विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
भक्ति प्रेम, समर्पण और त्याग का ही रूप है
भक्ति प्रेम, समर्पण और त्याग का ही रूप है। धार्मिक आस्था है कि जब ऐसी भक्ति से ईश्वर को याद किया जाता है, तो ईश्वर भी उस प्रेम के वशीभूत हो दृश्य या अदृश्य रूप से भक्त पर कृपा करते हैं।
भक्ति से कामनापूर्ति की बात हो तो भगवान शिव की भक्ति सबसे आसान और जल्द मुरादें पूरी करने वाली मानी जाती है। इसलिए भगवान शिव को भक्त आशुतोष, ओढरदानी या भोलेनाथ भी पुकारते हैं। पौराणिक प्रसंग बताते हैं कि शिव भक्ति से दानव, मानव ही नहीं बल्कि देवताओं ने भी अपने मनोरथ पूरे किए।
इसी कड़ी में महाभारत के मुताबिक भगवान शिव ने स्वयं कहा है - श्री कृष्ण मेरी भक्ति करते हैं, इसलिए मुझे श्रीकृष्ण सबसे प्रिय है। भगवान श्रीकृष्ण ने शिव की उपासना शिव के हजार नामों के उच्चारण और बिल्वपत्रों को अर्पित कर सात माह तक कठोर तप के साथ की। महाभारत के अनुशासन पर्व में बताया गया है कि श्रीकृष्ण ने शिव की भक्ति से 16 कामनाओं को पूरा किया।
जानिए श्री कृष्ण की ही ये 16 मुरादें और इंसानी जीवन के नजरिए से इन इन इच्छाओं के मायने। जिनको हर इंसान शिव भक्ति द्वारा पूरा करने का प्रयास करें -
- धर्म में मेरी दृढ़ता रहे यानी सत्य, प्रेम परोपकार जैसा धर्म पालन।
- युद्ध में शत्रुघात यानी विरोधियों और जीवन के संघर्ष में विपरीत हालात पर काबू पा लेना।
- जगत में उत्तम यश यानी प्रसिद्धि, सम्मान,
- परम बल यानी हर तरह से शक्ति संपन्न
- योग बल यानी संयम और संतोष
- सर्व प्रियता यानी सबसे मधुर संबंध और व्यवहार
- शिव का सानिध्य यानी भगवान, धर्म और कर्म से जुड़े रहना।
- दस हजार पुत्र यानी संतान और कुटुंब सुख
- ब्राह्मणों में कोपाभाव यानी पवित्रता और शुचिता प्राप्त हो।
- पिता की प्रसन्नता यानी पिता का प्रेम और आशीर्वाद
- सैकड़ों पुत्र यानी दाम्पत्य सुख
- उत्कृष्ट वैभव योग यानी सुख-समृद्धि
- कुल में प्रीति यानी परिवार और संबंधियों में मेलजोल
- माता का प्रसाद या अनुग्रह यानी माता से प्रेम और आशीर्वाद
- शम प्राप्ति यानी हर तरह से शांति मिलना
- दक्षता यानी कार्य कुशलता या हुनरमंद होना।
मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
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