विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
पिता ने बिना भेदभाव किए निकाला समाधान
(हमारी लोककथाएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से चली आ रही हैं। इनमें भारत की सांस्कृतिक एकता और धार्मिक मान्यताओं की सुंदर झलक देखने को मिलती है। दरअसल, कथाएँ बच्चों की सूझ-बूझ विकसित करने और उनकी मानसिक क्षुधा शांत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बालपन का कल्पना संसार विस्तृत होता चला जाता है। साथ ही सामाजिक मूल्य और भारतीय संस्कारों के प्रति चेतना भी जाग्रत होती है।)
समाधान
रामसखा नाम का एक बड़ा व्यक्ति था उसकी दो बेटियां थीं लता और सीता। लता का विवाह बर्तन बनाने वाले के साथ और सीता का विवाह एक किसान के साथ हुआ।
एक दिन रामसखा को अपनी दोनों बेटियों की बहुत याद आई। इसलिए बेटियों से मिलने के लिए वो घर से निकल पड़ा। वह पहले अपनी बड़ी बेटी लता के घर गया। उसने लता और उसके परिवार का हाल-चाल पूछा। बातों-बातों में उसकी बेटी बोली- पिताजी इस बार हमने बहुत मेहनत की और ढेर सारे मिट्टी के बर्तन बनाए। बस इस बार वर्षा न हो तो हमारी मेहनत सफल हो जाए। उसने अपने पिता रामसखा से आग्रह किया कि आप भी प्रार्थना कीजिए कि इस बार वर्षा न हो।
कुछ देर बातें करने के बाद वह अपनी दूसरी बेटी सीता के पास चल दिया। वहां पहुंचकर उसने सीता का भी हाल-चाल पूछा। उसने कहा- पिताजी इस बार हमने बहुत परिश्रम किया है यदि वर्षा अच्छी हो जाएगी तो खूब फसल उगेगी। उसने पिता से विनती की की वे ईश्वर से प्रार्थना करें कि इस बार खूब वर्षा हो।
अब रामसखा असमंजस की स्थिती में पड़ गया कि वो किस बेटी के लिए प्रार्थना करें। उसने सोचा कि एक बेटी का आग्रह वर्षा न होने का है और दूसरी बेटी का आग्रह वर्षा होने का है। एक बेटी का साथ देता हूं तो दूसरी बेटी के साथ नाइंसाफी होती है। मेरे लिए तो दोनों की मेहनत बराबर है। इस उलझन से निकलने के लिए उसने एक समाधान निकाला।
वह दोबारा अपनी बेटियों के घर गया। घर पहुंचते ही उसने अपनी बड़ी बेटी लता से कहा कि- यदि इस बार वर्षा नहीं हुई तो तुम अपने लाभ का आधा हिस्सा अपनी छोटी बहन सीता को दे दोगी। ताकि उसके नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो सके। लता ने अपने पिता की बात मानते हुए हां कर दी।
फिर वह अपनी छोटी बेटी सीता के पास गया और उससे बोला- यदि इस बार वर्षा होती है, तो तुम्हारी बहन कीए मेहनत पर पानी फिर जाएगा। इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम अपने लाभ का हिस्सा अपनी बड़ी बहन को दे दो। इस प्रकार रामसखा ने बिना भेद-भाव किए दोनों बेटियों की समस्या का समाधान कर लिया।
मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
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