कण-कण में भगवान, हर जीव में भगवान

 


Lyrics of Bhajan-



कण-कण में भगवान, हर जीव में भगवान

हर जीव के प्राण में क्या है, ओ भोले इंसान

मन की आँख से देख ज़रा, कण-कण में भगवान।

कण-कण में भगवान, हर जीव में भगवान,

सच्चे मन से देखे जो कोई, पाए हर ओर भगवान।


बूँद-बूँद में, लहर-लहर में, पत्ते-पत्ते में वो समाया

सूरज की किरणों में चमके, चंद्रमा में शीतल छाया।

रूप-रंग में, जल-तरंग में, हर स्पंदन में वो समाया,

जहाँ-जहाँ नजर दौड़ाओ, वहीं प्रभु का नाम है आया।

नज़र उठा के देख ज़रा, हर श्वास में भगवान,

कण-कण में भगवान, हर जीव में भगवान।


चाँदी का तो छत्र चढ़ाया, सोने का सिंहासन है

रेशम और मखमल से उसका, खूब सजाया आसन है।

लड्डू और पकवान खिलाते, हरदम उस जागराता को,

तुमने क्या अपने जैसा, भूखा समझा उस दाता को?

जो कुबेर का भरे खजाना, फिर क्यों मांगो दान?

कण-कण में भगवान, हर जीव में भगवान।


उड़े धन जब भरे खेत में, दर्शन करे किसान

एक-एक दाने में चमके, उसकी ज्योति महान।

अन्न ही है उसका प्रसाद, यही सच्चा वरदान,

मंदिर नहीं, ये खेत-खलिहान भी, हैं साक्षात भगवान।

कण-कण में भगवान, हर जीव में भगवान।


मंदिर-मस्जिद में कैद किया, इंसान ने अज्ञान में

तेरा वास कण-कण में, तेरा वास है प्राण में।

जात-पात की बेड़ियों में, क्यों उलझे तेरा नाम?

जो सच्चे मन से तुझे पुकारे, वही तेरा इंसान।

हर धड़कन में तेरा वास है, हर जीवन में तेरा गान,

कण-कण में भगवान, हर जीव में भगवान।


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