ईश्वर की सत्ता सर्वत्र अकल्पनीय है


ईश्वर की सत्ता सर्वत्र अकल्पनीय है
इंसानी जिस्म की उंगलियों में लकीरें तब नमूदार होने लगती हैं जब इंसान मां की कोख में 4 महीने का हो जाता है। ये लकीरें एक रेडियल तरंग की सूरत में गोश्त पर बनना शुरू होती हैं। इन तरंगों को भी मैसेज DNA देता है मगर हैरत की बात ये है कि पड़ने वाली ये लकीरें इस बच्चे और बाकी तमाम लोगों और उनके पूर्वजों से मेल नहीं खातीं। गोया लकीरें बनाने वाला इस क़दर दाना और हिकमत रखता है कि वह खरबों की तादाद में इंसान जो इस दुनिया में हैं और और जो दुनिया में नही रहे उनकी उंगलियों में मौजुद लकीरों की शेप और उनकी एक-एक डिज़ाइन से बा-ख़बर है। यही वजह है कि वह हर बार एक नए अंदाज़ का डिज़ाइन कोख में पल रहे बच्चे की उंगलियों पर नक्श करके ये साबित करता है -

कि है कोई मुझ जैसा डिज़ाइनर .?
कोई है मुझ जैसा कारीगर .?
कोई है मुझ जैसा आर्टिस्ट .?
कोई है मुझ जैसा मुसव्विर .?
कोई है मुझ जैसा तख़्लीक़-कार .?

हैरानी की इंतेहा तो इस बात पर ख़त्म हो जाती है कि अगर जलने, ज़ख़्म लगने या किसी और वजह से ये फिंगरप्रिंट मिट भी जाएं तो दोबारा हू-ब-हू वही लकीरें जिनमे एक सेल की भी कमी पेशी नही होती ज़ाहिर हो जाती है .!!

तो अब बात ऐसे है कि पूरी दुनिया भी जमा होकर इंसानी उंगली पर किसी वजह किसी हादसे से मिट जाने वाली एक फिंगरप्रिंट को दोबारा नहीं बना सकती .!!

कोई तो है जो निज़ाम-ए-हस्ती चला रहा है,
वही *"ईश्वर"'* है वही *"परमात्मा"'* है वही *"'भगवान"'* है .!

ईश्वर की सत्ता सर्वत्र 
जय श्री राम जय श्री कृष्णा


0 0

No comments:

Post a Comment

Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You

Feetured Post

नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...