Story, history, mythological beliefs of Diwali -दिवाली की कथा, इतिहास, पौराणिक मान्यता

दिवाली की कथा, इतिहास, पौराणिक मान्यता, Story, history, mythological beliefs of Diwali

दिवाली यानि रोशनी का त्योहार। हिंदूओं के लिये सबसे अहम दिन। दिवाली सैंकड़ो सालों से मनाई जा रही है। बदला तो बस दिवाली मनाने का तरीका। पहले दीपक जलाकर लोग खुशियां मनाते थे। आजकल पटाखे जलाकर और डीजे लगाकर पार्टी की जाती है। दिवाली के दिन रोशनी के कई मायने हैं। पहला तो शायद सबको पता है कि श्रीराम जी के वापस लौटने की खुशी। दूसरा कारण है रोशनी। रोशनी वो है जो अंधेरे को मारती है। चाहे वो बाहर हो या हमारे अंदर। ये हमें सिखाती है कि जब भी आप पर या किसी और पर अत्याचार हो तो अपने अंदर की रोशनी को जलाकर उसे ज्वाला बना लो। जिस तरह दीपक खुद जलता है, लेकिन जग को रोशन करता है वैसे ही अंदर की ज्वाला भी चारों ओर उजाला कर देती है।  दिवाली कब शुरू हुई और क्यों मनाई जाती है इसके बारे में विस्तार से पढ़िये।

भगवान राम का अयोध्या वापस लौटना

दिवाली की कथा, इतिहास, पौराणिक मान्यता, Story, history, mythological beliefs of Diwali

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक रावण का वध करके श्रीराम 14 साल का वनवास खत्म करके इस दिन सीता और लक्ष्मण के साथ वापस अयोध्या लौटे थे। श्रीलंका से अयोध्या लौटते लौटते उन्हें 20 दिन लग गए थे। इसलिये दशहरे के ठीक 20 दिन बाद दिवाली मनाई जाती है। आज के दौर की बात करें तो रावण की लंका का नाम श्रीलंका हो गया है और अयोध्या अब उत्तर प्रदेश राज्य का जिला है। जब श्रीराम जी आए तो अयोध्यावासी बहुत खुश हो गए उन्होंने पूरी नगरी को जगमग दीपों के साथ प्रकाशमान किया। जहां तक नज़र जाती थी बस रोशनी ही रोशनी। ऐसा कोई घर नहीं था जहां दीया नहीं जला हो। इसलिये आज तक दिवाली में रोशनी करके हम खुशी मनाते हैं।

दिवाली की अन्य कथाएं

1 - एक बार एक राजा था। ज्योतिषि ने उनका भविष्य बताते हुए कहा कि अमावस्य की रात को तुम्हारा अभाग्य सांप के रुप में आएगा। इसलिये राजा ने सभी को आदेश दिया कि इस दिन वो सारे शहर को प्रकाशित करें। राजा की पत्नी भी पूरी रात सर्प देवता का गुणगान कर रही थी कि अचानक जहां राजा सोया था वहां का दीपक बुझ गया और सांप ने उसे डंस लिया। राजा की मौके पर ही मृत्यु हो गई। रानी लगातार सर्प देवता का गुणगान कर रही थी, इस पर खुश होकर सर्प देव ने रानी से कोई वर मांगने को कहा। इस पर रानी ने राजा का जीवनदान मांगा। सर्प देवता राजा के

प्राण वापस लाने के लिए यम के पास गए। राजा का जीवनमंत्र पढ़ा गया तो शून्य नंबर दिखाई दिया। जिसका तात्पर्य हुआ कि राजा पृथ्वी पर अपना जीवन समाप्त कर चुका है। लेकिन सांप ने बड़ी चतुराई से आगे सात नंबर डाल दिया। जब यम ने पत्र देखा तो कहा, लगता है कि मृत शरीर को अपने जीवन के 70 साल और देखना है। जल्दी से इसे वापस ले जाओ। सर्प देव राजा की आत्मा को वापस ले आए। राजा के प्राण वापस आने पर पूरी प्रजा ने रोशनी जलाकर खुशी मनाई।


2 -  जब देवताओं और राक्षसो द्वारा समुन्द्र मंथन चल रहा था तब कार्तिक अमावस्या पर देवी लक्ष्मी क्षीरसागर(दूध का लौकिक सागर) से ब्रह्माण्ड मे आई थी तभी से माता लक्ष्मी के जन्मदिन की उपलक्ष्य में दीपावली का त्यौहार मनाया गया।


3 - नरकासुर एक पापी राजा था। उसे वर मिला हुआ था कि वो सिर्फ मां भूदेवी के हाथों ही मारा जाएगा। इसलिये नरकासुर ने स्वर्ग लोक पर अत्याचार करना शुरू कर दिये। सभी देवता भगवान कृष्ण के पास गए। भगवान  कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा जो कि भूदेवी का पुनर्जन्म थीं  उन्हें  रथ में लेकर नरकासुर से युद्ध करने जा पहुंचीं। नरकासुर ने एक तीर मारा जो कि श्रीकृष्ण को लगा। सत्यभामा इससे गुस्से में आ गईं। सत्यभामा ने तीर से नरकासुर का वध कर दिया। असुर के मारे जाने पर सभी लोगों ने खुशियां मनाईं।

0 0

No comments:

Post a Comment

Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You

Feetured Post

सच्चे रिश्तों का सम्मान

 सफल गृहस्थ जिंदगी जी रही प्रिया की जिंदगी में पति आकाश के अलावा करण क्या आया, उसकी पूरी जिंदगी में तूफान आ गया। इसकी कीमत प्रिया ने क्या खो...