जीवन का कड़वा सच है - bitter truth of life -Bhajan

जीवन का कड़वा सच है - bitter truth of life



 

बेटियां हमेशा माता-पिता दिलों में बसती हैं - Daughters always live in the hearts of their parents

 एक बार एक साधारण परिवार के पिता, मोहनलाल जी, ने अपनी इकलौती बेटी, मीरा, की सगाई बड़े अच्छे घर में करवाई। लड़के का नाम रोहन था, और उसका परिवार भी स्वभाव से बेहद स्नेही और मिलनसार था। मोहनलाल जी और उनकी पत्नी, सुनीता, इस रिश्ते से बहुत खुश थे, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि उनकी बेटी का भविष्य बहुत अच्छा होगा।


बेटियां हमेशा माता-पिता  दिलों में बसती हैं - Daughters always live in the hearts of their parents


शादी से एक हफ्ते पहले, रोहन के परिवार ने मोहनलाल जी को अपने घर खाने पर बुलाया। मोहनलाल जी की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी, फिर भी उन्होंने मना नहीं किया, क्योंकि उन्हें लगा कि इनकार करने से कोई नाराज़ हो सकता है। वे रोहन के घर पहुँचे, और वहाँ उनके स्वागत में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी गई। बड़े आदर और सत्कार के साथ उनका स्वागत हुआ।

कुछ देर बाद, मोहनलाल जी के लिए चाय लाई गई। मोहनलाल जी को डॉक्टर ने शुगर के कारण चीनी से दूर रहने की सलाह दी थी, लेकिन वे संकोचवश कुछ कह नहीं पाए और चाय का कप उठा लिया। जैसे ही उन्होंने चाय की पहली चुस्की ली, वह चौंक गए। चाय में चीनी बिल्कुल नहीं थी, और उसमें इलायची की खुशबू आ रही थी। उन्होंने सोचा कि शायद रोहन के परिवार में भी बिना चीनी की चाय पी जाती है।

दोपहर के भोजन में भी उन्हें वही भोजन परोसा गया, जो उनकी सेहत के हिसाब से सही था। खाना बिल्कुल उनके घर जैसा ही साधारण और हल्का था। खाने के बाद आराम करने के लिए उन्हें पतली चादर और दो तकिये भी दिए गए, जैसे उनके घर में होता था। आराम के बाद उन्हें नींबू पानी का शरबत दिया गया, जो उनकी तबीयत के लिए बिलकुल सही था।

जब मोहनलाल जी विदा लेने लगे, तो उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने रोहन की मां, मीनाक्षी जी, से पूछा, "आपको कैसे पता चला कि मुझे क्या खाना और पीना चाहिए? आपने मेरी सेहत का इतना ध्यान कैसे रखा?"

मीनाक्षी जी ने मुस्कुराते हुए धीरे से कहा, "कल रात आपकी बेटी मीरा का फोन आया था। उसने बहुत ही विनम्रता से कहा कि 'मां, मेरे पापा स्वभाव से बहुत सरल हैं, वो कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन अगर हो सके तो उनका ध्यान रखिएगा।'"

यह सुनकर मोहनलाल जी की आंखों में आँसू आ गए। वह समझ गए कि उनकी बेटी मीरा उनके दिल की हर बात समझती है, चाहे वह उनके पास हो या न हो।

घर लौटते ही मोहनलाल जी ने अपनी स्वर्गवासी मां की तस्वीर से हार उतार दिया। जब सुनीता जी ने उनसे पूछा कि ऐसा क्यों किया, तो उन्होंने भावुक होकर कहा, "आज मुझे एहसास हुआ कि मेरी मां कहीं नहीं गई हैं। वो अब मेरी बेटी के रूप में मेरे साथ हैं, जो मेरा ध्यान रखती है।"

उनकी आंखों से आँसू छलक पड़े, और सुनीता जी भी भावुक होकर रोने लगीं। उस दिन मोहनलाल जी ने यह समझा कि बेटियां भले ही शादी करके अपने ससुराल चली जाती हैं, लेकिन वे हमेशा अपने माता-पिता के दिल में बसी रहती हैं और उनका ध्यान रखती हैं, चाहे वह कितनी भी दूर क्यों न हों।

इस दुनिया में हर कोई कहता है कि बेटी एक दिन घर छोड़कर चली जाएगी, लेकिन सच तो यह है कि बेटियां कभी अपने माता-पिता के घर से नहीं जातीं, वे हमेशा उनके दिलों में बसती हैं।

नग्नता और अपराध में सेंसर बोर्ड की भूमिका - Role of Censor Board in nudity and crime

नग्नता और अपराध में सेंसर बोर्ड की भूमिका - Role of Censor Board in nudity and crime

नग्नता और अपराध: भारत में सेंसर बोर्ड द्वारा सामग्री के प्रसारण की बढ़ती अनुमति -

नग्नता और अपराध में सेंसर बोर्ड की भूमिका - Role of Censor Board in nudity and crime

भारत में सेंसर बोर्ड की नीतियों में हाल के बदलावों ने नग्नता और अपराध की बढ़ती प्रवृत्तियों पर सवाल उठाए हैं। फिल्म और टेलीविजन उद्योग में, सेंसरशिप की धाराएं समय के साथ ढीली होती जा रही हैं। इससे न केवल मनोरंजन उद्योग पर असर पड़ रहा है, बल्कि समाज पर भी गंभीर परिणाम हो रहे हैं।

सेंसर बोर्ड ने हाल ही में कुछ फिल्मों और शोज में नग्नता और यौन सामग्री के प्रसारण की अनुमति दी है। यह निर्णय विशेष रूप से उन प्लेटफार्मों पर देखने को मिला है, जहां दर्शकों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जैसे कि स्ट्रीमिंग सेवाएं। परिणामस्वरूप, कई युवा दर्शक बिना किसी प्रतिबंध के ऐसे कंटेंट तक पहुँच बना रहे हैं, जो उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित कर सकता है।

नग्नता का प्रभाव

नग्नता और यौन विषयों का प्रसारण अक्सर युवा दर्शकों के लिए एक आकर्षण बन जाता है। यह न केवल उनके विचारों को प्रभावित करता है, बल्कि समाज में यौन शिक्षा के प्रति एक गलत धारणा भी पैदा कर सकता है। जब ऐसे कंटेंट को बिना किसी उचित संदर्भ के प्रदर्शित किया जाता है, तो यह युवा पीढ़ी में असुरक्षित और अस्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा दे सकता है।

अपराध में वृद्धि

सेंसर बोर्ड द्वारा दी गई स्वतंत्रता के कारण, यह संभावना भी बढ़ गई है कि युवा लोग आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। नग्नता और यौन विषयों का व्यापक प्रचार ऐसे व्यवहार को सामान्य कर सकता है। हाल के वर्षों में, युवाओं के बीच यौन उत्पीड़न और अन्य अपराधों की घटनाएं बढ़ी हैं, जिनका संबंध अक्सर मीडिया में प्रदर्शित कंटेंट से होता है। जब युवा इस तरह के कंटेंट को बिना किसी नैतिक शिक्षा के देखते हैं, तो उनके मन में ऐसे विचार पनपने लगते हैं, जो अंततः हिंसक या आपराधिक गतिविधियों का कारण बन सकते हैं।

समाज पर प्रभाव

इस स्थिति का व्यापक प्रभाव समाज पर भी पड़ रहा है। परिवारों में संवाद का अभाव, बच्चों में नैतिक मूल्यों की कमी और युवाओं के बीच गलतफहमियाँ बढ़ती जा रही हैं। शिक्षा प्रणाली में यौन शिक्षा का अभाव और समाज में इस विषय पर खुलकर चर्चा न होने के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है।

निष्कर्ष

हालांकि सेंसर बोर्ड की नीतियों में बदलाव ने फिल्म और टीवी उद्योग को एक नई दिशा दी है, लेकिन इसके सामाजिक परिणामों पर ध्यान देना आवश्यक है। नग्नता और अपराध की बढ़ती प्रवृत्तियों के लिए केवल मनोरंजन उद्योग को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। इसे ध्यान में रखते हुए, हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि युवा पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण तैयार किया जाए, जहाँ वे सही जानकारी प्राप्त कर सकें और अपराध के प्रति जागरूक रह सकें।

बॉलीवुड का भारतीय संस्कृति पर प्रभाव - Impact of Bollywood on Indian culture

 बॉलीवुड, भारतीय सिनेमा का एक प्रमुख हिस्सा, न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, समाज और जीवनशैली पर गहरा प्रभाव डालता है। इसके कई सकारात्मक पहलू हैं, लेकिन इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं।

बॉलीवुड का भारतीय संस्कृति पर प्रभाव - Impact of Bollywood on Indian culture

सकारात्मक प्रभाव:

संस्कृति का प्रचार: बॉलीवुड फिल्में भारतीय संस्कृति, परंपराओं और त्योहारों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करती हैं। ये फिल्में भारतीय समाज की विविधता को उजागर करती हैं और विश्वभर में भारतीय सांस्कृतिक तत्वों को फैलाती हैं।

सामाजिक जागरूकता: कई बॉलीवुड फिल्में सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जैसे शिक्षा, लैंगिक समानता, जातिवाद, और भ्रष्टाचार। ये फिल्में दर्शकों में जागरूकता पैदा करती हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करती हैं।

फैशन और जीवनशैली: बॉलीवुड सितारे अपने फैशन और जीवनशैली से युवा पीढ़ी को प्रभावित करते हैं। उनके पहनावे और रहन-सहन के तरीके ट्रेंड बनते हैं, जिससे भारतीय युवाओं में नई सोच और शैली का विकास होता है।

नकारात्मक प्रभाव:

यथार्थता से दूर: कई बार बॉलीवुड फिल्में वास्तविकता से परे होती हैं। इनमें प्रस्तुत जीवनशैली और समस्याएं आम भारतीय के जीवन से मेल नहीं खातीं। इससे दर्शकों में भ्रम उत्पन्न हो सकता है और वे असंभव चीजों को आदर्श मान सकते हैं।

सामाजिक मानदंडों का प्रभाव: कुछ फिल्में महिलाओं और पुरुषों की छवि को गलत तरीके से प्रस्तुत करती हैं, जिससे समाज में असामान्य मानदंडों का विकास होता है। यह विशेष रूप से महिलाओं के प्रति भेदभाव और वस्तुवादी दृष्टिकोण को बढ़ावा दे सकता है।

सामाजिक समस्याओं की अनदेखी: जबकि कुछ फिल्में सामाजिक मुद्दों को उठाती हैं, कई अन्य इनसे दूर भागती हैं। इससे महत्वपूर्ण समस्याओं की अनदेखी होती है और समाज में व्याप्त वास्तविक समस्याओं के प्रति उदासीनता बढ़ती है।

विलासिता और भौतिकता का प्रोत्साहन: बॉलीवुड फिल्मों में अक्सर विलासिता, धन और भौतिक वस्तुओं का महिमामंडन किया जाता है। इससे युवा पीढ़ी में भौतिकवाद का विकास हो सकता है, जो उनके नैतिक मूल्यों को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष:

बॉलीवुड का भारतीय संस्कृति पर गहरा प्रभाव है। यह न केवल मनोरंजन का स्रोत है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंडों को भी प्रभावित करता है। इस प्रभाव का सही तरीके से उपयोग करने से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है, जबकि नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए समुचित जागरूकता की आवश्यकता है।

मनुष्यों के लिए भोजन - foods for humans

मनुष्यों के लिए भोजन - foods for humans

 

मनुष्यों के लिए भोजन - foods for humans

जब प्रकृति ने हमें इतना सब कुछ दिया हो तब क्यों किसी बेजुबान पशु की हत्या करके उसकी लाश को क्यों खाना

दया और करुणा ही वह मूलभूत गुण हैं जो किसी मानव और दानव के मध्य के अंतर को बनाये रखते हैं

महज जिह्वा के स्वाद के लिए की गई किसी बेजुबान की हत्या आपके लिए नरक में अग्नि के कुंड की व्यवस्था कर रही है

अपने पेट को किसी निरीह पशु की लाश का कब्रिस्तान न बनाएं

शाकाहार अपनाएं

आप मानव हैं, दानव नहीं

बेटा या बेटी नहीं जन्माए ये धन कमाने के साधन मात्र हैं - Don't give birth to a son or daughter, they are just a means to earn money.

 यदि आपका बेटा या बेटी बहुत बडे़ बिजनेस मैन, डॉक्टर , इंजिनियर और आईएएस अधिकारी हैं.....!!

पर यदि उनके पास आपके लिऐ 10 मिनट का समय भी नहीं हैं तो आपने बेटा या बेटी नहीं जन्माए ये धन कमाने के साधन मात्र हैं......!!
बुढ़ापे मे आपको गांव में अकेला छोड़ कर शहर में बच जाए तो वो बेटे पढ़े लिखे किस काम के
इससे तो अच्छा था अनपढ़ रखते कम से कम आपके बुढ़ापे की लाठी तो बनते........!!!All 
Don't give birth to a son or daughter, they are just a means to earn money.

जीवन के उद्देश्य - purpose of life

 जीवन के उद्देश्य: एक प्रेरणादायक कहानी

जीवन के उद्देश्य - purpose of life

किसी छोटे से गाँव में, एक युवक जिसका नाम अर्जुन था, अपनी साधारण ज़िंदगी जी रहा था। वह हमेशा से पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन उसके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। अर्जुन के माता-पिता खेती करते थे और उसकी शिक्षा के लिए हमेशा संघर्ष करते थे।

एक दिन, गाँव में एक सफल व्यापारी आया। उसने अर्जुन को कहा, "यदि तुम अपने सपनों को पूरा करना चाहते हो, तो तुम्हें मेहनत करनी होगी। जीवन का उद्देश्य केवल जीना नहीं है, बल्कि अपने सपनों के लिए लड़ना है।"

इस बात ने अर्जुन को प्रेरित किया। उसने ठान लिया कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान देगा और एक दिन बड़ा आदमी बनेगा। वह दिन-रात पढ़ाई करने लगा। कठिनाईयों के बावजूद, उसने कभी हार नहीं मानी।

अर्जुन की मेहनत रंग लाई और उसने परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त किया। उसे एक अच्छे कॉलेज में दाखिला मिला। वहाँ उसने अपने सपनों को और ऊँचाई दी। उसने न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की, बल्कि अपने गाँव के बच्चों के लिए एक स्कूल भी खोला।

अर्जुन की कहानी यह सिखाती है कि जीवन का उद्देश्य केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी जीना है। जब हम अपने सपनों के पीछे दौड़ते हैं और दूसरों की मदद करते हैं, तब हम वास्तव में सफल होते हैं।

आज, अर्जुन अपने गाँव का हीरो है। उसकी मेहनत और उद्देश्य ने न केवल उसकी ज़िंदगी बदली, बल्कि पूरे गाँव को प्रेरित किया। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि अगर मन में ठान लिया जाए, तो कोई भी सपना सच हो सकता है।

Bhajan भजन

Song:Bhajan भजन

Maat Pita Guru Prabhu Charnon Mein 00:00
Ye Zindagi Mili Hai Din Char Ke Liye 06:57
Karo Chahe Laakh Chaturai 13:08
Ram Naam Ke Heere Moti 20:34
Main Bhi Bolu Ram Tum Bhi Bolo Na 26:42
Sitaram Sitaram Kahiye 31:17
Mere Malik Ke Darbar Mein Sab Logo ka khata 37;38
Aao Basaye Man Mandir Mein Jhanki Sitaram Ki 45:52
Chali Ja Rahi Hai Umar Dheere Dheere 54:40
Jaha Le Chaloge Wahi Main Chalunga 01:01:13
Ik Nazar Kripa Ki 01:07:30
Sitaram Sitaram Sitaram  01:13:17
Tum Karlo Prabhu Se Pyar Amrit Barsega 01:39:29
Dagar Hai Mushkil Kathin Safar Hai 01:46:00
Karle Prabhu Se Pyaar Nahi Pachtayega 01:51:32
Kaahe Bair Kare Tu Insaan 01:58:27
Janam Maran Aur Paran Prabhu 02:03:17
Jo Karte Rahoge Bhajan Dheere Dheere 2:10:18
Man Ko Nirmal Banana Badi Baat Hai 02:15:32
Har Baat ko Tum Bhulo Bhale Maa Baap Ko Mat Bhulna 02:21:21



 

शाकाहार की ओर चलें

 प्रकृति ने हमें बेशकीमती खजानों से नवाजा है

इतना सब होने के बावजूद भी यदि आप किसी मासूम बेजुबान पशु की लाश खाते हैं तो आपको मनुष्य कहलाने का कोई हक नहीं
मानवता किसी की पीड़ा महसूस करके उसे हर लेने का नाम है, जीभ के स्वाद के लिए किसी मासूम बेजुबान पशु की लाश खाने का नहीं
शाकाहार की ओर चलें move towards vegetarianism

शाकाहार की ओर चलें मित्रों
जय पशुपति नाथ की

Itni Shakti Hamein Dena Data Lyrics (इतनी शक्ति हमें देना दाता लिरिक्स)

 Itni Shakti Hamein Dena Data Lyrics (इतनी शक्ति हमें देना दाता लिरिक्स)

Itni Shakti Hamein Dena Data Lyrics (इतनी शक्ति हमें देना दाता लिरिक्स)

इतनी शक्ति हमें दे न दाता

मनका विश्वास कमज़ोर हो ना

हम चलें नेक रास्ते पे हमसे

भूलकर भी कोई भूल हो ना

हर तरफ़ ज़ुल्म है बेबसी है

सहमा-सहमा-सा हर आदमी है

पाप का बोझ बढ़ता ही जाये

जाने कैसे ये धरती थमी है

बोझ ममता का तू ये उठा ले

तेरी रचना क ये अन्त हो ना

हम चले...

दूर अज्ञान के हो अन्धेरे

तू हमें ज्ञान की रौशनी दे

हर बुराई से बचके रहें हम

जितनी भी दे, भली ज़िन्दगी दे

बैर हो ना किसीका किसीसे

भावना मन में बदले की हो ना

हम चले...

हम न सोचें हमें क्या मिला है

हम ये सोचें किया क्या है अर्पण

फूल खुशियों के बाटें सभी को

सबका जीवन ही बन जाये मधुबन

अपनी करुणा को जब तू बहा दे

करदे पावन हर इक मन का कोना

हम चले...

हम अन्धेरे में हैं रौशनी दे,

खो ना दे खुद को ही दुश्मनी से,

हम सज़ा पाये अपने किये की,

मौत भी हो तो सह ले खुशी से,

कल जो गुज़रा है फिरसे ना गुज़रे,

आनेवाला वो कल ऐसा हो ना

हम चले नेक रास्ते पे हमसे,

भुलकर भी कोई भूल हो ना...

इतनी शक्ति हमें दे ना दाता,

मनका विश्वास कमज़ोर हो ना...

इतनी शक्ति हमे देना दाता प्रार्थना के लाभ

इस प्रार्थना को करने से हम ईश्वर इतनी शक्ति मांग रहें हैं कि हमेशा जीवन में कभी कोई भूला ना हो। हमे हमेशा नेक और ईमानदारी के पथ पर चलते हैं। हम ईश्वर से कह रहे हैं कि वो हमें अज्ञानता के अंधेरे से दूर रखे और हमारे भीतर ज्ञान का प्रकाश भर दे। सदा अपने भीतर अर्पण के भाव को अपने भीतर रखें। इस प्रार्थना का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा आती है।


क्या ऐसे रिश्ते में माफ़ी की कोई गुंजाइश होती है - Is there any scope for forgiveness in such a relationship?

 राहुल और रिया की शादी को अभी कुछ ही साल हुए थे, लेकिन उनकी जिंदगी बाहर से एकदम परफेक्ट लगती थी। राहुल एक मेहनती और ईमानदार इंसान था, जो हर दिन सुबह जल्दी उठता, अपनी पत्नी रिया का ख्याल रखता, और फिर ऑफिस के लिए निकल जाता। रात में जब राहुल घर लौटता, तो रिया उसकी देखभाल करती, प्यार से उसे खाना खिलाती, और दोनों एक-दूसरे के साथ समय बिताते थे। रातें अक्सर प्यार और खुशियों से भरी होतीं, और राहुल को लगता था कि उसकी शादीशुदा जिंदगी एकदम सही है। 


Is there any scope for forgiveness in such a relationship?

लेकिन, राहुल को नहीं पता था कि उसके जाने के बाद रिया की असल जिंदगी शुरू होती थी। रिया, जो रात में राहुल से जी भरकर प्यार करती थी, दिन में उसके जाने के बाद पड़ोस के युवक, करण के साथ एक नया खेल खेलती थी। राहुल जैसे ही ऑफिस के लिए निकलता, रिया जल्दी से तैयार हो जाती और करण को अपने घर बुला लेती। दोनों का रिश्ता शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से गहरा हो चुका था, लेकिन ये रिश्ता प्यार का नहीं, बस एक धोखे का था। 


एक दिन राहुल अचानक ऑफिस से जल्दी घर लौट आया। जैसे ही उसने घर का दरवाज़ा खोला, उसे कुछ अजीब आवाजें सुनाई दीं। वह चौंक गया और बिना आवाज़ किए अंदर चला गया। बेडरूम के दरवाजे के पास पहुँचते ही वह हक्का-बक्का रह गया। उसकी आंखों के सामने उसकी पत्नी रिया, करण के साथ थी, दोनों की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। राहुल का दिल टूट चुका था। उसे समझ नहीं आया कि यह सब कैसे हो गया, कैसे रिया ने उसका इतना बड़ा विश्वास तोड़ दिया। 


राहुल गुस्से से कांप उठा। उसने दरवाज़ा ज़ोर से खोला और रिया और करण को रंगे हाथों पकड़ लिया। रिया का चेहरा फक्क पड़ गया, उसकी आँखों में डर साफ झलक रहा था। करण तो सीधे भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन राहुल ने उसे पकड़ लिया। गुस्से और आंसुओं में डूबा हुआ, राहुल ने चिल्लाकर पूछा, "क्यों रिया? क्या कमी थी मुझमें? मैंने तो तुम्हें सब कुछ दिया, फिर भी तुमने ऐसा क्यों किया?"


रिया चुप थी, उसके पास कोई जवाब नहीं था। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, लेकिन राहुल का गुस्सा और उसका टूटा हुआ दिल अब उसे माफ करने के मूड में नहीं था। 


राहुल ने एक पल में फैसला कर लिया कि अब वह इस रिश्ते में और नहीं रहेगा। उसने रिया से कह दिया कि वह उसे तुरंत छोड़ रहा है। "तुम्हारे लिए प्यार, वफादारी सब कुछ बेमतलब है। अब मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूंगा। हमारे बीच अब कुछ नहीं बचा," राहुल ने कहा और घर छोड़कर चला गया।


अब, रिया के लिए सिर्फ पछतावे और अकेलापन बचा था। उसने सोचा कि थोड़े समय का मज़ा शायद उसे खुशी देगा, लेकिन उसने अपनी पूरी ज़िंदगी और राहुल का भरोसा खो दिया। 


क्या ऐसे रिश्ते में माफ़ी की कोई गुंजाइश होती है, या राहुल का फैसला सही था? आप होते उसकी जगह, तो क्या करते? 

स्वर्ग और नर्क का वास्तविक स्वरूप क्या है? What is the real nature of heaven and hell?




क्या आप जानना चाहते हैं स्वर्ग और नर्क के रहस्यों के बारे में? इस वीडियो में प्रेमानंद जी महाराज के अद्भुत ज्ञान और अनुभव के माध्यम से हम इन दोनों स्थलों के वास्तविक अर्थ और महत्व को समझेंगे। प्रेमानंद जी महाराज की शिक्षाएं हमें जीवन के गूढ़ रहस्यों को उजागर करने में मदद करेंगी।
इस वीडियो में हम जानेंगे:
स्वर्ग और नर्क का वास्तविक स्वरूप क्या है?
प्रेमानंद जी महाराज के दृष्टिकोण से जीवन के बाद की यात्रा का सच
कैसे हमारे कर्म हमें स्वर्ग या नर्क की ओर ले जाते हैं?
प्रेमानंद जी महाराज के अन्य अनमोल विचार जो हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

इस ज्ञानवर्धक वीडियो को अंत तक देखें और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए तैयार रहें। यदि आपको यह जानकारी पसंद आए, तो हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और अपने दोस्तों के साथ साझा करें।




 

क्या पैसा और शोहरत किसी रिश्ते को चला सकते हैं - Can money and fame make a relationship work?

 आनंद एक साधारण लेकिन मेहनती आदमी था, जो अपने छोटे से कारोबार से घर का खर्च चलाता था। उसका प्यार नेहा के लिए सच्चा और गहरा था, और वह अपनी पूरी कोशिश करता था कि उसे हर खुशी दे सके। नेहा भी शुरुआत में आनंद के साथ खुश थी, लेकिन धीरे-धीरे उसकी ख्वाहिशें बढ़ने लगीं। 

नेहा का दिल अब उन चीजों की तरफ खिंचने लगा था, जो आनंद की सीमित आमदनी में पूरी नहीं हो सकती थीं। उसे महंगे कपड़े, गहने, और बड़ी गाड़ियों का सपना आने लगा था। उसकी सहेलियों के पति अमीर थे, और वे नेहा के सामने अपनी शानदार जिंदगी का दिखावा करतीं। नेहा के मन में यह जलन धीरे-धीरे एक गहरे असंतोष में बदलने लगी।

फिर एक दिन, नेहा की मुलाकात विजय से हुई। विजय एक बड़ा बिजनेसमैन था, जिसकी जिंदगी शान-शौकत से भरी हुई थी। महंगी गाड़ियाँ, बड़े-बड़े बंगले और शानदार पार्टियाँ – विजय के पास सब कुछ था जो नेहा को चाहिए था। विजय भी नेहा की खूबसूरती से आकर्षित हुआ और धीरे-धीरे दोनों के बीच नजदीकियाँ बढ़ने लगीं। विजय ने नेहा को अपनी अमीरी और शक्ति से लुभाना शुरू किया, और नेहा उसकी चकाचौंध भरी जिंदगी की ओर खिंचती चली गई। 

नेहा अब आनंद से दूर होती जा रही थी। आनंद को इसका अहसास था, लेकिन वह सोचता था कि यह सिर्फ एक अस्थाई बदलाव है। वह हर दिन काम पर जाता, नेहा के लिए तोहफे लाने की कोशिश करता, लेकिन नेहा का दिल अब उसकी छोटी-छोटी कोशिशों में नहीं लगता था।

एक रात, आनंद को नेहा के फोन में कुछ संदिग्ध संदेश दिखे। उसका दिल धक-धक करने लगा। उसने नेहा से पूछा, "यह क्या है? तुम मुझसे कुछ छुपा रही हो?" नेहा ने पहले बात टालने की कोशिश की, लेकिन फिर एक दिन सच्चाई सामने आ ही गई।

नेहा ने खुलकर कहा, "आनंद, मैं अब इस साधारण जिंदगी से थक चुकी हूँ। मुझे विजय के साथ वो सब मिल रहा है, जो मैं हमेशा से चाहती थी। पैसा, शोहरत, और एक शानदार जिंदगी।" यह सुनते ही आनंद का दिल टूट गया। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसकी प्यारी पत्नी सिर्फ पैसे और शान-शौकत के लिए उसे छोड़ देगी। 

आनंद को एक पल के लिए समझ नहीं आया कि वह क्या करे। लेकिन उसने खुद को संभाला और नेहा से कहा, "अगर तुम्हें पैसा और शोहरत चाहिए, तो तुम मेरी जिंदगी में जगह नहीं रख सकती। मैंने तुम्हें प्यार दिया, इज्जत दी, लेकिन अगर तुम्हें यह सब काफी नहीं, तो मुझे भी अब इस रिश्ते को आगे नहीं बढ़ाना है।"

आनंद ने नेहा को छोड़ने का फैसला कर लिया, और वह अपने आत्म-सम्मान के साथ आगे बढ़ा। उसने महसूस किया कि किसी भी रिश्ते की बुनियाद प्यार, भरोसा और वफादारी पर टिकी होती है, न कि पैसों पर।

नेहा ने कुछ दिनों तक विजय के साथ रहकर अपनी इच्छाएं पूरी कीं, लेकिन धीरे-धीरे उसे एहसास हुआ कि पैसे से हर खुशी नहीं खरीदी जा सकती। विजय का प्यार केवल सतही था, जबकि आनंद का प्यार सच्चा और गहरा था। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

आनंद ने अपनी जिंदगी को नए सिरे से जीने का फैसला किया। उसने सीखा कि रिश्ते में प्यार और इज्जत से बढ़कर कुछ नहीं होता, और वह आगे बढ़ गया, खुद की कद्र करते हुए। 

क्या पैसा और शोहरत किसी रिश्ते को चला सकते हैं, या सच्चे प्यार और विश्वास की जगह कुछ भी नहीं ले सकता?

बदलाव हमारे घरों से शुरू होता है - Change starts from our homes

 बदलाव हमारे घरों से शुरू होता है - Change starts from our homes


बदलाव हमारे घरों से शुरू होता है - Change starts from our homes


एक सच्ची आँख खोलने वाली घटना! 

एक दोस्त मेरे घर कॉफी पीने आया, हमने बैठकर जीवन के बारे में बात की। थोड़ी देर बाद मैंने बातचीत को बीच में रोककर उससे कहा, "मैं बर्तन धोने जा रहा हूँ, मैं अभी वापस आता हूँ।" उसने मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे मैंने उससे कहा हो कि वह अंतरिक्ष यान बनाने जा रहा है। इसलिए उसने प्रशंसा के साथ और थोड़ा हैरान होकर मुझसे कहा, "मुझे खुशी है कि तुम अपनी पत्नी की मदद करते हो, मैं शायद ही कभी अपनी पत्नी की मदद करता हूँ क्योंकि जब मैं करता हूँ तो वह कभी मुझे धन्यवाद नहीं देती। पिछले हफ़्ते मैंने फर्श धोया और उसने मुझे धन्यवाद देने के लिए भी नहीं कहा।" मैं फिर से उसके साथ बैठा और उसे समझाया कि मैं अपनी पत्नी की "मदद" नहीं करता। दरअसल, मेरी पत्नी को मदद की ज़रूरत नहीं है, उसे एक साथी, एक टीममेट की ज़रूरत है। मैं उसका घरेलू साथी हूँ... और इस वजह से, सभी काम बंटे हुए हैं, जो घर के कामों में "मदद" नहीं है। मैं अपनी पत्नी को घर साफ करने में "मदद" नहीं करता क्योंकि मैं भी घर में रहता हूँ और मुझे भी घर साफ करना पड़ता है।


मैं अपनी पत्नी को खाना बनाने में "मदद" नहीं करता क्योंकि मैं भी खाना चाहता हूँ और मुझे भी खाना बनाना पड़ता है।


मैं खाने के बाद बर्तन धोने में उसकी "मदद" नहीं करता क्योंकि मैं भी इन बर्तनों का इस्तेमाल करता हूँ।


मैं अपनी पत्नी को बच्चों के साथ "मदद" नहीं करता क्योंकि वे भी मेरे हैं और मुझे पिता बनना है।


मैं अपनी पत्नी को कपड़े धोने, फैलाने, मोड़ने और रखने में "मदद" नहीं करता क्योंकि यह मेरा और मेरे बच्चों का भी है।


मैं घर पर "मदद" नहीं करता, मैं खुद इसका हिस्सा हूँ।


फिर सम्मान के साथ, मैंने अपने दोस्त से पूछा कि आखिरी बार उसकी पत्नी ने घर की सफाई, कपड़े धोना, चादरें बदलना, बच्चों को नहलाना, खाना बनाना, व्यवस्थित करना आदि कब पूरा किया था.. और क्या उसने कहा: "धन्यवाद?"


मेरा मतलब है कि वास्तव में धन्यवाद, जैसे, "वाह, बेबी!! तुम कमाल हो!!"


क्या यह सब बेतुका लगता है? क्या यह तुम्हें अजीब लगता है? जब तुमने अपने जीवन में एक बार फर्श साफ किया था, तो तुमने कम से कम एक उत्कृष्टता पुरस्कार की उम्मीद की थी... क्यों? क्या तुमने कभी इस बारे में नहीं सोचा?


शायद, क्योंकि तुम्हारे लिए, मर्दाना संस्कृति ने तुम्हें सिखाया है कि सब कुछ एक महिला का काम है।


शायद तुम्हें सिखाया गया है कि यह सब तुम्हें बिना उंगली हिलाए करना चाहिए।


इसलिए उसकी प्रशंसा करो जैसे तुम प्रशंसा पाना चाहते हो, वैसे ही, उसी तीव्रता के साथ। उसका हाथ पकड़ो और एक सच्चे साथी की तरह व्यवहार करो, और अपना हिस्सा निभाओ, एक मेहमान की तरह व्यवहार मत करो जो केवल खाने, सोने, नहाने और यौन जरूरतों को पूरा करने के लिए आता है... अपने घर में, अपने घर जैसा महसूस करो।


हमारे समाज में बदलाव हमारे घरों से शुरू होता है, हमारे बच्चों को संगति की सच्ची भावना सिखाता है!


असल खजाना - real treasure

 असल खजाना - real treasure

असल खजाना - real treasure

एक भिखारी था। उसने सम्राट होने के लिए कमर कसी। चौराहे पर अपनी फटी-पुरानी चादर बिछा दी, अपनी हाँडी रख दी और सुबह-दोपहर-शाम भीख माँगना शुरू कर दिया क्योंकि उसे सम्राट होना था। भीख माँगकर भी भला कोई सम्राट हो सकता है? किन्तु उसे इस बात का पता नहीं था।

भीख माँगते-माँगते वह बुढ़ा हो गया और मौत ने दस्तक दी। मौत तो

किसी को नहीं छोड़ती। वह बुढ़ा भी मर गया। लोगों ने उसकी हाँडी

फेंक दी, सड़े-गले बिस्तर नदी में बहा दिये, जमीन गन्दी हो गयी थी

तो सफाई करने के लिए थोड़ी खुदाई की। खुदाई करने पर लोगों को

वहाँ बहुत बड़ा खजाना गड़ा हुआ मिला। तब लोगों ने कहा-'कितना

अभागा था! जीवनभर भीख माँगता रहा। जहाँ बैठा था अगर वहीं

जरा-सी खुदाई करता तो सम्राट हो जाता।


ऐसे ही हम जीवन भर बाहर की चीजों की भीख माँगते रहते हैं किन्तु जरा-सा भीतर गोता मारें, ईश्वर को पाने के लिए ध्यान का जरा-सा अभ्यास करें तो उस आत्मखजाने को भी पा सकते हैं, जो हमारे अन्दर ही छुपा हुआ है।


शेयर जरूर करें।


व्यवहार - Behaviour

 व्यवहार -  Behaviour


व्यवहार -  Behaviour

एक लड़की मीट फैक्ट्री में काम करती थी. उसका काम मांस को सही आकार में काटना था। एक दिन, काम खत्म होने से कुछ देर पहले, वह मांस भंडारण कक्ष में दाखिल हुई, जो मूल रूप से कोल्ड स्टोरेज है। अचानक दरवाजा बाहर से बंद कर दिया गया। उसने बहुत कोशिश की लेकिन दरवाजा नहीं खोल सका। बहुत चिल्लाने का कोई फायदा नहीं हुआ, क्योंकि तब तक बाकी सभी मजदूर अपना काम खत्म करके जा चुके थे।



धीरे-धीरे वह ठंड में जमने लगी। मृत्यु आसन्न है। वह रो रही है लेकिन उसके बचने की कोई संभावना नहीं है। अचानक बिल्कुल अप्रत्याशित रूप से एक सुरक्षा गार्ड आया और दरवाज़ा खोलकर उसे मुक्त कर दिया।फिर लड़की ने उससे पूछा,आपको यहां नहीं आना चाहिए। आप यहां क्यूं आए थे?


गार्ड ने उत्तर दिया, मैं लगभग 35 वर्षों से यहां सुरक्षा गार्ड के रूप में काम कर रहा हूं। लेकिन मैंने ऐसे बहुत कम लोगों को देखा है जो रोज सुबह आकर मुझे गुड मॉर्निंग कहते हैं और शाम को गुड इवनिंग कहकर चले जाते हैं।


अधिकांश लोगों ने ऐसा व्यवहार किया जैसे उन्होंने मुझे देखा ही नहीं। लेकिन आप ही वो शख्स थे जो हर दिन मुझे एक प्यारी सी मुस्कान के साथ देखना चाहते थे। आज सुबह भी किया।


लेकिन शाम को मैंने तुम्हारे मुंह से गुड इवनिंग शब्द नहीं सुना, इसका मतलब है कि तुम अभी बाहर नहीं आई हो। और इसलिए मैंने तुम्हें ढूंढना शुरू कर दिया।


हमारा जीवन बहुत छोटा है। इसलिए सभी दूसरों के साथ अच्छे से व्यवहार करने का प्रयास करें।

बेटी - Daughter

 बेटी - Daughter

बेटी - Daughter


एक गर्भवती स्त्री ने अपने पति से कहा, "आप क्या आशा करते हैं, लड़का होगा या लड़की?"


पति ने मुस्कराते हुए कहा, "अगर हमारा लड़का होता है, तो मैं उसे गणित पढ़ाऊंगा, हम खेलने जाएंगे, और मैं उसे मछली पकड़ना सिखाऊंगा।"


पत्नी ने फिर पूछा, "अगर लड़की हुई तो...?"


पति ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "अगर हमारी लड़की होगी, तो मुझे उसे कुछ सिखाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।"


पत्नी ने उत्सुकता से पूछा, "क्यों?"


पति ने उत्तर दिया, "क्योंकि वो उन सभी में से एक होगी जो सब कुछ मुझे दोबारा सिखाएगी - कैसे पहनना, कैसे खाना, क्या कहना या नहीं कहना। एक तरह से वो मेरी दूसरी मां होगी। वो मुझे अपना हीरो समझेगी, चाहे मैं उसके लिए कुछ खास करूं या न करूं।"


"जब भी मैं उसे किसी चीज़ के लिए मना करूंगा, तो वो मुझे समझेगी। वो हमेशा अपने पति की मुझसे तुलना करेगी। यह मायने नहीं रखता कि वह कितने भी साल की हो, पर वो हमेशा चाहेगी कि मैं उसे अपनी बेबी डॉल की तरह प्यार करूं।"


"वो मेरे लिए संसार से लड़ेगी, जब कोई मुझे दुःख देगा, तो वो उसे कभी माफ नहीं करेगी।"


पत्नी ने मुस्कराते हुए कहा, "तो आपका मतलब है कि आपकी बेटी जो कुछ करेगी, वो आपका बेटा नहीं कर पाएगा?"


पति ने धीरे से कहा, "नहीं, नहीं, क्या पता मेरा बेटा भी ऐसा ही करेगा, पर वो सीखेगा। परंतु बेटी, इन गुणों के साथ पैदा होती है। किसी बेटी का पिता होना हर व्यक्ति के लिए गर्व की बात है।"


पत्नी ने आंखों में हल्की नमी के साथ कहा, "पर वो हमेशा हमारे साथ नहीं रहेगी...?"


पति ने उसे गले लगाते हुए कहा, "हां, पर हम हमेशा उसके दिल में रहेंगे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा चाहे वो कहीं भी जाए, बेटियाँ परी होती हैं, जो सदा बिना शर्त के प्यार और देखभाल के लिए जन्म लेती हैं।"


"बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं, जो घर भगवान को हो पसंद, वहां पैदा होती हैं बेटियाँ।"


पोस्ट अच्छी लगे तो लाइक और शेयर करें

मृत्यु जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है II death is an inevitable part of life

 मृत्यु जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है II death is an inevitable part of life

एक बार, राजा विक्रम अपने राज्य से बाहर यात्रा करते हुए एक बड़े वृक्ष के नीचे तपस्वी ऋषि के पास पहुंचे। उन्होंने ऋषि से विनम्रता से पूछा, "हे महात्मन! क्या कोई ऐसी औषधि या जड़ी-बूटी है, जो अमरता प्रदान कर सके? कृपया मुझे उसका मार्ग बताएं।"

मृत्यु जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है II death is an inevitable part of life


ऋषि ने शांत स्वर में उत्तर दिया, "हे राजन! यदि तुम अमरता पाना चाहते हो, तो इन दो पहाड़ों को पार करो। वहाँ एक झील मिलेगी। उसका जल पीकर तुम अमर हो जाओगे।"

राजा ने उत्साहित होकर दो पहाड़ पार किए और एक सुंदर झील के पास पहुंचे। जैसे ही वह झील का पानी पीने लगे, उन्होंने कहीं से दर्द भरी आवाज सुनी। आवाज का पीछा करते हुए राजा को एक दुर्बल और वृद्ध व्यक्ति मिला, जो पीड़ा में कराह रहा था।

राजा ने उसका हाल पूछा तो वृद्ध ने कहा, "मैंने इस झील का जल पीकर अमरता प्राप्त कर ली। परंतु, अब मेरी अवस्था इतनी दयनीय हो गई है कि मेरे अपने बेटे ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया। मैं पिछले पचास वर्षों से यहाँ पड़ा हूँ और अब कोई मेरी देखभाल नहीं करता। मेरा बेटा भी मर चुका है, और मेरे पोते-पोतियाँ अब वृद्ध हो चुके हैं। मैंने कई वर्षों से खाना-पीना छोड़ दिया है, फिर भी मैं जी रहा हूँ।"

राजा ने सोचा, "बुढ़ापे में अमरता का क्या लाभ? अगर मैं अमरता के साथ-साथ अपनी जवानी भी बरकरार रख सकूँ, तो जीवन सार्थक हो जाएगा।" समाधान की खोज में, राजा फिर से ऋषि के पास लौट आए और पूछा, "हे ऋषि, मुझे बताइए कि मैं अमरता के साथ-साथ अपनी जवानी कैसे पा सकता हूँ?"

ऋषि ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "राजन, झील को पार करके आगे जाओ, वहाँ एक और पहाड़ मिलेगा। उस पहाड़ को पार करने के बाद, तुम्हें पीले फलों से भरा एक वृक्ष मिलेगा। उन फलों में से एक फल खाओ, और तुम्हें अमरता और जवानी दोनों प्राप्त होंगे।"

राजा ने एक और पहाड़ पार किया और वाकई, उन्हें पीले फलों से भरा एक विशाल पेड़ मिला। जैसे ही उन्होंने एक फल तोड़कर खाने का विचार किया, उन्हें कहीं से जोरदार बहस और झगड़े की आवाजें सुनाई दीं।

आश्चर्यचकित होकर राजा ने पास जाकर देखा कि चार युवक एक-दूसरे से जोर-जोर से बहस कर रहे थे। उन्होंने पूछा, "तुम लोग किस बात पर लड़ रहे हो?"

एक युवक ने कहा, "मैं 250 साल का हूँ और मेरा बगल वाला 300 साल का है। वह मुझे मेरी संपत्ति का हिस्सा नहीं दे रहा है।"

राजा ने दूसरे व्यक्ति से पूछा तो उसने जवाब दिया, "मेरे पिता, जो 350 साल के हैं, अभी भी जीवित हैं। उन्होंने मुझे मेरा हिस्सा नहीं दिया है, तो मैं अपने बेटे को कैसे दे सकता हूँ?"

दूसरे व्यक्ति ने अपने पिता की ओर इशारा किया, जो 400 साल के थे, और उसने भी वही शिकायत दोहराई। उन सभी ने राजा को बताया कि संपत्ति के लिए उनकी अंतहीन लड़ाई ने गाँव वालों को उन्हें गाँव से निकालने के लिए मजबूर कर दिया है।

राजा यह सुनकर चकित रह गए और वापस ऋषि के पास लौटे। उन्होंने ऋषि से कहा, "धन्यवाद, आपने मुझे मृत्यु का महत्व सिखाया।"

तब ऋषि ने गंभीरता से कहा, "हे राजन! मृत्यु के कारण ही इस संसार में प्रेम है। यदि मृत्यु न हो, तो जीवन का आनंद और प्रेम समाप्त हो जाएगा।"

"मृत्यु से बचने के बजाय, हर दिन और हर पल को खुशी से जियो। स्वयं को बदलो, और संसार भी बदल जाएगा।"

ऋषि ने राजा को यह सिखाया कि मृत्यु जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है और इसके बिना जीवन का सही आनंद लेना संभव नहीं है।

जय श्री राम!

The Best Leadership Qualities of PM Narendra Modi, Prime Minister of India

The  Best Leadership Qualities of PM Narendra Modi, Prime Minister of India 

Leadership Qualities of  Narendra Modi 

The  Best Leadership Qualities of PM Narendra Modi, Prime Minister of India

You will see Mr. Modi playing many roles: sometimes a yoga teacher, wildlife photographer, poet, tech champion, an astute politician, and even a holy man clad in colorful robes and headwear.

That’s how business leaders are! Leadership Qualities encompass a range of attributes, traits, and skills that empower individuals to lead and motivate others.

We have observed Narendra Modi for over 15 years, right from when he became Chief Minister of Gujrat, and reviewed his recent speeches, fan following, and work for India. We bring you some salient points that make him such an effective and successful leader globally.

Analyzing Narendra Modi’s leadership qualities reveals his exceptional impact and remarkable contributions to India, spanning diverse sectors and aspects of the nation’s progress.

From Chief Minister of Gujarat to Prime Minister of Bharat.

Modi was the longest-serving Chief Minister of Gujarat from 2001 to 2014.

In 2014, Modi contested two Lok Sabha constituencies: Varanasi and Vadodara. He won both, defeating Arvind Kejriwal of the Aam Aadmi Party in Varanasi and Madhusudan Mistry of the Indian National Congress in Vadodara.

Narendra Modi, the 14th Prime Minister of India, is a prominent figure in Indian politics known for his charismatic leadership qualities and transformative vision. He is from BJP – Bharatiya Janata Party

He is known for his distinctive leadership qualities that have shaped his political career. Here are some key leadership qualities exhibited by Narendra Modi:

Among many other skills Narender Modi also leverages Neuro Linguistic Programming Skills that puts him miles ahead from other global leaders.  

A powerful vision backs every successful leader. Visionary leadership describes a leader’s capacity to formulate and convey a compelling and motivating future vision. A visionary leader is someone who can foresee potential, establish challenging goals, and inspire people to strive toward realizing them.

However, a clear sense of purpose and an optimistic outlook are requirements for this leadership approach.

Narendra Modi is recognized for his strong vision for India’s development and growth, both long-term and short-term. In the long term, he envisions India becoming a developed country by 2047, and short-term projects plan on infrastructure; modi launched powerful plans like ‘Swachh Bharat Abhiyan’ for the hygiene of the countrymen and setting quarterly targets for his ministers.

Narenider Modi runs his government just like multi-national corporations. He and his team plan their objectives and execute their plans.

Have you heard about “Mann Ki Baat,” which means “Conversations From the Heart”?

That’s Modi’s radio show to connect and communicate with the people. Despite his busy schedule as a leader of the nation, he has been running this like a professional radio jockey since Oct 2014 and has completed over 100 episodes.

That’s one of his popular leadership styles of connecting and communicating his vision and plan clearly. He carries the nation along, inspiring countrymen to work towards achieving it. Every episode has a call to action.

Additionally, his vision of building a strong, prosperous, and inclusive India guided his policies and initiatives.

As leaders, Incorporating or learning these qualities in your leadership approach will be beneficial to you and your team or organization.

It will help you to develop and gain more clarity in your vision, inspire your teams, guide policies effectively, and develop strategic thinking.

Leadership Qualities of PM Modi for Strong Work Ethics

Effective Communication Skills


A strong work ethic is a set of values that guide how you work. It includes things like being reliable, punctual, hardworking, dedicated, and committed. People with strong work ethics are often seen as being more productive, more successful, and more valuable to their employers.

Modi is renowned for his tireless work ethic and dedication to his responsibilities. He is known to work long hours and is actively involved in the day-to-day affairs of governance. His commitment and perseverance have contributed to his success as a leader.

However, a leader who demonstrates a tireless work ethic and dedication to their responsibilities will greatly impact their success or that of their organization. By emulating Narendra Modi’s commitment and perseverance, leaders will cultivate an environment of productivity and excellence.

 Charismatic and Effective Communication Qualities

Effective Communication Training

To inspire and influence others, certain people need to have charisma, which is a captivating quality they possess. Charisma and effective communication are closely linked, as charisma enhances the impact of communication. Charismatic leaders have a natural ability to connect with others, build rapport, and create a sense of trust.

As a charismatic leader, Narendra Modi possesses excellent communication skills. He can connect with people from diverse backgrounds and effectively communicate his ideas and plans. His speeches and public addresses often resonate with the masses, inspiring and motivating them.

In conclusion, leaders should learn from Modi’s qualities by combining charisma and effective communication, as this will leave a powerful impact, enabling leaders to connect with their audience, influence opinions, and lead with impact.

Innovative And Adaptability Qualities

NLP Sales Training is the best.

Innovation and adaptability are two essential skills for success in today’s rapidly changing world. Innovation is the ability to come up with new ideas and solutions, while adaptability is the ability to change and adapt to new situations.

When combined, innovation and adaptability can help individuals and organizations to thrive in a constantly changing environment.

Prime Minister Narendra Modi is known for his innovative thinking and ability to adapt to changing circumstances. He has consistently sought innovative solutions to address complex challenges and promote development. His focus on digital technology and startups reflects his forward-thinking mindset.

In summary, leaders should demonstrate innovative thinking and adaptability. Similar to Narendra Modi, leaders who prioritize innovative thinking and adaptability will drive their organizations forward and achieve success.

 Resilient Leadership Qualities

NLP Limited Helps in Effective Meetings

Resilience is an essential quality for any leader, and Narendra Modi’s ability to bounce back from challenges is truly remarkable. However, his resilience and ability to bounce back have been remarkable.

Whenever he faced criticism and setbacks, he continued to persevere and stay focused on his goals. His resilient spirit serves as an inspiration to many, and this demonstrates the importance of resilience in leadership.

In summary, resilience is an important trait for a leader as it enables you to navigate through tough times, motivate your teams, and ultimately achieve your goals.

Since 2014, the Prime Minister of India has been awarded the highest honors from 14 countries and the highest environmental award from the United Nations.

Modi received ‘Order of Zayed’, the highest civilian award of UAE from Sheikh Mohammed bin Zayed Al Nahyan in a ceremony held at the Presidential Palace in Abu Dhabi.

Leadership Qualities For Decision-Making

Decisiveness is a vital leadership quality that enables leaders to make tough decisions, address challenges, and drive change. Narendra Modi’s ability to exhibit decisiveness in critical situations showcases his strong leadership qualities. Decisive leaders inspire confidence, provide direction, and create a culture of action and accountability within their organizations.

However, leaders need to balance decisiveness with thoughtful consideration and consultation to ensure effective decision-making.

Additionally, leaders should emulate this leadership quality as it instills a sense of purpose and direction within their teams. By making firm decisions, you will provide clarity and eliminate ambiguity, enabling your teams to focus on achieving goals and objectives.

This will foster a productive and efficient work environment where individuals are empowered to take action and contribute to the organization’s success.

 Strategic Planning  Qualities

Strategic planning empowers leaders to make the most of available resources. They allocate resources in a manner that maximizes impact and supports the strategic objectives. By carefully assessing resource requirements and evaluating different options, leaders will optimize time, finances, and human capital utilization.

Modi is known for his strategic planning skills, meticulously outlining the roadmap for India’s development. He identifies key priorities, sets clear goals, and develops comprehensive strategies to achieve them. His strategic approach to governance ensures that resources are allocated effectively and goals are achieved systematically.

Leaders who prioritize strategic planning demonstrate a proactive mindset, adaptability to changing circumstances, and a commitment to driving positive outcomes.

These leadership qualities of Narendra Modi have shaped his tenure as the Prime Minister of India and have left a significant impact on the country’s development.

If you’re a leader looking to impact your society, bring about change, and make a positive difference, then this post is for you. Learning to embrace these qualities will help create a culture that values talent, encourages creativity, and leads to long-term success.

Source- https://nlplimited.com/leadership-qualities-narendra-modi/

The Story of Dussehra

 The Story of Dussehra

The Story of Dussehra

Dussehra, also called Vijayadashmi (or Bijoya in Bengal), is the culmination of the nine-day Navaratri celebrations. It is a festival that marks the killing of Ravana, his son Meghanatha and brother Kumbhakarna, by Rama. It is seen as the vistory of good over evil

The Ramayana

The epic Ramayana, describes the story of Rama. Rama was the exiled prince of the kingdom of Ayodhya. While in exile, he lived in the forest with his wife Sita and brother Lakshmana. One day Sita was abducted by Ravana, the demon king of Lanka. Rama, assisted by an army of monkeys and Lakshmana, attacked Lanka to rescue her.

A fierce battle ensued between the two armies for many days. Rama found it very difficult to beat the mighty Ravana. So he prayed for nine days to nine different aspects of goddess Durga and accumulated enough strength to defeat Ravana.

Dussehra celebrates Rama’s victory over Ravana in a festival spread out over ten days. The story of Rama’s life is enacted in a folk art form called Ramlila. Every nook and corner has its own Ramlila, with millions of actors enacting it during Dussehra. Conventionally, only men participated in the Ramlila, but now women, too, have started acting in them.

The 10th day is one of fireworks. The final act of this drama is staged. Huge paper effigies stuffed with firecrackers, sometimes almost 100 feet high, of Ravana, his son and brother, are set ablaze. At the appointed hour, a person dressed as Rama, shoots flaming arrows at the effigies, which start to burn.

The Dussehra of Kulu

Although Dussehra is celebrated across India, in some parts the celebrations are especially interesting. Kulu, a small town in Himachal Pradesh, is witness to unique Dussehra celebrations. Since the times of Maharaja Ranjit Singh, who ruled Punjab (which also consisted of parts of Himachal Pradesh), more than 150 years ago, Dussehra celebrations here begin three days after they do in the rest of India.

This is so because the powerful Maharaja expected all kings who paid him homage, to be present at Kulu for the celebration. These rulers would leave immediately after the celebrations in their kingdoms had ended, and head to Kulu. Since it took them three days to reach, this practice was established and has continued ever since.

The lives of the hills people are full of fascinating myths that connect the existence of their very human gods to the natural surroundings — beautiful and harsh alternately. At times like Dussehra, then, if the humans celebrate, wouldn’t the gods rejoice too and have their annual reunion?

Village deities from all around are brought to Kulu in palanquins. The procession is led by musicians and dancers. A large fair is also organised on this occasion.

This is a good opportunity for people to buy and stock their provisions for the harsh winter ahead, as most places become inaccessible due to snow within a month of the festival.

In Mysore in the southern state of Karnataka, the celebrations take a unique turn. Instead of effigies of Ravana being burnt, five animals -a rooster, a fish, a lamb, a crab, and a buffalo – are sacrificed instead.

Dussehra is a royal celebration in Mysore. The people of Mysore celebrate Durga Puja, too. They mark Durga’s killing of Mahishasura, who according to myth lived in those parts. The celebrations are held at the Durga temple atop the Chamundi hill, with a breathtaking view. Durga happens to be the family deity of the royal family.

A regal procession of decorated elephants, courtiers and court symbols winds its way to the temple, which is decorated splendidly for the festival. On reaching the temple, prayers are offered to the goddess.

This event attracts many tourists from India and abroad. But given the expenses involved, it has been a royal affair. Lately though, with the decline in the status of the royal family of Mysore, this festival has lost some of its traditional lustre.

The ‘Bommai Kolu’ of Tamil Nadu

In Tamil Nadu, Lakshmi, the goddess of wealth and prosperity, Saraswati, the goddess of learning and arts and Shakti (Durga) are worshipped. Here, and in Andhra Pradesh and Karnataka, families arrange dolls (Bommai Kolu) on specially built steps. They also prepare an elaborate spread of lamps and flowers.

The day of Saraswati puja is a day of special happiness for anyone who has to study for school, college or any exam. On that day, the books are placed before the goddess of learning, with the fervent hope that the owner of the books does well. And no one is supposed to study that day!

In Kerala, too, Vijayadashami is an auspicious occasion for children to commence their education in classical dance and music, and to pay homage to their teachers.

happy dussehra wishes 2024

happy dussehra images

vijayadashami wishes

dussehra wishes in english

dussehra images

vijayadashami images

vijayadashami wishes 2024

vijayadashami 2024 time

dussehra quotes

ravan dahan

vijaya dashami wishes

dussehra image

vijaya dashami 2024

dasara wishes images

dussehra 2024 wishes images

vijayadashami greetings

dussehra 2024 start date and end date

dussehra greetings

dussehra 2024 date

dashami time 2024

dasara festival 2024

dussehra photo

vijaya dashami

vijayadashami image

dussehra date

dashami 2024 date and time

dussehra festival

dashmi october 2024

dussehra message

vijayadashami quotes

dussehra wish

dasara 2024 date

dasara greetings

happy dushara


कर्म बड़ा या धर्म

 


मूर्ति विसर्जन करने वाले जाएंगे नरक - Those who immerse idols will go to hell

मूर्ति विसर्जन करने वाले जाएंगे नरक - Those who immerse idols will go to hell



दुर्गा विसर्जन करने वाले जाएंगे नरक | premanand ji maharaj | shri hit radha kripa | radha naam jap |

इस वीडियो में, प्रेमानंद जी महाराज ने गलत तरीके से दुर्गा विसर्जन करने के विषय पर अपने विचार साझा किए हैं। दुर्गा पूजा के दौरान, माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रक्रिया है, लेकिन कुछ लोग इसे गलत तरीके से करते हैं। क्या हैं ये गलतियाँ और क्यों ये हमारे धार्मिक संस्कारों के लिए हानिकारक हैं? जानिए प्रेमानंद जी महाराज से इस विषय पर गहन चर्चा में, जहाँ वे इस परंपरा के महत्व, सही तरीके और इसके आध्यात्मिक पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं।

इस वीडियो को देखना न भूलें और जानें कि धार्मिक परंपराओं का पालन कैसे किया जाए ताकि हम सभी मिलकर अपने संस्कृति का सम्मान कर सकें।

 

Ratan Tata: रतन टाटा के जीवन की दिलचस्प बातें, जिन्हें आप नहीं जानते - Ratan Tata: Interesting things about Ratan Tata's life, which you do not know

Ratan Tata: रतन टाटा के जीवन की दिलचस्प बातें, जिन्हें आप नहीं जानते - Ratan Tata: Interesting things about Ratan Tata's life, which you do not know

Ratan Tata: रतन टाटा के जीवन की दिलचस्प बातें, जिन्हें आप नहीं जानते - Ratan Tata: Interesting things about Ratan Tata's life, which you do not know

Ratan Tata: उद्योग जगत के महानायक रतन टाटा का निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उन्होंने न सिर्फ टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि भारतीय उद्योग को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाई. उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई ऐतिहासिक अधिग्रहण किए और समाज कल्याण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. रतन टाटा की विरासत हमेशा प्रेरणादायक रहेगी, और उनका जाना देश को गहरे शोक में डाल गया है. बता दें कि वर्तमान में टाटा ग्रुप की कमान एन चंद्रशेखरन (Natarajan Chandrasekaran) के हाथों में है. 


दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के चेयरमैन एमेरिटस, रतन टाटा का बुधवार को निधन हो गया.  वह 86 वर्ष के थे. मुंबई के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. वे काफी समय से अवस्थ चल रहे थे. टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने एक बयान में रतन टाटा के निधन की पुष्टि करते हुए उन्हें अपना 'दोस्त, मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत' बताया. रतन टाटा 28 दिसंबर 2012 को टाटा संस के चेयरमैन के रूप में रिटायर हुए थे.


पीएम ने जताया शोक:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा के निधन पर गहरा शोक जताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी संवेदना व्यक्त की. उन्होंने लिखा, "मेरे मन में श्री रतन टाटा जी के साथ हुई अनेकों मुलाकातों की यादें ताज़ा हैं. जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब हम अक्सर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते थे. उनकी विचारधारा हमेशा गहन और समृद्ध होती थी. ये संवाद दिल्ली आने के बाद भी जारी रहे. उनके निधन से अत्यंत दुःखी हूँ। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, मित्रों और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति"


रतन टाटा के बारे में:

साल 1937 में जन्मे रतन टाटा का पालन-पोषण 1948 में उनके माता-पिता के अलग होने के बाद उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया था.


रतन टाटा साल 1962 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बी.आर्क की डिग्री प्राप्त की थी. 1962 के अंत में भारत लौटने से पहले उन्होंने लॉस एंजिल्स में जोन्स और इमन्स के साथ कुछ समय काम किया. 


2008 में भारत सरकार ने उन्हें देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण, प्रदान किया था. वह 28 दिसंबर 2012 को टाटा संस के चेयरमैन के रूप में रिटायर हुए थे.


रतन टाटा का सफ़र:

रतन टाटा का सफर एक प्रेरणादायक कहानी है, जो उनकी दूरदर्शिता, मेहनत और नेतृत्व कौशल को दर्शाता है-


जन्म

28 दिसंबर 1937

कॉलेज डिग्री

1962 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बी.आर्क (Bachelor of Architecture)

विदेश में कार्य अनुभव

1962 के अंत में भारत लौटने से पहले लॉस एंजिल्स में जोन्स और इमन्स के साथ काम किया

मैनेजमेंट ट्रेनिंग

1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया

टाटा संस के चेयरमैन बने

मार्च 1991

रिटायर

28 दिसंबर 2012

टाटा समूह की आय

1991 में ₹10,000 करोड़ से बढ़कर 2011-12 में USD 100.09 बिलियन

टाटा के मुख्य अधिग्रहण

- 2000 में टाटा टी द्वारा 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर में टेटली का अधिग्रहण

- 2007 में टाटा स्टील द्वारा 6.2 बिलियन पाउंड में कोरस का अधिग्रहण

- 2008 में टाटा मोटर्स द्वारा 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण

सम्मान

2008 में पद्म विभूषण (भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान)

निधन

09 अक्टूबर 2024

...जब रतन टाटा ने संभाली कमान:

रतन टाटा की उल्लेखनीय यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने साल 1991 में ऑटोमोबाइल से लेकर स्टील तक के विभिन्न उद्योगों में फैले टाटा समूह की बागडोर संभाली. साल 1996 में उन्होंने टाटा टेली-सर्विसेज की स्थापना की और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध करवाया, जो कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ.


रतन टाटा के नेतृत्व में ऐतिहासिक अधिग्रहण:

टेटली (2000): टाटा टी द्वारा 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर में ब्रिटिश चाय कंपनी टेटली का अधिग्रहण किया गया. यह भारतीय कंपनी का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण था.


कोरस (2007): टाटा स्टील ने 6.2 बिलियन पाउंड में यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी कोरस का अधिग्रहण किया. यह भारतीय स्टील उद्योग का अब तक का सबसे बड़ा सौदा था.


जगुआर लैंड रोवर (2008): टाटा मोटर्स ने 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में प्रतिष्ठित ब्रिटिश कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण किया। यह सौदा टाटा मोटर्स के लिए एक बड़ी सफलता साबित हुआ और कंपनी को वैश्विक ऑटोमोबाइल बाजार में मजबूती दी.


टाटा ग्रुप की कमान किसके हाथ?

रतन टाटा की सेवानिवृत्ति के बाद, टाटा ग्रुप की कमान एन चंद्रशेखरन (Natarajan Chandrasekaran) के हाथों में है. उन्होंने 2017 में टाटा संस के चेयरमैन का पदभार संभाला था. एन चंद्रशेखरन इससे पहले टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर रह चुके हैं.

आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ?? Who is your life coach

 #Motivation गहराई से सोचो !आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ??


#अनीता_अल्वारेज, अमेरिका की एक पेशेवर तैराक हैं जो वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान परफॉर्म करने के लिए स्विमिंग पूल में जैसे ही छलांग लगाई , वो छलांग लगाते ही पानी के अंदर बेहोश हो गई , जहाँ पूरी भीड़ सिर्फ़ जीत और हार के बारे में सोच रही थी वहीं उसकी कोच एंड्रिया ने जब देखा कि अनीता एक नियत समय से ज़्यादा देर तक पानी के अंदर है , एंड्रिया पल भर के लिए सब कुछ भूल गई कि वर्ल्ड चैंपियनशिप प्रतियोगिता चल रही है , एक पल भी व्यर्थ ना करते हुए एंड्रिया चलती प्रतियोगिता के बीच में ही स्विमिंग पूल में छलांग लगा दी , वहाँ मौजूद हज़ारों लोग कुछ समझ पाते तब तक एंड्रिया पानी के अंदर अनीता के पास थी , एंड्रिया ने देखा कि अनीता स्विमिंग पूल में पानी के अंदर बेहोश पड़ी है , ऐसी हालत में ना हाथ पैर चला सकती ना मदद माँग सकती , एंड्रिया ने अनीता को जैसे बाहर निकाला मौजूद हज़ारों लोग सन्न रह गए , एंड्रिया ने अनीता को तो बचा लिया , लेकिन हम सबकी ज़िंदगी में बहुत बड़ा सवाल छोड़ गई ! इस दुनियाँ में ना जाने कितने लोग हम सबकी ज़िंदगी से जुड़े हैं कितनों से रोज़ मिलते भी होंगे , जो इंसान हर किसी से अपने मन की बात नहीं कह पाता कि असल ज़िंदगी में वह भी कहीं डूब रहा है , वह भी किसी तकलीफ़ से गुज़र रहा है , वह भी किसी बात को लेक़र ज़िंदगी से परेशान हो रहा है , लेकिन बता नहीं पा रहा हैजब इंसान किसी को अपने मन की व्यथा , अपनी परेशानी नहीं बता पाता तो मानसिक तनाव इतना बढ़ जाता है कि वह ख़ुद को पूरी दुनियाँ से अलग़ कर लेता है , सबकी नज़रों से दूर एकांत में ख़ुद को चारदीवारी में क़ैद कर लेता है , ये वक़्त ऐसा होता है कि तब इंसान डूब रहा होता है , उसका मोह ख़त्म हो चुका होता है , ना किसी से बात चीत ना किसी से मिलना जुलना , ये स्थिति इंसान के लिए सबसे ख़तरनाक होती है , जब इंसान अपने डूबने के दौर से गुज़र रहा होता है , तब बाक़ी सब दर्शकों की भाँति अपनी ज़िंदगी में व्यस्त होते हैं किसी को ख़्याल ना होता कि एक इंसान किसी बड़ी परेशानी में है ,


अगर इंसान कुछ दिन के लिए ग़ायब हो जाए तो पहले तो लोगों को ख़्याल नहीं आएगा , अगर कुछ को आ भी जाए तो लोग यही सोचेंगे , पहले कितनी बात होती थी अब वो बदल गया है या फिर उसे घमंड हो गया है या अब तो बड़ा आदमी बन गया है इसलिए बात नहीं करता , जब वो बात नहीं करता तो हम कियूँ करें ! या फिर ये सोच लेते हैं कि अब दिखाई ना देता तो वो अपनी ज़िंदगी में मस्त है इसलिए नहीं दिखाई देता , अनीता पेशेवर तैराक होते हुए डूब सकती है तो कोई भी अपनी ज़िंदगी में बुरे दौर से गुज़र सकता है , ये समझना ज़रूरी है लेकिन उन लोगों से हट कर कोई एक इंसान ऐसा भी होगा जो आपकी मनोस्थिति तुरंत भाँप लेगा , उसे बिना कुछ बताये सब पता चल जाएगा , आपकी ज़िंदगी के हर पहलू पर हमेशा नज़र रखेगा , थोड़ा सा भी परेशान हुए वो आपकी परेशानी आकर पूछने लगेगा , आपके बेहवियर को पहचान लेगा , आपको हौसला देगा आपको सकारात्मक बनायेगा और एंड्रिया की तरह कोच बन कर आपकी ज़िंदगी को बचा लेगा ,


हम सबको ऐसे कोच की ज़रूरत पड़ती है…ऐसा कोच कोई भी हो सकता है , आपका भाई , बहन , माँ , पापा ,आपका कोई दोस्त , आपका कोई हितैषी , आपका कोई रिश्तेदार , कोई भी , जो बिना बताये आपके भावों को पढ़ ले और तुरंत एक्शन ले।गहराई से सोचो आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ??

आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ?? Who is your life coach




आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ?? Who is your life coach

A train in India that runs only once a year - भारत में एक ऐसी ट्रेन जो साल में सिर्फ एक बार चलती है

 भारत में एक ऐसी ट्रेन जो साल में सिर्फ एक बार चलती है

•••
भारत में एक ऐसी ट्रेन है जो साल में सिर्फ एक बार 15 दिन का सफर तय करती है, लेकिन जब यह सफर करती है तो करीब 500 लोगों का करियर बनाती है और भारत का भविष्य बनाती है।
मुंबई के जागृति सेवा संस्थान नामक एनजीओ द्वारा संचालित यह ट्रेन 2008 से हर साल यात्रा पर निकल रही है, जिसमें अब तक 23 देशों के 75 हजार से ज्यादा युवा शामिल हो चुके हैं.
इस ट्रेन के अधिकांश यात्री युवा उद्यमी हैं। यात्रा का एकमात्र उद्देश्य इसमें शामिल युवा उद्यमियों को जोड़ना, नेटवर्क बनाना और मार्गदर्शन करना है।
15 दिनों की इस यात्रा में लगभग 100 गुरु युवाओं को कृषि, शिक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य, विनिर्माण, जल और स्वच्छता, कला-साहित्य और संस्कृति जैसे विषयों पर उपलब्ध अवसर और उपाय सुझाते हैं।
कुल 8000 किमी की यात्रा के दौरान यह ट्रेन भारत के 10 से 12 शहरों में जाती है और ट्रेन में 500 यात्री सवार होते हैं। इस साल 16 नवंबर को शुरू होने वाली जागृति यात्रा की यात्रा मुंबई से शुरू होगी, जो हुबली, बेंगलुरु, मदुरै, चेन्नई, विशाखापत्तनम, दिल्ली सहित शहरों से होकर गुजरेगी और 1 दिसंबर को अहमदाबाद में समाप्त होगी।
यह दुनिया की सबसे खास और लंबी यात्राओं में से एक है।
A train in India that runs only once a year
•••
There is a train in India that travels only once a year for 15 days, but when it travels, it makes careers of about 500 people and builds the future of India.
This train, run by an NGO named Jagriti Seva Sansthan of Mumbai, has been going on a journey every year since 2008, in which more than 75 thousand youth from 23 countries have participated so far.
Most of the passengers of this train are young entrepreneurs. The sole purpose of the journey is to connect, network and guide the young entrepreneurs involved in it.
In this 15-day journey, about 100 gurus suggest the youth the opportunities and solutions available on topics like agriculture, education, energy, health, manufacturing, water and sanitation, art-literature and culture.
During the total journey of 8000 km, this train goes to 10 to 12 cities of India and 500 passengers board the train. The journey of the Jagruti Yatra, which will begin on November 16 this year, will start from Mumbai, pass through cities including Hubli, Bengaluru, Madurai, Chennai, Visakhapatnam, Delhi and end in Ahmedabad on December 1.
It is one of the most special and longest journeys in the world.
A train in India that runs only once a year - भारत में एक ऐसी ट्रेन जो साल में सिर्फ एक बार चलती है

Motivational kids videio


 

आत्मविश्वास और समझदारी confidence and intelligence

 एक दिन, एक कंपनी में साक्षात्कार के दौरान, बॉस, जिसका नाम अनिल था, ने सामने बैठी महिला, सीमा से पूछा, "आप इस नौकरी के लिए कितनी तनख्वाह की उम्मीद करती हैं?"

आत्मविश्वास और समझदारी confidence and intelligence


सीमा ने बिना किसी झिझक के आत्मविश्वास से कहा, "कम से कम 90,000 रुपये।"
अनिल ने उसकी ओर देखा और आगे पूछा, "आपको किसी खेल में दिलचस्पी है?"
सीमा ने जवाब दिया, "जी, मुझे शतरंज खेलना पसंद है।"
अनिल ने मुस्कुराते हुए कहा, "शतरंज बहुत ही दिलचस्प खेल है। चलिए, इस बारे में बात करते हैं। आपको शतरंज का कौन सा मोहरा सबसे ज्यादा पसंद है? या आप किस मोहरे से सबसे अधिक प्रभावित हैं?"
सीमा ने मुस्कुराते हुए कहा, "वज़ीर।"
अनिल ने उत्सुकता से पूछा, "क्यों? जबकि मुझे लगता है कि घोड़े की चाल सबसे अनोखी होती है।"
सीमा ने गंभीरता से जवाब दिया, "वास्तव में घोड़े की चाल दिलचस्प होती है, लेकिन वज़ीर में वो सभी गुण होते हैं जो बाकी मोहरों में अलग-अलग रूप से पाए जाते हैं। वह कभी मोहरे की तरह एक कदम बढ़ाकर राजा को बचाता है, तो कभी तिरछा चलकर हैरान करता है, और कभी ढाल बनकर राजा की रक्षा करता है।"
अनिल ने उसकी समझ से प्रभावित होते हुए पूछा, "बहुत दिलचस्प! लेकिन राजा के बारे में आपकी क्या राय है?"
सीमा ने तुरंत जवाब दिया, "सर, मैं राजा को शतरंज के खेल में सबसे कमजोर मानती हूँ। वह खुद को बचाने के लिए केवल एक ही कदम उठा सकता है, जबकि वज़ीर उसकी हर दिशा से रक्षा कर सकता है।"
अनिल सीमा के जवाब से प्रभावित हुआ और बोला, "बहुत शानदार! बेहतरीन जवाब। अब ये बताइए कि आप खुद को इनमें से किस मोहरे की तरह मानती हैं?"
सीमा ने बिना किसी देर के जवाब दिया, "राजा।"
अनिल थोड़ी हैरानी में पड़ गया और बोला, "लेकिन आपने तो राजा को कमजोर और सीमित बताया है, जो हमेशा वज़ीर की मदद का इंतजार करता है। फिर आप क्यों खुद को राजा मानती हैं?"
सीमा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "जी हाँ, मैं राजा हूँ और मेरा वज़ीर मेरा पति था। वह हमेशा मेरी रक्षा मुझसे बढ़कर करता था, हर मुश्किल में मेरा साथ देता था, लेकिन अब वह इस दुनिया में नहीं है।"
अनिल को यह सुनकर थोड़ा धक्का लगा, और उसने गंभीरता से पूछा, "तो आप यह नौकरी क्यों करना चाहती हैं?"
सीमा की आवाज भर्राई, उसकी आँखें नम हो गईं। उसने गहरी सांस लेते हुए कहा, "क्योंकि मेरा वज़ीर अब इस दुनिया में नहीं रहा। अब मुझे खुद वज़ीर बनकर अपने बच्चों और अपने जीवन की जिम्मेदारी उठानी है।"
यह सुनकर कमरे में एक गहरी खामोशी छा गई। अनिल ने तालियाँ बजाते हुए कहा, "बहुत बढ़िया, सीमा। आप एक सशक्त महिला हैं।"
शिक्षा और सशक्तिकरण का महत्व:
यह कहानी उन सभी बेटियों के लिए एक प्रेरणा है जो जिंदगी में किसी भी तरह की मुश्किलों का सामना कर सकती हैं। बेटियों को अच्छी शिक्षा और परवरिश देना बेहद जरूरी है, ताकि अगर कभी उन्हें कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़े, तो वे खुद वज़ीर बनकर अपने और अपने परिवार के लिए एक मजबूत ढाल बन सकें।
किसी विद्वान ने कहा है, "एक बेहतरीन पत्नी वह होती है जो अपने पति की मौजूदगी में एक आदर्श औरत हो, और पति की गैरमौजूदगी में वह मर्द की तरह परिवार का बोझ उठा सके।"
यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर आत्मविश्वास और समझदारी हो, तो कोई भी मुश्किल हालात को पार किया जा सकता है।

Feetured Post

जीवन का कड़वा सच है - bitter truth of life -Bhajan

जीवन का कड़वा सच है - bitter truth of life