महाकुंभ शाही स्नान में संघर्ष का इतिहास

www.goswamirishta.com


शाही स्नान के वक्त तमाम अखा़ड़ों एवं साधुओं के संप्रदायों के बीच मामूली कहासुनी भी खूनी संघर्ष के रूप में तब्दील हो जाती है। इसका पुराना इतिहास है। हरिद्वार कुंभ में तो ऐसे हादसों का पूरा एक इतिहास रहा है। वर्ष 1310 के महाकुंभ में महानिर्वाणी अखाड़े और रामानंद वैष्णवों के बीच हुए झगड़े ने खूनी संघर्ष का रूप ले लिया था। वर्ष 1398 के अर्धकुंभ में तो तैमूर लंग के आक्रमण से कई जानें गई थीं।

वर्ष 1760 में शैव सन्यासियों व वैष्णव बैरागियों के बीच संघर्ष हुआ था। 1796 के कुम्भ में शैव संयासी और निर्मल संप्रदाय आपस में भिड़ गए थे। 1927 में बैरीकेडिंग टूटने से काफी बड़ी दुर्घटना हो गई थी। वर्ष 1986 में भी दुर्घटना के कारण कई लोग हताहत हो गए। 1998 में हर की पौड़ी में अखाड़ों के बीच संघर्ष हुआ था। 2004 के अर्धकुंभ मेले में एक महिला से पुलिस द्वारा की गई छेडछाड़ ने जनता, खासकर व्यापारियों को सड़क पर संघर्ष के लिए मजबूर कर दिया। जिसमें एक युवक की मौत हो गई।
0 0

No comments:

Post a Comment

Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You

Feetured Post

रिश्तों की अहमियत

 मैं घर की नई बहू थी और एक प्राइवेट बैंक में एक अच्छे ओहदे पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर और पति...