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Friday, September 16, 2011

"झगड़े क़ी जड़ हांसी और बीमारी क़ी जड़ खांसी The root of quarrel is laughter and the root of disease is cough

कहते हैं "झगड़े क़ी जड़ हांसी और बीमारी क़ी जड़ खांसी"। खांसी एक ऐसा लक्षण है, जो एक सामान्य ज्वर से लेकर तपेदिक जैसी बीमारियों में एक लक्षण के रूप में देखा जाता है। यह सूखी और गीली दो प्रकार क़ी हो सकती है। सूखी में रोगी आवाज करता हुआ खांसता है जबकि गीली खांसी में खांसने के साथ कफ निकलता है। कई बार रोगी का खांस-खांस कर इतना बुरा हाल होता है, क़ि खुद के अलावा पड़ोसी क़ी नींद भी दूभर हो जाती है।
कई बार खांसी के रूप में निकलने वाले ड्रॉपलेट्स दूसरों में भी संक्रमण फैला सकते हैं कुछ ऐसे सरल आयुर्वेदिक नुस्खे हैं, जिनसे रोगों क़ी जड़ खांसी को दूर भगाया जा सकता है :-
- शुद्ध घी यदि गाय का हो तो अच्छा को 15-20 ग्राम के मात्रा में लेकर, काली मिर्च के 15-20 नग़ लेकर एक कटोरी में आग पर गर्म करें, जब काली मिर्च कड़कडाने लगे और ऊपर आ जाय तब उतारकर थोड़ा ठंडा कर 20 ग्राम पिसी मिश्री या शक्कर मिला लें ,तक़रीबन आधे मिनट के बाद उतार लें अब थोड़ा गर्म रहने पर ही चीनी या मिश्री के साथ मिलाकर काली मिर्च चबा-चबा कर खा लें, इसके एक घंटे बाद तक कुछ न लें, इस प्रयोग को सोते समय तीन-चार दिन तक लगातार करने से पुरानी से पुरानी खांसी ठीक हो जाती है।
- मिश्री,वंशलोचन, पिप्पली, बड़ीइलाइची, तेजपत्र इन सबको सम मात्रा में शहद या गुनगुने पानी से लेना खांसी को जड़ से मिटाता है।
- वासा क़ी ताज़ी पत्तियों को छोटा-छोटा काटकर इसे निचोड़कर रस निकालकर प्रयोग बलगमयुक्त खांसी के रोगी में अत्यंत लाभकारी है।
- आयुर्वेद में वर्णित सितोपलादि चूर्ण, च्यवनप्राश, वासापुटपक्व स्वरस, तालिशादी चूर्ण आदि कुछ ऐसे नुस्खे हैं जिनका चिकित्सक के निर्देशन में प्रयोग कर रोगी खांसी से राहत पा सकता है। बस इतना ध्यान रखें क़ि खांसी की अनदेखी न हो और समय रहते इसके लिए उपाय किये जांय।
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