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वैष्णव संतों के मूलत: तीन अखाड़े है- श्री दिगम्बर आनी अखाड़ा, श्री निर्वाणी आनी अखाड़ा और श्री निर्मोही आनी अखाड़ा। यहां प्रस्तुत है निर्मोही आनी अखाड़े का संक्षिप्त परिचय।
निर्मोही अखाड़े ( nirmohi akhara) की स्थापना 1720 में रामानंदाचार्य ने की थी। यह अखाड़ा भगवान राम के प्रति समर्पित है। इसीलिए अयोध्या आंदोलन से इस अखाड़े का नाम जुड़ा रहता है। कुम्भ मेले में इसकी भागीदारी बढ़-चढ़कर कर रहती है।
इस अखाड़े ने 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में मस्जिद के नजदीक मंदिर बनाने का प्रयास किया, लेकिन अदालत ने उसे रोक दिया था। हिंदुओं की तरफ से रामलला ट्रस्ट और निर्मोही अखाड़ा ही कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं।
निर्मोही अखाड़ा, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त 13 अखाड़ों में से एक है। इसका संबंध वैष्णव संप्रदाय से है और महंत भास्कर दास इसके अध्यक्ष हैं। इस अखाड़े से लगभग 12,000 साधु-संत जुड़े हुए हैं।
वैष्णव संतों के मूलत: तीन अखाड़े है- श्री दिगम्बर आनी अखाड़ा, श्री निर्वाणी आनी अखाड़ा और श्री निर्मोही आनी अखाड़ा। यहां प्रस्तुत है निर्मोही आनी अखाड़े का संक्षिप्त परिचय।
निर्मोही अखाड़े ( nirmohi akhara) की स्थापना 1720 में रामानंदाचार्य ने की थी। यह अखाड़ा भगवान राम के प्रति समर्पित है। इसीलिए अयोध्या आंदोलन से इस अखाड़े का नाम जुड़ा रहता है। कुम्भ मेले में इसकी भागीदारी बढ़-चढ़कर कर रहती है।
इस अखाड़े ने 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में मस्जिद के नजदीक मंदिर बनाने का प्रयास किया, लेकिन अदालत ने उसे रोक दिया था। हिंदुओं की तरफ से रामलला ट्रस्ट और निर्मोही अखाड़ा ही कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं।
निर्मोही अखाड़ा, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त 13 अखाड़ों में से एक है। इसका संबंध वैष्णव संप्रदाय से है और महंत भास्कर दास इसके अध्यक्ष हैं। इस अखाड़े से लगभग 12,000 साधु-संत जुड़े हुए हैं।
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