भोगो की प्राप्ति से दुखो का नाश नहीं होता, न भोगो के नाश में ही वस्तुत्व दुःख है ! दुःख के कारण तो हमारे मन के मनोरथ है एक भी भोग न रहे अति अवश्यक चीजो का भी अभाव हो परन्तु मन यदि अभाव का अनुभव न करके सदा संतुष्ट रहे, उसमे मनोरथ न उठे तो कोई भी दुःख नहीं रहेगा! इसी प्रकार भोगो की प्रचुर प्राप्ति होने पर भी जब तक किसी वस्तु के अभाव का अनुभव होता है और उसको प्राप्त करने की कामना रहती है, तब तक दुःख नहीं मिट सकते! हमारी आशाए हमें सदैव दुःख दिलाती है यदि व्यक्ति को ऐसा लगता है की हमारे दुःख के कारण इनमे से कुछ भी नहीं है तो उसे ये मानना चाहिए की ये हमारे पूर्व जन्म के प्राब्ध है! दुःख सहने की छमता यदि कम हो जाए या फिर जीवन दुखो से घबरा जाए तो उसे भगवान् श्री राम और भगवान् श्री कृष्ण के चरित्र का अनुकरण करना चाहिए!
क्योंकि..... इस पृथ्वी पर भगवान राम और कृष्ण ने जो दुःख सहे है वो अकल्पनीय है और जो प्राचीन काल से ही जो लोग दुखो को सह गए आज भी पूजा उन्ही की होती है! बिना दुःख सहे कोई पूजनीय और बड़ा नहीं हो सकता, बिना दुःख सहे किसी के दुःख को नहीं समझ सकता! और श्रीमद भागवत में तो कुन्तीं ने बांके बिहारी से यहाँ तक कह दिया की प्रभु मुझे मेरे वरदान में मुझे दुःख ही दे दो, क्योकि जब-जब हम पे विपदा आई तब-तब आपके दर्शन हुए, सो हमारे लिए तो विपत्ति ही सच्ची संपत्ति है, जिस विपत्ति में सदैव आपके स्मरण हो उस विपत्ति से बड़ी और कोई संपत्ति हो ही नहीं सकती!
क्योंकि..... इस पृथ्वी पर भगवान राम और कृष्ण ने जो दुःख सहे है वो अकल्पनीय है और जो प्राचीन काल से ही जो लोग दुखो को सह गए आज भी पूजा उन्ही की होती है! बिना दुःख सहे कोई पूजनीय और बड़ा नहीं हो सकता, बिना दुःख सहे किसी के दुःख को नहीं समझ सकता! और श्रीमद भागवत में तो कुन्तीं ने बांके बिहारी से यहाँ तक कह दिया की प्रभु मुझे मेरे वरदान में मुझे दुःख ही दे दो, क्योकि जब-जब हम पे विपदा आई तब-तब आपके दर्शन हुए, सो हमारे लिए तो विपत्ति ही सच्ची संपत्ति है, जिस विपत्ति में सदैव आपके स्मरण हो उस विपत्ति से बड़ी और कोई संपत्ति हो ही नहीं सकती!
No comments:
Post a Comment
Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You