हर बदलाव की आस है।

बस इतना याद रख बहना,

तेरा चरित्र ही तेरी आबरू है।



तू आज़ाद है, ये सच है,

पर तेरी गरिमा सबसे बड़ी पहचान है।

जो खुद में संतुलन रखती है,

वो ही सबसे सशक्त स्त्री कहलाती है।



तेरे शरीर का दिखावा, 

पति केअलावा, गैरों को क्यों।

मर्यादा ओढ़कर जब तू चले,

तो तेरे साथ तेरे, घर की आबरू बचे।


तू वही है जो मिसाल बने,

तेरे कारण समाज संभले।

आज़ादी भी तेरे पास हो,

और सम्मान भी तेरे साथ चले।



"स्वतंत्रता तब सुरक्षित होती है, जब उसमें मर्यादा और समझदारी साथ हो।"

0 0

चल, उठ! शेर, खड़ा हो जा

 कब तक अपनों को कटते देखोगे?

कब तक चुप रहकर सहते जाओगे?

गली-गली में आग लगी है,

फिर भी तुम क्यों सोए हो भाई?




चल, उठ! शेर, खड़ा हो जा,

हक़ के लिए अब खड़ा हो जा।

जिस धरती माँ ने जन्म दिया,

उसके लिए तू ज़िंदा हो जा।



हर कतल पर खामोशी क्यों है?

हर अन्याय पर चुप्पी क्यों है?

ज़मीर को बिकता देख रहे हो,

इंसाफ़ को झुकता देख रहे हो।



गरम है खून, तो उबाल में ला,

कायर नहीं, ज्वालामुखी बन जा।

बेटियों की चीखें सुन,

क्या अब भी ज़मीर नहीं हिला?



चल, उठ! शेर, खड़ा हो जा,

भीड़ में से अब अलग हो जा।

माँ का लाल कहला कर भी,

अब तक क्यों बेजान पड़ा ?



वो तिजोरी भरते, राजनीती करते है,

इंसान डर डर के मरता है।

जनता का यह हाल हुआ है,

क्या फिर देश गुलाम बनेगा?


अब तो उठ, खड़ा हो जा,

समय है अब, सीना ठोक ।

बदलाव तेरे दम से आएगा,

तेरा तुझसे ही उम्मीद  लगाएगा।


चल, उठ! शेर, खड़ा हो जा...

अब वक़्त है, आग का गोला हो जा!

0 0

🎵 उतनी दूर मत ब्याहना, मम्मी-पापा 🎵

 🎵 उतनी दूर मत ब्याहना, मम्मी-पापा 🎵




[अंतरा 1]

उतनी दूर मत ब्याहना, मम्मी-पापा,

जहाँ से मैं लौट न पाऊँ।

छोटी-सी गुड़िया हूँ अभी तक,

पराए घर का डर सताए।


[अंतरा 2]

आँगन की मिट्टी छोड़कर,

कैसे नई दुनिया अपनाऊँ?

जहाँ न माँ के हाथों का प्यार हो,

न पापा की बाहों का सहारा।


[मुखड़ा]

उतनी दूर मत ब्याहना, मम्मी-पापा,

जहाँ मेरी यादों का रास्ता भी थक जाए।

मैं रो लूँ बस थोड़ी देर,

तेरे सीने से लगकर...

फिर छोड़ देना हाथ मेरा,

धीरे-धीरे, हौले-हौले।


[अंतरा 3]

पापा के कंधे पर सोते-सोते,

सपनों की दुनिया रची थी।

और माँ की ममता की छाया में,

हर डर को हँसकर सहा था।


[ब्रिज]

जिस घर में मेरे रंग थे,

अब वो रंग किसी और के होंगे।

बस एक वादा कर लो, मम्मी-पापा,

कि लौट आऊँ तो गले लगोगे।


[मुखड़ा – पुनरावृत्ति]

उतनी दूर मत ब्याहना, मम्मी-पापा,

जहाँ से तुम मुझे देख न पाओ।

मैं हर मोड़ पर तुम्हें याद करूँ,

और तुम हर दुआ में मेरा नाम ले आओ।


[आउट्रो]

उतनी दूर मत ब्याहना, मम्मी-पापा,

मैं वही नन्ही-सी बिटिया हूँ अब भी।

तुम्हारे दिल में जो कोना है मेरा,

बस वहीं हमेशा ज़िंदा रहूँ…

0 0

गलत वोट देने से देश नहीं बचेगा

 🎤  "अगर चुप हो, तो दोषी हो"



देश के दुश्मन सिर्फ वो नहीं,

जो समानता का विरोध करते हैं...

कई बार चुप रहने वाले भी,

गलत का साथ निभाते हैं।




जो इंसानियत को तोड़ते हैं,

जो बराबरी से डरते हैं,

जो झूठ को सच बताते हैं —

वो देश के लिए खतरा हैं।


लेकिन दोषी वो भी हैं,

जो ऐसे नेताओं को चुनते हैं,

बिना सोचे वोट देते हैं,

फिर सिस्टम को कोसते हैं।



✊ अगर चुप हो, तो दोषी हो,

गलत के आगे झुकना भी गुनाह है।

देश को बचाना है तो खुद बदलो,

बिना सोचे वोट मत दो।


🇮🇳 अगर सुधार चाहिए — तो,

सबसे पहले खुद को बदलो।

जो ग़लत को सही माने,

उसे भी वोट मत दो।



बिना सोचे समझे वोट देते हैं,

बस जातिऔर स्वार्थ देखकर,

फिर पाँच साल गुस्सा करते हैं —

"देश क्यों नहीं बदलता?"


नेता जैसा होगा,

देश भी वैसा ही बनेगा,

लेकिन नेता चुनेगा कौन?

ये फैसला तो हम करेंगे ना!



कभी खुद से सवाल करो —

क्या हमने सच का साथ दिया?

क्या हमने सही वोट किया ?

या बस आँखें बंद रखीं?



🔥 अगर चुप हो, तो दोषी हो,

खामोशी भी एक तरह की हामी है।

अब वक्त है सच के साथ चलने का,

वरना हम भी उतने ही जिम्मेदार हैं।



गलत वोट देने से देश नहीं बचेगा,

ये हमारी ज़िम्मेदारी है।

और अगर हम सुधरेंगे,

तभी देश भी बचेगा।


0 0

इंसान बन जाओ, देश बचाओ

 🎵 "इंसान बन जाओ, देश बचाओ" 🎵


देश की मिट्टी पुकार रही है,

ज़मीर से फिर सवाल करो,

भीड़ में मत खो जाओ यारों,

अब खुद से भी सवाल करो। ✅ 


झूठी बातों के जाल में मत फँसना,

देश विरोधी जय चंद बन जायेंगे ?

सोचो, समझो, पहचानो उनको,

सच का साथ तुझे इंसान बनाएगा। ✅ 



देश बचाना है तो इंसान बनकर सोचिए,

ना जात, ना मज़हब — अपने ज़मीर से पूछिये।

समानता और इंसानियत का विरोध क्यों ?

झुकना नहीं, रुकना नहीं — अपनी आत्मा की सुनिए! ✅ 



वोट के लिए जो बाँट रहे हैं,

वो कभी देश के होते नहीं,

नफ़रत के बीज जो बोते हैं,

वो देश को आगे बढ़ाते नहीं। ✅ 


भड़काने से दिमाग़ मत चलाओ,

अपने अंदर विचार का दीप जलाओ,

समानता से सही और ग़लत में फर्क करो,

भेदभाव करने बालों से बचकर चलो। ✅ 



हमें विकास चाहिए, नफ़रत नहीं,

कुर्सी उनको मिलेगी, तुम्हें नहीं,

जो समानता का साथी बन जाए,

वो ही देश का नेता कहलाए।


इंसानियत ही असली राष्ट्रधर्म है,

नारी का सम्मान ही शास्त्र धर्म है,

जब तक भेदभाव जिन्दा रहेगा,

तब तक देश जलता रहेगा। ✅ 



देश बचाना है तो इंसान बनकर सोचिए,

ना जात, ना मज़हब — अपने ज़मीर से पूछिये।

समानता और इंसानियत का विरोध क्यों ?

झुकना नहीं, रुकना नहीं — अपनी आत्मा की सुनिए!



आज से एक वचन लो,

सिर्फ़ समानता और इंसानियत से संबंध हो,

देश के लिए जीना है तो,

पहले इंसान बन जाना होगा।


भारत माता की जय , वन्दे मातरम, जय श्री राम,

जय भवानी, जय शिवाजी, जय महाकाल,

0 0

जय भवानी, जय शिवाजी

 शिवाजी फिर से जाग उठेगा,  

भाले-तलवार के संग दौड़ेगा,  

रण में सिंह की हुंकार बनेगा,  

हर दुश्मन काँपते लौटेगा। 🔁



राणा सांगा खड्ग उठाए,  

सैकड़ों घावों के साथ लड़ेगा,  

लाल किले तक गूंज उठेगा,  

जब चेतक रण में दौड़ेगा। 🔁


जाग उठा है हर घर हिन्दू,  

जाग उठी अब तरुणाई,  

देश का हर वीर उठेगा,  

हर घर अब हिन्दू जगेगा। 🔁


झाँसी की रानी शस्त्र संभाले,  

घोड़े पे चढ़ेगी वीर मर्दानी,  

तोपों के आगे भी झुकी नहीं,  

बनी भारत की शान वीरानी। 🔁


पद्मावती जौहर कर वीर बनी,  

मान-सम्मान की रक्षक थी,  

राजपूती मर्यादा में लिपटी,  

अग्नि में भी अमर ज्वाला थी। 🔁


महाराणा प्रताप भाला लिए,  

हल्दीघाटी की गर्जना था,  

अकबर की सेना कांप उठी,  

जब चेतक रणभू में छा गया। 🔁


बाजीराव पेशवा घोड़े पे,  

भाला-कुंठ से युद्ध लड़ा,  

दक्खन से दिल्ली तक उसका,  

रणकला अमर कथा बना। 🔁


रानी दुर्गावती धनुष उठाए,  

गोंडवाना की थी रक्षक,  

शेरनी जैसी लड़ी मैदान में,  

वीरगाथा अमर कर गई। 🔁


हाड़ा रानी ने शीश कटाया,  

पति की मर्यादा बचाई,  

गौरव की मिसाल बनी वो,  

बलिदान की दीप जलाई। 🔁


हर घर में भगवा लहराए,  

हर मन में जोश भरे,  

जय भवानी, जय शिवाजी,  

वीरत्व की लहरें गूँजें। 🔁


हिन्दू समाज न टूटेगा,  

अब ना कोई छल पाएगा,  

वीरों की इस पुण्य धरा पर,  

हर योद्धा बजरंगी बन जायेगा। ✅

0 0

👉 संस्कृति बचाओ, भारत बचाओ, 👉 चरित्र से जीवन को फिर जगाओ।

 ये धरती राम की है, सीता की शान,

जहाँ चरित्र था धन, वही पहचान।

आज वासना के बाज़ार में रिश्ते बिकते,

संस्कारों के दीपक धुएं में सिसकते।


👉 संस्कृति बचाओ, भारत बचाओ,

👉 चरित्र से जीवन को फिर जगाओ।


जहाँ द्रौपदी की लाज पर युद्ध हुआ,

आज बहनों का दुख व्यापार बन गया।

इंद्र जैसा छल हर कोने में पनपे,

गौतम की अर्धांगिनी पत्थर बन तपे।


👉 मर्यादा का दीप फिर जलाना होगा,

👉 पाप के हर चेहरे को दिखाना होगा।


कृष्ण-राधा का नाम लिया, न समझा प्रेम,

वासना में रंगा, आत्मिक सेतु रेम।

भूल गए कुंती का त्याग, राम का व्रत,

अब ढूंढते हैं fancy freedom, सस्ती बात।


👉 ये भारत है, संस्कारों की थाती,

👉 न प्रेम बिकाऊ, न रिश्ते बिन बाती।


बिना चरित्र के आज़ादी, अंधा रास्ता,

जहाँ घर टूटे, समाज त्रस्त है सस्ता।

संयुक्त परिवार की नींव फिर से बनानी,

माँ-बाप, गुरु, बच्चों में प्रेम की ज्योति जलानी।


👉 स्कूलों में धर्म की शिक्षा लाओ,

👉 मोबाइल नहीं, मन में श्रीराम बसाओ।


अगर न संभले हम,

कल न बचेगा भारत-धर्म।

संस्कृति इस देश की जान है,

इसे बचाओ, यही पहचान है।


👉 संस्कृति बचाओ, भारत बचाओ,

👉 चरित्र से जीवन को फिर जगाओ।

0 0

Feetured Post

ShadiRishta.com – Best Matrimony Website in India Free

  ShadiRishta.com – Best Matrimony Website in India Free Looking for the best matrimony website in India free? 🌸 Your search ends with Sha...