ज्यादातर माता-पिता नहीं जानते कि बच्चों में भोजन के प्रति रुचि कैसे जगाएं। वे अकसर इसी दुविधा में रहते हैं कि बच्चे को भोजन में ऐसा क्या दें, जिससे बच्चे को संतुष्टि मिल सके।
माताओं में आम धारणा यह होती है कि यदि शिशु को ज्यादा खिलाएंगी तो वे मोटे हो जाएंगे। ऐसा कदापि न करें, साथ ही बच्चे के मोटापे से भी चिंतित न हों, बच्चे का मोटापा व्यायाम, हिलाने-डुलाने व सक्रियता के जरिये भी कम किया जा सकता है। बच्चे को खेलने के ऐसे खिलौने दें, जिनसे खेलते हुए उसका व्यायाम हो जाए, वह ज्यादा दौड़-भाग करे।
बच्चे के मोटापे को देखकर उसके खाने-पीने में कमी न करें, इससे उसको मिलने वाले पोषक तत्वों में कमी हो जाएगी। इससे उसके मानसिक व शारीरिक विकास में बाधा आएगी।
नेशनल डेयरी काउंसिल के आहार विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चों को खाना खिलाना मां-बाप के लिए बहुत कठिन काम है, मगर माताएं अकसर यही याद रखती हैं कि बच्चे ने कितना खाया और कितनी उपेक्षा की।
बढ़ते बच्चे की भूख का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि उसमें पाचन क्षमता कमजोर होती है, इसलिए उन्हें एक बार अधिक से अधिक नहीं खिलाना चाहिए, बल्कि दिन में दो-तीन बार भोजन कराना चाहिए।
यह जरूरी नहीं कि बार-बार खाना ही दिया जाए। एक जैसा खाना मिलने पर बच्चा खाने से जी चुराने लगता है। बच्चों को स्नैक्स, मिल्क शेक, फल, मक्खन, किशमिश आदि दिए जा सकते हैं।
माताओं में आम धारणा यह होती है कि यदि शिशु को ज्यादा खिलाएंगी तो वे मोटे हो जाएंगे। ऐसा कदापि न करें, साथ ही बच्चे के मोटापे से भी चिंतित न हों, बच्चे का मोटापा व्यायाम, हिलाने-डुलाने व सक्रियता के जरिये भी कम किया जा सकता है। बच्चे को खेलने के ऐसे खिलौने दें, जिनसे खेलते हुए उसका व्यायाम हो जाए, वह ज्यादा दौड़-भाग करे।
बच्चे के मोटापे को देखकर उसके खाने-पीने में कमी न करें, इससे उसको मिलने वाले पोषक तत्वों में कमी हो जाएगी। इससे उसके मानसिक व शारीरिक विकास में बाधा आएगी।
नेशनल डेयरी काउंसिल के आहार विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चों को खाना खिलाना मां-बाप के लिए बहुत कठिन काम है, मगर माताएं अकसर यही याद रखती हैं कि बच्चे ने कितना खाया और कितनी उपेक्षा की।
बढ़ते बच्चे की भूख का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि उसमें पाचन क्षमता कमजोर होती है, इसलिए उन्हें एक बार अधिक से अधिक नहीं खिलाना चाहिए, बल्कि दिन में दो-तीन बार भोजन कराना चाहिए।
यह जरूरी नहीं कि बार-बार खाना ही दिया जाए। एक जैसा खाना मिलने पर बच्चा खाने से जी चुराने लगता है। बच्चों को स्नैक्स, मिल्क शेक, फल, मक्खन, किशमिश आदि दिए जा सकते हैं।
मक्खन, अंडे, दूध, फल व सब्जियों में प्रचुर मात्रा में पौष्टिकता होती है, यह ध्यान रखना चाहिए कि आहार बच्चे की खुराक के अनुकूल हो। बच्चे को केक, बिस्कुट दिए जा सकते हैं, मगर अधिक से अधिक विटामिन व प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ देने चाहिए साथ ही वैरायटी भी होना जरूरी है।
* जो बच्चे स्तनपान करते हैं, उन्हें बचपन से लेकर बाद तक कम बीमारियां होती हैं, यानी शुरू से लेकर आखिर तक स्तनपान करने वाले शिशु स्वस्थ रहते हैं।
* स्तनपान छोड़ने पर बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, तब उसे संतुलित व पौष्टिक आहार की जरूरत होती है, अतः स्तनपान छोड़ने पर बच्चे को फल, हरी सब्जियां, मछली पर्याप्त मात्रा में दें।
* बच्चे के स्वास्थ्य के लिए ज्यादा मीठा अच्छा नहीं होता, क्योंकि इसका सीधा संबंध दांत से होता है।
* बच्चों में दांत साफ करने की आदत डालें, मुलायम ब्रश से ही दांत साफ कराएं, बच्चे में व्यायाम करने की भी आदत डालें।
* बच्चे को ताजी हवा में जरूर घुमाएं, खांसी सर्दी, जुकाम या एलर्जी की शिकायत हो तो तुरंत डॉक्टर को संपर्क करें, बच्चे को प्रातः सूर्य की कोमल किरणों का सेवन जरूर कराएं।
* जो बच्चे स्तनपान करते हैं, उन्हें बचपन से लेकर बाद तक कम बीमारियां होती हैं, यानी शुरू से लेकर आखिर तक स्तनपान करने वाले शिशु स्वस्थ रहते हैं।
* स्तनपान छोड़ने पर बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, तब उसे संतुलित व पौष्टिक आहार की जरूरत होती है, अतः स्तनपान छोड़ने पर बच्चे को फल, हरी सब्जियां, मछली पर्याप्त मात्रा में दें।
* बच्चे के स्वास्थ्य के लिए ज्यादा मीठा अच्छा नहीं होता, क्योंकि इसका सीधा संबंध दांत से होता है।
* बच्चों में दांत साफ करने की आदत डालें, मुलायम ब्रश से ही दांत साफ कराएं, बच्चे में व्यायाम करने की भी आदत डालें।
* बच्चे को ताजी हवा में जरूर घुमाएं, खांसी सर्दी, जुकाम या एलर्जी की शिकायत हो तो तुरंत डॉक्टर को संपर्क करें, बच्चे को प्रातः सूर्य की कोमल किरणों का सेवन जरूर कराएं।
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