18 August 2024

देर रात को खाना खाते हैं, तो इससे आपकी सेहत ख़राब हो सकती है...If you eat food late at night, it can spoil your health...

न सिर्फ़ खानपान, बल्कि खाने के वक़्त पर भी हमारी सेहत निर्भर करती है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का मूलमंत्र है- सही खाएं, सही समय पर खाएं!



देर रात को खाना खाते हैं, तो इससे आपकी सेहत ख़राब हो सकती है...If you eat food late at night, it can spoil your health...



इस दौर में रात का भोजन देर से करना बहुत सामान्य बात हो गई है। कुछ लोग रात को 9 बजे खाना खाते हैं तो कुछ को 11 बज जाते हैं। लेकिन यही देर से खाने की आदत हमारी सेहत बिगाड़ रही है। नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि रात 9 बजे के बाद भोजन करने से मस्तिष्क संबंधी रोग या मस्तिष्कवाहिकीय (सेरेब्रोवैस्कुलर) रोगों का जोखिम काफ़ी बढ़ जाता है। रात का आख़िरी भोजन जितनी देर से किया जाता है, हर घंटे के साथ मस्तिष्क संबंधी रोग का जोखिम 8 फ़ीसदी तक बढ़ जाता है, जो रात 9 बजे के बाद लगभग 28 फ़ीसदी तक पहुंच जाता है।

वहीं, पिछले दिन के अंतिम भोजन और अगले दिन के पहले आहार (नाश्ता) के बीच 12-13 घंटे का अंतर होना चाहिए। यह मस्तिष्क रोग के जोखिम को कम करता है।

मस्तिष्क पर कैसे पड़ता है असर?

दरअसल, मनुष्य का शरीर सोने-जागने के चक्र के अनुकूल ही कार्य करता है। जब सोने का समय होता है तब आप खाना खाते हैं तो मेटाबॉलिज़्म सहित पूरी सेहत प्रभावित होती है। इसका सबसे ज़्यादा असर दिमाग़ पर पड़ता है। इसके चलते नींद की गुणवत्ता कम हो सकती है‌, मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है, सिरदर्द व अवसाद भी हो सकता है। हमारे शरीर में पाया जाने वाला सेरोटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर होता है। यह नींद और भूख के बीच संतुलन बनाने और मूड को नियंत्रित करने में मदद करता है। सेरोटोनिन का लगभग 95 फ़ीसदी पेट में बनता है, और पेट में 10 करोड़ तंत्रिका कोशिकाएं या न्यूरॉन्स होते हैं। इससे एक बात तो स्पष्ट होती है कि पाचन तंत्र न सिर्फ़ भोजन को पचाने में मदद करता है बल्कि मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है।

सर्केडियन रिदम से चलता है हमारा शरीर

शरीर की यह आंतरिक घड़ी है जो सोने, जागने, खाने, हॉर्मोन के स्तर और शरीर के तापमान जैसे कई शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करती है। यह मुख्य रूप से दिन और रात के चक्र (प्रकाश और अंधकार) से प्रभावित होती है। जब खाने का समय शरीर की घड़ी से मेल नहीं खाता है तो यह वसा संचय करने वाले हॉर्मोन बढ़ा देती है जिससे वज़न बढ़ सकता है।

क्या होगा जब रात का भोजन छह-सात बजे कर लेंगे

पाचन तंत्र रहेगा बेहतर

शाम को 6 या 7 बजे खाना खाने से शरीर को पाचन के लिए पर्याप्त समय मिलता है। इस दौरान, विभिन्न पाचन एंज़ायम और एसिड भोजन को बेहतर ढंग से तोड़ते हैं, जिससे पोषक तत्वों का अवशोषण अधिक प्रभावी हो जाता है और खाना सही ढंग से पचता है। साथ ही पेट की समस्याओं, जैसे गैस, एसिडिटी और कब्ज़ से भी राहत मिलती है।


वज़न नियंत्रण में मदद

देर रात भोजन के बाद शारीरिक गतिविधियां नहीं हो पाती हैं जिससे कैलोरी की खपत कम होती है और शरीर में अतिरिक्त कैलोरी वसा के रूप में जमा हो जाती है। वहीं, जब आप शाम को खाना खा लेते हैं तो शरीर को कैलोरी जलाने का भरपूर समय मिलता है, जिससे वज़न को नियंत्रित रखना आसान होता है।


मेटाबॉलिज़्म में सुधार

मेटाबॉलिज़्म के माध्यम से शरीर भोजन को ऊर्जा में बदलता है। शाम को जल्दी खाना खाने से चयापचय की गति बढ़ती है। इससे शरीर तेज़ी से ऊर्जा का उपयोग कर पाता है और आप ऊर्जावान महसूस करते हैं। इसके अलावा, इंसुलिन संवेदनशीलता में भी सुधार होता है, जिसके बढ़ने से शरीर कार्बोहाइड्रेट को बेहतर ढंग से पचाता और उपयोग कर पाता है। इससे रक्तशर्करा का स्तर स्थिर रहता है और टाइप-2 मधुमेह का जोखिम कम होता है।


मानसिक सेहत में बेहतरी

जल्दी खाना खाने से शरीर की जैविक घड़ी बेहतर तरीक़े से काम करती है जिससे सोने-जागने का चक्र, शरीर का तापमान, हॉर्मोन उत्पादन और अन्य शारीरिक प्रक्रियाएं सही रहती हैं। इससे तनाव और चिंता को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इंसुलिन और शर्करा स्तर संतुलित होने से मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ेपन की समस्या भी पैदा नहीं होती।


बेहतर नींद का अनुभव

इस बदलाव से नींद का पैटर्न भी सही रहता है। देर रात भोजन करने से पाचन तंत्र को आराम नहीं मिल पाता जिससे नींद में समस्या हो सकती है। वहीं जब शाम को 6-7 बजे खाना खा लेते हैं तो शरीर को पाचन के लिए पर्याप्त समय मिलता है, जिससे सोने से पहले पाचन तंत्र अधिक आरामदायक स्थिति में होता है। इससे गहरी नींद मिलती है।


हृदय के स्वास्थ्य में सुधार

रात को देर से खाना खाने से कॉलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ता है, जो हृदय रोगों का कारण बन सकता है। समय सुधारने से शरीर को इन्हें पचाने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। इससे उनके स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जो हृदय के लिए अच्छा है। देर रात खाने से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन भी बढ़ सकती है, जो कि हृदय रोगों का एक अन्य कारण है। लेकिन खाने का समय सुधारकर इनसे बचा जा सकता है।

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