दीपावली: रोशनी का पर्व II deepawali festival II दीपावली उत्सव II दिवाली का त्यौहार
**दीपावली**, जिसे हम आमतौर पर **दिवाली** के नाम से भी जानते हैं, भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है और बुराई पर अच्छाई की जीत तथा अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। दीपों की जगमगाहट, पटाखों की गूंज, मिठाइयों का स्वाद और परिवार के साथ खुशियों का आदान-प्रदान इस पर्व को खास बनाता है।
दीपावली का महत्व और पौराणिक कथाएं
दीपावली का संबंध कई पौराणिक कथाओं से है, जो इसे एक गहन धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्रदान करती हैं। सबसे प्रमुख कथा भगवान **राम** से जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद माता **सीता** और भाई **लक्ष्मण** के साथ अयोध्या लौटे थे, तब उनके आगमन की खुशी में लोगों ने पूरे राज्य को दीपों से सजाया और तब से इस परंपरा की शुरुआत हुई।
दूसरी महत्वपूर्ण कथा **भगवान कृष्ण** और **नरकासुर** राक्षस के वध से जुड़ी है। नरकासुर ने कई देवी-देवताओं को परेशान किया था, लेकिन भगवान कृष्ण ने उसे मारकर प्रजा को अत्याचार से मुक्त कराया। इसलिए, इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है।
इसके अलावा, **माता लक्ष्मी** का पूजन भी दीपावली के अवसर पर किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन से लक्ष्मी माता प्रकट हुई थीं, और तभी से इस दिन को धन, समृद्धि और सुख-शांति के लिए लक्ष्मी पूजन के रूप में मनाया जाता है।
पांच दिवसीय दीपावली उत्सव
दीपावली केवल एक दिन का नहीं, बल्कि पांच दिनों का उत्सव है, जिनमें से प्रत्येक दिन का अपना एक अलग महत्व है:
1. **धनतेरस**: यह दीपावली का पहला दिन होता है, जब लोग सोने, चांदी और धातु के बर्तन खरीदते हैं। इस दिन को स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और लोग भगवान **धन्वंतरि** और **कुबेर** की पूजा करते हैं।
2. **नरक चतुर्दशी**: इसे **छोटी दिवाली** भी कहते हैं। इस दिन घर की साफ-सफाई होती है और दीपक जलाए जाते हैं। इसका उद्देश्य बुरी शक्तियों का नाश और सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करना है।
3. **दीपावली**: यह मुख्य पर्व का दिन है, जब माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है। इस दिन घरों को दीपों और रंगोली से सजाया जाता है, मिठाइयां बांटी जाती हैं, और पटाखे फोड़े जाते हैं।
4. **गोवर्धन पूजा**: दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इसे भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने और इंद्र देव के प्रकोप से लोगों को बचाने की स्मृति में मनाया जाता है।
5. **भाई दूज**: यह दीपावली का आखिरी दिन है, जब भाई-बहन का प्रेम मनाने के लिए बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
दीपावली की तैयारी और परंपराएं
दीपावली की तैयारियां कई दिनों पहले शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, नई सजावट और रंगरोगन करवाते हैं। घर के द्वार पर **रंगोली** बनाई जाती है और मुख्य द्वार को दीपों से सजाया जाता है। कई लोग इस दिन नए कपड़े पहनते हैं और सोने-चांदी की चीजें खरीदते हैं, जो समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं।
लक्ष्मी पूजा** दीपावली का मुख्य आकर्षण होता है। लोग अपने घरों में माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करके पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी घर-घर जाती हैं और जो लोग साफ-सुथरे और दीपों से सजे घर में उनका स्वागत करते हैं, उन पर वे अपनी कृपा बरसाती हैं।
**पटाखों** का भी दीपावली में विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि पटाखों की आवाज से बुरी आत्माएं दूर भागती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है। हालांकि, आजकल पर्यावरण प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए लोग पटाखों का इस्तेमाल कम करने की ओर भी ध्यान दे रहे हैं।
दीपावली का सांस्कृतिक और सामाजिक पहलू
दीपावली न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस पर्व के दौरान लोग अपने रिश्तेदारों और मित्रों के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं। एक दूसरे के घर मिठाइयां और उपहार देने की परंपरा है, जो आपसी प्रेम और सद्भाव को बढ़ावा देती है।
दीपावली पर मिठाइयों की विशेष भूमिका होती है। इस समय कई तरह की पारंपरिक मिठाइयां जैसे **लड्डू**, **बर्फी**, **गुजिया**, और **काजू कतली** बनाई जाती हैं। लोग इन मिठाइयों को आपस में बांटते हैं और पर्व का आनंद लेते हैं।
इसके अलावा, व्यापारिक दृष्टि से भी दीपावली का बड़ा महत्व है। व्यापारियों के लिए यह नया वित्तीय वर्ष शुरू करने का समय होता है, और वे **चोपड़ा पूजन** के जरिए भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
दीपावली से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दे
हालांकि दीपावली खुशियों का त्योहार है, लेकिन इसके साथ कुछ पर्यावरणीय चुनौतियां भी जुड़ी हैं। **पटाखों** के कारण वायु और ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, प्लास्टिक की सजावट और रासायनिक रंगों से बनी रंगोली भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है।
इसलिए, आजकल लोग **इको-फ्रेंडली दीपावली** मनाने पर जोर दे रहे हैं। वे मिट्टी के दीपक, प्राकृतिक रंगों की रंगोली और हर्बल पटाखों का उपयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही, कई लोग पटाखों की जगह दीप जलाकर या अन्य रचनात्मक तरीकों से पर्व मनाते हैं।
निष्कर्ष
दीपावली न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो सदियों से मनाया जाता रहा है। यह पर्व हमें सिखाता है कि चाहे जीवन में कितना भी अंधकार हो, हमें हमेशा आशा और प्रकाश की ओर बढ़ना चाहिए। दीपावली का संदेश है कि हम अपनी बुरी आदतों को त्यागकर अच्छाई का मार्ग अपनाएं और समाज में प्रेम, सद्भाव और समृद्धि का प्रचार करें।
आज के समय में, जहां जीवन की भागदौड़ में हम अक्सर खुशियों को भूल जाते हैं, दीपावली का यह पर्व हमें अपने परिवार और समाज के साथ मिलकर जीवन की सच्ची खुशियों को अनुभव करने का अवसर देता है। दीपों की रोशनी और खुशियों की मिठास के साथ, यह पर्व हमें याद दिलाता है कि अंधकार के बाद हमेशा प्रकाश आता है।
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