शब्दों का प्रभाव गहरा होता है - words have a deep impact
एक गाँव में एक बुजुर्ग व्यक्ति, रामनाथ, ने एक दिन बिना किसी आधार के यह अफवाह फैला दी कि उसके पड़ोस में रहने वाला एक युवा, मोहन, चोर है। यह अफवाह धीरे-धीरे गाँव में फैल गई, और लोग मोहन से बचने लगे। हर कोई उसे संदेह भरी नज़रों से देखने लगा। मोहन, जो एक सीधा-साधा और मेहनती युवक था, इस झूठी बात से बहुत परेशान हो गया। वह सफाई देने की कोशिश करता, लेकिन कोई उसकी बात पर भरोसा नहीं करता था।
कुछ दिनों बाद, गाँव में एक चोरी की घटना हो गई। बिना किसी ठोस कारण के, लोगों का शक मोहन पर ही गया और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। गाँव वाले अब और भी ज्यादा उस पर उंगली उठाने लगे, मानो वह चोर साबित हो चुका हो। परंतु, कुछ दिनों के बाद, सबूतों की कमी के कारण मोहन निर्दोष साबित हुआ और उसे रिहा कर दिया गया।
मोहन के मन में गुस्सा और दुख था। उसने ठान लिया कि अब वह इस झूठी अफवाह का जवाब कानूनी तरीके से देगा। उसने रामनाथ पर झूठे आरोप लगाने के लिए कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया। कोर्ट में, जब रामनाथ को बुलाया गया, तो उसने अपने बचाव में कहा, "मैंने तो सिर्फ एक सामान्य टिप्पणी की थी, मेरा मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं था।"
जज ने रामनाथ की बात सुनी और फिर कहा, "आप ऐसा करें, एक कागज पर वह सारी बातें लिखें जो आपने मोहन के बारे में फैलाई थीं, और फिर उस कागज के टुकड़े-टुकड़े कर के घर जाते समय रास्ते में फेंक दें। कल आप वापस कोर्ट में आएं, तब मैं आपको फैसला सुनाऊंगा।"
रामनाथ ने वैसा ही किया। अगले दिन, जब वह फिर से कोर्ट में हाज़िर हुआ, तो जज ने उससे कहा, "अब आप उन कागज के टुकड़ों को इकट्ठा कर के ले आइए जो आपने कल रास्ते में फेंक दिए थे।"
रामनाथ ने हैरानी से कहा, "यह तो नामुमकिन है, उन टुकड़ों को तो हवा न जाने कहाँ-कहाँ उड़ा कर ले गई होगी। मैं उन्हें कैसे ढूंढूंगा?"
जज ने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक इसी तरह, एक झूठी टिप्पणी या अफवाह भी लोगों के बीच फैलकर किसी का सम्मान इस हद तक नष्ट कर सकती है कि उसे वापस पाना नामुमकिन हो जाता है। आपकी एक साधारण सी बात ने मोहन की इज्जत को बर्बाद कर दिया।"
यह सुनकर रामनाथ को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने कोर्ट और मोहन से माफी मांगते हुए वचन दिया कि वह अब से कभी बिना सोचे-समझे किसी पर गलत आरोप नहीं लगाएगा और न ही किसी के सम्मान को ठेस पहुंचाएगा।
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