पगड़ी बांधे वो सुंदर आँखों वाला

जरी की पगड़ी बांधे वो सुंदर आँखों वाला, कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा | कानो में कुंडल साजे सर मोर मुकुट विराजे, संखियाँ पगली होती जब होठों पे बंसी बाजे, है चंदा ये सांवरा तारे ग्वाल बाला .... कितना सुंदर लागे बिहारी.......... लट घुंगराले बाल तेरे कारे कारे गाल, सुंदर श्याम सलोना तेरी टेडी मेढ़ी चाल, हवा में सर सर करता तेरा पीताम्बर मतवाला..... कितना सुंदर लागे बिहारी .......... मुख पे माखन मलता तू बल घुटनों के चलता, देख यशोदा मात को देवो का मन भी जलता माथे पे तिलक है सोहे आँखों में काजल डाला....... कितना सुंदर लागे बिहारी......... तू जब बंसी बजाये तब मोर भी नाच दिखाए, यमुना में लहरें उठती और कोयल कुह कुह गाये, हाथ में कंगन पहने और गल वैजन्ती माला...... कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा जरी की पगड़ी बांधे वो सुंदर आँखों वाला, कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा |
0 0

No comments:

Post a Comment

Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You

Feetured Post

नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...