बालक का मन इचा प्रबल होता है

बालक का मन इचा प्रबल होता है ,उन्हें देखने पर आपको समस्त जगत सुन्दर दिखाई देगा ,लेकिन जैसे वह आगे बढता है प्रकृति रास्ता रोके खड़ी रहती है ,उस प्राचीर को भंग करने के लिए वह बारम्बार प्रयाश करता है ,सारा जीवन जैसे आगे बदता जाता है ,उसका आदर्श दूर होता जाता है ,अंत माँ मृत्यु ----यही माया है
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