* मैं तो तुम्हारी पसंद का ध्यान रखूंगी ही पर तुम भी रखना। गृहस्थी की गाड़ी दो पहियों से चलती है। वो भी सोच-समझ में समान होना चाहिए।
* जीवन में जितनी भी उलझनें होंगी उन्हें दोनों बाँटेंगे, जरूरत होने पर बच्चों से भी शेयर करेंगे। व मशविरा लेंगे।
* दोस्तों से (चाहे वे महिला हो या पुरुष) घर व ऑफिस के संबंध अपनी-अपनी जगह रहने देंगे। जरूरत होने पर हम दोनों इन संबंधों को बनाए रखने में सहयोग करेंगे।
* जीवन में जितनी भी उलझनें होंगी उन्हें दोनों बाँटेंगे, जरूरत होने पर बच्चों से भी शेयर करेंगे। व मशविरा लेंगे।
* दोस्तों से (चाहे वे महिला हो या पुरुष) घर व ऑफिस के संबंध अपनी-अपनी जगह रहने देंगे। जरूरत होने पर हम दोनों इन संबंधों को बनाए रखने में सहयोग करेंगे।
* घर में या बाहर रिश्तेदारों, मित्रों या नौकरों के सामने अपनी ही बात को ऊंचे स्वर में कहने के बजाए मधुरता से रखेंगे। तात्पर्य किसी की तौहीन न हो।
* हारी बीमारी में मैं तो तुम्हारी सेवा करूंगी ही, क्योंकि तुम मेरे पति, मित्र व प्रेमी हो पर तुम्हारे द्वारा भी ऐसा करने से तुम बच्चों व मेरी नजरों में और भी ऊंचे हो जाओगे।
* बजाए दूसरों की बात सुनने व मानने के, हम दोनों एक-दूसरे की बात सुनेंगे न कि सिर्फ कहेंगे।
* कितनी भी उम्र हो जाए 'हम एक दूजे के लिए' वाली भावना को याद रखेंगे। एक दूजे का साथ नहीं छोड़ेंगे जीवन से रिटायरमेंट तक।
* बहू, दामाद के सामने अपने परिवार की मर्यादा व आदर्श बनाए रखेंगे। उतना ही दखल देंगे जितनी जरूरत होगी।
* पराई पत्तल का घी नहीं देखकर अपनी ही पत्तल पर ध्यान देंगे हर मामले में।
* हारी बीमारी में मैं तो तुम्हारी सेवा करूंगी ही, क्योंकि तुम मेरे पति, मित्र व प्रेमी हो पर तुम्हारे द्वारा भी ऐसा करने से तुम बच्चों व मेरी नजरों में और भी ऊंचे हो जाओगे।
* बजाए दूसरों की बात सुनने व मानने के, हम दोनों एक-दूसरे की बात सुनेंगे न कि सिर्फ कहेंगे।
* कितनी भी उम्र हो जाए 'हम एक दूजे के लिए' वाली भावना को याद रखेंगे। एक दूजे का साथ नहीं छोड़ेंगे जीवन से रिटायरमेंट तक।
* बहू, दामाद के सामने अपने परिवार की मर्यादा व आदर्श बनाए रखेंगे। उतना ही दखल देंगे जितनी जरूरत होगी।
* पराई पत्तल का घी नहीं देखकर अपनी ही पत्तल पर ध्यान देंगे हर मामले में।
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