विजयादशमी (दशहरा) का पर्व भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पर्व अच्छाई पर बुराई की विजय का प्रतीक है और इसे मुख्यतः भगवान राम की रावण पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के पुत्र के रूप में राम का अवतार लिया था। रावण, जो लंका का राजा और एक शक्तिशाली राक्षस था, ने सीता का अपहरण किया और उन्हें लंका ले गया। सीता को बचाने के लिए भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण और वानरराज सुग्रीव के साथ मिलकर विशाल सेना का गठन किया। इस सेना में हनुमान की भी विशेष भूमिका रही।
राम ने रावण की सेना के साथ युद्ध किया, जो बहुत कठिन और लंबा चला। अंततः भगवान राम ने रावण का वध किया और सीता को मुक्त करवाया। इस घटना के बाद ही विजयादशमी का पर्व मनाया जाने लगा, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में माना जाता है।
दूसरी ओर, महाभारत में भी इस दिन का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान अपने हथियार एक शमी वृक्ष में छिपा दिए थे। अज्ञातवास की समाप्ति के बाद, उन्होंने विजयादशमी के दिन उन हथियारों को पुनः प्राप्त किया और कौरवों पर विजय प्राप्त की।
विजयादशमी का पर्व पूरे भारत में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। कहीं रावण के विशाल पुतले जलाए जाते हैं, तो कहीं शस्त्र पूजन किया जाता है। यह पर्व यह संदेश देता है कि सत्य की हमेशा विजय होती है और हमें धर्म और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए।
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