तीर्थ करने का बहुत पुण्य है। कौन-सा है एक मात्र तीर्थ? तीर्थाटन का समय क्या है? अयोध्या, काशी, मथुरा, प्रयाग, चार धाम और कैलाश में कैलाश की महिमा ही अधिक है वही प्रमुख तीर्थ है। हिंदू धर्म के चार संप्रदाय हैं- 1.वैष्णव 2.शैव, 3.शाक्त और 4.ब्रह्म (अन्य)। चारों के तीर्थ हैं।
जो मनमानें तीर्थ और तीर्थ पर जाने के समय हैं उनकी यात्रा का सनातन धर्म से कोई संबंध नहीं। तीर्थ से ही वैराग्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तीर्थ यात्रा का समय संक्रांति के बाद माना गया है जबकि सुर्य उत्तरायण होता है। तीर्थ में सबसे प्रमुख कैलाश मानसरोवर को माना गया है। इसके बाद क्रमश: चार धाम, द्वादश ज्योतिर्लिंग, शक्तिपीठ, सप्तपुरी का नंबर आता है।
1.कैलाश मानसरोवर।
2.चार धाम : बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी।
3.द्वादश ज्योतिर्लिंग : सोमनाथ, द्वारका, महाकालेश्वर, श्रीशैल, भीमाशंकर, ॐकारेश्वर, केदारनाथ
विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, रामेश्वरम, घृष्णेश्वर, बैद्यनाथ।
4.इक्कावन शक्तिपीठ : हिंगुल या हिंगलाज, शर्कररे, सुगंध, अमरनाथ, ज्वाला जी, त्रिपुरमालिनी भीषण, जय दुर्गा बैद्यनाथधाम, गुजयेश्वरी मंदिर, दाक्षायनी नि अमर मानसरोवर, बिराज नाभि विमला जगन्नाथ, गण्डकी चण्डी चक्रपाणि, देवी बाहुला भीरुक, चंद्रिका कपिलांबर, त्रिपुर सुंदरी त्रिपुरेश, छत्राल भवानी चंद्रशेखर, त्रिस्रोत भ्रामरी अंबर, कामाख्या उमानंद, जुगाड्या क्षीर खंडक, कालीपीठ कालिका नकुलीश, ललिता भव, जयंती क्रमादीश्वर, विमला सांवर्त, मणिकर्णिका विशालाक्षी एवं मणिकर्णी काल भैरव, भद्रकाली श्रवणी निमिष, सावित्री स्थनु, मणिबन्ध गायत्री सर्वानंद, श्री शैल महालक्ष्मी शंभरानंद, कांची देवगर्भ रुरु, काली असितांग, नर्मदा भद्रसेन, वक्ष शिवानी चंदा, उमा भूतेश, शुचि नारायणी संहार, वाराही महारुद्र, अर्पण वामन, श्री संदरी सुंदरानंद, कपालिनी (भीमरूप) शर्वानंद, चंद्रभागा वक्रतुण्ड, अवंति लम्बकर्ण, भ्रामरी विकृताक्ष, सर्वशैल राकिनी/विश्वेश्वरी वत्सनाभ/दण्डपाणि, बिरात अम्बिका अमृतेश्वर, रत्नावली कुमारी शिवा, उमा महोदर, कलिका देवी योगेश, कर्नाट जयदुर्गा अभिरु, महिषमर्दिनी वक्रनाथ, यशोरेश्वरी चंदा, अट्टहास फुल्लरा विश्वेश, नंदिनी नंदिकेश्वर, इंद्रक्षी राक्षसेश्वर।
5.सप्तपुरी : काशी, मथुरा, अयोध्या, द्वारका, माया, कांची और अवंति (उज्जैन)।
जो मनमानें तीर्थ और तीर्थ पर जाने के समय हैं उनकी यात्रा का सनातन धर्म से कोई संबंध नहीं। तीर्थ से ही वैराग्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तीर्थ यात्रा का समय संक्रांति के बाद माना गया है जबकि सुर्य उत्तरायण होता है। तीर्थ में सबसे प्रमुख कैलाश मानसरोवर को माना गया है। इसके बाद क्रमश: चार धाम, द्वादश ज्योतिर्लिंग, शक्तिपीठ, सप्तपुरी का नंबर आता है।
1.कैलाश मानसरोवर।
2.चार धाम : बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी।
3.द्वादश ज्योतिर्लिंग : सोमनाथ, द्वारका, महाकालेश्वर, श्रीशैल, भीमाशंकर, ॐकारेश्वर, केदारनाथ
विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, रामेश्वरम, घृष्णेश्वर, बैद्यनाथ।
4.इक्कावन शक्तिपीठ : हिंगुल या हिंगलाज, शर्कररे, सुगंध, अमरनाथ, ज्वाला जी, त्रिपुरमालिनी भीषण, जय दुर्गा बैद्यनाथधाम, गुजयेश्वरी मंदिर, दाक्षायनी नि अमर मानसरोवर, बिराज नाभि विमला जगन्नाथ, गण्डकी चण्डी चक्रपाणि, देवी बाहुला भीरुक, चंद्रिका कपिलांबर, त्रिपुर सुंदरी त्रिपुरेश, छत्राल भवानी चंद्रशेखर, त्रिस्रोत भ्रामरी अंबर, कामाख्या उमानंद, जुगाड्या क्षीर खंडक, कालीपीठ कालिका नकुलीश, ललिता भव, जयंती क्रमादीश्वर, विमला सांवर्त, मणिकर्णिका विशालाक्षी एवं मणिकर्णी काल भैरव, भद्रकाली श्रवणी निमिष, सावित्री स्थनु, मणिबन्ध गायत्री सर्वानंद, श्री शैल महालक्ष्मी शंभरानंद, कांची देवगर्भ रुरु, काली असितांग, नर्मदा भद्रसेन, वक्ष शिवानी चंदा, उमा भूतेश, शुचि नारायणी संहार, वाराही महारुद्र, अर्पण वामन, श्री संदरी सुंदरानंद, कपालिनी (भीमरूप) शर्वानंद, चंद्रभागा वक्रतुण्ड, अवंति लम्बकर्ण, भ्रामरी विकृताक्ष, सर्वशैल राकिनी/विश्वेश्वरी वत्सनाभ/दण्डपाणि, बिरात अम्बिका अमृतेश्वर, रत्नावली कुमारी शिवा, उमा महोदर, कलिका देवी योगेश, कर्नाट जयदुर्गा अभिरु, महिषमर्दिनी वक्रनाथ, यशोरेश्वरी चंदा, अट्टहास फुल्लरा विश्वेश, नंदिनी नंदिकेश्वर, इंद्रक्षी राक्षसेश्वर।
5.सप्तपुरी : काशी, मथुरा, अयोध्या, द्वारका, माया, कांची और अवंति (उज्जैन)।
6. अन्य तीर्थ :
दुर्गा के प्रमुख तीर्थ :- दाक्षायनी (मानसरोवर), माँ वैष्णोदेवी (जम्मू-कटरा), मनसादेवी (हरिद्वार), काली माता (पावागढ़), नयना देवी (नैनीताल), शारदा मैया (मैयर), कालका माता (कोलकाता), ज्वालामुखी (काँगड़ा), भवानी माता (पूना), तुलजा भवानी (तुलजापुर), चामुंडा देवी (धर्मशाला, जोधपुर और देवास), अम्बाजी मंदिर (माउंट आबू के पास), अर्बुदा देवी (नीलगिरि माउंट आबू पर्वत), तुलजा-चामुंडा (देवास माता टेकरी), बिजासन टेकरी (इंदौर), गढ़ कालिका-हरसिद्धि (उज्जैन), मुम्बादेवी (मुंबई), सप्तश्रृंगी देवी (नासिक के पास), माँ मनुदेवी (भुसावल-यावल आड़गाव), त्रिशक्ति पीठम (अमरावती, आंध्रप्रदेश विजयवाड़ा), आट्टुकाल भगवती (तिरुवनंतपुरम), श्रीलयराई देवी (गोवा), कामाख्या (गुवाहाटी), गुह्म कालिका (नेपाल), महाकाली (काशी), कौशिकी देवी (अल्मोड़ा), सातमात्रा (ओंकारेश्वर), कालका (देहली-शिमला रोड पर), नगरकोट की देवी (काँगड़ा पठानकोट-योगीन्द्रनगर लाइन पर भगवती विद्येश्वरी), भगवती कालिका (चित्तौड़), भगवती पटेश्वरी, योगमाया-कालिका (कुतुबमीनार के पास दूसरा ओखला नामक ग्राम में), पथकोट की देवी (पठानकोट), ललिता देवी (इलाहबाद-कड़ा), पूर्णागिरि (नेपाल की सरहद पर शारदानदी के किनारे), माता कुडि़या (चेन्नई), देवी चामुंडा-भेरुण्डा (मैसूर), श्रीविन्ध्यवासिनी (विन्ध्याचल), तारादेवी (कण्डाघाट स्टेशन)।
और भी :- तिरुपति बालाजी, शिर्डी, बाबा रामदेवजी (रामद्वारा), श्रीनाथजी, गजानंद महाराज, दादा धूनी वाले, शिलनाथ (देवास), गोगा महाराज, पंढरपुर दत्तात्रेय महाराज आदि।
हिंदू धर्म में कैलाश मानसरोवर और चार धाम की यात्रा का ही महत्व माना गया है। इनकी यात्रा करते हुए ज्योतिर्लिंग व सप्तपुरियों की यात्रा स्वत: ही हो जाती है। इसके अलावा अन्य किसी तीर्थ की यात्रा करना या नहीं करना अपनी-अपनी श्रद्धा का मामला है, किंतु चार धाम अवश्य करना चाहिए।
दुर्गा के प्रमुख तीर्थ :- दाक्षायनी (मानसरोवर), माँ वैष्णोदेवी (जम्मू-कटरा), मनसादेवी (हरिद्वार), काली माता (पावागढ़), नयना देवी (नैनीताल), शारदा मैया (मैयर), कालका माता (कोलकाता), ज्वालामुखी (काँगड़ा), भवानी माता (पूना), तुलजा भवानी (तुलजापुर), चामुंडा देवी (धर्मशाला, जोधपुर और देवास), अम्बाजी मंदिर (माउंट आबू के पास), अर्बुदा देवी (नीलगिरि माउंट आबू पर्वत), तुलजा-चामुंडा (देवास माता टेकरी), बिजासन टेकरी (इंदौर), गढ़ कालिका-हरसिद्धि (उज्जैन), मुम्बादेवी (मुंबई), सप्तश्रृंगी देवी (नासिक के पास), माँ मनुदेवी (भुसावल-यावल आड़गाव), त्रिशक्ति पीठम (अमरावती, आंध्रप्रदेश विजयवाड़ा), आट्टुकाल भगवती (तिरुवनंतपुरम), श्रीलयराई देवी (गोवा), कामाख्या (गुवाहाटी), गुह्म कालिका (नेपाल), महाकाली (काशी), कौशिकी देवी (अल्मोड़ा), सातमात्रा (ओंकारेश्वर), कालका (देहली-शिमला रोड पर), नगरकोट की देवी (काँगड़ा पठानकोट-योगीन्द्रनगर लाइन पर भगवती विद्येश्वरी), भगवती कालिका (चित्तौड़), भगवती पटेश्वरी, योगमाया-कालिका (कुतुबमीनार के पास दूसरा ओखला नामक ग्राम में), पथकोट की देवी (पठानकोट), ललिता देवी (इलाहबाद-कड़ा), पूर्णागिरि (नेपाल की सरहद पर शारदानदी के किनारे), माता कुडि़या (चेन्नई), देवी चामुंडा-भेरुण्डा (मैसूर), श्रीविन्ध्यवासिनी (विन्ध्याचल), तारादेवी (कण्डाघाट स्टेशन)।
और भी :- तिरुपति बालाजी, शिर्डी, बाबा रामदेवजी (रामद्वारा), श्रीनाथजी, गजानंद महाराज, दादा धूनी वाले, शिलनाथ (देवास), गोगा महाराज, पंढरपुर दत्तात्रेय महाराज आदि।
हिंदू धर्म में कैलाश मानसरोवर और चार धाम की यात्रा का ही महत्व माना गया है। इनकी यात्रा करते हुए ज्योतिर्लिंग व सप्तपुरियों की यात्रा स्वत: ही हो जाती है। इसके अलावा अन्य किसी तीर्थ की यात्रा करना या नहीं करना अपनी-अपनी श्रद्धा का मामला है, किंतु चार धाम अवश्य करना चाहिए।
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