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फ्रांस और अमेरिका में मिट्टी-स्नान बहुत पहले से ही प्रचलन में है। वहां कम से कम महीने में एक बार स्वस्थ व्यक्ति मिट्टी-स्नान आज भी लेता है। भारत में यह प्रयोग अति प्राचीनकाल से होता चला आ रहा है। पृथ्वी पंच तत्वों में पांचवां और अंतिम तत्व है। यह अन्य चार तत्वों- आकाश, वायु, अग्नि तथा जल का रस है।
'एषां भूतानां पृथ्वी रस'
उपनिषद : श्रुति में पृथ्वी को अन्न भी कहा गया है। उपनिषद में वर्णन मिलता है कि आत्मा से आकाश की उत्पति हुई, आकाश से वायु की, वायु से अग्नि की, अग्नि से जल की, जल से पृथ्वी की, पृथ्वी से औषधि-वनस्पतियों की, औषधि से अन्न की और अन्न से मनुष्य की उत्पत्ति हुई है।
मिट्टी के गुण
मिट्टी जितनी सर्वसुलभ एवं नगण्य समझी जाती है, उसके गुण-गरिमा उतनी ही महान है। इसके प्रमुख गुण निम्नानुसार हैं
सब प्रकार के दुर्गंध को मिटाने में सक्षम।
सर्दी व गर्मी रोकने की शक्ति।
जल को निर्मल करने की अद्भुत शक्ति।
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बड़े से बड़े घाव (फोड़े) को पकाने व भरने की शक्ति।
सांप, बिच्छू आदि के काटने पर विषादि को शोषण करने की शक्ति।
खाद्य पदार्थों को उनमें भिन्न-भिन्न रसों की प्रधानता के साथ उत्पन्न करने की शक्ति।
अग्नि की उष्णता को शांत करने की शक्ति।
रोगों को दूर करने की अपूर्व शक्ति।
विलक्षण विद्युत शक्ति होने से जीवन-शक्ति का संचार।
मिट्टी के बर्तनों में रखा भोजन अधिक समय तक खराब नहीं होता।
नेत्र ज्योति बढ़ाने की अद्भुत शक्ति (नंगे पांव चलने से)।
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