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पेड़ हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाते हैं...Trees improve our environment...

पेड़ शहर में हवा के तापमान को कम करने और छाया प्रदान करने में मदद करते हैं। वे प्रदूषकों को अवशोषित करके, कणों को रोककर, ऑक्सीजन जारी करके, ओजोन के स्तर को कम करके और मिट्टी के कटाव को कम करके हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए भी जाने जाते हैं।


पेड़ हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाते हैं...Trees improve our environment...



पेड़ हमारे स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाते हैं .

बायोफिलिया परिकल्पना एक अवधारणा है जो बताती है कि मनुष्य प्रकृति और अन्य जीवित चीजों के साथ संबंध बनाने के लिए इच्छुक हैं। यह शोध के बढ़ते शरीर द्वारा समर्थित है जो इंगित करता है कि शहरी पेड़ और हरे भरे स्थान हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।

पेड़ों की छाया वाले पार्क और सड़कें एक अनुकूल वातावरण प्रदान करती हैं जो शारीरिक व्यायाम और सक्रिय परिवहन (जैसे पैदल चलना, साइकिल चलाना) जैसी सक्रिय जीवनशैली को प्रोत्साहित करती हैं। यह बदले में, हृदय रोग और टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम करने के लिए दिखाया गया है शहरी हरियाली के अधिक संपर्क से बच्चों में अवसाद की दर कम हो सकती है, तनाव कम हो सकता है, अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) की दर कम हो सकती है और समग्र रूप से बेहतर स्वास्थ्य की भावना पैदा हो सकती है।

अस्पताल में पेड़ और अन्य हरियाली रोगियों को उनकी शारीरिक बीमारियों से जल्दी ठीक होने में मदद कर सकती है। इसके अलावा, पेड़ चिकित्सीय उद्यानों में एक मुख्य तत्व हैं, जिन्हें विशेष रूप से बुजुर्गों और मनोभ्रंश से पीड़ित लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एक चिकित्सीय उद्यान में, पेड़ों का उपयोग गर्मी से राहत प्रदान करने और इंद्रियों (जैसे रंग, बनावट, गंध) को जगाने के लिए किया जा सकता है जो भावनात्मक आराम प्रदान करते हैं और इसके उपयोगकर्ताओं के दिमाग को उत्तेजित करते हैं।

पेड़ हमें कई तरह के पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं, और एक रहने योग्य और टिकाऊ शहर के लिए एक महत्वपूर्ण आधार हैं। यहाँ कुछ कारण दिए गए हैं कि पेड़ समाज के लिए क्यों फायदेमंद हैं, और हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए उन्हें क्यों लगाना और उनकी देखभाल करना जारी रखना चाहिए। 

पेड़ हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाते हैं।

पेड़ शहर में हवा के तापमान को कम करने और छाया प्रदान करने में मदद करते हैं। वे प्रदूषकों को अवशोषित करके, कणों को रोककर, ऑक्सीजन जारी करके, ओजोन के स्तर को कम करके और मिट्टी के कटाव को कम करके हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए भी जाने जाते हैं।

शहर में तूफानी जल प्रबंधन के लिए पेड़ एक परिसंपत्ति हैं। शहरी क्षेत्रों में अभेद्य सड़क और भवन सतहों के बड़े क्षेत्रों के कारण बड़ी मात्रा में तूफानी जल अपवाह का अनुभव होता है। अपने पत्तों के साथ गिरने वाली बारिश के कुछ हिस्से को रोककर और बारिश के पानी को अवशोषित करने की मिट्टी की क्षमता को बढ़ाकर, पेड़ हमारे तूफानी जल निकासी नेटवर्क पर दबाव को कम करते हैं।

पेड़ सामुदायिक खुशहाली को बढ़ाते हैं।

पेड़ लोगों को एक साथ लाते हैं। शहरी पार्कों में एक शांत सूक्ष्म जलवायु प्रदान करके, पेड़ इन सार्वजनिक हरे स्थानों के अधिक उपयोग को प्रोत्साहित करते हैं, जहाँ समुदाय एक साथ मिलकर एक दूसरे से जुड़ सकता है और मनोरंजक गतिविधियों का आनंद ले सकता है। इससे सामाजिक अलगाव कम होता है और शहर में सामाजिक संबंध बेहतर होते हैं।

पेड़ हमारे समग्र स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि हरियाली के संपर्क में आने से स्कूली बच्चों के ध्यान के स्तर और संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली में सुधार होता है। कार्यालय कर्मचारियों के लिए, खिड़की से हरियाली का नज़ारा सूक्ष्म-पुनर्स्थापनात्मक अवसर प्रदान करता है, जो शोध से पता चला है कि काम पर अधिक प्रभावशीलता और संतुष्टि में योगदान देता है।

पेड़ हमें जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करते हैं।

वैश्विक जलवायु परिवर्तन हमारे वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि के कारण होता है, और इसके परिणामस्वरूप लंबे समय तक मौसम में बदलाव होता है जैसे कि गर्म तापमान, समुद्र का बढ़ता स्तर और अधिक चरम मौसम की घटनाएँ। हमारा देश पिछले कुछ दशकों से औसत तापमान के साथ-साथ औसत समुद्र के स्तर में भी वृद्धि का अनुभव कर रहा है, और जलवायु परिवर्तन मॉडल संकेत देते हैं कि यह भविष्य में भी जारी रहेगा।

पेड़ ग्रीनहाउस गैसों को कम करते हैं जब वे वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और इसे लकड़ी के रूप में संग्रहीत करते हैं। यह प्रक्रिया, जिसे कार्बन पृथक्करण के रूप में जाना जाता है, जलवायु परिवर्तन और हमारे देश पर इसके प्रभाव के खिलाफ हमारी दीर्घकालिक लड़ाई में आवश्यक है।

पेड़ शहरी जैव विविधता को बढ़ाते हैं।

शहरीकरण से आमतौर पर शहर के मूल पौधे और पशु समुदायों में कमी आती है। पेड़ कुछ खास समूहों के मूल वन्यजीवों के लिए आवास उपलब्ध कराकर जैव विविधता के इस नुकसान को कम कर सकते हैं। पक्षी अक्सर पेड़ों की छत्रछाया में अपने बच्चों का पालन-पोषण करते हैं और शिकारियों से छिपते हैं। कुछ पेड़ों के फूल, फल और पत्ते विभिन्न मूल पक्षियों और तितलियों के लिए भोजन भी प्रदान करते हैं। पेड़ों की बड़ी शाखाएँ विभिन्न प्रकार के मूल चढ़ने वाले पौधों, फ़र्न और ऑर्किड को सहारा देती हैं। अंत में, हमारी सड़कों के किनारे घने पेड़ लगाने से हरित गलियारे बनते हैं, जिससे मूल वन्यजीवों को एक जंगल से दूसरे जंगल में आसानी से जाने में मदद मिलती है, साथ ही उन्हें हमारे घरों के पास देखने की हमारी संभावनाएँ भी बढ़ जाती हैं!

पेड़ हमारी अर्थव्यवस्था में सहायता करते हैं।

अध्ययनों से पता चला है कि अधिक पेड़ों वाले व्यावसायिक स्थानों पर पैदल यातायात और खुदरा बिक्री बेहतर होती है। प्रॉपर्टी डेवलपर्स अक्सर अपनी प्रॉपर्टी का विपणन करने के लिए पेड़ों द्वारा प्रदान की जाने वाली हरियाली के आकर्षण का उपयोग करते हैं, और कुछ मामलों में, पेड़ों की उपस्थिति प्रॉपर्टी के मूल्य को बढ़ा सकती है।

परिवेश के तापमान को कम करके, पेड़ एयर कंडीशनिंग के उपयोग को कम करके व्यवसायों को बिजली बचाने में भी मदद करते हैं। इसके अलावा, पेड़ पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान करते हैं, जैसे कि तूफानी पानी को रोकना, जिसके लिए अन्यथा और भी अधिक बुनियादी ढाँचे के निवेश की आवश्यकता होगी।

अंततः, सिंगापुर की वृक्ष-पंक्तिबद्ध उष्णकटिबंधीय सड़कें हमें एक बगीचे में स्थित जैव-प्रेमी शहर के रूप में एक विशिष्ट वैश्विक पहचान प्रदान करती हैं।

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मन को सुकून देने वाली कहानी mind soothing story

 एक बार एक आदमी मछली पकड़ने गया वहा  उसने पूरी तरह से मेहनत करी हर एक तरीका आज़माया जिससे वह मछली पकड़ सके लेकिन हर तरीके में वो नाकामयाब रहा। दिन ढलने लगा और शाम हो गई।  अब वो आदमी परेशान होकर ये सोचने लगा कि अब मैं अगर खाली हाथ घर जाऊंगा तो मैं और मेरा परिवार खाएंगे क्या।


मन को सुकून देने वाली कहानी mind soothing story

चिंता करते करते उसने देखा की वो मछली बाज़ार के पास ही है। वो जल्दी से मछली की दुकान पर गया और बोला "मैं चार मछलियां खरीदूंगा लेकिन मेरी एक शर्त है की आप मुझे मछलियां जिंदा ही देंगे और मैं उन्हें खुद पकडूंगा और फिर खरीदूंगा।

 दुकानदार ये सुनकर हैरान रह गया की क्या अजीब आदमी है लेकिन उसने एक बड़ी बाल्टी में पानी भर कर उसमे चार से पांच मछलियां डालदी। आदमी ने एक एक करके चार मछलियां पकड़ी और दुकानदार से कहा ये लो इन मछलियों के पैसे।

 दुकानदार से अब रहा नहीं गया उसने आखिर पूछ ही लिया की भाई आप कैसे हो अगर आपको मछलियां चाहिए ही थी तो आप ऐसे ही ले लेते इतना सब करने की क्या ज़रूरत,  ये सुनकर उस आदमी ने कहा कि तुम समझे नही अब जब मैं घर जाऊंगा तब मेरा परिवार मुझसे ये सवाल ज़रूर पूछेगा की आपने कितनी मछलियां पकड़ी तब मैं उनसे ये कह पाऊंगा की मैंने चार मछलियां पकड़ी है तब  मुझे कोई दुख भी नही होगा कि मैंने कोई झूठ बोला क्युकी ये मछलियां सच में मैने पकड़ी है अब मैं जब कल मछलियां पकड़ने जाऊंगा तो यह सोचकर जाऊंगा की आज मैं नाकामयाब नही होऊंगा  ...

 सीख: 

  ज़िंदगी में आपको असफलता कई बार मिलेगी लेकिन असफलता में कहीं न कहीं सफल होने का रास्ता भी होगा अब ये आप पर निर्भर करता है कि आप असफल होकर ही दुखी रहना चाहते हो या फिर सफलता का रास्ता ढूंढकर खुश होना चाहते हो 

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जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी - inspirational story in hindi

एक बार एक गांव में एक लड़का रहता था जो की हमेशा सपने देखता था लेकिन  जब वो अपने सपनो की बाते दूसरो से करता तब सब उसका मज़ाक उड़ाते और उसको समझने वाला कोई नहीं था। सब उससे यही कहते की ये तुम्हारे सपने पूरे नही हो सकते क्युकी तुम एक छोटे से गांव में रहते हो ,  उस लड़के को ये सुनकर बहुत ही ज़्यादा गुस्सा आया की क्या हमारे गांव में कोई भी इतना काबिल नहीं है जो हमारे गांव का नाम रौशन का सके. अगर आज तक किसी ने हमारे गांव में सपने नही देखे और सफलता नहीं पाई तो कोई बात नहीं मैं अपने गांव का नाम रौशन ज़रूर करूंगा.  लड़के के दोस्त ने लड़के की बात को समझा और उसे बताया कि हमारे गांव के पास में ही एक (library) पुस्तकालय है जहा जाकर उस को कई बातो की जानकारी मिल जाएगी जो वो जानना चाहता है। 

जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी - inspirational story in hindi

  उस लड़के ने (library) पुस्तकालय जाकर देखा तो वहा पर अनगिनत किताबे थी  और तो और वहा एक दम शांति और हर कोई बस किताबे पड़ रहा था। वो लड़का बहुत ही ज़्यादा खुश हुआ और वो हर रोज़ वहा जाता और किताबे पड़ता उसके लिए अब कुछ भी करना मुश्किल नही था,  लेकिन (library) पुस्तकालय  से आते वक्त उसने गांव में कुछ बच्चो को देखा जो की उसको देखकर बहुत ही ज़्यादा खुश हो रहे थे लड़के ने बच्चो से पूछा तुम लोग आखिर इतना खुश क्यों हो तब उनमें से एक बच्चा बोला की भाई आज आप अपने सपने पूरे करेने  के लिए इतना दूर जाते हो और  आप थकते भी नही आप देखना जब हम बड़े हो जायेंगे तो हम भी अपने सपने पूरे करने के लिए उस अनोखी जगह जाएंगे जहा से आपने इतना ज्ञान पाया है अब आपको सफलता मिल कर ही रहेगी ।

 लड़का हंसकर बोला सही कहा तुमने मैं अपना सपना ज़रूर पूरा करूंगा लेकिन क्या तुम्हे पता भी है की मेरा सपना क्या है बच्चो ने कहा नही हमे नही पता तब लड़के ने बताया "मैं अपने इसी गांव को शहर की तरह बनाना चाहता हु जैसे शहर में लोग पड़ते लिखते हैं और तरक्की करते हैं वैसे ही हमारे गांव के बच्चे भी तरक्की करेंगे।"

बच्चो ने सवाल पूछा की आखिर ये होगा कैसे लड़के ने जवाब दिया जो भी मैने (library) पुस्तकालय में सीखा है। मैं वो सब कुछ तुम्हे सिखाऊंगा तुम बस मुझे बता दो की तुम बनना क्या चाहते हो। बच्चो ने अपने अपने सपने लड़के को बता दिए अब लड़का रोज़ (library) पुस्तकालय जाता और बच्चो के ज़रूरत की सारी जानकारी एक किताब में चुपके से लिख लेता और  बच्चो को वो सब कुछ सिखाता जो उसने अपनी किताब में लिखा है अब लड़का अपना ही नही बच्चो के सपनो के लिए भी मेहनत कर रहा था, कुछ वक्त बाद उस लड़के ने सिर्फ अपना ही नही बल्कि  उन बच्चो का भी सपना पूरा किया। ये सब देखकर लड़के के दोस्त ने कहा तेरा सपना तो एक महान (writer) लेखक बनने का था तो तूने इन बच्चो पर अपना वक्त बर्बाद क्यों किया,  लड़का बोला तू समझा नहीं जब मैने सपना देखा था एक महान (writer) लेखक बनकर अपने गांव का नाम रौशन करने का और जब मैने सबको अपने सपने के बारे में बताया था तब सबने कहा था कि मुझसे नही हो पाया क्यूंकि मैं छोटे से गांव में रहता हूं। आज देखना इस छोटे से गांव के बच्चे ही  अपने सपने पूरे करके इस छोटे से गांव के नाम को बहुत बड़ा बना देंगे और देखना जब ये सफलता पा लेंगे तो इनकी सफलता की कहानी मैं खुद लिखूंगा तब मैं भी एक (writer) लेखक बन जाऊंगा तब होगा मेरा सपना पूरा।

 सीख 

 इस कहानी से हमे सीखने को मिलता है की अगर सफलता पाने के लिए कोई रास्ता न दिखे तो खुद रास्ता बनाना ही बेहतर होता है क्युकी सफलता भी उन लोगो को ही मिलती हैं जो कभी हार नही मानते।

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Morivational story for students - मोटिवेशनल स्टोरी फॉर स्टूडेंट्स


Morivational story for students - मोटिवेशनल स्टोरी फॉर स्टूडेंट्स

 एक बार एक कॉलेज में चार दोस्त पड़ते थे चारो एक ही क्लास में थे इसलिए इनके बीच की दोस्ती काफी गहरी थी। एक दिन कॉलेज में announcement की  गई के कुछ दिन बाद आपका exam लिया जाएगा। लेकिन ये बात ये चारो दोस्त भूल गए और exam की एक रात पहले ये चारो दोस्त पार्टी के लिए बाहर चले गए। 

अगले दिन जब चारो दोस्त कॉलेज गए तो उन्होंने देखा की exam का टाइम ही खतम हो चुका है तब इन चारो दोस्तो ने  एक प्लान बनाया और कार का ऑयल अपने कपड़े पर लगाया और अपनी प्रिंसिपल के केबिन में जाकर प्रिंसिपल से कहा हमारी कार का टायर पंचर हो गया था इसलिए हम exam नहीं दे पाए। प्रिंसिपल ने कहा ठीक है तुम कल कॉलेज आना कल तुम्हारा exam ले लिया जाएगा।

 चारो दोस्त खुश होकर वहा से निकल गए और ये सोचने लगे की आज तो हम बच गए। इन चारो दोस्तो ने रात भर पढ़ाई की और जब अगले दिन exam देने गए तब इनसे कहा गया की तुम चारो का exam अलग अलग क्लास में लिया जाएगा। चारो दोस्त अलग अलग क्लास में जाकर बैठ गए ,

लेकिन जब इनके हाथ में question paper आया तब इनकी आंखे खुली की खुली रह गई क्युकी question paper में सिर्फ एक सवाल लिखा था की कार का कौन सा टायर पंचर हुआ था चारो दोस्त हैरान हो गए तब उनको अपनी गलती का एहसास हुआ 

  सीख: 

 हमें कभी  झूठ नहीं बोलना चाहिए क्युकी अगर आप जिससे झूठ बोल रहे हो और उसको आपके झूठ के बारे में पता है तो आप सिर्फ उसकी नज़रों में ही नही बल्कि अपनी नज़रों में भी बुरे और छोटे बन जाओगे।

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Short motivational Story in Hindi for success

 दोस्तो कुछ हो या न हो लेकिन एक सवाल हर किसी के मन में होता ही है की आखिर मोटिवेशनल स्टोरीज़ पड़ने का या सुनने का क्या फायदा ? लेकिन इसका सीधा सीधा जवाब है की अगर आप मोटिवेशनल स्टोरी पड़ते हैं या सुनते हैं तो आपको कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है और आपको दूसरों की कहानियों से ये जान पाते है कि ऐसी कौन सी गलतियां है जो और लोगो ने की हैं और आपको वो गलतियां नही करनी हैं।  इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसी ही कहानियां बताएंगे जिनमे आपको कुछ न कुछ नया सीखने को मिलेगा।

Short motivational Story in Hindi for success

 दुनियां सिर्फ तमाशा देखना पसंद करती हैं।

एक बार की बात है एक घर में आग लग गई। घर में से सभी लोगो को निकाला गया मौहल्ले के कुछ लोग आग बुझाने में लग गए तो कुछ लोग सिर्फ देख रहे थे। उसी घर में एक चिड़िया का घोंसला भी था I

  चिड़िया अपनी चोंच में थोड़ा पानी लाती और आग के ऊपर डाल देती लेकिन आग बुझ ही नही रही थी लेकिन चिड़िया भी रुक नही रही थी वो बस अपनी चोंच में पानी भर कर लाती और आग में डाल देती चिड़िया को बार बार मेहनत करते देख कौवा उसको देख कर हंसने लगा और बोला चिड़िया तू पागल है क्या ?

 तुझे क्या लगता है  ये घर देख इतना बड़ा है और तेरी चोंच इतनी छोटी है तुझे क्या लगता है तेरे बुझाने से ये आग बुझ जायेगी चिड़िया ने कहा हां मैं जानती हूं कि मेरे बुझाने से ये आग नही बुझेगी लेकिन जब भी इस आग के बारे में बात होगी तब मेरा नाम आग बुझाने वालों में होगा और तेरा नाम तमाशा देखने वालो में होगा।

 सीख:

 हमारी ज़िंदगी में भी ऐसे बहुत सारे लोग होते है जिनको हमारी Success बुरी लगती हैं वो हमेशा हमारे अंदर कोई न कोई कमी निकालते हैं और अगर हमसे कोई छोटी सी भी गलती हो जाए तो उसका तमाशा बना देते हैं इसलिए हमेशा ऐसे लोगो से दूर रहना ही बेहतर होता है।




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Janmashtami Wishes & Quotes II कृष्ण जन्मोत्सव पर अपनों को भेजें ये खास शुभकामनाएं और संदेश

Janmashtami ki Hardik Shubhkamnaye: जन्माष्टमी के दिन भक्तजन पूरे दिन व्रत रखते हैं और रात को श्री कृष्ण के जन्म के बाद फलाहार करते हैं। ऐसे में इस खास मौके पर आप अपनों को खास शायरी संदेश भेजकर भगवान कृष्ण के जन्मदिन की शुभकामनाएं दे सकते हैं।

Janmashtami Wishes & Quotes  II कृष्ण जन्मोत्सव पर अपनों को भेजें ये खास शुभकामनाएं और संदेश

आज पूरे देश में श्री कृष्ण जन्मोत्सव की धूम है। जन्माष्टमी की आधी रात को भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था, जिसका उत्सव आज भी आधी रात को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन हर कोई रात-भर जगकर उनके जन्म का उत्सव मनाता है। कृष्ण मंदिरों में कान्हा भक्तों की भीड़ उमड़ती है और पंडाल सजाए जाते हैं।

मंदिरों और घरों में भक्त उनके जन्म से पहले ही भजन-कीर्तन करना शुरू कर देते हैं। इस दिन हर घर और मंदिर में लोग भगवान कृष्ण की मूर्ति को झूले में बिठाते हैं और उनका नए वस्त्र, आभूषण और फूलों से श्रृंगार करते हैं। इस खास मौके पर अगर आप अपने मित्रों, रिश्तेदारों को खास संदेश भेजना चाहते हैं या स्टेटस पर दो लाइन कोट्स के साथ फोटो लगाना चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके काम आएगा। आप अपनों को व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी मैसेज में ये विशेष भेज सकते हैं।

1- गोद में यशोदा के, खेलें बाल गोपाल,

प्यारे मुख पर बसी है, सारी दुनिया की लालीमाल

गोपियों की मटकी फोड़ें, सबको खूब सताएं,

नटखट कन्हैया की मस्ती, सबके दिल में समाएं।


2- गोकुल का वो बालक चंचल,जिससे दुनिया हारी,

राधा संग रास रचाए, वो कृष्ण मुरारी,

जैसे नंद के घर में आए खुशियां।

वैसे ही आपके घर में भी गूंजे किलकारी,

Happy #Janmashtami


3- मोर मुकुट सिर पर, बंसी होठों पर सजाए,

अपनी मुरली की धुन से, सबको नचाए।

मां यशोदा की लाडले, सबकी आंखों का तारे,

शरारतों में सबसे आगे, वो है कान्हा प्यारे।

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!


#krishna janmashtami #wishes #quotes


4- आ गए हैं नन्हे बाल गोपाल प्यारे,

माखन के वो चोर न्यारे,

गोपियों के दिल को जीतेगें।

सबके प्रिय, सबके दुलारे,

Happy Janmashtami 


जन्माष्टमी विशेज इन हिंदी (Janmashtami Wishes in Hindi)

5- आज है कर्म का पाठ पढ़ाने वाले का जन्मोत्सव,

आज है गीता के ज्ञान को बांटने वाले का जन्मोत्सव।

आज है धर्म की राह दिखाने वाले का जन्मोत्सव,

इसलिए हम दिल से भेज रहे हैं बाल गोपाल के जन्मदिन का पैगाम।

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!


6-छोटी-छोटी बातों में, बड़े-बड़े खेल दिखाएं,

बाल गोपाल की शरारतें, सबको खूब भाएं।

गोकुल के गलियों में, बाल गोपाल की धूम।

जन्माष्टमी पर नटखट नंदलाला की सबके दिलों पर धूम,

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!


#krishna #janmashtami #wishes #quotes #message


7- मेरे नंदलाला की लीला अद्भुत,

हर किसी को भाती है,

उनकी मुरली की धुन सुनकर।

सबका मन खुशियों से भर जाएं,

Happy Janmashtami 


8- माखन की मटकी पर नजरें उनकी जाएं,

मां यशोदा से छिपकर, सारे माखन को चुराएं।

काश इस जन्माष्टमी हर घर में पधारें नटखट मुरारी,

बस यही दुआ है इस जन्माष्टमी,

हर घर में हो जाए खुशियों की भरमार।

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!


जन्माष्टमी मैसेज इन हिंदी (Krishna Janmashtami Message in Hindi)

9-कृष्णा का जन्म, एक महोत्सव महान

जिसने दिया हमें, धर्म का सच्चा ज्ञान।

आओ मिलकर मनाएं, ये पावन पर्व खास,

जय श्री कृष्णा की गूंज उठे, हर घर में आवाज़।


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10- श्री कृष्ण की मुरली की धुन,

हर दिल को भा जाए,

राधा के संग प्रेम का।

संदेश वो सीखा जाए,

नहीं होगा जिंदगी में कोई गम जब जन्माष्टमी में कृष्ण पधारें।

आपका घर भी भर जाए खुशियों से बस यही शुभकामनाएं हैं हमारी,

Happy Janmashtami


11- मोर मुकुट, पीतांबर धारी,

मुरलीधर की लीला प्यारी।

नटखट कान्हा बालक बने,

सबके दिलों के राजकुमार बने।

नहीं होगा कोई भी अधूरा,

जब इस जन्माष्टमी हर घर पधारेंगे कन्हैया प्यारे

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!




जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं (Janmashtami ki Hardik Shubhkamnaye)

12- गोकुल में बजी थी, बांसुरी की धुन,

कृष्ण के जन्म की आई थी सुनहरी सुन।

मां यशोदा की गोद में वो लालन प्यारा,

जिसने माखन से भरा, जीवन का प्याला सारा।

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!


13. दूध और माखन का प्रेम रस पान,

कृष्ण की बांसुरी में छुपा सुकून।

जन्माष्टमी की शुभकामनाएं,

हर दिल में हो श्री कृष्ण का जुनून।

Happy Janmashtami


14. कन्हैया है सबसे प्यारा

बांसुरी बजाकर जिसने सबके दिल को भाया

अपने नटखन पन से लोगों के दिल को लुभाया

नंदलाल के जन्मदिन का दिन आया

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं


15.आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की।

नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की॥

बृज में आनंद भयो, जय यशोदा लाल की।

हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की॥

जय हो नंदलाल की, जय यशोदा लाल की।

गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की॥

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं ||




 

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परिवार और पत्नी family and wife

 रात में पत्नी से लिपटकर सोना, रात भर उसे अपने आलिंगन में समेटे रखना और सुबह उसकी मुस्कान देखकर उठना, क्या कहने! पत्नी खुश, तो मैं खुश, और मैं खुश तो पूरा परिवार खुश।


परिवार और पत्नी family and wife

जब शादी की उम्र हो रही थी, मेरे लिए लड़कियाँ देखी जा रही थीं। मन ही मन मैं भी खुश था कि चलो कोई तो ऐसा होगा जिसे मैं अपना हमसफर कह सकूँगा, जिसके साथ जब मन करे, प्यार कर सकूँगा। मेरी अच्छी-खासी नौकरी थी, घर में बूढ़ी माँ और पापा थे। इतनी कमाई भी हो जाती थी कि अपनी पत्नी का खर्च उठा सकूँ। इन सारी बातों को सोच-सोचकर मैं खुश हो जाता था।

माँ की उम्र भी हो गई थी, तो यह भी सोचता कि उनकी इच्छा पूरी करने के लिए शादी कर लूँ। लोग भी मेरी बात मानते, लेकिन मन ही मन मैं भी चाहता था कि मेरी शादी हो जाए।

मेरी शादी दिव्या से फिक्स हुई। मैंने दिव्या से कहा, "हम आगे जाकर बहुत अच्छी जिंदगी जीने वाले हैं, क्योंकि मेरे घर में कोई नहीं है, बस तुम्हें मेरे माँ-बाप का ध्यान रखना होगा।" दिव्या ने तुरंत कहा, "आपके माँ-बाप भी मेरे माँ-बाप हो जाएंगे शादी के बाद।"

दिव्या की बातों ने मुझे और ज्यादा प्रेम में डाल दिया। कभी परिवार संभालने की बातें, कभी शरारत भरी रोमांटिक बातें सुनकर मैं बहुत खुश था। मानो एक परफेक्ट जिंदगी मिल गई हो। शादी के बाद हम दोनों घूमने गए। सब कुछ बहुत अच्छा था। हम दोनों को ऐसा लगता था कि बस एक-दूसरे से लिपटे रहें। जिनकी शादी हुई है, वे समझ सकते हैं कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।

घूमने के बाद जब घर आए, तो ज्यादातर समय ऑफिस के काम में गुजरता था। छुट्टी के दिन जब मम्मी-पापा बाहर जाते थे, तो दिव्या मैडम मूड में रहती थीं। कब, क्या, कैसे हो जाता था, पता नहीं चलता था।

मुझे लगने लगा कि एक ऐसी पत्नी मिली है, जो घर की जरूरतों को समझती है, साथ ही मेरी शारीरिक जरूरतों का भी ख्याल रखती है। संबंध बनाने के लिए खुद ही पहल करती है, और यदि मैं पहल कर दूं, तो मना नहीं करती बल्कि पूरा साथ देती है।

शादी के दो महीने बाद, दिव्या ने कहा, "अजी, मुझे साड़ी में दिक्कत होती है, क्या मैं घर पर सूट पहन सकती हूँ?" मैंने तुरंत कहा, "हां, क्यों नहीं पहन सकती हो, चलो अभी दिलाता हूँ।" हम दोनों बाजार से घर लौटे। मम्मी ने उसके हाथ में सूट देखा, पर कुछ नहीं बोलीं।

अगली सुबह जब दिव्या सूट पहनकर नहाकर निकली, तो मम्मी ने कहा, "तुमने सूट क्यों पहन लिया? हमारे यहां शादी के छह महीने तक नई बहू को सिर्फ साड़ी पहननी होती है। रोज कोई न कोई मिलने आता है, सबके सामने सूट पहनकर जाओगी तो अच्छा नहीं लगेगा।"

दिव्या ने मम्मी को सॉरी बोला और कहा, "मैंने तो इनसे पूछकर लिया था।" मम्मी तुरंत बोलीं, "ये कौन होते हैं यह सब डिसाइड करने वाले? अभी मैं हूं, तो मैं करूंगी। जब मैं मर जाऊं, तो जैसे मन वैसे रहना।"

यह सुनकर मुझे पहली बार अपनी औकात का पता चला। दिव्या मासूमियत से मेरी तरफ देख रही थी, शायद यह जताना चाहती थी कि उसकी वजह से उसे डांट पड़ गई। पत्नी प्रेम में मैंने मम्मी से कह दिया, "अरे मम्मी, उसकी गलती नहीं है, मुझसे पूछी थी वो।" मम्मी तुरंत बोलीं, "दो महीने हुए नहीं और आगए पत्नी का पक्ष लेने। इस घर में मालिक मैं हूँ या तुम हो?"

अब मेरे पास कोई जवाब नहीं था। हम दोनों एक-दूसरे को देखे और अंदर चले गए।

इस बात से दिव्या डर गई थी और अब वह हर काम मम्मी से पूछकर करने लगी। लेकिन मम्मी के लिए यह भी एक आफत थी। अब उनका कहना था कि तुम 28 साल की हो, तुम्हें खुद बुद्धि होनी चाहिए कि क्या करना है और क्या नहीं। हर चीज के लिए मेरे पास मत आया करो।

अब दिव्या भी चिढ़ गई, लेकिन मम्मी ने कुछ नहीं कहा। जब मैं ऑफिस से आया, तो मम्मी ने कहा, "तुम्हारी पत्नी को बुद्धि नाम की चीज नहीं है।" मैंने मम्मी को समझाया, "जाने दो, सीख जाएगी, थोड़ा समय दो।" इस पर मम्मी ने मुझसे मुंह फूला लिया और उदास रोते हुए कहा, "तुम बदल गए हो।" और पीछे से मेरे पिताजी देखते हुए हंस रहे थे, मानो ऐसा जता रहे हों कि उन्होंने पहले ही भविष्य देख लिया था।

कमरे में गया, तो वहां दिव्या का मुंह खुला हुआ था। कमरे में घुसते ही उसने मुझसे कहा, "मैं कितनी भी कोशिश कर लूं, मम्मी कभी खुश नहीं होती। हर चीज की एक सीमा होती है और यह सारी बातें सीमा से भी ऊपर हैं।" मैंने उसे पकड़ा और कहा, "घबराओ मत, थोड़ा समय लगेगा मम्मी को संभालने में। क्योंकि तुम्हारे अलावा उनका कोई और नहीं है। वह तुम्हें अपना मानती हैं इसलिए तुमसे ऐसी बातें करती हैं। चलो, चल के नीचे खाना खाते हैं, बहुत तेज भूख लगी है।"

ऐसा बोलकर हम नीचे आए। मैं मन ही मन सोचता रहा, "दिव्या को तो मैं धीरे से किसी भी तरह से मना लूंगा, एक रात की बात है, एक बार लिपट के सोया सब कुछ सुबह ठीक हो जाएगा। मम्मी के लिए कुछ सोचना पड़ेगा।"

नीचे खाना खाने के बाद हम अपने कमरे में गए। दिव्या अभी भी थोड़ी नाराज लग रही थी। मैंने उसे पूछा, "क्यों मन की बात का इतना बुरा मानती हो?" उसने तुरंत कहा, "मेरी कोई गलती भी नहीं होती और हर चीज के लिए मुझे दोषी ठहरा दिया जाता है। मैं कुछ अच्छा भी करने जाती हूं, तो उसमें भी मेरी बुराई निकल जाती है।"

मैंने उसे ज़ोर से गले लगाया और कहा, "ऐसा कुछ नहीं है, समय के साथ सब ठीक हो जाएगा।" लेकिन उसने मुझे अपने से दूर कर दिया और कहा, "मेरा मन नहीं है।"

अब जो मुझे लगता था कि एक रात लिपट के सोने से अगली सुबह सब कुछ ठीक हो जाएगा, वह बातें झूठी लगने लगीं। धीरे-धीरे हर छोटी-छोटी चीज पर घर में लड़ाई-झगड़ा होने लगे। मम्मी को दिव्या की कुछ चीजें पसंद नहीं आती थीं और दिव्या को मम्मी की बहुत सारी चीजें।

दिव्या का कहना था कि घर उसका भी है और हर छोटी चीज के लिए परमिशन लेना उसे ठीक नहीं लगता। उधर मम्मी का कहना था कि इस गृहस्थी को मैंने बसाया है और तुम्हें हैंडओवर किया है, इसलिए अभी भी इसकी मालकिन मैं ही हूं। तुम्हें जो भी करना है, मुझसे पूछकर करो।

दोनों अपनी जगह सही थीं। एक तरफ दिव्या थी, जिसके साथ मुझे पूरी जिंदगी बितानी थी, और दूसरी तरफ मेरी मम्मी थीं, जिन्होंने इस गृहस्थी को संभाला था, मुझे पाल-पोसकर बड़ा किया था।

लेकिन इन दोनों की लड़ाई का असर सीधा-सीधा मुझ पर पड़ रहा था और मैं पिसता जा रहा था। धीरे-धीरे बातें बहुत बढ़ने लगीं और घर में रोज लड़ाई-झगड़े की नौबत आ गई। अब मुझे भी लगने लगा था कि जो मेरे दोस्त कहते थे कि शादी करने से खुशी नहीं मिलती, बल्कि लाइफ में टेंशन आती है, वह सही थे।

इसी तरह एक दिन अत्यधिक बात बढ़ने पर, मैंने रात को दोनों के कमरे में जाकर कहा, "देखो, आप दोनों के झगड़े की वजह से मेरा करियर खराब हो रहा है और मैं ठीक से रह नहीं पा रहा हूं। मैं तुम्हें छोड़ नहीं सकता और ना ही दिव्या को। इसलिए थोड़ा नरम हो जाओ, जो चीज जैसे चल रही है, चलने दो।" इस बार मैं थोड़ा कठोर था।

फिर मैंने दिव्या से भी यही बात कही, "मां की उम्र हो चुकी है, यदि तुम यह सोच रही हो कि मां अपने आप को बदल सकती हैं, तो यह मुमकिन नहीं है। बदलना तुम्हें ही होगा, जिसमें मैं तुम्हारा पूरा साथ दूंगा। मैं तुम्हें नहीं छोड़ सकता क्योंकि तुम मेरा भविष्य हो, और ना ही अपनी मां को छोड़ सकता हूं क्योंकि उन्होंने मुझे पाल-पोसकर इस लायक बनाया है। तो कोई बीच का रास्ता निकालो और घर में शांति से रहो।"

यह बात होने के कुछ दिन बाद तक चीजें ठीक थीं, लेकिन धीरे-धीरे फिर से झगड़ा शुरू हो गया। अब जब भी मैं ऑफिस से घर आता, तो घर में घुसते ही मम्मी दिव्या की बुराई करतीं और अपने कमरे में जाते ही दिव्या मम्मी की बुराई करती। मुझे समझ में नहीं आता था कि मैं किस जंजाल में फंस गया हूं।

दिव्या का पक्ष लेता तो मम्मी नाराज हो जातीं, और मम्मी का पक्ष लेता तो दिव्या बुरा मान जाती। यह दोनों वही औरतें थीं जिनसे इस दुनिया में मैं सबसे ज्यादा प्रेम करता था। एक समय ऐसा आया कि मुझे घर पर आने का मन नहीं करता था। काम हो गया, तो मुझे लगता था कि जितना ज्यादा समय घर से बाहर रहूं, उतना अच्छा है। क्योंकि दो बार समझाने के बाद भी मेरी मम्मी और मेरी पत्नी के बीच विवाद नहीं सुलझ रहा था।

इसी दौरान मैं अपने पापा के साथ उनके पेंशन के काम के लिए ऑफिस गया। पापा मुझसे पूछते हैं कि इतना परेशान क्यों रहते हो? मैंने उन्हें सारी बात बताई। पापा ने कहा, "यह तो दुनिया की रीति है। हर मर्द को इससे गुजरना पड़ता है। जब मेरी शादी हुई थी, तो मैंने भी यह सब झेला है। तुम्हारे पिताजी ने भी झेला है और तुम्हारे नाना ने भी। अब तुम्हारी बारी है। लेकिन मैं तुम्हें एक तरीका बताता हूं, जिससे चीजें काफी हद तक सुधर सकती हैं।"

पापा ने मुझे एक तरीका बताया। मैं घर आया, चीजें ठीक चलती रहीं, लेकिन कुछ समय बाद फिर झगड़ा होना शुरू हो गया। इस बार मैंने दोनों को आमने-सामने बैठाकर कहा, "लास्ट समय मैंने आप लोगों से बात की थी, पर उसका कोई मतलब नहीं निकला। यदि आज के बाद फिर कभी घर में झगड़ा हुआ, तो मैं यह घर छोड़कर चला जाऊंगा। मैं कहीं बाहर रहूंगा और हर महीने की सैलरी आधी मम्मी को और आधी दिव्या को दे दिया करूंगा।"

इस बात का दोनों पर कोई फर्क नहीं पड़ा। हफ्ता बीत गया और घर में फिर झगड़ा हुआ। इस बार एक्शन लेने का समय था। मैंने झगड़ा होते हुए देखा, पर कुछ नहीं कहा। ऑफिस गया और देर रात तक वहीं रुका रहा। जब दिव्या ने फोन किया, तो मैंने कहा, "मुझे नहीं पता मैं कहां हूं।" कुछ देर बाद मम्मी का फोन आया, उन्होंने भी यही पूछा कि इतनी देर क्यों हो रही है। मैंने मम्मी से भी वही कहा, "मुझे नहीं पता मैं कहां हूं।"

इस दौरान मैं अपने एक अविवाहित दोस्त के घर पर रुका हुआ था, जिसके बारे में घर में किसी को नहीं पता था। सिर्फ पापा को पता था। जब दिव्या या मम्मी का फोन आता, तो मैं उनसे नॉर्मल बात करता और कहता, "कई बार समझाया है कि घर में लड़ाई-झगड़ा मत करो, इससे घर की शांति भंग होती है। इस वजह से अब मैं घर छोड़कर बाहर आ गया हूं और हमेशा के लिए बाहर हूं।"

यह सुनकर मम्मी और दिव्या दोनों घबरा गईं। दोनों फोन करके बार-बार कहतीं कि दोबारा उनसे यह गलती कभी नहीं होगी, जल्दी से घर आ जाओ। मम्मी ने तो यह तक कह दिया कि, "तू क्या चाहता है, मैं बिना पोते का मुंह देखे मर जाऊं।" और दिव्या कहतीं, "आपकी मम्मी आपके लिए बहुत परेशान हैं। मेरे लिए नहीं, तो कम से कम उनके लिए वापस आ जाइए।"

मुझे यह देखकर खुशी हो रही थी कि दोनों मेरे चक्कर में एक-दूसरे के बारे में सोच रही थीं। फर्क सिर्फ इतना था कि दिव्या खुलकर कह रही थी, पर मम्मी इशारों में।

एक हफ्ते बाद मैं घर लौटा और सबसे पहले पापा से मिला। पापा ने बताया कि एक हफ्ते से घर में काफी शांति है और उम्मीद है आगे भी ऐसा झगड़ा नहीं होगा। यकीन मानिए, उस दिन के बाद से ऐसा झगड़ा दोबारा कभी नहीं हुआ। मम्मी और दिव्या अब अच्छे से रहती हैं।

आज दिव्या और मुझे शादी को पांच साल हो चुके हैं और हमारा एक बेटा भी है। लेकिन आज हमारे घर में गृहकलह नाम की चीज नहीं है और इसका पूरा श्रेय मैं अपने पापा को देना चाहता हूं। क्योंकि उस दिन जब हम पेंशन का काम करने कचहरी गए थे, तो उन्होंने ही मुझे यह आईडिया दिया था कि एक हफ्ते के लिए घर से बाहर भाग जाओ और कह दो कि अब तुम दोबारा लौटकर कभी नहीं आओगे।

मुझे पता है, मेरा यह कदम कुछ लोगों को हास्यास्पद और बेकार लग सकता है, पर यकीन मानिए, इस चीज ने मेरी जिंदगी बदल दी। अगर मैं आज यह कदम नहीं उठाता, तो शायद हर घर की तरह मेरे घर में भी रोज लड़ाई-झगड़ा हो रहा होता।

भारत में शादी सिर्फ लड़के और लड़की की नहीं होती, बल्कि उनके परिवारों की भी होती है। शादी के बाद सिर्फ पत्नी के साथ जी भर के प्यार करने से खुशी नहीं मिलती। असली खुशी तब मिलती है जब आपका पूरा परिवार खुश हो। परिवार को खुश रखने की जिम्मेदारी सिर्फ लड़की की नहीं होती, बल्कि पूरे परिवार की होती है। इसमें आप, मैं, आपके मम्मी-पापा और पत्नी सभी शामिल होते हैं।

मेरी यह कहानी आप लोगों को कैसी लगी, मुझे कमेंट करके जरूर बताइएगा।
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मैट्रिमोनियल साइट्स पर आंख बंद करके भरोसा ना करें Do not blindly trust matrimonial sites

 एक को औरत को अपने मर्द से भरपूर सम्भोग चाहिए होता है और पति भी उसके शरीर का दीवाना होता है , पूरा संसार इसी तरह चल रहा है लेकिन पहले ये सब काम मर्यादा में रहकर किये जाते थे लेकिन अब मर्यादा की सीमा खत्म हो चुकी है।


मैट्रिमोनियल साइट्स पर आंख बंद करके भरोसा ना करें Do not blindly trust matrimonial sites

मैं बक्सर, बिहार का रहने वाला। काम के सिलसिले में पहले दिल्ली और अब बैंगलोर में हूँ। बचपन से सुनते आए हैं कि लड़के लड़कियों के पीछे भागते हैं, लेकिन अब समय बदल गया है। अब लड़कियां भी पागल हुई हैं। मैं अपनी सच्ची कहानी साझा करना चाहता हूँ।


32 साल की उम्र में मैंने मैट्रिमोनियल साइट्स पर अपनी प्रोफाइल बनाई, क्योंकि जब शादी की उम्र थी, तब जिम्मेदारियों तले दब गए थे। पैसा कमाना और बहन की शादी करना प्राथमिकता थी। मैंने करीब 70 लड़कियों को रिक्वेस्ट भेजा, जिसमें से कुछ ने ही स्वीकार किया।

एक दिन रिया नाम की लड़की का रिक्वेस्ट आया। वह बिहार की थी, सुंदर थी, और हमारी बातचीत आगे बढ़ी। हमने नंबर शेयर किए और मिलने का निर्णय लिया। 32 साल की उम्र में पहली बार किसी लड़की से मिलने गया। रिया गुलाबी कुर्ती में बेहद सुंदर लग रही थी। हम मिले, बातें कीं, और धीरे-धीरे मुझे उससे प्यार हो गया।

रिया ने कहा कि वह शादी मुझसे ही करेगी, लेकिन अभी समय चाहिए। मैंने सोचा, ठीक है। फिर उसने कहा कि हमारे बीच शारीरिक संबंध नहीं हैं, लेकिन जल्द ही होंगे। एक दिन उसने खुद के पैसे से होटल बुक किया और मुझसे कहा कि शादी के बाद जो होता है, वह हम अभी कर सकते हैं। मैंने उसकी बात मान ली और हमने संबंध बनाए।

हमारे बीच झगड़े भी होने लगे। हर बार उसे मनाने की कीमत चुकानी पड़ती। पिज्जा, आइसक्रीम, महंगे गिफ्ट्स और बहुत कुछ। वह कहती कि हम पति-पत्नी की तरह हैं, तो मेरे लिए इतना तो कर ही सकते हैं। मैं अपनी भावनाओं में बहकर उसके लिए सब कुछ करता रहा।

एक दिन ऑफिस में एक नया लड़का मिला, जो पटना का था। वह अपनी गर्लफ्रेंड की तारीफ करने लगा। मैंने उसकी गर्लफ्रेंड की फोटो देखी और मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। वह रिया ही थी। मैंने उसे सच बताया और सबूत दिखाए। उसने भी सच्चाई जानने के बाद रिया को छोड़ दिया।

इस घटना के बाद हमें एहसास हुआ कि मैट्रिमोनियल साइट्स पर भरोसा करना मुश्किल है। हमने अपने दोस्तों से यह बात साझा की और पाया कि कई लोग इसी तरह धोखा खा चुके हैं। लड़कियां अपने फायदे के लिए शॉर्ट टर्म रिलेशनशिप बनाती हैं।

सभी लड़कियां ऐसी नहीं होतीं, लेकिन कुछ का मकसद केवल पैसे और शारीरिक जरूरतें पूरी करना होता है। मेरी यह कहानी साझा करने का मकसद है कि लोग सतर्क रहें और इन साइट्स पर आंख बंद करके भरोसा ना करें।

आपकी प्रतिक्रिया हमें कमेंट्स में बताएं। क्या आपके या किसी जानने वाले के साथ ऐसा हुआ है ? 
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शादी जैसे बंधन को चलाने के लिए जरूरी है आपसी सहमति, समझ और विश्वास To maintain a bond like marriage, mutual consent, understanding and trust are necessary.

 "पति को संभोग सुख दो, तो वह तुम्हें दुनिया के सारे सुख देगा।" यह बात मैंने हमेशा अपनी सहेलियों, मां, और चाची से सुनी थी। लेकिन असल में कमी कुछ और थी।

शादी जैसे बंधन को चलाने के लिए जरूरी है आपसी सहमति, समझ और विश्वास To maintain a bond like marriage, mutual consent, understanding and trust are necessary.

35 साल की उम्र में मेरा विवाह हुआ, जो कि काफी देर से हुआ था। जिस व्यक्ति से मेरी शादी हुई, उनकी उम्र 37 साल थी। पहले लोग जल्दी शादी करने पर जोर देते थे, लेकिन आजकल लोग पहले करियर बनाने के पीछे भागते हैं। कम उम्र में हुई शादी में आप अपने पार्टनर और परिवार से घुल-मिल जाते हैं, लेकिन देर से हुई शादी में लोग इतने जटिल हो जाते हैं कि वे नए माहौल में ढल नहीं पाते।


जब मेरी शादी हुई, तो मुझे पता था कि जिस व्यक्ति से मेरी शादी हो रही है, वह कम कमाता है। पर 35 साल की उम्र होने के कारण मेरी मां को भी चिंता होने लगी थी। मेरे पापा का निधन पहले ही हो चुका था। परिवार के दबाव में मैंने शादी कर ली। सहेलियों ने भी कहा, "रात को बिस्तर पर पति को खुश रखो, वह खुद मेहनत कर के ज्यादा पैसे कमाएगा।"

शादी के बाद मुझे समझ आया कि पति के साथ-साथ एक पुरुष की जिंदगी में एक और चीज आती है जिसे जिम्मेदारी कहते हैं। मेरे पति जानते थे कि मैं उनकी कम आय से खुश नहीं हूं। उन्होंने शादी की पहली रात मुझसे कहा, "देखो, मेरी आय कम है और उम्र ज्यादा, इसका मतलब यह नहीं कि हम दोनों साथ में खुश नहीं रह सकते। मैं तुम्हें सभी संसाधन तो नहीं दे सकता, लेकिन इतना जरूर दे सकता हूं कि हमारी जिंदगी अच्छे से चले।"

हमारे बीच पति-पत्नी वाला रिश्ता नहीं बन पाया। मैंने अपनी सहेलियों से फिर बात की, और उन्होंने फिर वही बात कही, "उन्हें रात में खुश करो और वह तुम्हारी जरूरतें पूरी करेंगे।"

महीने के अंत में उन्हें वेतन मिला 25000 रुपए, जिसमें से 5000 रुपए भविष्य के लिए रख कर उन्होंने 20000 मुझे दिए और बोले, "मेरी जरूरतें काफी सीमित हैं, ये पैसे तुम रखो। अगर मुझे जरूरत हुई तो तुमसे ले लूंगा। तुम अपने हिसाब से घर देख लो।"

फिर भी पैसे कम पड़े। मैंने उनसे इस बारे में बात की, तो उन्होंने कहा, "थोड़ी दिक्कत हो सकती है, लेकिन मैं दूसरी नौकरी के लिए ट्राय कर रहा हूं।"

शादी के 6 महीने बाद हमारा झगड़ा हुआ। मैं चाहती थी कि वह और पैसे कमाएं, लेकिन वह कहते थे, "जो हैं उसमें एडजस्ट करने की कोशिश करो।" मैं अपने मायके आ गई और मन बना लिया कि अब वापस नहीं जाऊंगी।

उन्होंने मुझे कई बार बुलाया, लेकिन मैंने नहीं सुना। आखिरकार, उन्होंने मुझे अलग होने का प्रस्ताव दिया और कहा, "अगर तुम मुझसे अलग होना चाहती हो तो हो सकती हो।" मेरा गुस्सा और भड़क गया।

तलाक के बाद मैंने नौकरी की। अब मेरी उम्र 37 साल हो गई थी और मुझे समझ में आया कि नौकरी करना कितना कठिन है। मेरी तनख्वाह 15000 रुपए थी।

अब मुझे एहसास हुआ कि पहले 20000 रुपए घर बैठे मिलते थे, और अब 15000 के लिए दिनभर की मेहनत करनी पड़ती है। एक पुरुष अपने परिवार की कमी को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करता है, लेकिन हम औरतें सिर्फ यह सोचती हैं कि कैसे हमारा काम पूरा हो।

आज उसी शख्स की नौकरी में तनख्वाह 86000 रुपए है। मैंने यह गलती की कि रिश्ते को पैसे के पैरामीटर पर तोलने लगी।

आजकल की लड़कियां शादी करने से पहले यह जानना चाहती हैं कि लड़का कितना कमा रहा है। लेकिन असल में किसी से शादी करने से पहले यह जानना जरूरी है कि उसका चरित्र कैसा है।

शादी जैसे बंधन को चलाने के लिए जरूरी है आपसी सहमति, समझ और विश्वास। लेकिन आज मेरी तरह सभी लड़कियां अपनी शादी में सबसे पहले यह देखती हैं कि लड़का कितना कमा रहा है।

एक अच्छा रिश्ता पैसे की दम पर नहीं चलता है। मुझे यह बात तब समझ आई जब मैंने अपना रिश्ता खो दिया। किसी अमीर से 4 बात सुनने से बेहतर है कि किसी कम आय वाले के साथ शादी करके साथ खुश रहने में आनंद है।

यह एक सत्य घटना है। आप बताइए, आपके हिसाब से रिश्ते चलाने के लिए पैसे कितने जरूरी हैं?
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सच्चे रिश्तों का सम्मान

 सफल गृहस्थ जिंदगी जी रही प्रिया की जिंदगी में पति आकाश के अलावा करण क्या आया, उसकी पूरी जिंदगी में तूफान आ गया। इसकी कीमत प्रिया ने क्या खो...