दशनाम

www.goswamirishta.com

तीर्थ-
त्रिवेणी संड्डमें तीर्थ तत्वमरयादि लक्षणौ। स्नायातत्दार्थ आवेन तीर्थ नामा च उच्यते।
"तत्वमसि" इस महाकाव्य रूपी त्रिवेणी के तीर्थ में जो तत्वान्वेषण भाव से स्नान करते हैं उन्हें तीर्थ कहते है।

आश्रम-
आश्रम ग्रहणे प्रौढ आशा पाश विवर्जिताः। यातायात विनिर्मुक्त एतदाश्रम लक्षणम।।
जाल से मुक्ति और आवागमन से मुक्ति और उक्त गुणों से युक्त सन्यासी को आश्रम कहते है

वन-आरण्य
सुरम्ये निर्झरदेश वने वासं करोति यः। आशा याशा विर्निमुक्तो वन नामा उच्यते।।
आशा रहित हो रमणीय झरना वाले वन प्रांत में वास करने वाले सन्यासी वन कहलाते है।

गिरि-
वासो गिरिश्वरे नित्ये गीताभ्यासे हितत्परः। शम्भीराचल बुदिध्श्रा नामा च उच्यते ।।
जो पर्वतो में रह कर बराबर गीता का पाठ करते हैं और गंभीर अटल बुद्धि वाले होते हैं वे गिरि हैं।

पर्वत-
बसेत पर्वत मूलेषू प्रौढो योध्यानधारणात। सारात सारं विजानाति पर्वतः परि कीर्तितः।।
जो पर्वतों में रहते हैं और ध्यान धारणादि में प्रौढ हैं और जीवन सार से परिचित है पर्वत कहे जाते है।

सागर-
वसेत सागर गंभीरो वन रत्न परिग्रहः। मध्र्यादाश्र न लंबे सागरः परि कीर्तितः।।
समुद्रक्त गंभीर, वन्यफूलमूलादि जीवी व मर्यादावान सन्यासी सागर कहे जाते है।

सरस्वती-
स्वरज्ञान वशोनित्यर स्वरवादी कवीश्ररः। संसार सागरे सराभिज्ञो यो हि सरस्वती।
स्वर ज्ञान वाले कविस्वर व संसार को असार मानने वाला सन्यासी सरस्वती कहा जाता है।

भारती-
विद्याभारेण सम्पूर्ण सर्वभारं परित्यजेत। दुख भारं न जानाति भारती पर कीर्तितः।।
विद्या से युक्त हो सभी सारो को छोड जो दुःख के बोझ को भी नहीं समझत वह भारती हैं।

पुरी-
ज्ञानत तत्वेण सम्पूर्णः पूर्णतत्व पदेस्थितः। पद ब्रह्मरता नित्य पुरी नामा स उच्यते।।
ज्ञान तत्व से युक्त पूर्ण तत्वज्ञ व शब्द ब्रह्ममें लीन में रहने वाला पुरी है।
0 0

No comments:

Post a Comment

Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You

Feetured Post

ShadiRishta.com – Best Matrimony Website in India Free

  ShadiRishta.com – Best Matrimony Website in India Free Looking for the best matrimony website in India free? 🌸 Your search ends with Sha...