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पायलट बाबा के शिष्य रशियन साधुओं से उनका असली नाम पूछो तो बताते नहीं है, लेकिन मुस्कुराकर कहते हैं कि नाम में क्या रखा है। इनके गुरू महायोगी पायलट बाबा ने इन्हें हिंदी नाम दे रखे हैं। कोई लक्ष्मण है तो कोई मीसा और कोई सत्यम या आत्मानंद। इनकी खड़ी हिंदी सुनकर कोई भी आश्चर्यचकित रह जाता है।
पायलट बाबा के रूस दौरे में ये उनके सम्पर्क में आए तो मन में वैराग्य जागा। अब तो इन्हें योग-ध्यान और समाधि के अलावा कुछ समझ में नहीं आता।
मूल रूप से रूस के रहने वाले रशियन साधु लक्ष्मण 2010 में अखाड़े से जुड़े थे। उनका कहना है कि कुंभ दुनिया में सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन है जिसमें बड़ी संख्या में साधु-संत आते हैं। उनसे सीखने को बहुत कुछ मिल सकता है।
एक दूसरे रूसी साधु आत्मानंद हरिद्वार में 2010 में हुए कुंभ में भी आए थे। उन्होंने कहा कि पायलट बाबा के दस हजार से ज्यादा विदेशी शिष्य हैं जिन्होंने उनसे योग-ध्यान और समाधि की शिक्षा ली है।
बाबा की लोकप्रियता विदेशों में काफी ज्यादा है। योग और ध्यान पर उनका गजब का नियंत्रण है। आत्मानंद ने ठान लिया है कि अब वह हमेशा बाबा के ही साथ रहेंगे।
पायलट बाबा के शिष्य रशियन साधुओं से उनका असली नाम पूछो तो बताते नहीं है, लेकिन मुस्कुराकर कहते हैं कि नाम में क्या रखा है। इनके गुरू महायोगी पायलट बाबा ने इन्हें हिंदी नाम दे रखे हैं। कोई लक्ष्मण है तो कोई मीसा और कोई सत्यम या आत्मानंद। इनकी खड़ी हिंदी सुनकर कोई भी आश्चर्यचकित रह जाता है।
पायलट बाबा के रूस दौरे में ये उनके सम्पर्क में आए तो मन में वैराग्य जागा। अब तो इन्हें योग-ध्यान और समाधि के अलावा कुछ समझ में नहीं आता।
मूल रूप से रूस के रहने वाले रशियन साधु लक्ष्मण 2010 में अखाड़े से जुड़े थे। उनका कहना है कि कुंभ दुनिया में सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन है जिसमें बड़ी संख्या में साधु-संत आते हैं। उनसे सीखने को बहुत कुछ मिल सकता है।
एक दूसरे रूसी साधु आत्मानंद हरिद्वार में 2010 में हुए कुंभ में भी आए थे। उन्होंने कहा कि पायलट बाबा के दस हजार से ज्यादा विदेशी शिष्य हैं जिन्होंने उनसे योग-ध्यान और समाधि की शिक्षा ली है।
बाबा की लोकप्रियता विदेशों में काफी ज्यादा है। योग और ध्यान पर उनका गजब का नियंत्रण है। आत्मानंद ने ठान लिया है कि अब वह हमेशा बाबा के ही साथ रहेंगे।
कई लाखों भारतीय, पुरुष और महिला, युवा और वृद्ध, व्यक्ति और भिक्षु, इलाहाबाद कुंभ मेला में आते हैं । भारत में पवित्र स्थल त्यौहार, कहा जाता है मेलों, हिंदू धर्म की तीर्थयात्रा परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। एक देवता या शुभ ज्योतिषीय काल के जीवन में एक पौराणिक घटना का जश्न मनाते हुए, देश भर से तीर्थयात्रियों की भारी संख्या को आकर्षित करता है।
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