बच्चों और बुजुर्गों दोनों को समान ध्यान और प्यार की आवश्यकता - Both children and elders need equal attention and love
सात साल का छोटू जब खांसता हुआ कमरे में दाखिल हुआ, तो उसकी माँ, सविता, ने उसे देखा और तुरंत पूछा, "क्या हुआ बेटा, तबीयत ठीक नहीं है?"
छोटू ने अपनी शरारती मुस्कान के साथ जवाब दिया, "नहीं माँ, मेरी तबीयत ठीक है। मैं तो दादाजी की नकल कर रहा था!"
माँ ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा, "ये अच्छी बात नहीं बेटा। दादाजी की तबीयत सच में खराब है, उन्हें सच में खांसी हो रही है।"
छोटू ने मासूमियत से कहा, "पर माँ, आपने तो दादाजी को दवाई नहीं दी। मैंने दादाजी से भी पूछा था कि आपको खांसी की दवाई क्यों नहीं दी गई, तो उन्होंने कहा कि तुम्हारी माँ ने दवाई नहीं दी।"
माँ ने धीरे से समझाते हुए कहा, "बेटा, घर में खांसी की दवाई खत्म हो गई है। इसलिए मैं दादाजी को दवाई नहीं दे पा रही हूँ।"
छोटू ने थोड़ी हैरानी से कहा, "लेकिन माँ, जब मैं खांसते हुए आया था, तो आप मुझे खांसी की दवाई देने वाली थीं।"
माँ मुस्कुराई और बोली, "बेटा, वो बच्चों की खांसी की दवाई है, बड़ों की नहीं। वह दवाई दादाजी को नहीं दी जा सकती।"
छोटू अब थोड़ा गंभीर हो गया और बोला, "तो इसका मतलब है कि आपने मेरे लिए पहले से दवाई खरीद कर रखी है, ताकि जब मुझे खांसी आए तो आप मुझे तुरंत दवाई दे सकें। लेकिन आपने दादाजी के लिए दवाई क्यों नहीं रखी?"
छोटू ने एक पल रुककर फिर मासूमियत से कहा, "मेरी टीचर ने तो कहा था कि बच्चे और बूढ़े एक जैसे होते हैं।"
माँ के पास अब कोई जवाब नहीं था। छोटू की बात ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया। उसने धीरे से अपने बेटे के सिर पर हाथ फेरा और मन ही मन ठान लिया कि दादाजी के लिए तुरंत दवाई का इंतजाम करेगी।
No comments:
Post a Comment
Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You