विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
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Saturday, February 18, 2012
भगवान के सामने जाने से पहले कुछ आवश्यक नियमों का पालन करना चाहिए
आज तेजी से बदलते समय में अनुसुख और शांतिभव करने के लिए काफी लोग देवी-देवताओं के स्थानों पर जाना पसंद करते हैं। एक ओर जहां हमारे आसपास हमेशा ही शोर और अशांति फैली रहती हैं वहीं दूसरी ओर किसी मंदिर में असीम आनंद और शांति मिल जाती है। इसी वजह से बड़ी संख्या में लोग जब भी समय होता है तब देवी-देवताओं के स्थानों पर अवश्य जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान के सामने जाने से पहले कुछ आवश्यक नियमों का पालन करना चाहिए।
भगवान के प्रति सच्ची आस्था और भक्ति होने पर व्यक्ति की सभी इच्छाएं जल्द ही पूर्ण हो जाती हैं और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। भगवान की भक्ति में तभी पूरा आनंद प्राप्त होता है जब शास्त्रों में बताए गए नियमों का पालन भी किया जाए। शास्त्रों के अनुसार भक्त को मंदिर में जाते समय जानवरों के चमड़े से बनी वस्तुएं बाहर ही रख देना चाहिए। आजकल लेदर के पर्स और लेदर के बेल्ट आदि का फेशन खासा प्रचलित है। लगभग हर व्यक्ति चमड़े से बनी वस्तुओं का उपयोग करता है। ऐसे में मंदिर में प्रवेश करने से पहले इन चीजों को बाहर ही रख देना चाहिए। इन्हें धर्म ग्रंथों के अनुसार अपवित्र माना गया है।
जानवरों के चमड़े से बनी ये चीजें अशुद्ध मानी जाती हैं, इन्हें पहनकर या अपने पास रखकर भगवान के सामने नहीं जाना चाहिए। इसके नियम के पीछे कई कारण हैं, जैसे लेदर की वस्तुएं जानवरों की खाल से बनाई जाती हैं। कई बार इसके लिए जीवित जीवों को मार भी दिया जाता है। किसी भी जीव की हत्या करना शास्त्रों के अनुसार गंभीर पाप माना गया है। अत: ऐसे कृत्य के बाद बनी वस्तुएं भी अपवित्र और अशुद्ध होती हैं। इनका उपयोग नहीं करना चाहिए। इन चीजों के अधिक उपयोग के कारण ही कई जीवों को असमय मृत्यु का संकट झेलना पड़ता है।
इसके साथ चमड़े से बनी वस्तुएं कई बार स्वास्थ्य संबंधी विसंगतियों को भी जन्म देती है। इनके स्पर्श से त्वचा संबंधी बीमारियां होने की भी पूरी संभावनाएं रहती हैं। अत: कम से कम मंदिर में जाते समय इनका उपयोग नहीं करना चाहिए।
मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
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