अंतर्मन को छू लेने वाली मार्मिक कहानी पढ़िएगा✍️ Read a heart-touching story
पार्वती ने एक दिन सोचा कि बरसात के मौसम में लकड़ी इकट्ठा करना कठिन हो जाएगा, इसलिए उसने जंगल से थोड़ी ज्यादा लकड़ी इकट्ठा करने का मन बनाया। वह अपनी कुल्हाड़ी उठाकर जंगल चली गई। वहाँ पहुँचकर उसने एक हरे पेड़ की मजबूत डाल पर नज़र डाली और उसे काटने लगी। पेड़ की डाल आधी कट चुकी थी, तभी अचानक वहाँ वन अधिकारी, सुरेश, आ पहुँचा। सुरेश का काम था जंगल की सुरक्षा करना, लेकिन उसकी नीयत कुछ और ही थी।
सुरेश ने पार्वती को डांटते हुए कहा, "तुम्हें पता है कि हरा पेड़ काटना अपराध है? मैं तुम्हारे खिलाफ शिकायत दर्ज करूँगा, और तुम्हें सजा होगी।"
पार्वती ने विनम्रता से जवाब दिया, "साहब, गुस्सा मत होइए। यह डाल अब तक आधी कट चुकी है और बस गिरने ही वाली है। आप मुझे नीचे उतरने दीजिए, फिर जो करना है कर लीजिए।"
सुरेश ने उसकी बात मान ली और डाल को खींचकर गिरा दिया। पार्वती नीचे उतर आई और फिर बोली, "साहब, पहली बार है, गलती माफ कर दीजिए। मैं पेड़ नहीं काट रही थी, बस डाल ही तो काटी है।"
सुरेश की नजरें पार्वती के गठीले और मेहनती बदन पर टिक गईं। उसकी नीयत अब साफ दिखाई देने लगी। उसने पार्वती से कहा, "अगर तुम थोड़ी देर मेरे साथ बिताओ और मुझे खुश कर दो, तो मैं कोई शिकायत नहीं दर्ज करूँगा। तुम जितनी लकड़ी चाहो काट सकती हो, मैं तुम्हें नहीं रोकूंगा।"
पार्वती ने तुरंत अपनी सख्त और ईमानदार नजरों से सुरेश की ओर देखा। "साहब, आप मुझे गलत समझ रहे हैं। मैं ऐसी औरत नहीं हूँ। मेरे पास दो बच्चे हैं, और मैं अपने पति को धोखा नहीं दे सकती।"
सुरेश ने हंसते हुए कहा, "आजकल बहुत सी औरतें अपने घर से बाहर ही आनंद लेती हैं। मैं तुम्हें कुछ पैसे भी दूँगा, इससे तुम्हारी गरीबी दूर हो जाएगी।"
पार्वती ने उसकी बात का तीखा जवाब दिया, "साहब, हम गरीब हैं, लेकिन हमारी इज्जत सबसे बड़ी दौलत है। हम लालच में नहीं पड़ते। जो लोग लालची होते हैं, वे ही ऐसे काम करते हैं, चाहे वे गरीब हों या अमीर। मेरे पास जो है, वही मेरे लिए काफी है।"
पार्वती ने साहस के साथ जवाब दिया, "आप मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। जब मेरे हाथ इतनी भारी लकड़ियाँ काट सकते हैं और सर पर उठा सकते हैं, तो मैं अपनी सुरक्षा भी कर सकती हूँ। और रही बात कार्यवाही की, तो याद रखिए कि आप खुद इसमें शामिल हैं। मैं डाल काटी हूँ, लेकिन उसे गिराने वाले आप हैं।"
सुरेश पार्वती की दृढ़ता और आत्मसम्मान के आगे हार गया। उसने पार्वती को छोड़ दिया और वहाँ से चला गया, लेकिन पार्वती का आत्मविश्वास और उसकी सच्चाई का प्रकाश जंगल में छा गया। इस घटना ने साबित कर दिया कि सच्चाई और आत्मसम्मान से बढ़कर कुछ नहीं होता। पार्वती ने न सिर्फ अपने परिवार का सम्मान बचाया, बल्कि समाज को भी यह सिखाया कि कोई भी महिला अपनी इज्जत और गरिमा की रक्षा करने में सक्षम होती है, चाहे उसकी स्थिति कैसी भी हो।
पार्वती का यह साहसिक कदम उसके गाँव में एक मिसाल बन गया, और उसकी कहानी दूर-दूर तक लोगों के दिलों में गूंजने लगी।
### आपको कहानी कैसी लगी ? अपने अनमोल विचार कमेंट्स में जरूर दीजियेगा और अच्छी लगी तो अपवोट अवश्य करें और शेयर जरूर करें।
ऐसी ही और दिलचस्प, मार्मिक,प्रेरणादायक कहानियों के लिए फॉलो जरूर कीजियेगा ।
No comments:
Post a Comment
Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You