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Friday, October 25, 2024

गोवर्धन पूजा: पौराणिक कथा और पूजा विधि - Govardhan Puja: Mythology and method of worship

गोवर्धन पूजा: पौराणिक कथा और पूजा विधि - Govardhan Puja: Mythology and method of worship

गोवर्धन पूजा: पौराणिक कथा और पूजा विधि - Govardhan Puja: Mythology and method of worship

गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है, हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के कारण मनाया जाता है। इस दिन भक्तगण अपने घरों में गोवर्धन का चित्र बनाकर उसकी पूजा करते हैं और विशेष भोग अर्पित करते हैं। आइए, गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा और पूजा विधि को विस्तार से समझते हैं।


गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा

गोवर्धन पूजा की कथा भगवान कृष्ण के बाल्यकाल से जुड़ी हुई है। यह कथा हमें भगवान कृष्ण की लीलाओं और उनकी कृपा को दर्शाती है। 


1. **कथा का आरंभ**

गोकुल में भगवान कृष्ण अपने माता-पिता यशोदा और नंद बाबा के साथ रहते थे। गोकुल के लोग हर साल कार्तिक मास में इन्द्र देवता की पूजा करते थे, ताकि उनकी कृपा से अच्छी बारिश हो और फसलें उग सकें। लेकिन भगवान कृष्ण ने देखा कि लोग इन्द्र देवता की पूजा में अधिक ध्यान दे रहे हैं, जबकि गोवर्धन पर्वत, जो गोकुल के लिए जल और आहार का स्रोत है, की अनदेखी कर रहे हैं।


2. **भगवान कृष्ण का निर्णय**

भगवान कृष्ण ने अपने मित्रों से कहा कि हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि यह पर्वत हमारे लिए जीवनदायिनी है। उन्होंने गोकुलवासियों को समझाया कि हमें गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए और इन्द्र देवता को उनकी असली स्थिति बतानी चाहिए। गोकुलवासी कृष्ण की बात मान गए और उन्होंने गोवर्धन पर्वत की पूजा की।


3. **इन्द्र देवता का क्रोध**

इस बात से इन्द्र देवता नाराज हो गए और उन्होंने गोकुल पर बारिश का प्रकोप डालने का निर्णय लिया। इन्द्र देवता ने घनघोर बारिश शुरू कर दी। गोकुलवासी डर गए और भगवान कृष्ण की शरण में पहुंचे।


4. **गोवर्धन पर्वत की रक्षा**

भगवान कृष्ण ने अपनी लीला का प्रदर्शन करते हुए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाया और गांव वालों को उस पर्वत के नीचे सुरक्षित किया। इससे गोकुलवासी सुरक्षित रहे और इन्द्र देवता की बारिश का प्रकोप समाप्त हो गया। 


5. **इन्द्र देवता का समर्पण**

जब इन्द्र देवता ने देखा कि भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया है और सभी भक्त सुरक्षित हैं, तो उन्होंने भगवान कृष्ण की महिमा को समझा और उनकी पूजा करने का निर्णय लिया। अंततः इन्द्र देवता ने भगवान कृष्ण से क्षमा मांगी और उनकी कृपा प्राप्त की।


गोवर्धन पूजा की विधि

गोवर्धन पूजा की विधि बहुत सरल है, लेकिन इसे श्रद्धा और भक्ति से करना चाहिए। आइए, जानते हैं गोवर्धन पूजा की विधि:


1. **स्थान का चयन**

- पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान चुनें। इसे अच्छे से साफ करें और वहां एक चौक या मंडल बनाएं।

- मंडल बनाने के लिए गोबर या चावल के आटे का उपयोग कर सकते हैं। इसे गोवर्धन पर्वत के आकार में बनाएं।


2. **गोवर्धन की आकृति बनाना**

- गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उसे सुगंधित फूलों से सजाएं।

- आप चावल, दही और हल्दी से गोवर्धन की आकृति बना सकते हैं।


3. **पारंपरिक सामग्री**

पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री एकत्र करें:

- **गाय का गोबर**: गोवर्धन पर्वत का प्रतीक।

- **फूल**: खासकर गुलाब, गेंदे और जूही के फूल।

- **फल**: संतरे, सेब, केला, और अनार।

- **मिठाई**: लड्डू, पेठा, और अन्य पारंपरिक मिठाइयाँ।

- **दही**: शुद्धता के लिए।

- **घी का दीपक**: आरती के लिए।

- **कुमकुम, हल्दी और अक्षत**: पूजा में अर्पित करने के लिए।


4. **पूजा की तैयारी**

- पूजा के लिए अपने घर में एक पवित्र स्थान का चयन करें। वहां पर एक चौकी पर गोवर्धन की आकृति रखें।

- पूजा स्थल को फूलों से सजाएं और दीयों को जलाकर रखें।


5. **पूजा विधि**

- सबसे पहले अपने इष्ट देवता, भगवान कृष्ण की पूजा करें। 

- फिर गोवर्धन की आकृति पर दही, दूध और घी का अभिषेक करें।

- उस पर हल्दी, कुमकुम, फूल और फल अर्पित करें। 

- फिर इस मंत्र का जाप करें:

  - **मंत्र**: "ॐ गोवर्धनाय नमः"


6. **आरती और भोग**

- गोवर्धन पूजा के बाद आरती करें और सभी उपस्थित लोगों को आरती का लाभ लेने दें।

- विशेष भोग अर्पित करें, जैसे लड्डू, मिठाई और फल। 

- भोग लगाने के बाद सबको प्रसाद वितरित करें।


7. **प्रार्थना और संकल्प**

- पूजा के बाद भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाएं।

- संकल्प लें कि आप सदैव भगवान कृष्ण की भक्ति करेंगे और दूसरों की भलाई के लिए काम करेंगे।


विशेष बातें

- गोवर्धन पूजा के दिन घर के दरवाजों और खिड़कियों को साफ और सजाना न भूलें।

- इस दिन विशेष रूप से गोधूलि वेला में गायों का पूजन करें और उन्हें हरी घास या चारा दें।

- पूजा के दौरान सभी नकारात्मक विचारों को दूर करें और सकारात्मकता का संचार करें।


निष्कर्ष

गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें भगवान कृष्ण की लीला और उनकी कृपा का अहसास कराती है। इस दिन की पूजा हमें प्राकृतिक संसाधनों के प्रति आभार प्रकट करने और अपने जीवन में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देती है। इसे श्रद्धा और भक्ति से करने पर अवश्य ही हमें सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव होगा। 

इस प्रकार, गोवर्धन पूजा का आयोजन एक उत्सव है, जिसमें हम अपने परिवार और समाज के साथ मिलकर खुशी और समृद्धि का अनुभव करते हैं।

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