अक्सर बड़े बुजुर्गों सकारात्मक सोच रखने की सलाह देते हैं और मनोचिकित्सकों का भी कहना है कि सकारात्मक सोच रखने वालों को सफलता मिलने की संभावना नकारात्मक प्रवृत्ति के लोगों की तुलना में ज्यादा होती है तथा सकारात्मक सोच तन और मन दोनों को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाती है।
सकारात्मक नजरिए से कई मुश्किलें आसान हो जाती हैं। वास्तव में इससे समस्या भले ही हल न हो लेकिन वह छोटी जरूर हो जाती है। सकारात्मक या नकारात्मक नजरिया लोगों के स्वभाव पर निर्भर करता है। वास्तव में यह नजरिया ही है कि कोई व्यक्ति ग्लास को आधा भरा देखता है तो कोई आधा खाली। कई बार देखने में आता है कि कुछ लोग मुश्किल परिस्थितियों में घबरा जाते हैं जबकि वहीं कुछ सोचते हैं कि जो होगा अच्छा ही होगा यही नजरिए का फर्क है।
सकारात्मक सोच का असर व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर पड़ता है। सकारात्मक सोच रखने से प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है जबकि इससे उलट नकारात्मक नजरिए से यह प्रणाली कमजोर होती है। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी सकारात्मक सोच जरूरी है।
सकारात्मक सोच प्रत्येक चीज या किसी भी परिस्थिति के अच्छे पहलुओं को देखने की क्षमता बढ़ाती है। इससे न केवल व्यक्ति खुश रहता है बल्कि सकारात्मक सोच रखकर परिस्थितयों का सामना करने से सफलता की संभावना भी अधिक रहती है।
सकारात्मक या नकारात्मक नजरिया कई बातों पर निर्भर करता है जैसे व्यक्ति विशेष का स्वभाव, उसका मूड, परिस्थितियां आदि। सकारात्मक या नकारात्मक सोच जिंदगी के अनुभवों और परिस्थितियों पर आधारित होती है। सकारात्मक सोच का व्यक्ति के स्वास्थ्य पर व्यापक असर पड़ता है। सकारात्मक सोच रखने वालों की सफलता की संभावना अधिक होती है क्योंकि इस स्थिति में व्यक्ति अपनी क्षमताओं का बखूबी इस्तेमाल कर पाता है जबकि चीजों को नकारात्मक नजरिए से देखने वालों को कई बार नाकामयाबी का सामना करना पड़ता है।
कुछ देशों में ‘थिंक पॉजिटिव डे’ 13 सितंबर को मनाया जाता है। लोगों को सकारात्मक नजरिया रखने के लिए प्रेरित करने और उन्हें इसके फायदों से अवगत कराने के उद्देश्य यह दिन मनाया जाता है। भारत में इस दिन का चलन नहीं है लेकिन सकारात्मक सोच के महत्व से इंकार भी नहीं किया जा सकता।
सकारात्मक नजरिए से कई मुश्किलें आसान हो जाती हैं। वास्तव में इससे समस्या भले ही हल न हो लेकिन वह छोटी जरूर हो जाती है। सकारात्मक या नकारात्मक नजरिया लोगों के स्वभाव पर निर्भर करता है। वास्तव में यह नजरिया ही है कि कोई व्यक्ति ग्लास को आधा भरा देखता है तो कोई आधा खाली। कई बार देखने में आता है कि कुछ लोग मुश्किल परिस्थितियों में घबरा जाते हैं जबकि वहीं कुछ सोचते हैं कि जो होगा अच्छा ही होगा यही नजरिए का फर्क है।
सकारात्मक सोच का असर व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर पड़ता है। सकारात्मक सोच रखने से प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है जबकि इससे उलट नकारात्मक नजरिए से यह प्रणाली कमजोर होती है। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी सकारात्मक सोच जरूरी है।
सकारात्मक सोच प्रत्येक चीज या किसी भी परिस्थिति के अच्छे पहलुओं को देखने की क्षमता बढ़ाती है। इससे न केवल व्यक्ति खुश रहता है बल्कि सकारात्मक सोच रखकर परिस्थितयों का सामना करने से सफलता की संभावना भी अधिक रहती है।
सकारात्मक या नकारात्मक नजरिया कई बातों पर निर्भर करता है जैसे व्यक्ति विशेष का स्वभाव, उसका मूड, परिस्थितियां आदि। सकारात्मक या नकारात्मक सोच जिंदगी के अनुभवों और परिस्थितियों पर आधारित होती है। सकारात्मक सोच का व्यक्ति के स्वास्थ्य पर व्यापक असर पड़ता है। सकारात्मक सोच रखने वालों की सफलता की संभावना अधिक होती है क्योंकि इस स्थिति में व्यक्ति अपनी क्षमताओं का बखूबी इस्तेमाल कर पाता है जबकि चीजों को नकारात्मक नजरिए से देखने वालों को कई बार नाकामयाबी का सामना करना पड़ता है।
कुछ देशों में ‘थिंक पॉजिटिव डे’ 13 सितंबर को मनाया जाता है। लोगों को सकारात्मक नजरिया रखने के लिए प्रेरित करने और उन्हें इसके फायदों से अवगत कराने के उद्देश्य यह दिन मनाया जाता है। भारत में इस दिन का चलन नहीं है लेकिन सकारात्मक सोच के महत्व से इंकार भी नहीं किया जा सकता।
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