मृत्यु जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है II death is an inevitable part of life
एक बार, राजा विक्रम अपने राज्य से बाहर यात्रा करते हुए एक बड़े वृक्ष के नीचे तपस्वी ऋषि के पास पहुंचे। उन्होंने ऋषि से विनम्रता से पूछा, "हे महात्मन! क्या कोई ऐसी औषधि या जड़ी-बूटी है, जो अमरता प्रदान कर सके? कृपया मुझे उसका मार्ग बताएं।"
ऋषि ने शांत स्वर में उत्तर दिया, "हे राजन! यदि तुम अमरता पाना चाहते हो, तो इन दो पहाड़ों को पार करो। वहाँ एक झील मिलेगी। उसका जल पीकर तुम अमर हो जाओगे।"
राजा ने उत्साहित होकर दो पहाड़ पार किए और एक सुंदर झील के पास पहुंचे। जैसे ही वह झील का पानी पीने लगे, उन्होंने कहीं से दर्द भरी आवाज सुनी। आवाज का पीछा करते हुए राजा को एक दुर्बल और वृद्ध व्यक्ति मिला, जो पीड़ा में कराह रहा था।
राजा ने उसका हाल पूछा तो वृद्ध ने कहा, "मैंने इस झील का जल पीकर अमरता प्राप्त कर ली। परंतु, अब मेरी अवस्था इतनी दयनीय हो गई है कि मेरे अपने बेटे ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया। मैं पिछले पचास वर्षों से यहाँ पड़ा हूँ और अब कोई मेरी देखभाल नहीं करता। मेरा बेटा भी मर चुका है, और मेरे पोते-पोतियाँ अब वृद्ध हो चुके हैं। मैंने कई वर्षों से खाना-पीना छोड़ दिया है, फिर भी मैं जी रहा हूँ।"
राजा ने सोचा, "बुढ़ापे में अमरता का क्या लाभ? अगर मैं अमरता के साथ-साथ अपनी जवानी भी बरकरार रख सकूँ, तो जीवन सार्थक हो जाएगा।" समाधान की खोज में, राजा फिर से ऋषि के पास लौट आए और पूछा, "हे ऋषि, मुझे बताइए कि मैं अमरता के साथ-साथ अपनी जवानी कैसे पा सकता हूँ?"
ऋषि ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "राजन, झील को पार करके आगे जाओ, वहाँ एक और पहाड़ मिलेगा। उस पहाड़ को पार करने के बाद, तुम्हें पीले फलों से भरा एक वृक्ष मिलेगा। उन फलों में से एक फल खाओ, और तुम्हें अमरता और जवानी दोनों प्राप्त होंगे।"
राजा ने एक और पहाड़ पार किया और वाकई, उन्हें पीले फलों से भरा एक विशाल पेड़ मिला। जैसे ही उन्होंने एक फल तोड़कर खाने का विचार किया, उन्हें कहीं से जोरदार बहस और झगड़े की आवाजें सुनाई दीं।
आश्चर्यचकित होकर राजा ने पास जाकर देखा कि चार युवक एक-दूसरे से जोर-जोर से बहस कर रहे थे। उन्होंने पूछा, "तुम लोग किस बात पर लड़ रहे हो?"
एक युवक ने कहा, "मैं 250 साल का हूँ और मेरा बगल वाला 300 साल का है। वह मुझे मेरी संपत्ति का हिस्सा नहीं दे रहा है।"
राजा ने दूसरे व्यक्ति से पूछा तो उसने जवाब दिया, "मेरे पिता, जो 350 साल के हैं, अभी भी जीवित हैं। उन्होंने मुझे मेरा हिस्सा नहीं दिया है, तो मैं अपने बेटे को कैसे दे सकता हूँ?"
दूसरे व्यक्ति ने अपने पिता की ओर इशारा किया, जो 400 साल के थे, और उसने भी वही शिकायत दोहराई। उन सभी ने राजा को बताया कि संपत्ति के लिए उनकी अंतहीन लड़ाई ने गाँव वालों को उन्हें गाँव से निकालने के लिए मजबूर कर दिया है।
राजा यह सुनकर चकित रह गए और वापस ऋषि के पास लौटे। उन्होंने ऋषि से कहा, "धन्यवाद, आपने मुझे मृत्यु का महत्व सिखाया।"
तब ऋषि ने गंभीरता से कहा, "हे राजन! मृत्यु के कारण ही इस संसार में प्रेम है। यदि मृत्यु न हो, तो जीवन का आनंद और प्रेम समाप्त हो जाएगा।"
"मृत्यु से बचने के बजाय, हर दिन और हर पल को खुशी से जियो। स्वयं को बदलो, और संसार भी बदल जाएगा।"
ऋषि ने राजा को यह सिखाया कि मृत्यु जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है और इसके बिना जीवन का सही आनंद लेना संभव नहीं है।
जय श्री राम!
No comments:
Post a Comment
Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You