कुर्सीधारी नहीं, न्याय का प्रहरी चाहिए
👁️ जो खुद अंधकार में डूबा है, वो रौशनी क्या फैलाएगा?,
👊 जो चरित्रहीन है, वो नेतृत्व कैसे निभाएगा?,
🕯️ जिसके शब्दों में न हो मर्यादा की लौ,
उसे कुर्सी देना – समाज को अंधेरे में ढकेलना है।
💰 जो भ्रष्ट है, वो तंत्र को दीमक की तरह चाट जाएगा,
राष्ट्र का नहीं, बस अपने स्वार्थ का झंडा उठाएगा।
📉 जो रोज़ सामाजिक मूल्यों को कुचले,
उसके शासन में तो न्याय भी कांपे, सत्य भी उखड़े।
🔥 जिसके इरादों में भरा हो विष और विभाजन,
समझो लोकतंत्र बना दिया गया उसका निजी भवन।
🗣️ अहंकार जिसमें नीति बन जाए,
वो कुर्सीधारी ही – तो साज़िश का साया है।
✊ नारी का सम्मान – समाज की असली पहचान!,
⚖️ और कुर्सी धारी वही, जिसका हो सच्चा ईमान!,
📢 ना हो भ्रष्ट, ना हो राष्ट्र द्रोही विचारों का व्यापारी,
🛑 वो चाहिए जो बोले – "जनता ही सर्वोच्च अधिकारी!"
📛 जो इंसानियत को रोज़ करे कलंकित,
क्या वो संविधान के मूल्य करेगा प्रतिष्ठित?,
👎 जिसका अतीत हो अपराधों की छाया,
उसे कुर्सी देकर – क्यों बढ़ाया अपराध का साया?
🌍 अगर हर गली, हर बेटी अब भी डरी है,
तो सोचो कुर्सी धारी कितना गिरा हुआ है।
👨⚖️ हमें सुरक्षा चाहिए – भ्रष्ट कुर्सीधारी बिल्कुल नहीं,
कुर्सी धारी वो ही हो, जिसमें मानवता भी हो कहीं।
✊ नारी का सम्मान – है राष्ट्र की असली जान!,
⚖️ वही, जिसकी नीयत में हो राष्ट्र भक्ति!,
🎯 पद उसे दो – जो करे सुरक्षा, सेवा, और सच्चाई की बात,
🔥 ना कि वो, जो मिटा दे इंसानियत की बात।
🔍 क्या कुर्सी इतनी सस्ती हो गई?,
कि झूठ बोले, और कुर्सी से चिपका रहे वहीं?
🕊️ अब ज़रूरत है – एक नई चेतना की अलख समान,
जहां सेवा हो राजनीति, और नारी को मिले मान, सम्मान।
✊ ये देश तभी बदलेगा – जब कुर्सी होगी ईमान की मिसाल,
🎤 चाहिए ऐसा कुर्सी धारी – जो हो ईमान का रखवाल।
🌸 नारी की आंखों में न हो आँसू, बस आत्म विश्वास की बात,
🛡️ तभी कहलाएगा भारत महान – जब हर बहन हो सुरक्षित, दिन और रात।
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